क्या किसी इंसान के शरीर में देवी मां की छाया नजर आ सकती है। क्या कोई इंसान देवी का रूप धारण कर अंगारों पर चल सकता है। आइए आस्था और अंधविश्वास की इस कड़ी में हम जानते हैं देवी उनके शरीर में किस तरह प्रवेश कर अपने भक्तों का कल्याण करती है और उनके दुख-दर्द कैसे दूर करती है। Show अजीबो-गरीब ढंग से करते हैं व्यवहार आस्था या अंधविश्वास मनोवैज्ञानिक बीमारी योग गुरु सुरक्षित गोस्वामी मन की एकाग्रता के लिए रात की साधना का महत्त्व है, क्योंकि रात में प्रकृति शांत होती है। दिन में सूर्य की किरणें और अन्य कोलाहल के कारण ब्रह्मांडीय तरंगों में रुकावट बनी रहती है और ध्यान नहीं लग पाता। इसी कारण शिवरात्रि, नवरात्र, होली,
दीपावली आदि पर्वों पर रात में साधना की जाती है। नवरात्र साल में दो बार आते हैं – विक्रम संवत के पहले दिन, चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक चैत्र नवरात्र और छह महीने बाद, आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी तक शारदीय नवरात्र। इस दौरान
ग्रहों के अद्भुत योग के कारण ब्रह्मांड दिव्य ऊर्जाओं से भर जाता है। इन ऊर्जाओं को अपने शरीर में अनुभव करने के लिए, नवरात्र में यज्ञ, भजन, पूजन, मंत्र जाप, ध्यान, त्राटक आदि साधनाएं की जाती हैं। इसके लिए साधक
कमर-गर्दन सीधा कर, आंख बंदकर बैठ जाते हैं। रीढ़ को सीधा करके बैठने से हमारी तरफ ब्रह्मांडीय ऊर्जा आकर्षित होती है। अब साधक शक्ति मंत्रों का जाप करता है, जिससे रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले हिस्से में सुषुम्ना नाड़ी के भीतर ऊर्जा के अलग-अलग अनुभव होने लगते हैं।
इसे कुंडलिनी जागरण कहते हैं। हर रात यह शक्ति ऊपर के चक्र को जगाने लगती है और अंतिम रात को शक्ति पूरी तरह जाग कर व्यक्ति को मुक्त भाव में ले आती है। कुंडलिनी जागरण ही हमारे भीतर देवी जागरण कहलाता है। दुर्गा सप्तशती का पाठ इस तरह करेंगे तो पाएंगे पुण्य और लाभ नवरात्र के पहले दिन सुबह संकल्प रूपी कलश की स्थापना की जाती है। यह कलश सुख-समृद्धि और मंगल कामनाओं का प्रतीक है। कलश के साथ ही बालू की वेदी बनाकर या किसी पात्र में
जौ बोए जाते हैं। जौ बोने से धन-धान्य की वृद्धि होती है। जौ को सृष्टि के पहले फसल के रूप में भी जाना जाता है। साथ ही मां दुर्गा की मूर्ति को स्थापित कर उसको सजाकर अखंड दीप जलाया जाता है। अंतिम दिन नौ कन्याओं को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक मानकर पूजन किया जाता है। ऋतु संधिकाल यानि बदलते मौसम में रोगाणु के शरीर पर आक्रमण बढ़ जाते हैं। इस मौसम में वात, पित्त और कफ तीनों दोष असंतुलित होने से इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है। इससे शरीर में बीमारियां बढ़ने लगती हैं। शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के
लिए नवरात्र में नौ दिन जप, उपवास, साफ-सफाई, भाव शुद्धि और ध्यान करते हैं। हवन करने से वातावरण में फैले रोगाणु नष्ट हो जाते हैं। नए कार्यों के आरंभ के लिए ये दिन बड़े शुभ माने जाते हैं। धन संपत्ति के लिए नवरात्र में कीजिए इन मंत्रों का जप नवरात्र में देवी के 51 शक्तिपीठ और सिद्धपीठों पर मेले लगते हैं। यूं तो यह पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन गुजरात और बंगाल में इसे भव्य और विशाल रूप दिया जाता है। गुजरात में देवी मां को प्रसन्न करने के लिए आरती से पहले गरबा किया जाता है और आरती के बाद डांडिया खेला जाता है। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा मुख्य त्योहार है। यहां देवी दुर्गा को भव्य सुशोभित पंडालों में सजाकर सामूहिक पूजा की जाती है। नवरात्र की पहली रात से ही रामलीलाओं का आयोजन शुरू हो जाता है। यह दशहरे के दिन रावण दहन के साथ पूर्ण होता है। नवरात्र के अगले दिन विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। मां दुर्गा की आराधना से दुख, कष्ट, संकट और भय का नाश होता है। इंसान ज्ञान, आनंद, करुणा और प्रेम से भर जाता है। