Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब Textbook Exercise Questions and Answers. Show
JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहबJAC Class 10 Hindi बड़े भाई साहब Textbook Questions and Answersमौखिक – (क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए – प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न
4. प्रश्न 5. लिखित – (क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए – प्रश्न 1. प्रश्न
2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. (ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए – प्रश्न 1. बड़े भाई साहब ने स्वयं को आदर्श रूप में प्रस्तुत करते हुए स्वयं को सभी प्रकार के खेलों से दूर रखा। उन्होंने एक पिता के समान छोटे भाई पर पूरा नियंत्रण रखा और उसे पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित किया। यदि बड़े भाई साहब छोटे भाई को न डाँटते, तो वह पढ़ने-लिखने में अपना ध्यान बिलकुल न लगाता और अव्वल आना तो दूर, वह पास भी न हो पाता। निश्चित रूप से छोटे भाई के अव्वल आने में बड़े भाई साहब की डाँट-फटकार का पूरा योगदान था। प्रश्न 2. इस इतिहास का वर्तमान से कोई संबंध नहीं है और इसे पढ़कर विद्यार्थी कोई बहुत बड़ा नाम भी नहीं कमा लेखक की यह बात बिलकुल सही है कि विद्यार्थियों को आजकल जो कुछ पढ़ाया जा रहा है, वह उचित नहीं है। यह पढ़ाई-लिखाई उनके जीवन में कोई बदलाव लाने वाली नहीं है। यह पढ़ाई उन्हें किसी प्रकार से आत्मनिर्भर बनाने में भी सक्षम नहीं है। अतः हम लेखक के विचारों से पूर्णत: सहमत हैं। प्रश्न
3. प्रश्न 4. बड़े भाई साहब छोटे भाई को बड़े ही सुंदर ढंग से समझाते हैं कि पढ़-लिखकर पास होना और जीवन की समझ होना-दोनों अलग-अलग बातें हैं। वे चाहे परीक्षा में पास न हुए हों, किंतु उनके पास जीवन का अनुभव अधिक है। परीक्षा में केवल पास होना ही बड़ी बात नहीं है अपितु अच्छे-बुरे समय में अपने आपको उसके अनुसार ढाल लेना बड़ी बात है। बड़े भाई साहब उसे अपनी माता, दादा और हेडमास्टर साहब का उदाहरण देकर समझाते हैं कि जीवन में अनुभव की अधिक आवश्यकता है और उनके पास उससे कहीं ज्यादा अनुभव है। बड़े भाई साहब की ऐसी विद्वत्तापूर्ण बातों को सुनकर छोटे भाई के मन में उनके प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो गई थी। प्रश्न 5. (ii) गंभीर – बड़े भाई साहब गंभीर प्रवृत्ति के हैं। वे हर समय किताबों में खोए रहते हैं। वे अपने छोटे भाई के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते हैं, इसलिए वे सदा अध्ययनशील रहते हैं। उनका गंभीर स्वभाव ही उन्हें विशिष्टता प्रदान करता है। (iii) वाक् कला में निपुण – बड़े भाई साहब वाक् कला में निपुण हैं। वे अपने छोटे भाई को ऐसे-ऐसे उदाहरण देकर बताते हैं कि वह उनके आगे नतमस्तक हो जाता है। उन्हें शब्दों को सुंदर ढंग से प्रस्तुत करना आता है। यही कारण है कि वे अपने छोटे भाई पर अपना पूरा दबदबा बनाए रखते हैं। (iv) वर्तमान शिक्षा-प्रणाली का विरोधी – बड़े भाई साहब वर्तमान शिक्षा-प्रणाली के विरोधी हैं। उनके अनुसार यह शिक्षा प्रणाली किसी प्रकार से भी लाभदायक नहीं है। यह विद्यार्थियों को कोरा किताबी ज्ञान देती है, जिसका वास्तविक जीवन में कोई लाभ नहीं होता। विद्यार्थी को ऐसी-ऐसी बातें पढ़ाई जाती हैं, जिनका उसके भावी जीवन से कोई संबंध नहीं होता। वे ऐसी शिक्षा-प्रणाली पर व्यंग्य करते हुए इसे दूर करने की बात कहते हैं। प्रश्न 6. प्रश्न 7. (ख) भाई साहब अपने छोटे भाई को अनेक उदाहरण देकर घमंड न करने और जीवन में आगे बढ़ने को प्रेरित करते हैं। जब वे छोटे भाई को अपनी माता, दादा और हेडमास्टर साहब के विषय में बताते हैं, तो उनके द्वारा कही गई तर्कपूर्ण एवं सटीक बातों से पता चलता है कि उन्हें जिंदगी का अच्छा अनुभव है। (ग) पाठ के अंत में जब भाई साहब एक पतंग की डोर को उछलकर पकड़ लेते हैं और होस्टल की ओर दौड़ते हैं, तो उनके इस व्यवहार से पता चलता है कि बड़े भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है। (घ) छोटे भाई साहब को समय-समय पर पढ़ने-लिखने की ओर ध्यान लगाने के लिए कहते हैं। वे उसे समझाते हुए कहते हैं कि वे उसे किसी भी सूरत में गलत राह पर चलने नहीं देंगे। भाई साहब स्वयं एक आदर्श बनकर लेखक को जीवन में परिश्रम करने की शिक्षा देते हैं। उनकी डाँट-फटकार के पीछे भी उनका उद्देश्य लेखक का भला चाहना है। इससे स्पष्ट है कि बड़े भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं। (ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए – प्रश्न 1. प्रश्न 2. लेखक कहता है कि जिस प्रकार मौत और विपत्ति से घिरा हुआ मनुष्य भी मोह-माया के बंधनों से नहीं निकल पाता, उसी प्रकार बड़े भाई साहब की फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी छोटा भाई अपने खेल-कूद को नहीं छोड़ सकता था। वह अपने खेलकूद के कारण अनेक प्रकार की डाँट-फटकार सहन करता था, लेकिन खेलकूद का मोह छोड़ पाना उसके लिए संभव नहीं था। प्रश्न 3. प्रश्न 4. भाषा-अध्ययन – प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
प्रश्न 3. तालीम, जल्दबाज़ी, पुख्ता, हाशिया, चेष्टा, जमात, हर्फ़, सूक्तिबाण, जानलेवा, आँखफोड़, घुड़कियाँ, आधिपत्य, पन्ना, मेला-तमाशा, मसलन, स्पेशल, स्कीम, फटकार, प्रातःकाल, विद्ववान, निपुण, भाई साहब, अवहेलना, टाइम-टेबिल उत्तर : प्रश्न 4. प्रश्न 5. योग्यता विस्तार – प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. परियोजना कार्य – प्रश्न 1. प्रश्न 2. JAC Class 10 Hindi बड़े भाई साहब Important Questions and Answersनिबंधात्मक प्रश्न – प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न
3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. लघु उत्तरीय प्रश्न – प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न
5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. बड़े भाई साहब Summary in Hindiलेखक-परिचय : जीवन-प्रेमचंद हिंदी साहित्य के ऐसे प्रथम लेखक हैं, जिन्होंने साहित्य का नाता जनजीवन से जोड़ा। उन्होंने अपने कथा साहित्य को सामान्य जन के चित्रण द्वारा सजीव बना दिया है। उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त आर्थिक और सामाजिक विषमता को बड़ी निकटता से देखा था। यही कारण है कि उनके उपन्यासों एवं कहानियों में जीवन की यथार्थ अभिव्यक्ति का सजीव चित्रण उपलब्ध होता है। प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के लमही नामक गाँव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम धनपत राय था। आरंभ में वे नवाबराय के नाम से उर्दू में लिखते थे। बदलते युग के प्रभाव ने उनको हिंदी की ओर आकृष्ट किया। उन्होंने सदा वही लिखा, जो उनकी आत्मा ने कहा। वे मुंबई में पटकथा लेखक के रूप में अधिक समय तक इसलिए कार्य नहीं कर पाए क्योंकि वहाँ उन्हें फिल्म निर्माताओं के निर्देशों के अनुसार लिखना पड़ता था। उन्हें तो स्वतंत्र लिखना ही अच्छा लगता था। जीवन में निरंतर विकट परिस्थितियों का सामना करने के कारण प्रेमचंद का शरीर जर्जर होता चला गया। निरंतर साहित्य साधना करते हुए 8 अक्टूबर सन 1936 को उनका स्वर्गवास हो गया। रचनाएँ – प्रेमचंद प्रमुख रूप से कथाकार थे। उन्होंने जो कुछ भी लिखा, वह समाज की मुँह बोलती तसवीर है। उन्होंने समाज के सभी वर्गों को अपनी रचनाओं का विषय बनाया; परंतु निर्धन, पीड़ित एवं पिछड़े हुए वर्ग के प्रति उनकी विशेष सहानुभूति थी। उन्होंने शोषक एवं शोषित दोनों वर्गों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं उपन्यास-वरदान, सेवा-सदन, प्रेमाश्रय, रंगभूमि, कायाकल्प, निर्मला, प्रतिज्ञा, गबन, कर्मभूमि, गोदान एवं मंगल सूत्र (अपूर्ण)। कहानी संग्रह – प्रेमचंद ने लगभग 400 कहानियों की रचना की। उनकी प्रसिद्ध कहानियाँ ‘मानसरोवर’ कहानी संग्रह के आठ भागों में संकलित हैं। भाषा पूर्ण रूप से पात्रानुकूल है। इस कहानी में तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशी शब्दों का सुंदर मिश्रण है। कथा-संगठन, चरित्र-चित्रण एवं कथोपकथन की दृष्टि से भाषा बेजोड़ है। भाषा में मुहावरों, लोकोक्तियों तथा सूक्तियों के प्रयोग से सजीवता आ गई है। इस कहानी में उन्होंने आड़े हाथों लेना, घाव पर नमक छिड़कना, नामों-निशान मिटा देना, ऐरा-गैरा नत्थू खैरा, सिर फिरना, अंधे के हाथ बटेर लगना, दाँतों पसीना आना, लोहे के चने चबाना, पापड़ बेलना, आटे-दाल का भाव मालूम होना, गाँठ बाँधना जैसे अनेक मुहावरों का सटीक प्रयोग किया है। देशज शब्दों के प्रयोग से उन्होंने भाषा को प्रसंगानुकूल बनाकर प्रवाहमयी बना दिया है। ‘बड़े भाई साहब’ कहानी आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई है, जिसमें कथानायक स्वयं कहानी सुना रहा है। कहीं-कहीं संवादात्मक शैली का प्रयोग है, जिससे कहानी में नाटकीयता आ गई है। शैली में सरसता और रोचकता सर्वत्र विद्यमान है। पाठका सार – ‘बड़े भाई साहब’ कहानी प्रेमचंद द्वारा आत्मकथात्मक शैली में लिखी एक श्रेष्ठ कहानी है। इस कहानी में उन्होंने बड़े भाई साहब के माध्यम से घर में बड़े भाई की आदर्शवादिता के कारण उनके बचपन के तिरोहित होने की बात कही है। बड़ा भाई सदा छोटे भाई के सामने अपना आदर्श रूप दिखाने के कारण कई बार अपने ही बचपन को खो देता है। बड़े भाई साहब और उनके छोटे भाई में पाँच वर्ष का अंतर है, किंतु वे अपने छोटे भाई से केवल तीन कक्षाएँ ही आगे हैं। बड़े भाई साहब सदा पढ़ाई में डूबे रहते हैं, लेकिन उनके छोटे भाई का खेलकूद में अधिक मन लगाता है। दोनों भाई होस्टल में रहते हैं। बड़े भाई साहब प्राय: छोटे भाई को उसकी खेलकूद में अधिक रुचि के कारण डाँटते रहते हैं। वे उसे उनसे सीख लेने की बात कहते हैं। उनका कहना है कि वे बहुत मेहनत करते हैं; खेलकूद और खेल-तमाशों से दूर रहते हैं, इसलिए उसे उनसे सबक लेना चाहिए। वे छोटे भाई से कहते हैं कि यदि वह मेहनत नहीं कर सकता, तो उसे