बहुत सी महिलाओं के मन मे एक सवाल आता है कि क्या महिला को शंख बजाना चाहिए ? यदि आपके मन मे भी यह सवाल आ रहा है कि महिलाएं शंख का प्रयोग नहीं कर सकती तो इस लेख के अंदर हम इसी बारें मे बात करने वाले हैं। जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि शंख काफी महत्वपूर्ण होता है। हर धर्म के लोग शंख को पवित्र मानते हैं।और घर के अंदर शंख को रखा जाता है माना जाता है कि घर मे शंख रखने के अनेक फायदे होते हैं। शंख की उत्पति समुद्रमंथन से हुई थी। समुद्रमंथन से जो 14 रत्न निकले थे उनके अंदर शंख भी शामिल था। शंख को लक्ष्मी अपने हाथों के अंदर धारण करती है और इसी वजह से शंख लक्ष्मी का प्रिय माना जाता है। और ऐसा माना जाता है कि घर के अंदर शंख रखने से धन की वर्षा होती है। क्या महिला को शंख बजाना चाहिए /महिलाओं को शंख बजाना चाहिए या नहींदोस्तों महिलाएं शंख क्यों नहीं बजा सकती हैं ? इसके पीछे कई मान्यताएं काम करती हैं।हालांकि इस तरह की मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक प्रूफ नहीं है जो विज्ञान को मानते हैं और धर्म को नहीं मानते हैं वे शंख को बजा सकती हैं। नीचे हम कुछ कारण दे रहे हैं। जिसकी वजह से महिलाओं को शंख बजाने के लिए मना किया जाता है। योद्धाओं की ताकत और पराक्रम को दिखाता है शंखदोस्तों प्राचीन काल के अंदर कुछ ताकतवर योद्धाओं के द्वारा शंख का प्रयोग किया जाता था। जिससे शंख के साथ यह मान्यता जुड़ सकती है कि शंख एक ताकत और प्राक्रम का प्रतीक है जिसका प्रयोग महिलाएं नहीं कर सकती हैं। ऐसी स्थिति के अंदर यदि उस समय कोई महिला शंख बजाती तो एक तरह से उन योद्धाओं का अपमान समझा जाता होगा । इस वजह से भी महिलाओं के लिए यह बाद मे वर्जित होता चला गया । हालांकि अब ऐसा कुछ नहीं है। शंख कोई शक्ति का प्रतीक नहीं है। इसे योद्धाओं से जोड़कर भी नहीं देखा जाता है। शंख की आवाज महिलाओं की प्रजनन दर कम कर सकती हैदोस्तों महिलाओं को शंख बजाने से इस लिए भी रोका जाता था कि ऐसा करने से उनकी प्रजनन दर कम हो सकती है। हालांकि यह सच है कि शंख की ध्वनी उच्च आव्रति की होती है पर वैज्ञानिकों के अनुसार इससे प्रजनन दर का कोई लेना देना नहीं है।इसके अलावा इस मामले मे हमे कोई रिसर्च पेपर भी नहीं मिला जिसके अंदर यह दावा किया गया हो की उच्च आव्रति की ध्वनी महिलाओं मे प्रजनन दर को कम कर सकती है। गर्भवति महिलाओं के लिए सही नहींदोस्तों शंख की आवाज को गर्भवती महिलाओं को नहीं सुनना चाहिए । यह बात विज्ञान भी मानता है और सच भी है। शंख की उच्च आव्रति वाली ध्वनी बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
महिला का शंख बजाना लक्ष्मी को दूर कर सकता हैदोस्तों कुछ जगह पर यह विचार धारा भी फैली हुई है कि महिला जिस घर के अंदर शंख बजाती है वहां पर लक्ष्मी का वास नहीं होता है। हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। बस यह एक धारणा मात्र ही है।जबकि आप जानते ही हैं कि एक शंख माता लक्ष्मी का प्रिय है जो लक्ष्मी को बुला तो सकता है लेकिन उसे दूर कैसे कर सकता है। मासिक धर्म से जुड़ी धारणाकुछ जगह पर महिला को मासिक धर्म की स्थिति के अंदर खाना बनाने और मंदिर के अंदर जाने की ईजाजत नहीं होती है। शंख ना बजाने की धारणा को इसी से जोड़कर देखा जाता है। माना जाता है कि यदि कोई महिला मासिक धर्म की स्थिति के अंदर शंख को छू लेगी तो अशुभ होगा ।