लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि फादर को जहर बाद से नही मरना चाहिए था? - lekhak ne aisa kyon kaha hai ki phaadar ko jahar baad se nahee marana chaahie tha?

Solution :  लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को .यज्ञ की पवित्र अग्नि. इसलिए कहा है क्योंकि लेखक फादर बुल्के अग्नि रूपी पवित्र ज्योति की याद में श्रद्धामत है, उनका सारा जीवन देश व देशवासियों के प्रति समर्पित था। जिस प्रकार यज्ञ की अग्नि पवित्र होती है तथा उसके ताप में उष्णता होती है उसी प्रकार फादर बुल्के को याद करना शरीर और मन में ऊष्मा, उत्साह तथा पवित्र भाव भर देता है। अतः फादर की स्मृति किसी यज्ञ की पवित्र आग और उसकी लौ की तरह आजीवन बनी रहेगी।

लेखक के अनुसार फादर को जहर बाद से नहीं मरना चाहिए था क्यों?

उत्तरः फ़ादर को ज़हरबाद से इसलिए नहीं मरना चाहिए था, क्योंकि वह सबसे अमृत भरी मिठास से मिलते थे और उनके हृदय में दूसरों के लिए अपार प्रेम था

फादर की मृत्यु किस प्रकार हुई लेखक उनकी मृत्यु से संतुष्ट क्यों नहीं था?

लेखक उनकी मृत्यु से संतुष्ट क्यों नहीं था? Solution : फादर की मृत्यु गैंग्रीन नामक रोग से हुई। इस रोग में शरीर के अंदर एक जहरीला फोड़ा हो जाता है, जो बहुत यातना देता है। लेखक ने फादर के शांत अमृतमय जीवन को देखा था

लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि फ़ादर कामिल बुल्के मन से संन्यासी नहीं थे?

Answer: लेखक के मन में फादर बुल्के सन्यासी नहीं लगते थे क्योंकि वे हमेशा सम्बन्ध बनाकर उसे निभाते थे। Explanation: फादर कामिल बुल्के सभी से मिलते थे और जब पता चलता तो रिश्ता जिया करते थे, इसलिए लेखक को लगता है कि फादर दिल से सन्यासी नहीं थे

फादर बुल्के की मृत्यु का मुख्य कारण क्या था?

17 अगस्त 1982 में गैंगरीन के कारण एम्स, दिल्ली में इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी।