जच्चा के गीत इन हिंदी लिरिक्स - jachcha ke geet in hindee liriks

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जच्चा गीत/सोहर गीत हिंदी लिरिक्स:

रंग–रंग के फूल खिले,
मोहे भाए कोई रंग ना,
रोए रहा रोए रहा ललना,
रंग–रंग के फूल खिले,
मोहे भाए कोई रंग ना,
रोए रहा रोए रहा ललना,
मैने सासू को ढूंढा सारे गांव में,
कितने कांटे चुभे मेरे पांव में,
मैने सासू को ढूंढा सारे गांव में,
कितने कांटे चुभे मेरे पांव में,
सासू बिन सूना–सूना लागे मोरा अंगना,
रोए रहा रोए रहा ललना,
रोए रहा रोए रहा ललना,
रंग–रंग के फूल खिले,
मोहे भाए कोई रंग ना,
रोए रहा रोए रहा ललना,
रोए रहा रोए रहा ललना।।
मैने जिठनी को ढूंढा सारे गांव में,
कितने कांटे चुभे मेरे पांव में,
मैने जिठनी को ढूंढा सारे गांव में,
कितने कांटे चुभे मेरे पांव में,
जिठनी बिन सूना–सूना लागे मोरा अंगना,
रोए रहा रोए रहा ललना,
रोए रहा रोए रहा ललना,
रंग–रंग के फूल खिले,
मोहे भाए कोई रंग ना,
रोए रहा रोए रहा ललना,
रोए रहा रोए रहा ललना।।

मैने ननदी को ढूंढा सारे गांव में,
कितने कांटे चुभे मेरे पांव में,
मैने ननदी को ढूंढा सारे गांव में,
कितने कांटे चुभे मेरे पांव में,
ननदी बिन सूना–सूना लागे मोरा अंगना,
रोए रहा रोए रहा ललना,
रोए रहा रोए रहा ललना,
रंग–रंग के फूल खिले,
मोहे भाए कोई रंग ना,
रोए रहा रोए रहा ललना,
रोए रहा रोए रहा ललना।।

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जच्चा बधाई

मिल के खुशी मनाए हम, ये दिन खुशियों वाला आया,
मिल के झूमें गाये हम, ये दिन खुशियों वाला आया।
झूम रहा है गगन, खुशियों से नाच रही है धरती,
बांध के घुंघरू घर आई, खुशियाँ छम-छम करती।
कैसे इसे छुपाए हम, ये दिन खुशियों वाला आया,
सदके जाऊं इस सतगुरु पर, जिसने ये खुशियां दिखाई।
पूरी हो गई चाह सभी की, मुँह मांगे मुरादें पाईं,
लख-लख शुक्र मनाएँ हम, ये दिन खुशियों वाला।

बिन पंखों के उड़ी जाऊं, पड़े ना पांव जमी पर,
अपने जैसा भागों वाला, होगा कौन कहीं पर।
कैसे इसे छुपाए हम, ये दिन खुशियों वाला आया,
आठ पहर दस्तक देती हैं, खुशियाँ जिनके दर पर।
तीन लोक के मालिक का है, हाथ ये मेरे सिर पर,
झूमें नाचें गाए हम, ये दिन खुशियों वाला आया।
चैरासी में गूंज रही है, खुशियों की शहनाई,
सुन्दर साथ को देने आए, सतगुरु आज बधाई।
सच्ची बात बताएँ हम, ये दिन खुशियों वाला आया।।

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जच्चा-10

नन्हे मुन्ने बच्चों की महफिल को मम्मी छोड़ के जी छोड़ के,
मैं आया मम्मी तेरे लिए प्रभु का घर छोड़ के-2
बाबा मिले मुझे, दादी मिली, मुझे एक नया परिवार मिला
ताऊ मिले मुझे, ताई मिली, मुझे एक नया परिवार मिला
मम्मी की गोद मिली, पापा का प्यार मिला
अब न जाऊँगा, मम्मी छोड़ के जी छोड़ के
नन्हे मुन्ने बच्चों की महफिल को मम्मी छोड़ के जी छोड़ के
मैं आया मम्मी तेरे लिए प्रभु का घर छोड़ के-2

चाचा मिले मुझे, चाची मिली मुझे, एक नया परिवार मिला
फूफा मिले मुझे, बुआ मिली मुझे, एक नया परिवार मिला
मम्मी की गोद मिली, पापा का प्यार मिला
अब न जाऊँगा, मम्मी छोड़ के जी छोड़ के
नन्हे मुन्ने बच्चों की महफिल को मम्मी छोड़ के जी छोड़ के
मैं आया मम्मी तेरे लिए प्रभु का घर छोड़ के-2

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जच्चा-11

खुशी हो रही मन में लालन के होये की
ललना की दादी आएगी, वो चरवा धराई मांगेगी
उन्हें क्या दूंगी क्या दूंगी क्या दूंगी जी
उनके हाथों में रामायण मैं दूंगी जी
बोलो जय राम जय राम जय जय राम जी
ललना के बाबा आएँगें, वो नाम धराई मांगेगे
उन्हें क्या दूंगी क्या दूंगी क्या दूंगी जी
उनके हाथों में गीता मैं दूंगी जी

बोलो जय कृष्ण जय कृष्ण जय जय कृष्ण जी
ललना की बुआ आयेगी, वो सतिये धराई मांगेगी
उन्हें क्या दूंगी क्या दूंगी क्या दूंगी जी
उनके हाथों में चरखा मैं दूंगी जी
बोलो जय गांधी जय गांधी जय गांधी जी
ललना के चाचा आयेंगे, वो गोद बिठाई मांगेंगे
उन्हें क्या दूंगी क्या दूंगी क्या दूंगी जी
उनके हाथों में झण्डा मैं दूंगी जी
बोलो जय हिन्द जय हिन्द जय हिन्द जी
ललना की सखियां आएँगीं, वो गीत गवाई मांगेंगी
उन्हें क्या दूंगी क्या दूंगी क्या दूंगी जी
उनके पैरों में घुँघुरू मैं दूंगी जी
बोलो ता थईया, ता थईया, ता थईया जी