हालांकि इस तरह के कोई प्रमाण मौजूद नहीं हैं। पुरूष प्रभुत्व के लिएदोस्तों शंख बजाने को लेकर रोक टोक पुरूष प्रभुत्व की वजह से भी है। यदि हम बंगाल की बात करें तो वहां पर महिलाएं शंख बजाती हैं। और ऐसा माना जाता है कि शंख बजाने से बुरी आत्माएं भाग जाती हैं।महिलाओं को पुरूषों से कमतर रखने के लिए भी यह एक धारणा बना ली गई है। शंख शक्ति का प्रतीक माना जाता हैदोस्तों प्राचीन काल के अंदर शंख को शक्ति प्रतीक माना जाता था और पुरूष को इस शक्ति से जोड़कर देखा जाता था और नारी को अबला कहा जाता था। इसी वजह से शायद नारी के शंख बजाने पर रोक थी हालांकि अब ऐसा कुछ नहीं है। महिलाओं को शंख बजाना चाहिए या नहीं ?दोस्तों वरूण पुराण के अंदर यह लिखा हुआ है कि महिलाएं शंख नहीं बजा सकती हैं। लेकिन असल मे इसका मतलब यह नहीं है कि कोई भी महिला शंख नहीं बजा सकती हैं।इसका मतलब यह है कि गर्भवति महिलाएं शंख नहीं बजा सकती हैं। हालांकि इसके पिछे वैज्ञानिक कारण काम करता है। यदि कोई गर्भवती महिला शंख बजाती है तो इसका नुकसान इतना होगा कि उसके होने वाले बच्चे पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। यदि कोई आम महिला शंख बजाती है तो वह बजा सकती है। हो सकता है कुछ जगहों पर अभी भी किसी तरह की मान्यता के चलते महिलाओं को शंख बजाने से रोका गया हो । महिलाओं को शंख बजाना चाहिए या नहीं लेख के अंतिम वर्ड यही हैं कि महिलाओं को शंख बजाना चाहिए और इसके अंदर कोई बुराई भी नहीं है। यदि आपके शहर या गांव के अंदर महिलाओं को शंख बजाने से रेाका जाता है तो इस मान्यता का विरोध करना चाहिए । निर्गुण और सगुण भक्ति में यह हैं 14 सबसे बड़े अंतर गरुड़ पुराण अध्याय 1 जीव की मौत और प्रेत शरीर का बनना Read more articles
हैलो फ्रेंड मेरा नाम arif khan है और मुझे लिखना सबसे अधिक पसंद है। इस ब्लॉग पर मैं अपने विचार शैयर करता हूं । यदि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगता है तो कमेंट करें और अपने फ्रेंड के साथ शैयर करें ।मैंने आज से लगभग 10 साल पहले लिखना शूरू किया था। अब रोजाना लिखता रहता हूं । लिखने मे जो मजा है वह किसी और चीज के अंदर नहीं है। क्या महिलाएं शंख बजा सकते हैं?जी हां पुरुषों की तरह स्त्रियां भी शंख बजा सकती हैं। इसमें ऐसा कोई नियम नहीं है कि पुरुष लोग ही शंख बजाएंगे और स्त्रियां नहीं। लेकिन अगर स्त्री गर्भवती है तो उस गर्भवती महिला को शंख नहीं बजाना चाहिए।
शंख कब नहीं बजाना चाहिए?ऐसा माना जाता है कि सूरज अस्त होने के बाद देवी-देवता सोने चले जाते हैं, इसलिए जब भी रात में यानी सूर्यास्त के बाद पूजा करें तो ध्यान रखें कि शंख नहीं बजाना चाहिए। शंख ध्वनि से माना जाता है कि उनकी निद्रा में बाधा आती है। यह भी मान्यता है कि सूरज ढलने के बाद शंख बजाने से लाभ की बजाय हानि होती है।
लक्ष्मी पूजा में शंख क्यों नहीं बजाना चाहिए?जिस शंख से आप भगवान की पूजा करते हैं उसे कभी भी बचना नहीं चाहिए। क्योंकि वह झूठा हो जाता है। वहीं जिस शंख को आप बजाने के लिए इस्तेमाल करते हैं उससे कभी भी पूजा के लिए इस्तेमाल न करें। पूजा घर में एक ही शंख रखना चाहिए जोकि पूजा वाला होना चाहिए।
शंख टूटने से क्या होता है?इसे सुनेंरोकेंउत्सव, पर्व, विवाह, पूजा-पाठ, हवन, आरती जैसे समय में शंख बजाना मंगलमय माना जाता है। टूटे हुए शंखों को नदी या तालाब में प्रवाहित कर देना चाहिए। लक्ष्मी साधना का सर्वश्रेष्ठ दिन दीपावली माना गया है। इस दिन दक्षिणावर्ती शंख को घर के पूजाघर में स्थापित कर पूजा अर्चना की जानी चाहिए।
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