Giloy ka Paudha – गिलोय लगाने और देखभाल का तरीका, गिलोय के पौधे की पहचान और गिलोय के फ़ायदे की जानकारी पढ़ें। गिलोय को आयुर्वेद में गुडूची, अमृता कहा गया है। गिलोय को English में Heart-leaved moonseed कहते हैं और इसका बोटैनिकल नाम Tinospora cordifolia है। गिलोय का पौधा पूरे भारत में किसी भी नर्सरी से मिल जाता है। Show
गिलोय का पौधा कैसा होता है, गिलोय की पहचान और फायदे | Giloy ka pedTable of Contents
गिलोय एक बेल वाला पौधा है जिसके पत्ते पान के पत्ते जैसे देखने में लगते हैं लेकिन गिलोय की पत्तियों का रंग हल्का हरा (धानी) होता है। गिलोय की पत्ती करीब 10 से 15 सेंटीमीटर लंबी होती हैं। गिलोय का तना करीब 2-2.5 सेंटीमीटर मोटा हो जाता है। गिलोय के तने पर सफेद-भूरी पतली छाल होती है जो आसानी से निकाल जाती है और अंदर गाढ़े हरे रंग का तना दिखने लगता है। गिलोय की बेल किसी पेड़, दीवार आदि के सहारे ऊपर बढ़ती है और बहुत तेजी से फैलती है। इसलिए बेहतर होगा कि आप गिलोय को किसी पेड़ की जड़ के आस-पास बोयें। नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय बेल आयुर्वेद के अनुसार सबसे फायदेमंद मानी जाती है। इस बात का ध्यान रखें कि गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़े वो कोई विषाक्त (जहरीला) न हो क्योंकि उसके कुछ गुण गिलोय में आ जाएंगे। अगर गिलोय के सहारे के लिए पेड़ न हो तो डोरी बांधकर गिलोय की लता चढ़ाई जा सकती है। गिलोय का पौधा कहीं भी उगाया जा सकता है। गिलोय को अमृता इसलिए भी कहा गया है क्योंकि यह बेल जल्दी मरती नहीं और थोड़ा भी अनुकूल वातावरण मिलते ही बढ़ने लगती है। Q: अमरबेल और गिलोय में अंतर A: अमरबेल पीले रंग की पतली बेल होती है जिसमें पत्तियाँ नहीं होती हैं। अमरबेल मकड़ी के जालों जैसी खूब घनी हो जाती हैं। गिलोय में हरे रंग की दिल के आकार (Heart shape) की पत्तियाँ होती हैं। गिलोय की लता के फायदे | Giloy benefits in hindiभारत में बहुत पुराने समय से गिलोय का उपयोग होता आ रहा है क्योंकि ये एक प्रभावी रोगप्रतिरोधक औषधि (Immunity booster) है।
पढ़ें> हरसिंगार की पत्ती का काढ़ा अद्भुत उपचार घर में गिलोय का पौधा कैसे लगाएं | Giloy ka paudha kaise lagayeगिलोय को लगाना बहुत आसान है और यह नाममात्र प्रयास से ही खूब फलने-फूलने लगती है। गिलोय को साल भर लगाया जा सकता है लेकिन इसका इसे लगाने का बेस्ट सीजन मई से जुलाई है। गिलोय लगाने के लिए साधारण मिट्टी पर्याप्त है लेकिन अगर आप मिट्टी में गोबर खाद, जैविक खाद आदि डालते हैं तो गिलोय में और अच्छी बढ़त दिखेगी। गिलोय का पौधा लगाने के 3 तरीके है –
1) गिलोय की कटिंग लगाने का तरीका | Giloy kaise ugayeइस तरीके में गिलोय की लता का 6-8 इंच लंबा टुकड़ा काट लिया जाता है जिसमें 3-4 नोड हों। इस कटिंग में कोई पत्ती हो तो उसे हटा दें, पत्ती की जरूरत नहीं है। इस कलम को 24 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। इसके बाद इस कलम को किसी छोटे गमले में लगभग आधा दबा कर बो दें और पानी डाल दें। इस गमले को किसी छाँव वाली जगह पर रख दें और रोज थोड़ा पानी डालते रहें जिससे मिट्टी न सूखे। 7 से 10 दिन में गिलोय की कलम पर पत्तियाँ आना शुरू हो जाएंगी। पढ़ें> अश्वगंधा का पौधा कैसे लगायें, अश्वगंधा के गजब फायदे जानें 2) गिलोय बेल से पौधा तैयार करना | Giloy plant in hindiगिलोय लगाने का यह तरीका बहुत आसान है। गिलोय बोने के इस तरीके में गिलोय की 60-70 सेंटीमीटर लंबी लता ले लीजिए। इसे करीब 3-4 बार मोड़ लें जिससे कि 6-8 इंच लंबाई में बन जाए। इस मुड़ी हुई लता को मिट्टी में करीब 80% दबाकर लगा दीजिए और पानी डाल दीजिए। अगर गमले में लगायें तो इसे कोने में रख दें जहाँ सीधे धूप न आती हो। हफ्ते भर बाद जब पत्तियाँ आने लगेंगी तो फिर Giloy ka paudha खुली जगह पर रख सकते हैं।
