Kaal बैसाखी Kya HaiGkExams on 12-05-2019 Show काल वैसाखी से तात्पर्य तेज़ गति से चलने वाले स्थानीय तूफ़ानों से है। इस प्रकार के तूफ़ान साधारणत: बंगाल में आते हैं। गर्म एवं शुष्क स्थानीय हवाएँ और आर्द्र समुद्री हवाएँ इसका कारण हैं। इन हवाओं के मिलन के कारण मूसलाधार वर्षा होती है। तेज़ मूसलाधार वर्षा के साथ-साथ तीव्र गति के तूफ़ान भी आते हैं। इन तूफ़ानों को ही काल वैसाखी कहा जाता है। सम्बन्धित प्रश्नComments Mukesh on 20-01-2022 Cal vishaki kya hai विष्णु on 24-02-2021 Vvguncu बू Sunan khichi on 21-11-2020 निम्न वायुदाब पेटी किसे कहते हैं तथा यह कहां पाई जाती है Neelesh pratap ahirwar on 21-11-2020 Kalbaisakhi ki jodi kya hogi जलोढ मृदा on 21-11-2020 जलोढ मृदा Ambikeshsingh on 21-11-2020 Ninm vayudab pate Kal baisakhi on 21-11-2020 Sahi jodi kal baisakhi तझथभदध on 21-11-2020 सही जोड़ी काल वैसाखी Sourabh kushwaha on 20-11-2020 Kaal veshakhi Cllas 11th on 20-11-2020 काल बैशाखी Cllas 11th on 20-11-2020 काल बैशाखी Lucky rAi on 20-11-2020 Kal beskhi ki sahi Jodi Deepakyadav on 20-11-2020 किस वैज्ञानिक ने ब्राह्मण उत्पत्ति संबंधी बिग बैंग सिद्धांत का प्रमाण दिया Kal baisaghi on 20-11-2020 Kal baisaghi Sanu on 20-11-2020 Kal bhesakhi राजेश on 20-11-2020 काल वैशाखी Shreya on 20-11-2020 Kal bisskhi क on 20-11-2020 काल बैशाखी सही जोड़ी Lacky on 19-11-2020 काल वैशाखी क्या है Saurabh on 19-11-2020 काल वैशाखी क्या है? Jayant on 26-08-2020 नार्वेस्टर क्या है???? Ravi on 31-07-2020 Kala basakhi kya hai Kalpna on 27-05-2020 Kal vaishakhi kya hai Rani on 16-01-2020 Khadar kya hai काल वैशाखी क्या है। on 19-09-2019 काल बैसाखी क्या है। Kaa on 08-10-2018 Kall beshakhi kya hai काल बैसाखी से क्या तात्पर्य स्थिति क्यों निर्मित होती है?इसी पर्व को विषुवत संक्रान्ति भी कहा जाता है। बैसाखी पारम्परिक रूप से प्रत्येक वर्ष 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है। यह त्योहार हिन्दुओं, बौद्ध और सिखों के लिए महत्वपूर्ण है।
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बैसाखी कब और क्यों मनाई जाती है?बैसाखी के दिन सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारों में विशेष उत्सव मनाते हैं क्योंकि इस दिन सिख धर्म के 10वें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंहजी ने 13 अप्रैल सन् 1699 में आनंदपुर साहिब में मुगलों के अत्याचारों से मुकाबला करने के लिए खालसा पंथ की स्थापना की थी। साथ ही गोविंद सिंहजी ने गुरुओं की वंशावली को समाप्त कर दिया था।
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