एसडीएम और कलेक्टर में क्या अंतर है - esadeeem aur kalektar mein kya antar hai

ज्यादातर लोग डीएम और कलेक्टर को लेकर कंफ्यूज रहते हैं। कुछ लोग जहां दोनों पद को अलग-अलग मानते हैं, तो कुछ लोग दोनों पदों को एक ही मानते हैं। साथ ही लोगों को इनकी जिम्मेदारियों के बारे में भी पता नहीं होता है। ऐसे में जरूरी है कि आपको इन दोनों पदों के बारे में पूरी और सही जानकारी होनी चाहिए। आइये जानते हैं कि डिस्ट्रिक्‍ट मजिस्‍ट्रेट (District Magistrate) यानी डीएम और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर (District Collector or DC) में क्‍या समानता और क्या अंतर है। साथ ही जानेंगे कि डीएम, एसडीएम और एक तहसीलदार को कितनी सैलरी मिलती है।

आजादी से पहले देश में न्‍याय शक्ति और कार्यकारी शक्ति एक ही व्‍यक्ति के पास होती थी। लेकिन संविधान लागू होने के बाद आर्टिकल 50 के तहत पब्लिक सर्विस को अलग कर दिया गया। इस प्रकार कलेक्टर और डीएम की जिम्मेदारियां और कार्यक्षेत्र अलग हो गए। डीएम को उनकी कार्यशक्ति दण्‍ड प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 से मिलती है। जबकि एक कलेक्टर को भूमि राजस्‍व संहिता (Land Revenue Code), 1959 से मिलती है। दोनों अधिकारियों का कार्य जिले के विभिन्‍न विभागों व एजेंसियों के बीच समन्‍वय बनाने का भी होता है। देश के ज्यादातर राज्यों में डीएम के कार्य में कलेक्‍टर की शक्तियों को भी निहित कर दिया गया है, इसीलिए कई लोग मानते हैं कि डीएम और कलेक्‍टर एक ही होते हैं। हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है।

जानें दोनों में क्या है अंतर-डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर
जिला स्तर पर राजस्व प्रबंधन से जुड़ा सबसे बड़ा अधिकारी डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ही होता है। राजस्व मामलों में, वह संभागीय आयुक्त और वित्तीय आयुक्त (राजस्व) के माध्यम से सरकार के प्रति उत्तरदायी होता है। जानें डिस्ट्रिक्‍ट कलेक्‍टर की प्रमुख जिम्मेदारियां क्‍या होती हैं-

- रेवेन्यू कोर्ट
- राहत एवं पुनर्वास कार्य।
- जिला बैंकर समन्वय समिति का अध्यक्षता।
- जिला योजना केंद्र की अध्यक्षता।
- भूमि अधिग्रहण का मध्यस्थ और भू-राजस्व का संग्रह।
- लैंड रिकॉर्ड से जुड़ी व्‍यवस्‍था।
- कृषि ऋण का वितरण।
- एक्साइज ड्यूटी कलेक्‍शन, सिंचाई बकाया, इनकम टैक्‍स बकाया व एरियर।
- राष्‍ट्रीयता, अधिवास, शादी, एससी/एसटी, ओबीसी, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग जैसे वैधानिक सर्टिफिकेट जारी करना।

डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट-
इन्‍हें अक्सर डीएम (DM) के रूप में संक्षिप्त किया जाता है। यह एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी होता है जो भारत में एक जिले के सामान्य प्रशासन के सबसे वरिष्ठ कार्यकारी मजिस्ट्रेट और मुख्य प्रभारी होते हैं। एक जिला मजिस्ट्रेट को सौंपी गई जिम्मेदारियां अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती हैं। मुख्‍यता उनकी जिम्‍मेदारी जिले में प्रशासनिक व्‍यवस्था बनाए रखने की होती है। विभिन्‍न राज्‍यों में डीएम की जिम्‍मेदारियों में अंतर होता है।

- जिले में कानून व्‍यवस्‍था बनाये रखना।
- पुलिस को नियंत्रित करना और निर्देश देना।
- मृत्यु दंड के कार्यान्वयन को प्रमाणित करना।
- अधीनस्थ कार्यकारी मजिस्ट्रेटों का निरीक्षण करना।
- डिस्ट्रिक्‍ट के पास जिले के लॉक-अप्‍स और जेलों के प्रबंधन की जिम्मेदारी होती है।
- डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की भूमिका में रहने वाले डिप्‍टी कमिश्‍नर ही आपराधिक प्रशासन का प्रमुख होता है।