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Contents

  1. 1 जो मन में आए सोई ले ले
  2. 2 देखो ननद भवज कोठे चढ़ गईं
  3. 3 खड़ी-खड़ी ठेंगा दिखाऊँ
  4. 4 रानी देवकी ने जाये नंदलाल
  5. 5 दशरथ के चारों लाल
  6. 6 जनमे राम हुए री आनन्द में
  7. 7 श्याम झुलें पलना
  8. 8 पाँच पान पच बिड़ियाँ
  9. 9 सौंठ के लड्डू चरपरे हैं
  10. 10 तुझे चंदा कहूँ या लाल
  11. 11 कमर पीर होए राजा
  12. 12 कोई माँगे कढ़ाई न दे
  13. 13 मेरी जच्चा ने जाये
  14. 14 ब्रज में कान्ह हुए री अवतारी
  15. 15 नन्द घर बाजे बधइया
  16. 16 जच्चा तो मेरी भोली-भाली है
  17. 17 हमको तो पीर आवे
  18. 18 पलँग पर अब ना चढ़ूँगी महाराजा
  19. 19 मगन मन पूजन चली
  20. 20 गोंद सौंठ के लड्डू
  21. 21 हमको तिलरिया की साध
  22. 22 कहाँ गँवाए मेरी रानी
  23. 23 बोले न चाले मिज़ाज करे
  24. 24 उठी मेरे राजा कमर में पीर
  25. 25 द्वारे पे डाल लीनी खटिया
  26. 26 मचल रही आज महलों में
  27. 27 माँगे ननद रानी कँगना
  28. 28 सास तो दुबली हो गई
  29. 29 लाल के बधाए जड़ाऊ बेंदा
  30. 30 बहू कौन कौन फल खाए
  31. 31 भए देवकी के लाल
  32. 32 जच्चा मेरी ने ज़ुलम किया
  33. 33 ब्रज में बजत बधाई
  34. 34 जनम लियो रघुरइया


जो मन में आए सोई ले ले

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टिप्पणी: ननद को देकर न देना तो इस भाभी से सीखिए। ननद जो भी माँगेवह देगी। उदाहरण के लिए अगर ननद ने चम्मच माँगीतो वह देगी। यह बात और है कि देने से पहले चम्मच की डंडी को वह तोड़ लेगी

जो मन में आए सोई ले ले ननदिया

तेरा जिया चाहे सोई ले ले ननदिया---2

बरतन नहीं दूँगी मेरे चौके का सिंगार हैं

बरतन में से चम्मच दूँगी ----2, डंडी लूँगी तोड़ ननदिया || तेरा------

कपड़े नहीं दूँगी मेरे बक्सों का सिंगार हैं

कपडों में से अँगिया दूँगी---- 2, बंद लूँगी तोड़ ननदिया || तेरा -----

गहने नहीं दूँगी मेरे तन का सिंगार हैं

गहनों में से आरसी दूँगी -----2, छल्ला लूँगी तोड़ ननदिया || तेरा ----

शब्दार्थ आरसी = ऐसी अँगूठी जिसमें नग के स्थान पर छोटा सा दर्पण लगा होता है। 

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देखो ननद भवज कोठे चढ़ गईं

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टिप्पणी: ननद सदा से भाभी को सताती ही आई है। पर नवजात भतीजे को उठा कर ले जाना, कुछ विचित्र नहीं लगता? उसकी मानें तो दोष भाभी का ही है। शिशु के जन्म से पहले तो वादा किया था तिलड़ी देने का, और अब भोली बनकर पूछती है वह क्या होती है बीबी जी? सबक तो सिखाना ही पड़ेगा न। पर इस भोली भाभी के भोलेपन का भण्डाफोड़ किया जाए?

देखो ननद भवज कोठे चढ़ गईं और आपस में रहीं बतलाय

अहो जी मन अपना।

भाभी जो तेरे होंय नंदलाला ------ 2तो हमे भला क्या देओ, अहो जी ---------

बीबी जो मेरे होय नंदलाला ------2तुम्हें दूँगी गले का हार,…. अहो जी ------

तुम्हें दूँगी तिलड़ गढ़वाय ,… अहो जी -------

देखो ननद गई घर अपने,----2  यहाँ धमक जने नंदलाल, अहो जी --------

साहूकारों के हुए नंदलाल, अहो जी -----------

राजा हौले-हौले बंसरी बजाना, राजा धीरे-धीरे बंसरी बजाना

और सुनकर आवे ननदिया, अहो जी ------

वो तो इतने में आ गई ननदिया, और माँगे अपना नेग, अहो जी ------

बीबी कैसी होती है तिलड़ी और कैसा गले का हार, अहो जी ------

देखो ललन झूल रहे पलना, ---2 वो तो ले गई ननदिया उठाय, अहो जी ------

राजा हल्की गढ़ा लाओ तिलडी और हल्का गले का हार, अहो जी ------

मुझे घर अँगना न सुहाय, अहो जी ------

बीबी देजा भतीजा देजा और लेजा अपना नेग, अहो जी ------

वह तो पहन नेग हुई ठाड़ी, और मुड़-मुड़ देत आशीष, अहो जी ------

भाभी चीर जीवे तेरा नंदलाला, मेरी भाभी का अचल सुहाग, अहो जी ------

पाँव छूते में तोड़ ली तिलड़ी,---2  गले मिलते में तोड़ लिया हार, अहो जी ------

घर सास-ननद पूछे बतियाँ, तेरी भाभी ने जाए नंदलाला, अहो जी ------

बहू क्या कुछ लाई नेग, अहो जी ------

पाँव छूते में तोड़ ली तिलड़ी,---2  गले मिलते में तोड़ लिया हार, अहो जी ------

वो तो ओछे घरों की है नार, अहो जी ------

मैं तो धोती छुड़ाय घर आई, अहो जी ------

साहूकारों के हुए नंदलाल, अहो जी -----------

शब्दार्थ : तिलड़ = तीन लड़ियों वाला हार

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खड़ी-खड़ी ठेंगा दिखाऊँ

टिप्पणी: कभी गाड़ी नाव पर तो कभी नाव गाड़ी पर। पिछले गीत में भाभी ननद पर हावी थी तो यहाँ किस्सा और है। कंगन ननद को देना पड़ा तो दे तो दिया। साथ ही दुतकार भी लगाई कि खबरदार जो फिर कभी पीहर आई। पर ननद डरने वाली नहीं। ताल ठोंक कर कह गई है। अभी तो जा रही है। किन्तु छठी के अवसर पर आएगी। फिर मुंडन पर और फिर विवाह में भी आएगी। उसके बाद नहीं आने वाली। 

खड़ी-खड़ी ठेंगा दिखाऊँ, ननद कँगना माँगे जी

हमने तो जाए नंदलाला, ननद कँगना माँगे जी

बाहर से आए ससुर तो बहू भीतर को चलीं

दे दो बहूरानी कँगना मैं और गढ़वाय  दूँ जी || खड़ी ----

बाहर से आए बलम तो धना पलका पे पड़ीं

दे दो धना रानी कँगना मैं चार गढ़वाय दूँ जी || 

नौ महीने हमने कोख पाली और प्रसव की पीड़ा सही,

कँगना माँगे ननदिया, कहो जी कोई बात हुई || 

कँगना दोगी ननद को तो वह खुश हो के कहे

भाभी चिर जीवे तेरा नंदलाला और अमर सुहाग रहे || 

पेच खोल कँगना जो फेंका आँगन झनकार उठा

अरे ले जा बिजुलिया कँगना के अब मत आना रे || 

अब की गई मैं छठिन में आऊँगी फिर आऊँ लल्ला के मुंडन में

फिर आऊँ लल्ला के ब्याह में फिर नहीं आऊँ रे ||

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रानी देवकी ने जाये नंदलाल

रानी देवकी ने जाये नंदलाल बधाई लाई मालिनिया |

क्या कुछ लाई मालिन तो क्या रे तमोलिनिया

ए जी क्या कुछ लाई महाराजा सुघड़ पटवारिनिया ... .2  ||

बंदनवारे मालिन लाई तो बीड़े तमोलिनिया

ए जी कुरता टोपी लाई सुघड़ पटवारिनिया .... .2   || रानी देवकी ने .........

