हरछठ की पूजा में क्या लगता है? - harachhath kee pooja mein kya lagata hai?

हरछठ पूजा सामग्री लिस्ट Harchat Pooja Ki Samagri List हरछठ की कथा हरछठ माता की फोटो हरछठ पूजा की विधि: हरछठ पूजा या हलषष्ठी पूजा हर वर्ष पुत्र की लम्बी आयु के लिए पुत्रवती महिलाए करती है इस पर्व हरछत/हलषष्ठी पर्व का हिन्दू धर्म में बहुत ही ख़ास महत्व है ऐसे में आइये जाने हलषष्ठी/हरछठ पूजा सामग्री की लिस्ट ऑनलाइन देखें

Table Of Contents

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  • हरछठ पूजा सामग्री लिस्ट
  • हलषष्ठी पूजन विधि Harchat Pooja Vidhi in Hindi
  • हरछठ व्रत कथा हिंदी

हरछठ पूजा सामग्री लिस्ट

  • हलषष्ठी/हरछठ पूजा सामग्री लिस्ट निम्नवत है
  • भैंस का दूध (केवल पड़िया वाली भैंस)
  • महुआ
  • मिटटी के छोटे छोटे बर्तन या मटकी
  • मटकी की संख्या एक पुत्र होने पर सात मटकी ले
  • जब सात मटकी है तो सात दोना भी भरे
  • जिनके एक से अधिक संतान है वह दोंगा न भरे उनका काम मटकी से भी चल जाएगा
  • इस व्रत को यानी हलषष्ठी व्रत करने के लिए सुहागन का सामग्री भी चाहिए
  • फल
  • मिठाई
  • कवच या काला धागा बच्चे की कमर पर बाँधने के लिए
  • कलावा
  • सुपाड़ी
  • आरती के लिए कपूर
  • हलषष्ठी की किताब
  • लाल चावल जो हल से न जुती हुई हो
  • दही
  • कास की घास
  • नारियल
  • एक कलश

हलषष्ठी पूजन विधि Harchat Pooja Vidhi in Hindi

  • हलषष्ठी या हरछठ पूजा विधि निम्नवत है
  • सुबह में जल्दी उठे महुआ से दांत की सफाई करें
  • उसके बाद पूजा करें
  • पूजा करने के बाद कुछ खाना चाहे तो खाए
  • खाने में बिना हल से जूते अनाज का ही सेवन करें
  • अगर कच्चा मकान है तो भैंस के गोबर से घर की दिवार पर हलषष्ठी/हरछठ माता की फोटो बनाये
  • एपन से चित्र या फोटो का  श्रृंगार करें
  • पाटे पर कलश सजा दें
  • मिटटी के घड़े में महुआ का फल भरे
  • गणेश जी एंव माता गोरी की पूजा करें
  • उसके बाद छठ माता की पूजा या पूजन करें
  • सात घड़ो की पूजा करे या जितने भी उनकी पूजा करें
  • छठ माता की कथा करें एंव सुने
  • आरती करें उसके लिए हरछठ पूजा आरती का पाठ करें
  • महुआ के पत्ते पर महुआ का फल रखे फिर दही के साथ इसका सेवन करें
  • इस तरह से हरछठ पूजा सम्पूर्ण हो जाती है

हरछठ व्रत कथा हिंदी

हरछठ व्रत कथा: हर वर्ष महिलाए अपने पुत्र की लम्बी उम्र के लिए हरछठ का व्रत करती है ऐसे में हरछठ व्रत कथा भी किया जाता है अगर आपको हरछठ व्रत कथा पढ़ना है ऐसे में हमें हरछठ व्रत कथा पहले से लिखा हुआ है क्लिक से पढ़े

आज हलछठ है। इसे हलषष्टी, ललई छठ और हरछठ के नाम से भी जाना जाता है। संतान की इच्छुक एवं संतानवती महिलाओं को यह व्रत करना चाहिए। महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं। आज बलराम...

हरछठ की पूजा में क्या लगता है? - harachhath kee pooja mein kya lagata hai?