डीएम की सैलरी
एक डीएम को शानदार सैलरी व भत्‍ता के अलावा कई अन्‍य सुविधाएं भी मिलती हैं। 7वें वेतनमान के अनुसार एक डीएम की सैलरी 1 लाख से 1.5 लाख रुपए प्रति महीने होती है। इसके अलावा इन्‍हें बंगला, गाड़ी, सुरक्षा गार्ड, मेडिकल, फोन आदि की सुविधा भी मिलती है।

सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के कार्य व सैलरी-
सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (Sub Divisional Magistrate) अपने डिवीजन का प्रमुख मजिस्ट्रेट होता है। डिवीजन के अंदर राजस्व कानून के तहत एसडीएम को कलेक्टर की सभी शक्तियां मिली होती हैं। एसडीएम के पदों पर अभ्यर्थियों का चयन राज्यों द्वारा प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू एग्जाम के आधार पर किया जाता है, इसलिए एसडीएम के सैलरी का निर्धारण भी राज्य सरकारों द्वारा ही किया जाता है, जिसके कारण सभी राज्यों में एसडीएम की सैलरी अलग-अलग होती है। हालांकि एक एसडीएम की मासिक सैलरी 50 से 60 हजार रुपए प्रतिमाह होती है। इसके अलावा उन्हें कई तरह के भत्ते, टीए, डीए, बंगला, गाड़ी, सुरक्षागार्ड जैसी कई सुविधाएं दी जाती हैं।

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तहसीलदार और नायब-तहसीलदार के कार्य व सैलरी
तहसील स्‍तर के प्रमुख को तहसीलदार कहा जाता है। तहसीलदार के अंदर नायब-तहसीलदार काम करता है, लेकिन दोनों की राजस्व और मजिस्ट्रेट जिम्‍मेदारी व कार्य एक समान होता है। राजस्व मामलों में, दोनों सहायक कलेक्टर, ग्रेड II की शक्तियों का उपयोग सर्कल राजस्व अधिकारियों के रूप में करते हैं। एक तहसीलदार को 15600 से लेकर 39100 रुपए प्रतिमाह तक सैलरी मिलती है। वहीं एक नायब-तहसीलदार को 9300 से लेकर 34800 रुपए प्रतिमाह सैलरी दी जाती है। इसके अलावा इन्‍हें कइ्र तरह के भत्‍ते, टीए, डीए, बंगला, गाड़ी आदि की सुविधा भी मिलती है।

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Difference between deputy collector and SDM in Hindi.डिप्टी कलेक्टर और एसडीएम की शक्तियों में अंतर

एसडीएम और कलेक्टर में क्या अंतर है - esadeeem aur kalektar mein kya antar hai


डिप्टी कलेक्टर और एसडीएम दोनों ही प्रशासनिक सेवा के महत्वपूर्ण पद है, परंतु इन दोनों ही पदों में शक्तियों एवं कार्यों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण अंतर है ,डिप्टी कलेक्टर और एसडीएम की शक्तियों एवं कार्यों में प्रमुख अंतर [Difference between work and power of  deputy collector and SDM in Hindi] नीचे दिए गए हैं

डिप्टी कलेक्टर [उप जिला अधिकारी ]अपना कार्य राज्य के लैंड रिवेन्यू एक्ट के प्रावधानों के तहत करते हैं, जबकि उपखंड मजिस्ट्रेट या एसडीएम अपना कार्य दंड प्रक्रिया संहिता [सीआरपीसी] के प्रावधानों के अनुसार करते हैं।

डिप्टी कलेक्टर को किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने लाठीचार्ज करने धारा 144 लागू करने आदि से संबंधित शक्तियां नहीं होती है, जबकि SDM उपरोक्त सभी शक्तियों का प्रयोग सीआरपीसी 1973 के सेक्शन 20 की सबसेक्शन 4 के अनुसार इन शक्तियों का प्रयोग करते हैं।

