क्यों नहीं होती ब्रह्माजी की पूजा, जानिए कौन हैं ब्रह्माजी की पत्नी?पूरे भारत में ब्रह्माजी का एक ही ख्यात मंदिर है जो राजस्थान के पुष्कर में है. पूरे भारत में इसी मंदिर पर ब्रह्माजी की पूजा की जाती है. लेकिन हिन्दू धर्म में ब्रह्माजी की पूजा क्यों नहीं की जाती है? क्या आप इस बारे में जानते हैं.Last updated Sep 26, 2022 142 0 Show
हिन्दू धर्म में तीन प्रमुख देवता हैं. ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी शिव. इन तीनों में से भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा तो सभी करते हैं लेकिन आपने किस को ब्रह्माजी की पूजा करते हुए नहीं देखा होगा. पूरे भारत में ब्रह्माजी का एक ही ख्यात मंदिर है जो राजस्थान के पुष्कर में है. पूरे भारत में इसी मंदिर पर ब्रह्माजी की पूजा की जाती है. लेकिन हिन्दू धर्म में ब्रह्माजी की पूजा क्यों नहीं की जाती है? क्या आप इस बारे में जानते हैं. ब्रह्माजी का परिचयसनातन धर्म के अनुसार ब्रह्माजी सृजन के देव हैं. इन्हें सृष्टि का सर्जक बताया गया है. इनके चार मुख हैं जो चार दिशाओं में देखते हैं. इन्हें धर्म पिता भी कहा जाता है. हिन्दू धर्म के चारों वेद ब्रह्माजी को समर्पित हैं. ब्रह्माजी की पत्नी कौन है?ब्रह्माजी की पत्नी को लेकर अक्सर विवाद रहता है कहा जाता है कि उन्होंने अपनी ही बेटी से विवाह किया था लेकिन ऐसा नहीं है. ब्रह्माजी की पाँच पत्नी थी जिनका नाम सावित्री, गायत्री, श्रद्धा, मेधा और सरस्वती है. इनमें कई बार सरस्वती को ब्रह्माजी की पुत्री बताया जाता है लेकिन ज्ञान की देवी सरस्वती ब्रह्मा जी की पत्नी थीं. ब्रह्माजी की पूजा क्यों नहीं होतीहिन्दू धर्म में ब्रह्माजी पूजनीय हैं लेकिन फिर भी उनकी पूजा नहीं की जाती है, न ही उनके मंदिर हैं. आखिर ऐसा क्यों है? इसके पीछे एक श्राप है जो उन्हें उनकी पत्नी सावित्री ने दिया था. एक कथा के मुताबिक राजस्थान के पुष्कर में ब्रह्माजी को एक यज्ञ करना था. इस यज्ञ में ब्रह्माजी को अपनी पत्नी सावित्री के साथ बैठना था लेकिन सावित्री को यज्ञ स्थल पर पहुंचने में देर हो गई. यज्ञ का समय निकला जा रहा था. ऐसी स्थिति में ब्रह्माजी ने स्थानीय ग्वाल बाला गायत्री से शादी की और यज्ञ में बैठ गए. गायत्री राजस्थान के पुष्कर की ही रहने वाली थी और वेदज्ञान में पारंगत थी. ब्रह्माजी ने विवाह किया और सावित्री फिर देर से यज्ञ में पहुंची. सावित्री ने जब ब्रह्माजी को किसी और महिला के साथ यज्ञ में बैठ हुआ देखा तो वे अत्यंत क्रोधित हुई. क्रोध में सावित्री ने ब्रह्माजी को श्राप दिया और कहा कि पृथ्वी लोक में कहीं तुम्हारी पूजा नहीं होगी. सावित्री का क्रोधित स्वरूप देखकर सभी देवता डर गए और उन्होंने सावित्री से श्राप वापस लेने की विनती की. जब सावित्री का गुस्सा ठंडा हुआ तो सावित्री ने कहा कि इस धरती पर सिर्फ पुष्कर में आपकी पूजा होगी, यदि कोई दूसरा मंदिर बनाएगा तो उसका विनाश हो जाएगा. यहीं कारण है कि सिर्फ पुष्कर में ही ब्रह्माजी का मंदिर है और सिर्फ वहीं पर ब्रह्माजी की पूजा की जाती है. ब्रह्माजी के पुत्रब्रह्माजी के पुत्रों की संख्या 59 