गाय गाभिन है या नहीं कैसे पता चलता है? - gaay gaabhin hai ya nahin kaise pata chalata hai?

गाय गाभिन है या नहीं कैसे पता चलता है? - gaay gaabhin hai ya nahin kaise pata chalata hai?

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गाय गाभिन है या नहीं कैसे पता चलता है? - gaay gaabhin hai ya nahin kaise pata chalata hai?

कैसे पता करें कि गाय, भैंस गाभिन है या नहीं

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* पशु के हीट में आने के लक्षण में पतले पारदर्शी चमकीले तांते आते हैं, ये तांते अगर पशु के क्रास या AI कराने के बाद भी आते तो समझ जाना चाहिए कि भैंस ठहरी नहीं है, दुबारा फिर क्रास की जरूरत है। * पशु के हीट में आने के 12-14 घंटे के बाद 18 वें घंटे में क्रास करवाना चाहिए। इससे ठहरने की सम्भावना बढ़ जाती है। * ‌भैस क्रास कराने के 7-14 दिन में अगर पवासती , डोके डालती हैं तो समझ जाइए कि आपकी भैंस ठहर गयी है। 15 दिन के बाद दूध कम हो रहा है ये लक्षण भी पशु के ठहरने का है। * क्रास के 18-21 दिन पर दुबारा बोलती ,पतले तांते,जीरा दे तो जानिए कि भैंस ठहरी नहीं है। * सबसे ज्यादा कारगर तरीका के लिए आप अनुभवी पशु चिकित्सक से गुदा में हाथ डाल कर चैक 100% रिजल्ट मिलेगा।


गाय गाभिन है या नहीं है कैसे पता लगाएं?...


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गाय गाभिन है या नहीं कैसे पता लगे तो खासतौर से हैं आप दो-तीन तरीके अपना सकते हैं इसके लिए सरसों का तेल लगाए खाली पेट हो जब फ्री हो तब उसके जो पेशाब है मूत्र है उसको आपको सरसों के तेल में डाले वह सरसों में एक जगह इकट्ठा हो जाए पूरा एक ही बूंद बन जाए उसकी तब तो गाय गाभिन होगी और फैल जाता है टुकड़ों में छोटे-छोटे तो गाय गाभिन नहीं होगी दूसरे और भी तरीके हैं खासतौर से हैं आप है गाय का जो है अंग है जहां सीजन होता है उसको भी आप देख सकते हैं वह शिकरावा को खासतौर से है तो इसका मतलब दो-तीन महीने गाभिन है अगर ज्यादा घर भी नहीं तो फिर वह चिपक जाता है जिसे 500 महीने की फिल्म

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गाय-भैंस गाभिन है या नहीं, इसका पता लगाना अब आसान हो जाएगा। क्योंकि लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के विषय विशेषज्ञ गर्भधारण की पुष्टि करने के लिए एक किट पर शोध कर रहे हैं, शोध का काम अंतिम चरण में हैं। वैज्ञानिकों का मानना है अब गाय-भैंस के गर्भाधान के एक महीने के भीतर ही उनके गाभिन होने का पता चल जाएगा। अब तक पशुपालकों को डॉक्टर्स के पास जाना पड़ता है।

पशुओं में गर्भधारण की पुष्टि को लेकर परेशान रहने वाले किसानों की समस्या अब खत्म होने वाली है। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय अब ऐसी किट तैयार करने में जुटा है जिससे मूत्र से पशुओं में भी गर्भधारण का पता मात्र एक मिनट में ही लगाया जा सकेगा। इस कार्य के लिए अब तक ग्रामीण पशु के लक्षणों पशु चिकित्सकों पर ही आश्रित रहते थे। पशुपालक अपने घर पर ही बिना अस्पताल जाए भैंस के गर्भ की जांच कर सकेंगे। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक पिछले दो साल से इस प्रोजेक्ट पर लगे हुए थे।

शेड्यूल बिगड़ जाता है पशुपालकों का
पशुओं में गाभिन की जांच के लिए किसी प्रकार की किट नहीं होने से पशुपालकों का शेड्यूल बिगड़ जाता है। सबसे बड़ी समस्या घर में दूध की उपलब्धता की है। यदि समयानुसार पशु का गर्भधारण नहीं होता है तो इससे पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एंटीजन से गर्भ होने या नहीं हाेने का पता चलता है उसकी पहचान कर ली है। गर्भधारण जानने की किट आने के बाद पशुपालकों को सहुलियत हो जाएगी।