3) गिलोय के बीज से गिलोय का पौधा तैयार करना –गिलोय की पुरानी लता पर लाल-ऑरेंज कलर के छोटे-छोटे फल लगते हैं जिसके अंदर बीज होते हैं। गिलोय के फल को दबाकर बीज निकाल लें। इस बीज को 24 घंटे पानी में भिगो दें। पानी में भिगोने से बीजों के अंकुरण (Germination) की संभावना काफी बढ़ जाती है। अगले दिन बीज को निकालकर 1-1.5 इंच गहरे गड्ढे में डालकर मिट्टी से ढक दें और पानी डाल दें। 7-10 दिन में बीज अंकुरित हो जाएंगे। ध्यान दें कि बीजों के अंकुरित होने तक मिट्टी सूखने न पाए, बहुत ज्यादा पानी देने की जरूरत नहीं है बस मिट्टी नम बनी रहे। गिलोय के तने के टुकड़े को पानी में भी उगाया जा सकता है। किसी बोतल में पानी भरकर गिलोय के 8-10 इंच लंबे टुकड़े का 70% हिस्सा पानी में डूबा दें। जब इसमें जड़ें निकलने लगें तो इसे निकालकर जमीन या गमले में बोया जा सकता है। Giloy ka paudha कैसे लगायें, गिलोय का पौधा बोने की जानकारी से जुड़े सवाल और कमेन्ट नीचे लिखें। गिलोय के फायदे और गिलोय लगाने का तरीका अपने मित्रों, परिचितों के साथ व्हाट्सप्प शेयर जरूर करें जिससे कि अन्य लोग भी इस जानकारी का लाभ और उपयोग कर सकें। ये भी पढ़ें> हरसिंगार का पौधा किस दिन, किस दिशा में लगायें स्नेक प्लांट लगाने के बेहतरीन फायदे और कैसे लगाये 25 इनडोर प्लांट जो घर की हवा में ऑक्सीजन देते हैं मधुमालती की लता कैसे लगाएं, मधुमालती के फायदे sources : https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/28260522/ https://www.webmd.com/vitamins/ai/ingredientmono-1157/tinospora-cordifolia गिलोय के पत्ते को कैसे पहचाने?असली गिलोय की पहचान
गिलाेय के पत्ते दिल के आकार के और नीचे की ओर घूमे हुए होते हैं। पंखुडि़यों की सख्या छह होती है। फलों का गुच्छा गोलाकार या गेंद के आकार का होता है और ये लाल रंग का होता है। नकली गिलोय यानी टिनोस्पोरा क्रिस्पा का रंग धूसर होता है।
गिलोय के पत्ते कैसे रहते हैं?गिलोय बेल के रूप में बढ़ती है और इसकी पत्तियां पान के पत्ते की तरह होती हैं. गिलोय की पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा इसके तनों में स्टार्च की भी अच्छी मात्रा होती है. गिलोय का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों में किया जाता है.
गिलोय का पौधा कौन सा होता है?क्या है गिलोय: गिलोय का वनस्पतिक नाम टीनोस्पोरा कार्डियोफेलिया है, जिसे आयुर्वेद में गिलोय के नाम से जाना जाता है। संस्कृत में इसे अमृता कहा जाता है, क्योंकि यह कभी नहीं मरता है। गिलोय भारतीय मूल की बहुवर्षीय बेल है। इसके बीज काली मिर्च की तरह होते हैं।
गिलोय का दूसरा नाम क्या है?गिलोय को गुडूची (Guduchi), अमृता आदि नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़ती है उसके गुणों को भी अपने अंदर समाहित कर लेती है, इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की बेल को औषधि के लिहाज से सर्वोत्तम माना जाता है।
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