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें दोस्तों आप ने कई बार देखा या सुना होगा कि इंसान के शरीर में माता आती हैं. यह माता किसी धार्मिक स्थल या जगराते के समय इंसान के शरीर में आती हैं. जब कोई माता किसी इंसान के शरीर में आती हैं तो वो अपनी जीभ बार बार बाहर निकालने लगता हैं और अपने सिर को जोर जोर से हिलाने लगता हैं. यह माता अक्सर महिलाओं के शरीर में ही प्रवेश करती हैं. माता आने पर महिलाओं के द्वारा अलग अलग गतिविधियाँ करना भारत में एक आम नजारा हैं. जब भी किसी धार्मिक त्यौहार पर कोई इंसान अचानक से नाचने लगता हैं और साथ में हल्के हल्के कुछ बढ़-बढ़ाने लगता हैं तो उसे माता आना कहते हैं. माता आने पर औरते अक्सर अपना आप खो बैठती हैं और अपने बालों को खोल जोर जोर से सिर हिला भक्ति में लीन हो जाती है. माता आने वाली बात में कितनी सच्चाई हैं और कितना झूठ इस बात पर सालो से बहस चलती आ रही हैं. जहाँ एक तरफ कई लोगो का दावा हैं कि माता सच में आती हैं तो वहीँ कुछ लोगो का मानना हैं कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण होता हैं. कुछ लोगो का कहना हैं कि यह एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक बिमारी हैं. उदाहरण के लिए जब कोई व्यक्ति सिर्फ किसी एक विषय जैसे कि माता के बारे में ही सोचता हैं तो वो खुद को माता समझने लगता हैं और उनके जैसी हरकत करने लगता हैं. इस उदाहरण को ‘भूल भुलैया’ नाम की फिल्म में भी दर्शाया गया हैं. फिल्म में विद्या बालन मंजुलिका नाम की ओरत की कहानी पढ़ा करती थी. जिसके चलते एक समय ऐसा आया जब वो खुद को ही मंजुलिका समझने लगी और उसी की तरह ही व्यवहार करने लगी. कुछ लोगो का यह भी आरोप हैं कि वैसे तो माता इंसान के शरीर में सच में आती है. लेकिन कुछ महिलाएं इसका फायदा उठा कर ढोंग करती हैं. कुछ लोग यह भी सवाल उठाते हैं कि इंसान के शरीर में सिर्फ माता ही क्यों आती हैं? शिवजी, श्रीकृष्ण या गणेशजी क्यों नहीं आते हैं? इन सभी बातो की असलियत क्या हैं इस पर अभी भी कई लोग रिसर्च कर रहे हैं. फ़िलहाल youtube पर इन दोनों एक विडियो बहुत पॉपुलर हो रह हैं. इस विडियो में शरीर में माता आने के बारे में गहराई से बताया गया हैं. आप भी इसे विडियो को पूरा देखे और अपने मत को हमें कमेन्ट सेक्शन में जरूर बताए. जय माता दी. देखे विडियो:Post Views: 19,526 इंसान के शरीर में माता क्यों आती है?मान्यताओं के मुताबिक, चिकन पॉक्स उस इंसान को होता है, जिसपर माता का बुरा प्रकोप पड़ता है। ऐसे में इस दौरान उनकी पूजा करने पर माता व्यक्ति की बॉडी में आती है और बीमारी को ठीक कर देती हैं। लोग चिकन पॉक्स का इलाज करवाने की जगह इस दौरान काफी प्रिकॉशन रखते हैं और 6 से 10 दिन में बीमारी के ठीक होने का इंतजार करते हैं।
माता कैसे आती है?नवरात्रि में महिलाओं पर आती है माता
नवरात्रि में कई महिलाएं अजीबो-गरीब व्यवहार करने लगती हैं और कहा जाता है कि उन पर माता आ गई। जब तक तथाकथित तौर पर देवी शरीर में रहती है, महिला की खूब पूजा होती है। लोग उससे अपने फ्यूचर को लेकर सवाल करते हैं। बीमार लोग अपने इलाज के लिए माता का हाथ सिर पर रखवाते हैं।
माता का जागरण कब करना चाहिए?माता जागरण कथा: मा दुर्गा का जागरण वैसे को सालभर में कभी भी आयोजित किया जा सकता है लेकिन नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि पर माता रानी के जागरण का विशेष तौर पर आयोजन कई जगहों पर किया जाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं माता रानी का जागरण बिना तारा रानी की कथा के अधूरा माना जाता है।
माता जी का जागरण कैसे होता है?Shardiya Navratri 2022: जानें, कैसे तय होता है मां दुर्गा के आने का वाहन, क्या है शुभ या अशुभ संकेत Navratri 2022 साल में दो बार पड़ने वाली नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। वहीं मां नवरात्र के प्रथम दिन ही धरती पर आगमन करती हैं। वह हर बार अलग-अलग वाहन से आती हैं।
|