कर्ण पुत्र वृषकेतु की मृत्यु कैसे हुई? - karn putr vrshaketu kee mrtyu kaise huee?

कौन बनेगा करोड़पति यानि केबीसी के सीजन 12 में एक ऐसा सवाल आया जो एक करोड़ का सवाल था. इसका जवाब जूनियर पार्टिसिपेंट अनामय को देना था लेकिन वो नहीं पाए. ये सवाल था कि कर्ण का कौन सा पुत्र कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद भी जिंदा रहा और फिर उसने युधिष्ठर के अश्वमेघ यज्ञ में हिस्सा लिया.

गौरतलब है कि महान पराक्रमी कर्ण के नौ पुत्र थे लेकिन इसमें एक पुत्र ही महाभारत के युद्ध के बाद जिंदा बच सका था. वो वृषकेतु थे. जो उनके सबसे छोटे पुत्र थे.

अब आइए जानते हैं कि कर्ण के परिवार और वृषकेतु के बारे में. कर्ण ने दो विवाह किए थे. कर्ण की पहली पत्नी थी रुषाली और दूसरी पत्नी का नाम सुप्रिया था. सुप्रिया का जिक्र महाभारत में बहुत कम आता है. रुषाली और सुप्रिया से कर्ण के नौ पुत्र थे. वृशसेन, वृषकेतु, चित्रसेन, सत्यसेन, सुशेन, शत्रुंजय, द्विपात, प्रसेन और बनसेन.

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क्या हुआ फिर कर्ण के छोटे बेेट का
कर्ण की मौत के बाद उसकी पत्नी रुषाली कर्ण की चिता के साथ सती हो गई थी. महाभारत के युद्ध के बाद जब पांडवों को यह बात पता चली कि कर्ण उन्हीं का बड़ा भाई था, तो उन्होंने वृषकेतु को अपने संरक्षण में ले लिया. उसे उसी तरह मान सम्मान और अधिकार दिया गया, जो परिवार के सदस्य को मिलता है. महाभारत के युद्ध के बाद वृषकेतु ने अर्जुन के संरक्षण में कई युद्ध भी लड़े.

08 पुत्र वीरगति को प्राप्त हुए
कर्ण के 08 पुत्र वीरगति को प्राप्त हो गए. प्रसेन की मौत सात्यकि के हाथों हुई. शत्रुंजय, वृशसेन और द्विपात को अर्जुन ने मारा. वहीं भीम के हाथों बनसेन की मृत्यु हुई तो चित्रसेन, सत्यसेन और सुशेन को नकुल ने मारा.

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कर्ण को कब पता लगा कि वो पांडवों के भाई हैं
दरअसल कर्ण विवाह के पहले कुंती के गर्भ से पैदा हुए थे. वो सूर्य के आह्वान के बाद पैदा हुए थे. उस कुंती ने लोकलाज के डर से उन्हें बहा दिया था, जो एक सूतपुत्र को मिले. हालांकि महाभारत के युद्ध के दौरान कुंती ने पांडवों और कर्ण के सामने जाहिर किया कि वो उनके पुत्र हैं.

कहां के राजा बने थे वृषकेतु
पांडवों ने वृषकेतु को अपना पुत्र बना लिया. उन्हें इन्द्रप्रस्थ का राजा बनाया गया. महाभारत के युद्ध के बाद युधिष्ठिर को चक्रवर्ती सम्राट बनाया गया. तमाम राजा उनके अश्वमेघ यज्ञ में शामिल होकर उन्हें चक्रवर्ती सम्राट के तौर पर स्वीकार किया. इसमें वृषकेतु भी शामिल हुए थे.

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FIRST PUBLISHED : December 16, 2020, 22:46 IST

Updated: | Fri, 04 Mar 2016 09:36 AM (IST)

वृशकेतु कर्ण का पुत्र था जो महाभारत युद्ध के बाद जीवित रहा। कर्ण की मौत के बाद उसकी पत्नी रुषाली कर्ण की चिता के साथ सती हो गई थी। महाभारत के युद्ध के बाद जब पांडवों को यह बात पता चली कि कर्ण उन्हीं का बड़ा भाई था, अर्जुन के संरक्षण में वृशकेतु ने कई युद्ध भी लड़े थे।

कर्ण ने दो विवाह किए थे। कर्ण की पहली पत्नी थी रुषाली और दूसरी पत्नी का नाम सुप्रिया था। सुप्रिया का जिक्र महाभारत में बहुत कम वर्णित है। रुषाली और सुप्रिया से कर्ण के नौ पुत्र थे। वृशसेन, वृशकेतु, चित्रसेन, सत्यसेन, सुशेन, शत्रुंजय, द्विपात, प्रसेन और बनसेन।

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कर्ण के सभी पुत्र महाभारत के युद्ध में शामिल हुए, जिनमें से 8 वीरगति को प्राप्त हो गए। प्रसेन की मौत सात्यकि के हाथों हुई, शत्रुंजय, वृशसेन और द्विपात की अर्जुन, बनसेन की भीम, चित्रसेन, सत्यसेन और सुशेन की नकुल के द्वारा मृत्यु हुई थी।

द्रोपदी को करता था पसंद

कर्ण द्रोपदी को पसंद करता था। लेकिन उससे विवाह न कर सका। सूर्यपुत्र कर्ण की मां कुंती थीं। जो पांडवों की भी माता थीं। कर्ण युधिष्ठिर और दुर्योधन दोनों से उम्र में बड़ा था। कुंती ने उसके जन्म होने के बाद नदी में बहा दिया, जहां निः संतान दंपत्ति ने उसका लालन-पालन किया।

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जैसा कि समय समय पर हम महाभारत और रामायण के पात्रों के जुडी रोचक कथाएं बताते रहते हैं। इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे कर्ण के पुत्रों के विषय में। साथ ही हम जानेंगे किसने किया था कर्ण के आठ पुत्रों का वध ?