कई बार झूठे साबित हो जाते थे अनुमान
अब तक पशुपालकों को गाय-भैंस गाभिन है या नहीं इसके लिए पशु चिकित्सालय या डॉक्टरों की मदद का इंतजार करना पड़ता था। परंतु पशु चिकित्सकों की कमी के चलते ग्रामीणों को चिकित्सक का इंतजार करना पड़ता है और उसके लिए उसे पैसा भी खर्च करना पड़ता है। कुछ पशु के लक्षणों को ही देखकर अनुमान लगाते हैं, लेकिन कई बार उनके अनुमान झूठे साबित हो जाते हैं। यह किट ग्रामीणों को इस पूरे झंझट से छुटकारा दिलाएगी और केवल कुछ मिनटों में उन्हें पता चल जाएगा कि पशु गाभिन है या नहीं।

लंगड़ी बुखार
इस रोग में पाॅलीवेलेंट टीका दिया जाता है। गोवंशीय तथा भैंसवशीय पशुओं में पहला टीका 6 महीने की उम्र में दिया जाता है। इसके बाद हर साल दिया जाता है। टीके की मात्रा 5 मिली प्रति पशु (चमड़ी के नीचे) मानसून के आगमन के पहले देना चाहिए ।

गलघोटू का उपाय
इस रोग में एडजूवेंट टीका देते हैं। गोवंशीय तथा भैंसवंशीय पशुओं मं पहला टीका 6 महीने की उम्र और इसके बाद प्रति वर्ष दिया जाता है। टीके की मात्रा 2 मिली प्रति पशु (चमड़ी के नीचे) मानसून के आगमन के पहले देना चाहिए। भेड़ तथा बकरियों में एक मिली प्रति पशु (चमड़ी के नीचे) दें।

पशुपालकों को डॉक्टर के पास जाने से मिलेगी मुक्ति
गंदा पानी पीने से बीमारी का खतरा
अगले छह-सात महीने में पशुपालकों के पास होगी किट
पशुपालक घर बैठे ही किट के जरिए गाय-भैंस के यूरीन और दूध की जांच कर एक महीने के अंदर यह पता चल जाएगा कि गाय-भैंस प्रेग्नेट है या नहीं। इसके लिए उन्हें अस्पताल जाने की जरूरत नहीं होगी। अगले छह-सात महीने में गाभिन जानने की किट तैयार हो जाएगी। -डाॅ.पीके कपूर, निदेशक (को-ऑर्डिनेटर रिसर्च प्लानिंग एंड मॉनीटरिंग) लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय

गाभिन गाय की पहचान कैसे करें?

यदि समयानुसार पशु का गर्भधारण नहीं होता है तो इससे पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एंटीजन से गर्भ होने या नहीं हाेने का पता चलता है उसकी पहचान कर ली है। गर्भधारण जानने की किट आने के बाद पशुपालकों को सहुलियत हो जाएगी।

गाय गाभिन होने के कितने दिन बाद बच्चा देती है?

क्योंकि इनमें कई प्रकार के हारमोनल परिवर्तन होते हैं। गाय गाभिन होने के 9 माह 9 दिन भैंस गाभिन होने के 10 माह 10 दिन में बच्चा देती है। इसलिए पशु के गाभिन होने की तारीख का पता होना जरुरी होता है।

गाय गाभिन नहीं हो रही है क्या करें?

“अश्वगंधा” (विदेनिया सोमनीफेरा) के राइज़ोम्स 150 ग्राम, जिन्जेली बीज 150 ग्राम को अच्छी तरह से 2 मुर्गी के अण्डों और 2 केले के फलों में मिलाकर पेस्ट तैयार करें और पशु को 7 दिनों के लिए दें I यदि पशु तब भी गर्मी में नहीं आता तो 7 दिनों के अंतराल पर फिर से इलाज (केवल 1 दिन के लिए) दोहराएं।

गाभिन कैसे करें?

पशुपालन व्यवसाय के लिए भैंस को हर 12-14 महीने बाद ब्याना चाहिए और लगभग 10 महीने तक दूध भी देना चाहिए। लेकिन आमतौर दो ब्यात के बीच में 14-16 महीनों का अंतर होता है और यह रख रखाव और पशुओं के दिए जाने वाले आहार पर निर्भर करता है। भैंस में दो पूर्वकाल के बीच का समय 60 से 90 दिनों तक होना चाहिए।