कन्नड़ नववर्ष के अवसर पर मनाए जाने वाले त्योहार को क्या कहते हैं? - kannad navavarsh ke avasar par manae jaane vaale tyohaar ko kya kahate hain?

कन्नड़ नववर्ष के अवसर पर मनाए जाने वाले त्योहार को क्या कहते हैं? - kannad navavarsh ke avasar par manae jaane vaale tyohaar ko kya kahate hain?

नये साल के अवसर पर फ़्लोरिडा में आतिशबाज़ी का एक दृश्य।

नव वर्ष एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों तथा विधियों से मनाया जाता है[1]। विभिन्न सम्प्रदायों के नव वर्ष समारोह भिन्न-भिन्न होते हैं और इसके महत्त्व की भी विभिन्न संस्कृतियों में परस्पर भिन्नता है।

पश्चिमी नव वर्ष[संपादित करें]

नव वर्ष उत्सव 4,000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था। लेकिन उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि भी मानी जाती थी। प्राचीन रोम में भी नव वर्षोत्सव के लिए चुनी गई थी। रोम के शासक जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जब जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व 46 इस्वी को 445 दिनों का करना पड़ा था। [2]

हिब्रू नव वर्ष[संपादित करें]

हिब्रू मान्यताओं के अनुसार भगवान द्वारा विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे। इस सात दिन के संधान के बाद नया वर्ष मनाया जाता है। यह दिन ग्रेगरी के कैलेंडर के मुताबिक ५ सितम्बर से ५ अक्टूबर के बीच आता है।

हिन्दू नव वर्ष[संपादित करें]

कन्नड़ नववर्ष के अवसर पर मनाए जाने वाले त्योहार को क्या कहते हैं? - kannad navavarsh ke avasar par manae jaane vaale tyohaar ko kya kahate hain?

महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के दिन छत पर गुड़ी लगाने की परम्परा है

हिन्दुओं का नया बरस चैत्र नव रात्रि के प्रथम दिन अर्थात वर्ष प्रतिपदा एवं गुड़ी पड़वा पर प्रत्येक वर्ष विक्रम सम्वत के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरम्भ होता है।

भारतीय नव वर्ष[संपादित करें]

भारत के विभिन्न भागों में नव वर्ष दो-तीन प्रमुख तिथियों को मनाया जाता है। प्रायः पहली दो तिथियाँ मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती है

  1. पहली तिथि -- मेष संक्रान्ति अथवा वैशाख संक्रान्ति (बैसाखी) अथवा विषुुव/विषुवत संक्रान्ति (बिखौती) अथवा सौरमण युुुगादि भी कहते हैं। इस तिथि को मुख्य रूप से सौरमण वर्षपद मानने वाले प्रान्त नये वर्ष के रूप से मनाते हैं, जैैैसे : तमिळ-नाडु और केरल। इसके अतिरिक्त बंगाल और नेपाल भी इसे नव वर्ष के रूप में मनाते है। हिमालयी प्रान्तों जैसे: उत्तराखण्ड, हिमाचल और जम्मू के साथ साथ पंजाब, पूूूर्वांंचल और बिहार में केवल एक पर्व के रूप मनाया जाता है पर नव वर्ष के रूप में नहीं। उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू, पंजाब ,पूर्वांचल और बिहार में नव सम्वतसर वर्ष प्रतिपदा के दिन आरम्भ होता है। सिखों के द्वारा नवनिर्मित नानकशाही कैलंडर के अनुसार सिख नव वर्ष चैत्र संक्रांति को मनाया जाता है।
  2. दूसरी तिथि : वर्ष प्रतिपदा (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) अथवा चन्द्रमण युगादि। इस तिथि को मुख्य रूप से चन्द्रमण वर्षपद मानने वाले प्रान्त नये वर्ष के रूप से मनाते हैं। कर्णाटक एवं तेलुगू राज्य- तेलंगाना और आन्ध्र प्रदेश में इसे उगादी (युगादि=युग+आदि का अपभ्रंश) के रूप में मनाते हैं। यह चैत्र महीने का पहला दिन होता है। कश्मीरी नववर्ष भी इसी दिन होता है और उसे नवरेह के नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में यही दिन मनाया जाता है। और सिन्धी इसी दिन को चेटी चंड कहते हैं। सिंधी उत्सव चेटी चंड, उगाड़ी और गुड़ी पड़वा एक ही दिन मनाया जाता है। मदुरै में चित्रैय महीने में चित्रैय तिरूविजा नए बरस के रूप में मनाया जाता है।
  3. तीसरी तिथि : बलि प्रतिपदा (कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा)। यह दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है। दीपावली पर सब हिन्दू महालक्ष्मी पूजा कर एक वर्ष के लेखे जोखे को बंद कर देते हैं। अगले दिन से नये आर्थिक/वाणिज्यिक वर्ष का आरम्भ होता है। व्यापारी वर्ग प्रधान प्रान्तों यह दिन मुख्य रूप से नव वर्ष के रूप में मनाते हैं । मारवाड़ी नया बरस दीपावली के अगले दिन होता है। गुजराती नया बरस भी दीपावली के अगले दिन होता है। इस दिन जैन धर्म का नववर्ष भी होता है। [3]