क्या कुछ दीना मालिन तो क्या रे तमोलिनिया

ए जी क्या कुछ दीना महाराजा सुघड़ पटवारिनिया .... .2   || 

रुपये दीने मालिन तो मोहरें तमोलिनिया

ए जी सवरस गहना दीना सुघड़ पटवारिनिया ....2  || रानी देवकी ने .........

नज़र उतारे मालिन तो टीका लगाए तमोलिनिया

ए जी चिरजीवे तेरा नंदलाला कहत पटवारिनिया

मेरी रानी का अमर सुहाग कहत पटवारिनिया  || रानी देवकी ने .........

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दशरथ के चारों लाल

दशरथ के चारों लाल, दिन-दिन नीके सो सब दिन नीके लगें।

कौन ने पूजी गंगा जमुना ...2, कौन ने सरयू धार,

सो दिन-दिन नीके सो दिन-दिन नीके लगें || दशरथ के चारों ........

       केकई ने पूजी गंगा जमुना ...2

       सुमित्रा ने सरयू धार, कौशल्या ने सरयू धार

       सो दिन-दिन नीके सो सब दिन नीके लगें || दशरथ के चारों .......

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कौन घड़िन में लक्ष्मन जन्मे ...2कौन घड़िन भगवान

सो दिन-दिन नीके सो दिन-दिन नीके लगें || दशरथ के चारों ........

       आधी सी रात में लक्ष्मन जन्मे ....2, ब्रह्म घड़िन भगवान

       सो दिन-दिन नीके सो सब दिन नीके लगें || दशरथ के चारों .......

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कौन के जाए चरत भरत हैं .....2, कौन के लक्ष्मन राम

सो दिन-दिन नीके सो दिन-दिन नीके लगें || दशरथ के चारों ........

       केकई के जाए चरत भरत है..2,

       सुमित्रा के लक्ष्मन राम, कौशल्या के लक्ष्मन राम

       सो दिन-दिन नीके सो सब दिन नीके लगें || दशरथ के चारों .......

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कौन के बज रहे ढोलक नगाड़े ----2, कौन के घुरत निशान

सो दिन-दिन नीके सो दिन-दिन नीके लगें || दशरथ के चारों ........

       केकई के बज रहे ढोलक नगाड़े ----2,

       कौशल्या के घुरत निशान, सुमित्रा के घुरत निशान

       सो दिन-दिन नीके सो सब दिन नीके लगें || दशरथ के चारों .......

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कौन के बँट रहे बूरे-बताशे ----2, कौन के बँट रहे पान,

सो दिन-दिन नीके सो दिन-दिन नीके लगें || दशरथ के चारों ........

       केकई के बँट रहे बूरे-बताशे ----2, 

       कौशल्या के बँट रहे, सुमित्रा के बँट रहे पान

       सो दिन-दिन नीके सो सब दिन नीके लगें || दशरथ के चारों ........

कौन के बँट रहीं सुरख चुनरिया ----2, कौन के दखनी चीर,

सो दिन-दिन नीके सो दिन-दिन नीके लगें || दशरथ के चारों ........

       केकई के बँट रहीं सुरख चुनरिया ----2, 

       कौशल्या के बँट रहीं, सुमित्रा के दखनी चीर

       सो दिन-दिन नीके सो सब दिन नीके लगें || दशरथ के चारों ........

कौन के बँट रहीं दुलरी तिलरी----2, कौन के मोतिन थाल,

सो दिन-दिन नीके सो सब दिन नीके लगें || दशरथ के चारों ........

       केकई के बँट रहीं दुलरी तिलरी----2,

       कौशल्या के बँटत, सुमित्रा के मोतिन थाल

       सो दिन-दिन नीके सो सब दिन नीके लगें || दशरथ के चारों ........

पन्ने के आरंभ में जाएँ   पन्ने के आरंभ में जाएँ   

जनमे राम हुए री आनन्द में

जनमे राम हुए री आनन्द में

राजा दशरथ ने हाथी बाँटे ....2,

रहा हाथी एक ...2, राजा की हथसाल में || जनमे राम ..........

राजा दशरथ ने घोड़े बाँटे ---- 2,

रहा घोड़ा एक ....2राजा की घुडसाल में || जनमे राम ..........

राजा दशरथ ने मोहरे बाँटीं ---2

रहा रुपया एक ...2कौशल्या जी के कर में || जनमे राम ..........

रानी कौशल्या ने गहने बाँटे ---2,

रहा मोती एक ....2कौशल्या जी की नथ में || जनमे राम ..........

रानी कौशल्या ने कपड़े बाँटे---- 2,

रही साड़ी एक ...2कौशल्या जी के तन पे || जनमे राम ..........

रानी कौशल्या ने लड्डू बाँटे----2,

रहा लड्डू एक ....2, कौशल्या जी के मुख में || जनमे राम ..........

पन्ने के आरंभ में जाएँ   

श्याम झुलें पलना

टिप्पणी: इस जच्चा से नेग लेने के लिए आप को 20-25 वर्ष की प्रतीक्षा तो करनी ही होगी। वह किसी को भी नेग तब देगी जब उसके अभी जन्मे पुत्र की पत्नी उसके आँगन में रुनझुन करती डोलेगीपलँग पर बैठकर पान चबाएगी और मूढ़े पर बैठकर हुकुम चलाएगी। कैसा लगा?

श्याम झुलें पलना सो सजनी।

सासुल आवे चरुआ चढ़ावे, जिठनी आवे कमर दबावे,

देवरानी आवे पंखा डुलावे, देवर आवे बाहर निकाले,

माँगें नेग अपना सो सजनी || श्याम झुलें  पलना .......