घर वापस लौट जाना चाहिए। उनकी ऐसी बातें सुनकर छोटा भाई निराश हो जाता है। कुछ देर बाद वह जी लगाकर पढ़ने का निश्चय करता है और एक टाइम-टेबिल बना लेता है। वह अपने इस टाइम-टेबिल में खेलकूद को कोई स्थान नहीं देता, लेकिन शीघ्र ही उसका टाइम-टेबिल खेलकूद की भेंट चढ़ जाता है और वह फिर से खेलकूद में मस्त हो जाता है। बड़े भाई साहब की डाँट और तिरस्कार से भी वह अपने खेलकूद को नहीं छोड़ पाता। कुछ समय बाद वार्षिक परीक्षाएँ हुईं। बड़े भाई साहब कठिन परिश्रम करके भी फेल हो गए, किंतु छोटा भाई प्रथम श्रेणी से पास हो गया। धीरे-धीरे छोटा भाई खेलकूद में अधिक मन लगाने लगा। बड़े भाई साहब से यह देखा नहीं गया। वे उसे रावण का उदाहरण देकर समझाते हैं कि घमंड नहीं करना चाहिए। घमंड करने से रावण जैसे चक्रवर्ती राजा का भी अस्तित्व मिट गया था; शैतान और शाहेरूम भी अभिमान के कारण नष्ट हो गए थे। छोटा भाई उनके इन उपदेशों को चुपचाप सुनता रहा। वे कहते हैं कि उनकी नौवीं कक्षा की पढ़ाई बहुत कठिन है। अंग्रेजी, इतिहास, गणित तथा हिंदी आदि विषयों में पास होने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। उन्होंने अपनी कक्षा की पढ़ाई का ऐसा भयंकर चित्र खींचा कि छोटा भाई बुरी तरह से डर गया। दोबारा वार्षिक परीक्षाएँ हुईं। इस बार भी बड़े भाई साहब फेल हो गए और छोटा भाई पास हो गया। बड़े भाई साहब बहुत दुखी हुए। छोटे भाई की अपने बारे में यह धारणा बन गई कि वह चाहे पढ़े या न पढ़े, लेकिन पास हो ही जाएगा। अतः उसने पढ़ाई करना बंद करके खेलकूद में ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया। बड़े भाई साहब भी अब उसे कम डाँटते थे। धीरे-धीरे छोटे भाई की स्वच्छंदता बढ़ती गई। उसे पतंगबाजी का नया शौक लग गया। अब वह सारा समय पतंगबाजी में नष्ट करने लगा, किंतु वह अपने इस शौक को बड़े भाई साहब से छिपकर पूरा करता था। एक दिन वह एक पतंग लूटने के लिए पतंग के पीछे-पीछे दौड़ रहा था कि अचानक बाजार से लौट रहे बड़े भाई साहब से टकरा गया। उन्होंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे डाँटते हुए कहा कि अब वह आठवीं कक्षा में है। अतः उसे अपनी पोजीशन का ख्याल करना चाहिए। पहले ज़माने में तो आठवीं पास नायब तहसीलदार तक बन जाया करते थे। बड़े भाई साहब उसे समझाते हुए कहते हैं कि जीवन में किताबी ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति का अनुभव होता है और उन्हें उससे कहीं ज्यादा अनुभव है। वे अपनी माँ, दादा अपने स्कूल के हेडमास्टर साहब और उनकी माँ का उदाहरण देकर बताते हैं कि जिंदगी में केवल किताबी ज्ञान से ही काम नहीं चलता अपितु जिंदगी की समझ भी जरूरी होती है, जो केवल अनुभव से आती है। … बड़े भाई साहब के ऐसा समझाने पर छोटा भाई उनके आगे नतमस्तक होकर कहता है कि वे जो कुछ कह रहे हैं, वह बिलकुल सच है। बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई को गले लगा लेते हैं। वे कहते हैं कि उनका भी मन खेलने-कूदने का करता है, लेकिन यदि वे ही खेलने-कूदने लगेंगे तो उसे क्या शिक्षा दे पाएँगे? तभी उनके ऊपर से एक कटी हुई पतंग गुजरती है, जिसकी डोर नीचे लटक रही थी। बड़े भाई साहब ने लंबे होने के कारण उसकी डोर पकड़ ली और तेजी से होस्टल की ओर दौड़ पड़े। उनका छोटा भाई भी उनके पीछे-पीछे दौड़ रहा था। कठिन शब्दों