जूनियर स्कूलों को अनुदान हेतु सरकार द्वारा - jooniyar skoolon ko anudaan hetu sarakaar dvaara

Home AIDED SCHOOL जल्द अनुदान पर लिए जाएंगे सवित्त श्रेणी के जूनियर हाईस्कूल, वित्त विभाग को भेजा गया प्रस्ताव, चालू वित्त वर्ष में ही होगी प्रक्रिया

जल्द अनुदान पर लिए जाएंगे सवित्त श्रेणी के जूनियर हाईस्कूल, वित्त विभाग को भेजा गया प्रस्ताव, चालू वित्त वर्ष में ही होगी प्रक्रिया

जल्द अनुदान पर लिए जाएंगे सवित्त श्रेणी के जूनियर हाईस्कूल, वित्त विभाग को भेजा गया प्रस्ताव, चालू वित्त वर्ष में ही होगी प्रक्रिया।

जूनियर स्कूलों को अनुदान हेतु सरकार द्वारा - jooniyar skoolon ko anudaan hetu sarakaar dvaara

जल्द अनुदान पर लिए जाएंगे सवित्त श्रेणी के जूनियर हाईस्कूल, वित्त विभाग को भेजा गया प्रस्ताव, चालू वित्त वर्ष में ही होगी प्रक्रिया

जूनियर स्कूलों को अनुदान हेतु सरकार द्वारा - jooniyar skoolon ko anudaan hetu sarakaar dvaara
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हाईकोर्ट ने अनुदान सूची में शामिल होने पर जूनियर हाईस्कूल की शिक्षिकाओं को राहत दी

हाईकोर्ट ने अनुदान सूची में शामिल होने पर जूनियर हाईस्कूल की शिक्षिकाओं को राहत दी

कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए वेतन जारी करने को कहा है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 21 अगस्त की तिथि निर्धारित की है।

यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष माथुर ने श्रीमती हरप्यारी देवी कन्या जूनियर हाईस्कूल में कार्यरत शिक्षिका श्रीमती ललिता तथा 17 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। मामले में मंडलीय समिति ने शिक्षिकाओं को वेतन (वित्तीय सहमति) देने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने विभाग के इस आदेश पर रोक लगा दी और अंतरिम आदेश पारित किया।

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गौरतलब है कि दो दिसंबर 2006 को जारी शासनादेश के क्रम में प्रदेश केऐसे कन्या जूनियर हाईस्कूलों को अनुदान सूची में शामिल किया गया था, जिन्हें 23 अप्रैल 1999 से पहले मान्यता प्रदान की गई थी। किंतु विभाग ने याचियों के विद्यालय को अनुदान सूची में शामिल नहीं किया था। जबकि, संस्थान को 1986 में ही मान्यता प्रदान की गई थी। विद्यालय प्रबंधन समिति ने विभाग के इस आदेश को कोर्ट में चुनौती दी थी।

अदालत ने 2019 में प्रबंध समिति की याचिका स्वीकार करते हुए शासन को विद्यालय अनुदान सूची में शामिल करने एवं शिक्षिकाओं को वेतन जारी करने का निर्देश दिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने एकल पीठ के फैसले को सुप्रीम कोर्ट तक चुनौती दी थी ।

उच्चतम न्यायालय की ओर से हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखने पर राज्य सरकार ने विद्यालय को तो अनुदान सूची में शामिल कर लिया था। किंतु विभाग की ओर से गठित मंडलीय समिति ने विद्यालय में तैनात 18 शिक्षिकाओं को वित्तीय सहमति प्रदान करने से इनकार कर दिया था। न्यायालय ने मंडलीय समिति के उस आदेश को अग्रिम आदेश तक स्थगित कर दिया है ।
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Homeएडेड स्कूलएडेड जूनियर हाई स्कूलों में प्राइमरी टीचरों को भी मिले सरकारी वेतन -

एडेड जूनियर हाई स्कूलों में प्राइमरी टीचरों को भी मिले सरकारी वेतन -

एडेड जूनियर हाई स्कूलों में प्राइमरी टीचरों को भी मिले सरकारी वेतन -

• सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा वह प्राथमिक ईकाई के अध्यापकों / कर्मचारियों को सरकारी अनुदान से मना नहीं कर सकती

नई दिल्ली (एसएनबी)। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर-प्रदेश सरकार से कहा है कि वह एक से पांचवीं कक्षा तक के स्कूलों को सरकारी अनुदान के मामले में जूनियर हाई स्कूल से अलग नहीं कर सकती। अगर किसी जूनियर हाई स्कूल को सरकारी अनुदान मिलता है और उस विद्यालय में एक से पांचवीं कक्षा तक की विंग भी है तो कक्षा पांच तक की प्राथमिक इकाई के अध्यापकों और कर्मचारियों को सरकारी अनुदान से मना नहीं किया जा सकता।

चीफ जस्टिस राजेंद्र मल लोढा, जस्टिस जगदीश सिंह केहर, जस्ती चेलमेश्वर, एके सीकरी और रोहिंटन नरीमन की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया। उत्तर-प्रदेश सरकार ने प्राथमिक शिक्षा अधिनियम, 1978 की व्याख्या करते हुए एक से पांचवीं कक्षा को जूनियर हाई स्कूल से अलग कर दिया था। छह से आठवीं कक्षा को जूनियर हाई स्कूल मानकर सरकारी अनुदान देने का निर्णय किया गया जबकि उसी जूनियर हाई स्कूल या उच्चतर विद्यालय की प्राथमिक शाखा (एक से पांचवीं तक) को अलग करके अनुदान समाप्त कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला 2006 से लंबित था।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। संविधान पीठ ने अध्यापकों की ओर से पेश हुए वकील एमपी राजू की इस दलील को स्वीकार किया कि छह से 14 साल के बच्चों के लिए शिक्षा अनिवार्य करने के कानून के अमल में आने के बाद राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार उन स्कूलों के प्राथमिक शिक्षकों को सीधे वेतन प्रदान करेगी जिनके जूनियर हाई स्कूल विंग को पहले से सरकार अनुदान प्रदान कर रही है। एक से पांचवीं कक्षा तक विंग को जूनियर हाई स्कूल से विभक्त करके अनुदान से वंचित नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर-प्रदेश सरकार बनाम पवन कुमार द्विवेदी तथा छह अन्य याचिकाओं पर यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर-प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा, प्राथमिक शिक्षा को लेकर विभिन्न कानूनों के अलावा एक अप्रैल, 2009 से लागू अनिवार्य शिक्षा के कानून की व्याख्या करते हुए शिक्षकों को यह लाभ दिया।

       खबर साभार : राष्ट्रीय सहारा

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