लल्ला ऊपर लल्ला जाऊँ तब लल्ला की छठी कराऊँ

जब लल्ला की आए सगाई तब लल्ला का ब्याह रचाऊँ

बहुवर आवे रुनझुन करती डोले मेरे अँगना

पलका बैठी पान चबावे, मूड़ा बैठी हुकुम चलावे

तब ही देऊँगी सबका नेग सो सजनी ||

ननदी आवे सतिए धरावे, सखियाँ आवें मंगल गावें

पंडित आवे नाम धरावे, दाई आवे ललन जनावे,

माँगें नेग अपना सो सजनी ||

लल्ला ऊपर लल्ला जाऊँ तब लल्ला की छठी कराऊँ

जब लल्ला की आए सगाई तब लल्ला का ब्याह रचाऊँ

बहुवर आवे रुनझुन करती डोले मेरे अँगना

पलका बैठी पान चबावे, मूड़ा बैठी हुकुम चलावे

तब ही देऊँगी सबका नेग सो सजनी ||

श्याम झुलें पलना सो सजनी |

पन्ने के आरंभ में जाएँ   

पाँच पान पच बिड़ियाँ

पाँच पान पच बिड़ियाँ और पाँच सुपारी और पाँच सुपारी न रे

के रामा सो मेरी ननदी को देवो ननदिया को देवो बिरन को बुला लावैँ |

भैया ओ मेरे भैया, के तुम मेरे भैया के तुम मेरे भैया न रे

के भैया तुम्हरे महल कछु शोर भावज तुम्हे बोलै न रे |

एक हाथ लीनी है पगड़िया, और दूजे में मुरलिया और दूजे में मुरलिया न रे

के रामा धमक भए असवार, घुड़लवा को हाँक, धना ढिंग पहुँचे न रे |

एक पग धरो है देहरिया, और दूजो सिजरिया और दूजो सिजरिया न रे

के रामा लईँ धन कंठ लगाय, कहो धन विरथा कहो धन वेदना |

राजा ओ मेरे राजा, के तुम महाराजा, के तुम  महाराजा न रे

के राजा लाज शरम की है बात, तुम्हारे आगे कैसे, तुम्हारे आगे कैसे कहूँ |

धनिया ओ मेरी धनिया के तुम महारनिया न रे

के धनिया तेरो मेरो अंतर एक कहो धन विरथा कहो धन वेदना |

सिर मेरो दूखम-दूख, कमर मेरी दूखे, नयन जल चूये न रे

के राजा उठी है होरिलवा की पीर, चतुर दाई लाओ सुघड़ दाई लाओ न रे |

छप्पर होय तो छाऊँ, मरद दस लाऊँ मरद दस लाऊँ न रे

के रामा दाई को मैँ कहाँ पाऊँ, कहाँ से ले के आऊँ, कहाँ से ले के आऊँ न रे |

लाज शरम की है बात, मईल ढिंग जाओ बहन ढिंग जाओ न रे

के रामा यह करतार गठरिया सखिन बीच खोलो, सखिन बीच खोलो न रे |

जो घर होती मेरी मैया, पीर हर लेती दरद हर लेती न रे

के रामा राजा की मैया बेदर्दन होरिल-होरिल करे रे |

जो घर होती मेरी भैना, पीर हर लेती आप जन लेती न रे

के रामा राजा की भैना बेदर्दन होरिल-होरिल करे रे |

जो घर होती मेरी भाभी, तो पुड़ियाँ सिकाती और दुध में मिड़ाती न रे

के रामा राजा की भाभी बेदर्दन होरिल-होरिल करे रे |

ओ गिरिराज के बालक वेग जनम लो, तुरत जनम लेओ रे

के रामा तेरी मैया विकल बहुत है, नयन जल बरसे, नयन जल बरसे न रे

मैं कैसे वेग जनम लेऊँ ओ मेरी मैया, अरी निर्मोहिन री

के मैया मिट्टी के कुंड नहलाए, खटोले पे सुलाये, ललन कह बोले न रे

हे रजराज के बालक वेग जनम लो, तुरत जनम लो रे

के रामा सोने के कुंड नहलाऊँ, हिंडोले में सुलाऊँ, कन्हैया कह के बोलूँ न रे

भोर हुई पौ फटी और होरिल जन्मे, और होरिल जन्मे न रे

के रामा पड़ गईं नगर बधइयाँ गवन लगे सोहिला।

बालक पाँव पैंजनियाँ के रुनझुन बाजैं, के रुनझुन बाजैं न रे

के रामा कमर कौंधनी जड़ाऊ, तो कठुला विराजे, के कठुला विराजे न रे

बालक नैन कजरवा के अति छवि लागे के अति छवि लागे न रे

के रामा दीना है बुआ सुभद्रा तो अति शुभ लागे तो उँगली से सारिए

जो इस सोहिल को गाये और गा के सुनाए सभी के मन भाए न रे

के उस के कटेंगे जनम के फंद सकल सुख पाए, सकल सुख पाए न रे|

शब्दार्थ: यहाँ न रेकेवल टेक है। इस पर ध्यान न दें। बिड़ियाँ = बीड़ियाँ, बोलै = बुला रही, ढिंग  = पास, होरिल = नवजात शिशु या जो होने वाला है,  रजराज = राजाओं के राजा, , सोहिला = सोहर, जन्म-गीत, कठुला = नजरिया, कलाई में बांधा जाने वाला काला धागा जिसमें दो-चार मोती पिरोये होते हैं,सारिए = लगाइए।

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सौंठ के लड्डू चरपरे हैं

सौंठ के लड्डू चरपरे हैं, सौंठ के लड्डू ----

अँगना में ठाड़ी सास यों बोलीं, बहू एक हमें भी देना,

सौंठ के लड्डू, सौंठ के लड्डू!!!! चरपरे हैं ||

ये लड्डू मेरे पीहर से आए, ये लड्डू मेरी माँ ने बनाए

       पसेरी भर इनमें घी जो पड़ा है

       सेर भर इसमें गौंद पड़ा है

       गरी के गोले नौ पड़े हैं

       बादाम और पिस्ते नौ सौ पड़े हैं

       छुहारे किशमिश भी तो पड़े हैं

सौंठ के लड्डू चरपरे हैं, सौंठ के लड्डू ----

आधा तोड़त मेरी उँगली दूखे, ---- 2, पूरा दिया न जाय,

सौंठ के लड्डू, सौंठ के लड्डू!!!! चरपरे हैं ||

(इसी तरह सबके नाम --------)

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तुझे चंदा कहूँ या लाल

तुझे चंदा कहूँ या लाल, मेरे साँवरिया |

दूर खेलन मत जाना मेरे लाला ---

       तेरे सिर पर जड़ूले बाल, मेरे साँवरिया |

या तो खेलो बाबा के द्वारे

       या दादी की गोद, मेरे साँवरिया |

(इसी तरह सबके नाम --------)

शब्दार्थ: जडूले = जन्मजात, जब तक मुंडन न हो जाए, बच्चा जडूल कहलाता है.