कर्णकाजीवन

कर्ण एक महान योद्धा और बलशाली योद्धा था फिर भी वह पूरे जीवन अपमान का पात्र बना  रहा। क्यूंकि उसका पालन पोषण एक शूद्र माता-पिता द्वारा  किया गया था। इसी कारण वह द्रौपदी से प्रेम करने के बावजूद भी उससे विवाह नहीं कर पाया था।  और सूत पुत्र होने के कारण उसे अधिक महत्त्व नहीं दिया गया। द्रौपदी का विवाह पांडवों से होने के बाद उसने पिता अधिरथ  के कहने पर एक सूत कन्या से विवाह किया जिसका नाम रुषाली था। बाद में कर्ण ने सुप्रिया नाम की कन्या से भी विवाह किया। इस प्रकार कर्ण की दो पत्नियां थीं जिनसे 9 पुत्र प्राप्त हुए।

कारण के जीवन से जुडी ख़ास बातें

 9 पुत्रोंकेनाम

वृशसेन, वृशकेतु, चित्रसेन, सत्यसेन, सुशेन, शत्रुंजय, द्विपात, प्रसेन और बनसेन।इन सभी में पिता के सामान पराक्रम तो नहीं था परन्तु ये बहुत साहसी और बलशाली थे। ये सभी पुत्र किसी भी योद्धा के सारथी नहीं बने अपितु अपने पिता की ओर से योद्धाओं की तरह महाभारत का युद्ध लड़े। महाभारत के महान योद्धा पितामह भीष्म, गुरु द्रोणाचार्य, भीम, कर्ण, अर्जुन के सामने कर्ण के 9 पुत्रों का बल कुछ भी नहीं था। फिर भी उसके इन पुत्रों ने साहस दिखाते हुए अपने पिता की ओर से युद्ध करने का निश्चय किया। और इनमे से आठ पुत्र मारे गए।

कर्णकेपुत्रों कावध

बनसेन ने युद्ध में सबसे बलशाली पांडव भीम से युद्ध किया और भीम के द्वारा ही बनसेन वीरगति को प्राप्त हुए। वृशसेन, शत्रुंजय और द्विपात ने महान धनुर्धर अर्जुन के साथ युद्ध किया। अर्जुन को कौन हानि पहुंचा सकता था जब स्वयं भगवान कृष्ण उनके सारथी बने थे। इस प्रकार इन 3 पुत्रों की मृत्यु अर्जुन के हाथों हुई। कर्ण के अन्य तीन पुत्रों चित्रसेन, सत्यसेन और सुशेन ने नकुल के साथ युद्ध किया और ये तीन नकुल के द्वारा वीरगति को प्राप्त हुए। जबकि उसके पुत्र प्रसेन का युद्ध सात्यिकी के साथ हुआ था। सात्यिकी अर्जुन का शिष्य था और एक महान धनुर्धर था। प्रसेन का वध सात्यिकी द्वारा हुआ. और इस प्रकार कर्ण के आठ पुत्र कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए। परन्तु उसके पुत्र वृषकेतु का वध कोई नहीं कर सका और युद्ध के पश्चात कर्ण के सभी पुत्रों में एक वृषकेतु ही जीवित था।

कर्णपुत्रबना हस्तिनापुरनरेश

ऐसा कहा जाता है कि युद्ध के पश्चात पांडवों को यह पता चला कि कर्ण उन्ही का भाई था। तब अर्जुन ने अपने भतीजे अर्थात कर्ण के जीवित बचे हुए पुत्र वृषकेतु को इंद्रप्रस्थ का राजा घोषित कर दिया.

वृषकेतु की मृत्यु कैसे हुई?

कर्ण के पुत्र वृषकेतु और वभ्रुवाहन के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में वृषकेतु मारा गया।

वृशकेतु किसका पुत्र था?

कर्णवृषकेतु / पालकnull

कर्ण की प्रेमिका कौन थी?

कर्ण ने रुषाली नाम की एक सूतपुत्री से विवाह किया। कर्ण की दूसरी पत्नी का नाम सुप्रिया था। दोनों पत्नियों से कर्ण की नौ संतानें हुईं।

कर्ण की पत्नी सुप्रिया कौन थी?

कर्ण की दूसरी पत्नी की बात करें तो सुप्रिया दुर्योधन की पत्नी भानुमती की अच्छी सहेली थीकर्ण को अपनी दूसरी पत्नी सुप्रिया से चित्रसेन, सुशर्मा, प्रसेन, भानुसेन नामक 3 पुत्र प्राप्त हुए थे। मान्यताओं के अनुसार सुप्रिया को ही पद्मावती और पुन्नुरुवी के नाम से भी जाना जाना था।