Pankaj Vijayलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSat, 28 Aug 2021 09:23 AM

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आज हलछठ है। इसे हलषष्टी, ललई छठ और हरछठ के नाम से भी जाना जाता है। संतान की इच्छुक एवं संतानवती महिलाओं को यह व्रत करना चाहिए। महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं। आज बलराम जयंती भी है। हरछठ व्रत बलराम जी की तरह बलशाली पुत्र की प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। हरछठ व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को होता है। 

बलराम को हलधर के नाम से भीम जाना जाता है और इसी वजह से इस दिन को हलषष्टी भी कहा जाता है। बलराम जयंती होने के चलते इस दिन किसान समुदाय के लोग खेती के पवित्र उपकरण जैसे मूसल और फावड़ा की पूजा करते हैं जिनका उपयोग भगवान बलराम ने किया था। 

जबलपुर। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता श्री बलरामजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन श्री बलरामजी का जन्म हुआ था। यह व्रत संतान की लम्बी आयु के लिए माताओं द्वारा रखा जाता है। पुत्रों की दीर्घायु और सुख-संपन्नता के लिए हल षष्ठी का व्रत बेहद की खास माना जाता है। क्षेत्र में हलछठ का पर्व श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया जाएगा। खासकर हलछठ का व्रत माताओं द्वारा पुत्रों की दीर्घायु के लिए रखा रखा जाता है। हलषष्ठी व्रत में महिलाएं प्रात:काल से ही स्नान आदि से निवृत होकर नित्यकर्म करने के पश्चात् हलषष्ठी व्रत धारण करने का संकल्प उत्तराभिमुख होकर करती हैं। बलराम जयंती पर होने वाले इस पर्व पर हल की पूजा अर्चना होती है। मध्यान्ह काल में पलाश, कांस एवं कुश के नीचे भगवान शिव पार्वती स्वामी कार्तिकेय एवं गणेशजी की मूर्ति स्थापित करके धूप दीप पुष्प आदि से भक्तिभाव से पूजन सम्पन्न किया जाता है। हलछठ की पूजा में महुआ, पसई के चांवल, चना, मक्का, ज्वार,सोयाबीन व धान की लाई व भैंस के दूध व गोबर का विशेष महत्व रहता है। हलछठ के दिन दोपहर में घर-आंगन में महुआ, बेर की डाल, कांस के फूल से हलछठ स्थापित कर श्रद्धाभाव से पूजा अर्चना की जाती है। सतगजरा **** तेल, चूड़ी, काजल, लकड़ी की ककई, बांस टुकनिया, आईना छोटी-छोटी डबली, नारियल, केला, ककड़ी का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

भारतभर में हरछठ (हलषष्ठी) व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता श्री बलरामजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन श्री बलरामजी का जन्म हुआ था। 

श्री बलरामजी का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है। इसी कारण उन्हें हलधर भी कहा जाता है। उन्हीं के नाम पर इस पर्व का नाम 'हलषष्ठी या हरछठ' पड़ा। भारत के कुछ पूर्वी हिस्सों में इसे 'ललई छठ' भी कहा जाता है।

हरछठ में क्या क्या सामग्री लगती है?

छठ व्रत पूजन सामग्री -दूध तथा जल के लिए एक ग्लास, एक लोटा और थाली। – गन्ने, जिसमें पत्ते लगे हों। – नारियल, जिसमें पानी हो। -चावल, सिंदूर, दीपक और धूप।

हरछठ की पूजा कैसे की जाती है क्या क्या लगता है?

Hal Shashti 2022 हलषष्ठी के पर्व में भगवान श्री कृष्ण के भाई दाऊ की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को बलराम जयंती भी कहा जाता है। इस दिन रवि योग भी बन रहा है। जानिए हलछठ पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के साथ महत्व।

हरछठ में कौन से भगवान की पूजा की जाती है?

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता श्री बलरामजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन श्री बलरामजी का जन्म हुआ था। श्री बलरामजी का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है। इसी कारण उन्हें हलधर भी कहा जाता है।

हरछठ की पूजा कितने बजे से है?

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हलषष्ठी अथवा हरछठ मनाई जाएगी। इसका शुभ मुहूर्त दिनांक 16 अगस्त 2022 दिन मंगलवार समय से प्रारंभ होकर रात्रि 08:17 बजे प्रारंभ होकर 17 अगस्त 2022 की रात्रि 08:24 बजे तक षष्ठी तिथि रहेगी।