डिप्टी कलेक्टर अपने अधिकार क्षेत्र में कानून व्यवस्था को लागू करवाने हेतु जिम्मेदार नहीं होते हैं जबकि एसडीएम अपने उपखंड (जो कि सामान्यतः एक या एक से अधिक तहसीलों को सम्मिलित करके बनाया जाता है) में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

डिप्टी कलेक्टर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने संबंधी आदेश नहीं दे सकते हैं जबकि एसडीएम सीआरपीसी 1973 के सेक्शन 44 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के आदेश जारी कर सकते हैं।

मध्यप्रदेश में डिप्टी कलेक्टर की शक्तियों का स्रोत एमपी लैंड रिवेन्यू एक्ट 1959 जबकि एसडीएम की शक्तियों का स्रोत सीआरपीसी के विभिन्न प्रावधान है।

एक डिप्टी कलेक्टर के पास राजस्व संबंधी शक्तियां होती है जबकि एक SDM के पास दंडाधिकारी एवं न्यायिक शक्तियां होती है।

 डिप्टी कलेक्टर को अपने कार्य एवं शक्तियों का आवंटन राज्य सरकार एवं संबंधित जिले के कलेक्टर के द्वारा किया जाता है जबकि एसडीएम को अपने कार्य करने हेतु शक्तियां CRPC-1973 के तहत स्वतः प्राप्त होती है.

 उपरोक्त बिंदु के अलावा यह बात भी महत्वपूर्ण है कि सभी डिप्टी कलेक्टर एसडीएम नहीं होते हैं साथ ही सभी एसडीएम भी डिप्टी कलेक्टर नहीं होते हैं,

 वेतन एवं सुविधाओं के दृष्टिकोण से डिप्टी कलेक्टर और एसडीएम में कोई अंतर नहीं है इन दोनों पदों पर वेतन एवं सामान्य रूप से मिलने वाली सुविधाएं समान ही होती है इन दोनों पदों का प्रथम नियुक्ति के समय मूल वेतन 56100 रुपए होता है।

 आशा है कि आप को उपरोक्त वर्णन को पढ़ने के बाद डिप्टी कलेक्टर एवं एसडीएम के कार्य एवं शक्तियों में अंतर स्पष्ट हो गया होगा,

 एसडीएम एवं डिप्टी कलेक्टर को मिलने वाली विभिन्न सुविधाएं जैसे वेतन ,आवास ,वाहन ,सुरक्षा गार्ड एवं अन्य सुविधाओं के बारे में जानने के लिए-  यहां क्लिक करें-

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जिला कलेक्टर को हिंदी में क्या कहते हैं?

वहीं जिला मजिस्ट्रेट को जिले का डीसी या डीएम भी कहा जाता है और उसे उपायुक्त या जिला कलेक्टर कहा जाता है. जिला मजिस्ट्रेट भारतीय प्रशासन सेवा (आईएएस) का एक अधिकारी है, भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के संगठन से अधिकारियों को सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों या जिलों में तैनात किया जाता है.

कलेक्टर कितने प्रकार के होते हैं?

जिला मजिस्ट्रेट या कलेक्टर के कार्य और दायित्वों को निम्न रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है:.
कलेक्टर.
जिला मजिस्ट्रेट.
डिप्टी कमिश्नर.
मुख्य प्रोटोकॉल अधिकारी.
मुख्य विकास अधिकारी.
निर्वाचन अधिकारी.

डिप्टी कलेक्टर में क्या अंतर है?

डिप्टी कलेक्टर / उप जिला कलेक्टर आमतौर पर एक तहसीलदार होते हैं जो जिला राजस्व अधिकारी (डीआरओ) में रिपोर्ट करते हैं जिन्हें अतिरिक्त जिला कलेक्टर भी कहा जाता है और जिले के लिए राजस्व विभाग के समग्र प्रभारी हैं, डीआरओ बदले में जिला कलेक्टर में रिपोर्ट करते हैं (जिसे जिला आयुक्त भी कहा जाता है) जो सभी विभागों में जिले के ...

कलेक्टर का फुल फॉर्म क्या है?

Collector को हिंदी में क्या कहते हैं कलेक्टर को हिंदी में जिलाधीश ,डिस्टिक कलेक्टर, जिला मजिस्ट्रेट आदि नामों से जाना जाता है.