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कमर पीर होए राजा

कमर पीर होए राजा अब ना बचूँगी

होरिल पीर होए राजा अब ना बचूँगी |

बुलाओ सासुल को बुलाओ सासुल को

       मैं बेटा उनको सौंप दूँगी अब ना बचूँगी || कमर पीर --------

बुलाओ जिठ्नी को बुलाओ जिठ्नी को

       मैं बच्चे उनको सौंप दूँगी अब ना बचूँगी || कमर पीर --------

बुलाओ द्योरानी बुलाओ द्योरानी

       मैं चूल्हा-चक्की सौंप दूँगी अब ना बचूँगी || कमर पीर --------

बुलाओ ननदी को बुलाओ ननदी को

       मैं ताला-चाबी सौंप दूँगी अब ना बचूँगी || कमर पीर --------

ब्रह्म महूरत में जन्मे नन्द्लाला

कमर पीर ठीक हुई अब ना मरूँगी |

बुलाओ सासुल को बुलाओ सासुल को

       मैं बेटा उनसे वापस लूँगी अब ना मरूँगी || कमर पीर ठीक ---------

बुलाओ जिठ्नी को बुलाओ जिठ्नी को

       मैं बच्चे उनसे वापस लूँगी अब ना मरूँगी |

कसम खा जा जिठ्नी, कसम खा जा जिठ्नी

       तूने मारा-पीटी ना करी थी अब ना मरूँगी || कमर पीर ठीक --------

बुलाओ द्योरानी बुलाओ द्योरानी

       मैं चूल्हा-चक्की वापस लूँगी अब ना मरूँगी |

कसम खा द्योरानी, कसम खा द्योरानी

       तूने तोड़ा-ताड़ी ना करी थी अब ना मरूँगी || कमर पीर ठीक --------

बुलाओ ननदी को बुलाओ ननदी को

       मैं ताला-चाबी वापस लूँगी अब ना मरूँगी |

कसम खा जा ननदी, कसम खा जा ननदी

       तूने चोरी-चाटी ना करी थी अब ना मरूँगी || कमर पीर ठीक -------

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कोई माँगे कढ़ाई न दे

कोई माँगे कढ़ाई न दे, हमारा मन हलुए, हमारा मन हलुए पे |

जैसे रे तैसे कढ़ाई लाई, द्योरानी, द्योरानी आटा न दे

हमारा मन हलुए, हमारा मन हलुए पे |

चुनरी दे द्योरानी मनाई, जिठनी बूरा न दे

हमारा मन हलुए, हमारा मन हलुए पे |

लहँगा दे जेठानी मनाई, सासू जी मेवा न दें

हमारा मन हलुए, हमारा मन हलुए पे |

हाथ पैर दाब सासू जी मनाईं, राजा खाने न दें

हमारा मन हलुए, हमारा मन हलुए पे |

लल्लो-चप्पो कर मैंने राजा मनाए, होरिलवा पचने न दे

हमारा मन हलुए, हमारा मन हलुए पे |

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मेरी जच्चा ने जाये

मेरी जच्चा ने जाये शिरी कृष्ण जी |

जच्चा दाई तुम्हारी यहाँ आयेंगी

उनको ललना जनाई-नेग क्या दे दूँ जी

दे दो तुलसी की माला उन्हें हाथ में

कहना भज कृष्ण भज कृष्ण भज कृष्ण जी || मेरी जच्चा ----

जच्चा सासुल तुम्हारी यहाँ आयेंगी

उनको चरुआ-चढाई नेग क्या दे दूँ जी

दे दो तुलसी की माला उन्हें हाथ में

कहना भज कृष्ण भज कृष्ण भज कृष्ण जी || मेरी जच्चा ----

इसी तरह

जिठनी ------ पलका-बिछाई

द्योरानी ------ पंखा-डुलाई

नंदुल -------- सतिया-धराई

देवर ----तीर-सजाई

पंडित ---- नाम-धराई

सखियाँ -----मंगल-गवाई

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ब्रज में कान्ह हुए री अवतारी

ब्रज में कान्ह हुए री अवतारी, हुए री अवतारी,

       अरे ब्रज में कान्ह।

ब्रज में कान्ह हुए री अवतारी, घिरी रैन अँधियारी रामा,

       घिरी रैन अँधियारी।

भादों रैन अँधेरी कहिए, आठे तो कहिए कान्हा, तेरी बुधवारी,

       कन्हैया की बुधवारी, अरे ब्रज में कान्ह।

सोय गई दाई, सोय गई माई, सोय गए पहर-पहरुआ रामा,

       सोय गए पहर-पहरुआ।

सारी मथुरा सोय गई है, जाग रही है एक लाला की महतारी,

       कन्हैया की महतारी, अरे ब्रज में कान्ह।

देवकी वसुदेव जगावें, उठो कन्त भर्तारी रामा

       उठो कन्त भर्तारी।

अपने लाल का मुखड़ा देखो, जैसे खिली हो चन्दा की उजियारी,

       चन्दा की उजियारी, अरे ब्रज में कान्ह।

धरे सूप गोकुल पहुँचाने, आगे जमुना गहरी रामा,

       आगे जमुना गहरी।

आगे जमुना गहरी कहिए, पीछे से सिंघ भरे रे किलकारी,

       भरे रे किलकारी, अरे ब्रज में कान्ह।

ज्यों ही चरण दिए जमुना में, चढ़ ऊपर को आईं रामा,

       चढ़ ऊपर को आईं।

चरण छुअत जमुना भईं ठाडी, शेषनाग पै छाया रे कराई,

       और छाया रे कराई, अरे ब्रज में कान्ह।

कंसा ने एक दूती भेजी, अंचल विष लपटाए रामा,

       अंचल विष लपटाए।

दूध पियत प्रभु प्राण निकारे, मर पूतना बैकुंठ सिधारी

       बैकुंठ सिधारी, अरे ब्रज में कान्ह। 

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नन्द घर बाजे बधइया

नन्द घर बाजे बधइया, नन्द घर...

कहाँ रे कन्हैया ने, कहाँ रे कन्हैया ने, जनम लियो है,

       कहाँ तो, हय कहाँ तो बाजे बधइया, नन्द घर।

मथुरा कन्हैया ने, मथुरा कन्हैया ने, जनम लियो है,

       गोकुल, हय गोकुल बाजे बधइया, नन्द घर।

सोलह जोड़ी, सोलह जोड़ी, नगाड़े बाजें,

       बारह जोड़ी, हय बारह जोड़ी शहनइया, नन्द घर।

रानी यशोदा, रानी यशोदा, मगन भई हैं,

       अन्न धन, हय अन्न धन देत लुटइया, नन्द घर।

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जच्चा तो मेरी भोली-भाली है

जच्चा तो मेरी भोली-भाली है रे।

मन भर तो लड्डू खा जावे, दो मन पक्के पेड़े,

       जच्चा तो मेरी, खाना न जाने रे ॥ जच्चा तो मेरी --------

सास ननद की चुनरी फाड़े, द्यौर जिठानी का लंहगा

       जच्चा तो मेरी, लड़ना न जाने रे ॥ जच्चा तो मेरी --------

साँप मार सिरहाने रक्खे, बिच्छू मार बगल में

       जच्चा तो मेरी, मच्छर से डर जावे रे॥ जच्चा तो मेरी --------

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हमको तो पीर आवे

हमको तो पीर आवे, ननदी हँसती डोले।

       बाहर से राजा आए अरज सुनो मेरी

       ननदी बिदा करो, अब ही बिदा करो ॥ हमको तो -------

झूमर घड़न गया, टीका घड़न गया

गंगा उफान पे है, कैसे बिदा करौं।

       झूमर मैं अपना दूँगी, टीका जिठानी देंगी

       गंगा में नाव उतारो, ऐसे बिदा करो ॥ हमको तो -------

 हरवा घड़न गया, झाले घड़न गए

गंगा उफान पे है, कैसे बिदा करौं।

       हरवा मैं अपना दूँगी, झाले द्योरानी देगी

       मल्लाह को हाल बुलाओ, ऐसे बिदा करो ॥ हमको तो -------

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पलँग पर अब ना चढ़ूँगी महाराजा

