इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत का एक प्रमुख विश्वविद्यालय है। यह एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। यह आधुनिक भारत के सबसे पहले विश्वविद्यालयों में से एक है। इसे 'पूर्व के आक्सफोर्ड' नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना सन् 1887 ई को एल्फ्रेड लायर की प्रेरणा से हुयी थी। इस विश्वविद्यालय का नक्शा प्रसिद्ध अंग्रेज वास्तुविद इमरसन ने बनाया था। १८६६ में इलाहाबाद में म्योर कॉलेज की स्थापना हुई जो आगे चलकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। आज भी यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। म्योर कॉलेज का नाम तत्कालीन संयुक्त प्रांत के गवर्नर विलियम म्योर के नाम पर पड़ा। उन्होंने २४ मई १८६७ को इलाहाबाद में एक स्वतंत्र महाविद्यालय तथा एक विश्वविद्यालय के निर्माण की इच्छा प्रकट की थी। १८६९ में योजना बनी। उसके बाद इस काम के लिए एक शुरुआती कमेटी बना दी गई जिसके अवैतनिक सचिव प्यारे मोहन बनर्जी बने।[2] ९ दिसम्बर १८७३ को म्योर कॉलेज की आधारशिला टामस जार्ज बैरिंग बैरन नार्थब्रेक ऑफ स्टेटस सीएमएसआई द्वारा रखी गई। ये वायसराय तथा भारत के गवर्नर जनरल थे। म्योर सेंट्रल कॉलेज का आकल्पन डब्ल्यू एमर्सन द्वारा किया गया था और ऐसी आशा थी कि कॉलेज की इमारतें मार्च १८७५ तक बनकर तैयार हो जाएँगी। लेकिन इसे पूरा होने में पूरे बारह वर्ष लग गए। १८८८ अप्रैल तक कॉलेज के सेंट्रल ब्लॉक के बनाने में ८,८९,६२७ रुपए खर्च हो चुके थे। इसका औपचारिक उद्घाटन ८ अप्रैल १८८६ को वायसराय लार्ड डफरिन ने किया। २३ सितंबर १८८७ को एक्ट XVII पास हुआ और कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास विश्वविद्यालयों के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय उपाधि प्रदान करने वाला भारत का चौथा विश्वविद्यालय बन गया। इसकी प्रथम प्रवेश परीक्षा मार्च १८८९ में हुई।[3] अनुक्रम
उपलब्धियाँम्योर कॉलेज का प्रांगण अपने ११८ वर्ष के इतिहास में विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखी है। यह अपने पठन-पाठन के ढंग में, शोध कार्यक्रमों और अन्य शैक्षणिक विधियों में भारतीय समाज के अनुसार परिवर्तन करता रहा है। बहुत से नए विभाग बनाए गए और पूर्वस्थापित विभागों ने उच्च शिक्षा के स्तर को बनाए रखने के लिए नए क्षेत्रों में शोध कार्य आरंभ किए हैं। देश के अन्य राज्य-विश्वविद्यालयों के समान ही प्रवेश लेने वालों की भारी भीड़ के बीच इस विश्वविद्यालय को भी उच्च शिक्षा के स्तर को बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इस सम्बंध में विश्वविद्यालय प्रति छात्र संसाधनों की उपलब्धता और अध्यापक मण्डली और विद्यार्थियों में आमने-सामने के आदर्श व्यवहार को बनाए रखने में सफल रहा है। विभागकला संकाय
विज्ञान संकायविज्ञान विभाग
यूजीसी की १०वें योजना के अन्तर्गत स्थायी संकाय
यूजीसी की ११वें योजना के अन्तर्गत स्थायी संकाय
स्वतंत्र केन्द्र
The Centre is a UGC Centre of Excellence that has been set up with the support of the University Grants Commission (UGC) at University of Allahabad. The Centre was the first to offer a Master Degree course in Cognitive Science in India. कला संकाय के पाठ्यक्रम
व्यावसायिक शिक्षा संस्थान
अन्तर-विषयी शिक्षा संस्थान
परियोजना द्वारा वित्तपोषित केन्द्र
पुरातन छात्र
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
उत्तर प्रदेश का सबसे पुराना विश्वविद्यालय कौन सा है?इलाहाबाद विश्वविद्यालय एक सार्वजनिक केंद्रीय विश्वविद्यालय है जो इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह 23 सितंबर 1887 को स्थापित किया गया था, यह भारत के सबसे पुराने आधुनिक विश्वविद्यालयों में से एक है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना कब और किसने की?इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना 23 सितंबर, 1887 में हुई थी तथा यह भारत के चौथे सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है। यह संयुक्त प्रांत के लेफ्टिनेंट गवर्नर, सर विलियम म्योर की देख-रेख में स्थापित किया गया था व भवन का सर विलियम एमर्सन द्वारा डिजाइन किया गया था।
1887 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की थी?इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना 23 सितंबर, 1887 को हुई थी; यह भारत का चौथा सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। यह संयुक्त प्रांत के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर विलियम मुइर के तत्वावधान में स्थापित किया गया था, भवन सर विलियम इमर्सन द्वारा डिजाइन किया गया था।
भारत का सबसे पुराना विश्वविद्यालय कौन सा है?जिसके तहत आज हम आपको भारत की सबसे पुरानी 'नालंदा यूनिवर्सिटी' के बारे में बता रहे हैं। ये है कहलगांव के अंतीचक स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल ने 775-800 ईसवीं में की थी। इस विश्वविद्यालय में 12वीं शताब्दी में करीब तीन हजार विद्यार्थी अध्ययन करते थे।
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