के अर्थ : दरजा – श्रेणी, तालीम – शिक्षा, बुनियाद – नींव, पुख्ता — मज़बूत, तंबीह – डाँट-डपट, हुक्म – आदेश, सामंजस्य – तालमेल, मसलन – उदाहरणतः, इबारत – लेख, चेष्टा – कोशिश, जमात – कक्षा, होस्टल – छात्रावास, हर्फ – अक्षर, मिहनत (मेहनत) – परिश्रम, सबक – सीख, बर्बाद – नष्ट, लताड़ – डाँट-डपट, निपुण – कुशल, सूक्ति-बाण – व्यंग्यात्मक कथन, तीखी बातें, चटपट – उसी क्षण, टाइम-टेबिल – समय-सारणी, स्कीम – योजना, अमल करना – पालन करना, अवहेलना – तिरस्कार, नसीहत – सलाह, फजीहत – अपमान, तिरस्कार – उपेक्षा, विपत्ति – मुसीबत, सालाना इम्तिहान – वार्षिक परीक्षा, हमदर्दी – सहानुभूति, लज्जास्पद – शर्मनाक, शरीक – शामिल, ज़ाहिर – स्पष्ट, आतंक- भय, अव्वल – प्रथम, असल – वास्तविक, आधिपत्य – साम्राज्य, स्वाधीन – स्वतंत्र, महीप – राजा, कुकर्म – बुरा काम, अभिमान – घमंड, निर्दयी – क्रूर, मुमतहीन – परीक्षक, परवाह – चिंता, फायदा – लाभ, प्रयोजन – उद्देश्य, खुराफ़त – व्यर्थ की बातें, हिमाकत – बेवकूफ़ी, किफ़ायत – बचत (से), दुरुपयोग – अनुचित उपयोग, निःस्वाद – बिना स्वाद का, ताज्जुब – आश्चर्य, हैरानी, टास्क – कार्य, जलील – अपमानित, प्राणांतक – प्राण लेने वाला, प्राणों का अंत करने वाला, कांतिहीन – चेहरे पर चमक न होना, स्वच्छंदता – आज़ादी, सहिष्णुता – सहनशीलता, कनकौआ – पतंग, अदब – इज्जत, पथिक – यात्री, मिडलची – आठवीं पास, जहीन – प्रतिभावान, महज़ – केवल, समकक्ष – बराबर, तुजुर्बा – अनुभव, मरज़ – बीमारी, बदहवास – बेहाल, मुहताज (मोहताज) – दूसरे पर आश्रित होना, कुटुंब – परिवार, इंतज़ाम – प्रबंध, बेराह – बुरा रास्ता, लघुता – छोटापन, जी – मन। ढेले चुन लो के माध्यम से लेखक ने क्या बताना चाहा है?लेखक इस दोहे के माध्यम से मनुष्य पर व्यंग्य करता है। उसके अनुसार मनुष्य को भविष्य का निर्धारण मिट्टी के ढेलों के आधार पर करना मूर्खता है। ढेले किसी का भाग्य बना नहीं सकते हैं। अलबत्ता उसे ऐसी स्थिति में अवश्य डाल सकते हैं, जहाँ उसे जीवनभर के लिए पछताना पड़े।
ढेले चुन लो लघु निबन्ध के आधार पर बताइए कि प्राचीन काल में ढेलों द्वारा किसका चुनाव किया जाता था और कैसे?'ढेले चुन लो' निबंध के माध्यम से लेखक ने प्राचीन काल में जीवनसाथी चुनने की प्रचलित मान्यताओं का चित्रण किया है। प्राचीन वैदिक काल में जीवनसाथी का चुनाव करने के लिए हिंदू लोगों में मिट्टी के ढेले द्वारा लाटरी पद्धति चलती थी। जिसमें विवाह योग्य युवक कन्या के घर जाता और अपने साथ कुछ मिट्टी के ढेले लेकर जाता था।
ढेले चुन लो '( ढेले चुनलो )- सुमिरनी के मनके -[ पण्डित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी ]- गद्य खण्ड- अंतरा- Summary. ढेले चुनलो निबंध के माध्यम से लेखक ने लोक विश्वासों में निहित अंधविश्वासों पर चोट की है ।
लेखक घड़ी के पुर्जे पाठ के माध्यम से क्या संदेश देना चाहते हैं?इस निबंध का मूल प्रतिपाद्य यह है कि लेखक ने इस निबंध के माध्यम से धर्मचार्यों के दोहरे मापदंड पर व्यंग किया है। लेखक के स्पष्ट करना चाहता है कि धर्माचार्य लोग धर्म की गूढ़ बातों को अपने तक सीमित रख कर लोगों में एक रहस्य की स्थिति पैदा करके रखते हैं। वह धर्म की बारीकियों को सबको बताने का प्रयत्न नहीं करते।
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