पलँगपरअबनाचढ़ूँगीमहाराजा।

सोराजा मेरेपहलीपीरजबआई,

       सासमैंनेजायजगाई महाराजा।

सोराजामेरेसुनकेभीकरवटबदलगई,

       सासबेदर्दिनहुईजीमहाराजापलँगपर --------

सोराजामेरेदूजीपीरजबआई,

       जिठानीमैंने जायजगाईमहाराजा।

सोराजामेरेसुनकेभीकरवट बदलगई, 

       जिठानीबेदर्दिनहुईजीमहाराजा पलँगपर --------

सोराजामेरेतीजीपीरजबआई,

       द्योरानीमैंनेजायजगाईमहाराजा।

सोराजामेरेसुनके भीकरवटबदलगई, 

       द्योरानीबेदर्दिनहुई जीमहाराजापलँगपर --------

सोराजामेरेदूजीपीर जबआई,

       ननदमैंनेजायजगाईमहाराजा।

सोराजा मेरेसुनकेभीकरवटबदलगई, 

       ननदबेदर्दिनहुईजीमहाराजापलँगपर --------

सो राजामेरेपँचईपीरजबआई,

       आपमैंनेजाय जगाएमहाराजा।

सोराजामेरेसुनतेहीठाड़ेहो गए,

       दाईकोझटलेनेगएजीमहाराजा पलँगपर --------

सोराजामेरेभोरभईपौफाटी,

       होरिलहमउरधरेजीमहाराजा।

सोराजामेरेभूल गईसारीबतियाँ

       पलँगपरफिरसेचढ़ूँगीमहाराजा।

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मगन मन पूजन चली

मगन मन पूजन चली मोरी जच्चा।

सो मेरी जच्चा, हाथों में पूजा का थाल

       सो मेरी जच्चा, गोदी में लिए नंदलाल,

             ससुर कुल पूजन चली मोरी जच्चा,

                    सास कहे जुग जुग जिए तेरा बच्चा।  

मगन मन पूजन चली मोरी जच्चा।

(इसी प्रकार अन्य रिश्तेदारों के नाम)