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :

1) इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।

2) सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।

3) प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।

4) शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।

5) सिखो के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है।

6) स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया।

7) सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।

8) राजा विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम संवत की स्थापना की ।

9) युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।

10) संघ संस्थापक प.पू.डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिन।

11) महर्षि गौतम जयंती


भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :

1) वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।

2) फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।

3) नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।

भारतीय नववर्ष कैसे मनाएँ :

1) हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें। पत्रक बांटें , झंडे, बैनर....आदि लगावे ।

2) आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।

3) इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फेहराएँ।

4) आपने घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ।

5) घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।

6) इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।

7) प्रतिष्ठानों की सज्जा एवं प्रतियोगिता करें। झंडी और फरियों से सज्जा करें।

8) इस दिन के महत्वपूर्ण देवताओं, महापुरुषों से सम्बंधित प्रश्न मंच के आयोजन करें।

9) वाहन रैली, कलश यात्रा, विशाल शोभा यात्राएं कवि सम्मेलन, भजन संध्या , महाआरती आदि का आयोजन करें।

10) चिकित्सालय, गौशाला में सेवा, रक्तदान जैसे कार्यक्रम।

इस्लामी नव वर्ष[संपादित करें]

इस्लामिक कैलेंडर का नया साल मुहर्रम होता है। इस्लामी कैलेंडर एक पूर्णतया चन्द्र आधारित कैलेंडर है जिसके कारण इसके बारह मासों का चक्र ३३ वर्षों में सौर कैलेंडर को एक बार घूम लेता है। इसके कारण नव वर्ष प्रचलित ग्रेगरी कैलेंडर में अलग अलग महीनों में पड़ता है।[4]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • वर्ष प्रतिपदा
  • जैन नववर्ष
  • [[हिंदू नववर्ष*[[भारत में नया साल कब आता है]]]]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • देश में कितने नववर्ष?[मृत कड़ियाँ] (दैनिक भास्कर Raghunath singh

)

  • नव वर्ष के वि‍भि‍न्‍न रूप

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Best places for new years eve". ArrestedWorld (अंग्रेज़ी में). मूल से 8 नवंबर 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-11-03.
  2. "New Years Day - History, Traditions and Customs" (अंग्रेज़ी में). मूल (एचटीएमएल) से 22 फ़रवरी 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 फ़रवरी 2008.
  3. "भारत में कब-कहां मनाते हैं नया सा" (एचटीएमएल). दैनिक भास्कर. मूल से 2 जनवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 जनवरी 2009.
  4. "Calenders and their History" (अंग्रेज़ी में). मूल (एचटीएमएल) से 1 अप्रैल 2004 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 अप्रैल 2004.

कन्नड़ नववर्ष पर मनाए जाने वाले त्योहार का नाम क्या है?

'उगाड़ी' के रूप में यह दिन कन्नड़ और तेलुगू नववर्ष की शुरुआत का माना जाता है. कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमा से सटे कई इलाकों में उगाड़ी सेलिब्रेट किया जाता है.

नववर्ष क्यों मनाया जाता है?

Hindu New Year सनातन संस्था की क्षिप्रा जुवेकर ने इस अवसर पर कहा हिंदू नववर्ष को भारत में राज्य के अनुसार अलग अलग नामों से संबोधित किया जाता है। हिंदू नववर्ष के समय हम प्रकृति का परिवर्तन अनुभव करते हैं। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही हिंदू नववर्ष क्यों मनाना चाहिए।

हिन्दू नववर्ष कब से शुरू होता है?

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को वर्ष प्रतिपदा, उगादि और गुड़ी पड़वा कहा जाता है। वैसे तो पूरी दुनिया अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नया साल जनवरी के महीने से शुरू हो जाता है,लेकिन वैदिक हिंदू परंपरा और सनातन काल गणना में चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर नववर्ष की शुरुआत होती है।

हिन्दू नव वर्ष क्या है?

हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा गुड़ी पड़वा से होता है। इस नववर्ष को प्रत्येक राज्य में अलग अलग नाम से पुकारा जाता है परंतु है यह नवसंवत्सर। गुड़ी पड़वा, होला मोहल्ला, युगादि, विशु, वैशाखी, कश्मीरी नवरेह, उगाडी, चेटीचंड, चित्रैय तिरुविजा आदि सभी की तिथि इस नव संवत्सर के आसपास ही आती है।