कविता किसे कहते है? कविता का क्या अर्थ हैंकविता साहित्य का एक अंग है। कविता की एक निश्चित परिभाषा देना कठिन है लेकिन इतना कहा जा सकता है कि कविता आत्मा द्वारा अनुभूत भावों एवं विचारों का प्रस्फुटन है जो छन्द और नियमित गति से बंधी होने के कारण ताल तथा लय को अपने में समाविष्ट करती हैं। हिन्दी के कई विद्वानों ने अपने विचारासार कविता को परिभाषित करने का प्रयास किया हैं। Show कविता की परिभाषा (kavita ki paribhasha)पं. जगन्नाथ के अनुसार," रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्द: काव्यम्,' सुन्दर अर्थ प्रतिपादित करने वाला शब्द ही काव्य कहलाता हैं।" प्रो. रमन बिहारी के अनुसार," मानव सौन्दर्यात्मक प्राणी है। वह समाज में रहकर कुछ अनुभूति करता है एवं उसे प्रकट करता है, भिन्न-भिन्न माध्यमों से। जब वह अपनी अनुभूति को भाषा के माध्यम से इस प्रकार अभिव्यक्त करता है कि उसमें सरलता एवं सरसता हो, माधुर्य तथा ओज हो और ह्रदय को स्पन्दित करने की शक्ति हो, तो हम उसे कविता कहते हैं।" रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार दी गई परिभाषा के अनुसार कविता की तीन विशेषताएं स्पष्ट होती है--- कविता के दो स्वरूप है--(अ) कविता का बाहरी स्वरूप कविता से क्या समझते हैं?काव्य, कविता या पद्य, साहित्य कि वह विधा है जिसमे मनोभावों को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। अर्थात काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छंदों कि श्रृंखलाओं में विधिवत बाँधी जाती हैं, कविता कहलाती हैं।
कविता क्या है निबंध से आप क्या समझते हैं?तात्पर्य यह कि कविता मनोवेगों को उत्तेजित करने का एक उत्तम साधन है। यदि क्रोध, करुणा, दया, प्रेम आदि मनोभाव मनुष्य के अन्त:करण से निकल जाएं तो वह कुछ भी नहीं कर सकता। कविता हमारे मनोभावों को उच्छ्वसित करके हमारे जीवन में एक नया जीव डाल देती हैं। हम सृष्टि के सौन्दर्य को देखकर मोहित होने लगते हैं।
कविता का उद्देश्य क्या है?कविता का उद्देश्य सौन्दर्यभाव को जागृत करना है। जिस सौन्दर्य को हम अपने आस-पास विद्यमान होते हुए भी अनुभव नहीं कर पाते उसे कविता के माध्यम से अनुभव करने लगते हैं। क्योंकि कविता श्रोता को एक सौन्दर्य बोधक दृष्टि प्रदान करती है और वे भाव - सौन्दर्य, शब्द सौन्दर्य तथा ध्वनि सौन्दर्य सभी की अनुभूति करने लगते हैं।
कविता कितने प्रकार के होते हैं?काव्य तीन प्रकार के कहे गए हैं, ध्वनि, गुणीभूत व्यंग्य और चित्र। ध्वनि वह है जिस, में शब्दों से निकले हुए अर्थ (वाच्य) की अपेक्षा छिपा हुआ अभिप्राय (व्यंग्य) प्रधान हो। गुणीभूत ब्यंग्य वह है जिसमें गौण हो।
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