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गोंद सौंठ के लड्डू

गोंद सौंठ के लड्डू मेरे बाबुल के से आए जी।

       उनमें से दो लड्डू मेरी, सासुल ने चुराए जी

             सासुल जी का हाथ पकड़ कर मेरे आगे लाओ जी।

                    ससुरा जी तोरे पइयाँ लागूँ, मेरा न्याय चुकाओ जी

गोंद सौंठ के मेरे लड्डू सासुल ने क्यों खाए जी ॥ गोंद सौंठ के लड्डू -----

उनमें से दो लड्डू मेरी, ननदी ने चुराए जी

       ननदी जी का हाथ पकड़ कर मेरे आगे लाओ जी।

             नंदोई जी बिनती सुन लो, मेरा न्याय चुकाओ जी

गोंद सौंठ के मेरे लड्डू बीबी ने क्यों खाए जी ॥ गोंद सौंठ के लड्डू -----

उनमें से दो लड्डू मेरी, सौतन ने चुराए जी

       सौतिनिया का हाथ पकड़ कर मेरे आगे लाओ जी।

             राजा जी तुम अभी के अभी, मेरा न्याय चुकाओ जी

गोंद सौंठ के मेरे लड्डू सौतन ने क्यों खाए जी ॥ गोंद सौंठ के लड्डू -----

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हमको तिलरिया की साध

राजा ओ मेरे राजा के तुम महाराजा

के तुम महाराजा न रे, के राजा हमको तिलरिया की साध,

       तिलर गढ़वाओ, चुनर रँगवाओ न रे।

धनिया ओ मेरी धनिया के तुम महारनियाँ

के तुम महारनियाँ न रे, के धनिया तुम्हरो है साँवल सरीर,

       तिलर नहीं सोहे, चुनर नहीं सोहे न रे।

इतनों वचन सुन, धनिया रिसा गईं,

धनिया रिसा गईं, बहुत गुस्सा भईं, जड़ लईं झँझन किवरियाँ,

       अहोलो ले के पड़ गईं न रे।

बोलो गाम के सुनरा, तुरत चले आवें

तुरत चले आवें न रे, के सुनरा तिलरी अनोखी गढ़ लावो,

       धना हमसे रूठीं, धना को मनावें न रे।

बोलो गाम के छीपी, तुरत चले आवें

तुरत चले आवें न रे, के छीपी सतरंग चुनर रँगावो,

       धना हमसे रूठीं, धना को मनावें न रे।

इक हाथ लई है तिलरिया, और दूजे में चुनरिया

और दूजे में चुनरिया न रे, के धनिया खोल देओ झँझन किवरियाँ,

       पहन लेओ तिलरी, ओढ़ लेओ चुनरी न रे।

तिलरी तो पहरे तुमरी मइया, और तुमरी बहनिया

और तुमरी बहनिया न रे, के राजा चुनरी तो ओढ़े भौजइया,

       रे ओढ़े भौजइया, जहाँ तुम रीझे न रे।

इतनों वचन सुन, राजा रिसा गए, बहुत गुस्सा भए

बहुत गुस्सा भए रे, के धनिया जाऊँ बरेली की पैंठ,

       सौत लै के आऊँ, जनम दुःख पाओ न रे।

भोर भई पौ फाटी, और होरिल उर धरे

होरिल उर धरे रे, के रामा पड़ गईं नगर बधइयाँ,

       बाजन लागे थार, गवन लगे सोहिला न रे।  

बोलो गाम के मलिया, बेगि चले आवें

बेगि चले आवें न रे, के मलिया फूलन के हार लै आवो,

       पिया हमसे रूठे, पिया को मनावें न रे।

बोलो गाम पनवरिया, बेगि चले आवें

बेगि चले आवें न रे, के रामा मीठे मीठे पान लगावें,

       पिया हमसे रूठे, पिया को मनावें न रे।

इक हाथ लीने हैं बीड़ा, और दूजे हाथ हरवा

और दूजे हाथ हरवा न रे, के रामा गोद में लीने हैं लालन,

       पिया हमसे रूठे, पिया को मनावें न रे।

खोलो पिय झँझन किवरियाँ, पहन लेओ हरवा

पहन लेओ हरवा न रे, के राजा चाब लेओ पान के बीड़ा,

       ललन गोदी लेओ, बहुत सुख पाओ न रे।

हरवा तो पहरे तोहरी मइया, चबावे बीड़ा भइया

चबावे बीड़ा भइया न रे, के धनिया ललना खिलावै तोहरा जीजा,

       खिलावै तोहरा जीजा, जहाँ तुम रीझीं न रे।

जो जाय सोहर गावै, और गाय सुनावै

और गाय सुनावै न रे, के रामा कटें हैं जनम के फंद,

       जनम के फंद, अमिट सुख पावै न रे।

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कहाँ गँवाए मेरी रानी

कहाँ गँवाए मेरी रानी, गगरिया के मोती रे।

थाल भर मोती मैंने दाई को दीने,

       जिन मोरे होरिल जनाए, गगरिया के मोती रे।

थाल भर मोती मैंने सासुल को दीने,

       जिन मोरे चरुआ चढ़ाए, गगरिया के मोती रे।

थाल भर मोती मैंने जिठनी को दीने,

       जिन मोरे पलँग बिछाए, गगरिया के मोती रे।

थाल भर मोती मैंने छोटी को दीने,

       जिन मोहे बिजुन ड़ुराए, गगरिया के मोती रे।

थाल भर मोती मैंने ननदी को दीने,

       जिन मोरे सतिया धराए, गगरिया के मोती रे।

थालभर मोती मैंने देवर को दीने,

       जिनमोरे तीर सजाए, गगरियाके मोती रे।

थाल भर मोती मैंने सखियो को दीने,

       जिन मोरे मंगल गाए, गगरिया के मोती रे।

शब्दार्थ : होरिल = नवजात शिशु, बिजुन (हवा) ड़ुराए = पंखा झला

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बोले न चाले मिज़ाज करे

बोले न चाले मिज़ाज करे, ऐसी जच्चा से को प्यार करे।

टीका लै के आऊँ तो सिर न धरे  

       झुमका लै के आऊँ तो कान न धरे

नथनी को पूँछू तो इनकार करे, ऐसी जच्चा से को प्यार करे।

बोले न चाले --------

लहँगा लै के आऊँ तो अंग न धरे 

       चोली लै के आऊँ तो अंग न धरे  

चुनरी को पूँछू तो इनकार करे, ऐसी जच्चा से को प्यार करे।

बोले न चाले ---------

रबड़ी लै के आऊँ तो परे कर दे

       लैमन लै के आऊँ तो परे कर दे

हरीरा को जो को पूँछू तो इनकार करे, ऐसी जच्चा से को प्यार करे।

बोले न चाले ---------   

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उठी मेरे राजा कमर में पीर

उठी मेरे राजा कमर में पीर उठी।

कहो तो रानी तेरी सासू को बुला दूँ

       नहीं मेरे राजा, सासू का काम नहीं।

कहो तो रानी तेरी अम्मा को बुला दूँ

       कही मेरे राजा, मन की सी बात कही ॥ उठी मेरे राजा -----

(इसी प्रकार जिठानी-भाभी, ननद-बहन, देवर-भाई के लिए )

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द्वारे पे डाल लीनी खटिया

द्वारे पे डाल लीनी खटिया, हाय रामा।

लड़की हुई की सुनी जब ससुर ने,

       हाथ में से छूट गई लठिया, हाय रामा ॥ द्वारे पे ----

लड़की हुई की सुनी जब जेठ ने,

       हाथ में से छूट गई गठिया, हाय रामा ॥ द्वारे पे ----

लड़की हुई की सुनी जब देवर ने,

       हाथ में से छूट गई बंसिया, हाय रामा ॥ द्वारे पे ----

लड़की हुई की सुनी जब ननद ने,

       हाथ में से छूट गई गुड़िया, हाय रामा ॥ द्वारे पे ----

लड़की हुई की सुनी जब बलम ने,

       हेठ से टूट गई खटिया, हाय रामा ॥ द्वारे पे ----

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मचल रही आज महलों में

मचल रही आज महलों में दाई,

       अकड़ रही आज महलों में दाई।

थाल भर मोती कौशल्या ने मँगाए,

       दाई ने दिए ठुकराय, मचल रही आज ----

पिटरा भर जेवर कैकेयी ने मँगाए,

       दाई ने दिए ठुकराय, मचल रही आज ----

थैली भर रतन सुमित्रा ने मँगाए,

       दाई ने दिए ठुकराय, मचल रही आज ----

हाथ जोड़ राजा दशरथ ठाड़े,

       छेओ कुँवरों की नार, मचल रही आज ----

कुँवरों की नार तभी छेऊँगी,

       लूँ आधा अयोध्या का राज, मचल रही आज ------

अकड़ रही आज महलों में दाई।

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माँगे ननद रानी कँगना

माँगे ननद रानी कँगना, ललन के होने का।

जब लालन की छठी कराऊँ,

       दूँगी ननद रानी कँगना, ललन के होने का।

जब लालन की छठी कराई,

       फिर माँगे ननदी कँगना, ललन के होने का।

जब लालन का होगा जनेऊ,

       दूँगी ननद रानी कँगना, ललन के होने का।

जब लालन का हुआ जनेऊ,

       फिर माँगे ननदी कँगना, ललन के होने का।

जब लालन की आवे सगाई,

       दूँगी ननद रानी कँगना, ललन के होने का।

जब लालन का आई सगाई,

       फिर माँगे ननदी कँगना, ललन के होने का।

जब लालन का ब्याह रचाऊँ,

       दूँगी ननद रानी कँगना, ललन के होने का।

जब लालन का ब्याह हो गया,

       फिर माँगे ननदी कँगना, ललन के होने का।

जब लालन का गौना आवे,

       दूँगी ननद रानी कँगना, ललन के होने का।

जब लालन का गौना आया,

       फिर माँगे ननदी कँगना, ललन के होने का।

क्या तुम बीबी पागल हो गई,

       मैंने दिया था तुम्हें चकमा, कंगन को देने का।

माँगे ननद रानी कँगना, ललन के होने का।

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सास तो दुबली हो गई

सास तो दुबली हो गई, बहुओं के आने से।

सास तूने क्या खाया था, जेठा के होने में,

       बहू री मैंने गन्ने खाये, लाला के होने में,

       तभी तो वो लंबे हो गए, गन्नों के खाने से ॥ सास तो दुबली ----

सास तूने क्या खाया था, दिवरा के होने में,

       बहू री मैंने जामुन खाये, लाला के होने में,

       तभी तो वो लंबे हो गए, जामुन के खाने से ॥ सास तो दुबली ----

सास तूने क्या खाया था, ननदी के होने में,

       बहू री मैंने मिर्चें खाईं, लाली के होने में,

       तभी तो वो ततैया हो गई, मिरची के खाने से ॥ सास तो दुबली ----

सास तूने क्या खाया था, राजा के होने में,

       बहू री मैंने गोले खाये, लाला के होने में,

       तभी तो वो भोले हो गए, गोलों के खाने से ॥ सास तो दुबली ----

पन्ने के आरंभ में जाएँ 

लाल के बधाए जड़ाऊ बेंदा

लाल के बधाए जड़ाऊ बेंदा लेऊँगी,

       जो भए लाल, मैं बेंदा बेसर लेऊँगी।

साँझ बेहाल गई, आधी रात लाल हुए,

       शोर न मचाओ राजा ननदी सुन लेवेंगीं,

       बेंदा ले लेवेगी, वो बेसर ले लेवेंगी ॥ लाल के बधाए ----  

ननदी ने खबर पाई, नाचत कूदत आय गईं,

       लाल की बधाई भौजी पूरी मेरी आस भई,

       अब तो बेंदा लेऊँगी मैं अब तो बेसर लेऊँगी ॥ लाल के बधाए ---- 

अँचरा की ओट भाभी लालन छिपाय लियो,

       मेरे तो बेटी भई बेंदा कैसे लेओगी,

       मेरे तो बेटी भई बेंदा कैसे लेओगी ॥ लाल के बधाए ---- 

भैया ने आँख दई बहना ने समझ लई,

       बेंदा नहीं लेऊँ भाभी बिटिया देख लेऊँगी,

       बेसर नहीं लेऊँ भाभी बिटिया गोद लेऊँगी ॥ लाल के बधाए ---- 

अँगना में ठाड़ी ठाड़ी सास समझावें,

       दे दे बहू बेंदा मैं और बनवाऊँगी,

       दे दे बहू बेसर मैं और बनवाऊँगी ॥ लाल के बधाए ---- 

बेंदा उतार जच्चा अँगना में फेंक दियो,

       बेसर उतार जच्चा अँगना में फेंक दियो,

       ले जा मेरी सौत तुझे फिर न बुलाऊँगी ॥ लाल के बधाए ----   

बेंदा उठाय ननदी भाभी को पहराय दियो,

       भाभी को सुहाग और लाल अमर रहियो,

       अपने से आऊँगी मैं बिना बुलाई आऊँगी ॥ लाल के बधाए ---- 

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बहू कौन कौन फल खाए

बहू कौन कौन फल खाए, ललन बड़े सुंदर हैं।

बाहिर से आईं सास रानी पूछें,

       बहू कौन से व्रत तुम कीन्हे, ललन बड़े सुंदर हैं।

गंगा नहाई न जमुना नहाई,

       इतवार का व्रत मैं कीन्हा, मैं जानूँ यही फल रे।

बाहिर से आईं जिठानी रानी पूछें,

       बहू कौन से फल तुम खाए, ललन बड़े सुंदर हैं।

गंगा नहाई न जमुना नहाई,

       इतवार का व्रत मैं कीन्हा, मैं जानूँ यही फल रे।

बाहिर से आईं ननद रानी पूछें,

       भाभी कौन की पड़ी परछाँई, ललन बड़े सुंदर हैं।

न्हाय धोय मैं झरोखे पे आई,

       नंदोई की पड़ी परछाँई, मैं जानूँ यही फल रे।

बाहिर से आए देवर राजा पूछें,

       भाभी कौन सेज तुम सोईं, ललन बड़े सुंदर हैं।

सेज तो सोई मैं अपने साजन की,

       सपने में संग तुम्हारे, मैं जानूँ यही फल रे।

बहू कौन कौन फल खाए, ललन बड़े सुंदर हैं।

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भए देवकी के लाल

भए देवकी के लाल, भए देवकी के लाल, यशोदा जच्चा बनीं।

वो तो महलन में शोर सुन के, सासुल आईं,

       वो तो आते ही चरुआ चढ़ावन लगीं ॥ भए देवकी के ----

वो तो महलन में शोर सुन के, जिठनी आईं,

       वो तो आते ही पाग जमावन लगीं ॥ भए देवकी के ----

वो तो महलन में शोर सुन के, छोटी आईं,

       वो तो आते ही पलका बिछावन लगीं ॥ भए देवकी के ----

वो तो महलन में शोर सुन के, ननदी आईं,

       वो तो आते ही सतिए धरावन लगीं ॥ भए देवकी के ---

वो तो महलन में शोर सुन के, नाइन आईं,

       वो तो घर घर बुलावा देवन लगीं ॥ भए देवकी के ----

वो तो महलन में शोर सुन के, सखियाँ आईं,

       वो तो आते ही मंगल गाने लगीं ॥ भए देवकी के ----

वो तो महलन में शोर सुन के, पण्डित आए,

       वो तो आते ही पत्री बनाने लगे ॥ भए देवकी के ----

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जच्चा मेरी ने ज़ुलम किया

जच्चा मेरी ने ज़ुलम किया, अङ्ग्रेज़ी जापा शुरू किया।

सासू को बुलाना छोड़ दिया, मइया को बुलाना शुरू किया।

जिठनी को बुलाना छोड़ दिया, भाभी को बुलाना शुरू किया।

जच्चा मेरी ने --------

(इसी प्रकार ननद-बहन, देवर-भाई आदि के लिए )

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ब्रज में बजत बधाई

ब्रज में बजत बधाई, मैं सुन के आई।

नन्द दुआरे नौबत बाजे,

        और बजे शहनाई, मैं सुन के आई।

रतन जड़े चन्दन पलने में,

       सोवे किशन कन्हाई, मैं सुन के आई।

भर भर थाल मोगरा बेला,

       मालिनिया लै आई, मैं सुन के आई।

बंदनवार बना फूलन से,

       ड्योढ़ी दई सजाई, मैं सुन के आई।

उबटन काजल तेल महावर,

       नाइनिया लै आई, मैं सुन के आई।

न्हवा धुवा लाला को कारो,

       टीका दियो लगाई, मैं सुन के आई।

नन्द लुटावें अन्न धान गुड,

       माखन और मलाई, मैं सुन के आई।

हरख हरख खावें सब पुरजन,

       जै जैकार लगाई, मैं सुन के आई।

ब्रज में बजत बधाई, मैं सुन के आई।

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जनम लियो रघुरइया

जनम लियो रघुरइया, अवधपुर बाजे बधइया।

राम लक्ष्मणभरत शत्रुघन,

       जनमे चारो भइया, अवधपुर बाजे बधइया।

 गलिन गलिन में बाजें नगारे,

       नाचें लोग लुगइया, अवधपुर बाजे बधइया।

महलन मंगल चौक पुर रहे,

       जगर मगर सब थइयाँ, अवधपुर बाजे बधइया।

राजा दशरथ की बात न पूछो,

       मोहरें रहे लुटइया, अवधपुर बाजे बधइया।

पंडित आवें नाम धरावें,

       हरखें तीनों मइया, अवधपुर बाजे बधइया।

ऋषि मुनि आ आशिष देवें,

       जय जय राम रमइया, अवधपुर बाजे बधइया। 

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