बताई जाती है जिसमें प्रमुख पुत्र विष्वकर्मा, अधर्म, अलक्ष्मी, आठवसु, चार कुमार, 14 मनु, 11 रुद्र, पुलस्य, पुलह, अत्रि, क्रतु, अरणि, अंगिरा, रुचि, भृगु, दक्ष, कर्दम, पंचशिखा, वोढु, नारद, मरिचि, अपान्तरतमा, वशिष्ट, प्रचेता, हंस, यति हैं. ब्रह्मा के अवतारविष्णुपुराण और ब्रह्मवेवर्त पुराण में ब्रह्मा के सात अवतारों का वर्णन है. ये अवतार महर्षि वाल्मीकि, महर्षि कश्यप, महर्षि बछेस, चंद्रदेव, बृहस्पति, कालीदास, महर्षि खट हैं. रामायण में जामवंत को भी ब्रह्मा का अवतार माना गया है. भगवान ब्रह्मा भी हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता है. उनका नाम त्रिदेव में लिया जाता है. इस सृष्टि के सर्जक के रूप में उन्हें पहचाना जाता है लेकिन एक श्राप के चलते उनकी पूजा नहीं होती है और न ही उनके मंदिर हैं. केवल पुष्कर में ही ब्रह्माजी का मंदिर है. यह भी पढ़ें : Vishwakarma Puja Kab hai: कैसे करें विश्वकर्मा पूजा, जानिए विश्वकर्मा की प्रमुख रचनाएं Mahabharat ke sthan : महाभारत के 11 स्थान आज कहाँ हैं? शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या अंतर है, 12 ज्योतिर्लिंग कौन से हैं? आखिर क्यों नहीं होती ब्रह्मा जी की पूजा ?हिंदू धर्म में ऐसे बहुत से देवी-देवता हैं जिनकी लोग पूजा-अर्चना करते हैं। ब्रह्मा, विष्णु और महेश को त्रिदेवों के रूप में जाना जाता है। ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video) पुराणों के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की भलाई के लिए यज्ञ का विचार किया और यज्ञ की जगह का चुनाव करने के लिए उन्होंने अपने एक कमल को पृथ्वी लोक भेजा और जिस स्थान पर वह कमल गिरा उसी जगह को यज्ञ के लिए चुना गया। किवदिंतियों के अनुसार जिस जगह वो कमल गिरा उसी जगह पर ब्रह्मा जी का मंदिर बना दिया गया और ये स्थान राजस्थान का पुष्कर शहर, जहां उस पुष्प का एक अंश गिरने से तालाब का निर्माण भी हुआ था। उसके बाद ब्रह्मा जी यज्ञ करने के लिए ब्रह्मा जी पुष्कर पहुंचे, लेकिन उनकी पत्नी सावित्री ठीक समय पर नहीं पहुंचीं। पूजा का शुभ मुहूर्त बीतता जा रहा था। सभी देवी-देवता यज्ञ स्थल पर पहुंच गए थे, लेकिन सावित्री का कुछ पता नहीं था। कहते हैं कि जब शुभ मुहूर्त निकलने लगा तब कोई उपाय न देखकर ब्रह्मा जी ने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह कर अपना यज्ञ पूरा किया। कुछ समय बाद सावित्री यज्ञ स्थल पर पहुंचीं तो वहां ब्रह्मा जी के बगल में किसी और स्त्री को बैठे देख वो क्रोधित हो गईं। गुस्से में उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया और कहा कि जाओ इस पृथ्वी लोक में तुम्हारी कहीं पूजा नहीं होगी। हालांकि बाद में जब उनका गुस्सा शांत हुआ और देवताओं ने उनसे श्राप वापस लेने की प्रार्थना की तो उन्होंने कहा कि धरती पर सिर्फ पुष्कर में ही ब्रह्मा जी की पूजा होगी। इसके अलावा जो कोई भी आपका दूसरा मंदिर बनाएगा, उसका विनाश हो जाएगा। ये एक पेड़ बदल सकता है आपकी पूरी ज़िंदगी
BTC$ 19197.11 Sat, Oct 22, 2022 01.06 PM UTC ETH$ 1307.16 Sat, Oct 22, 2022 01.06 PM UTC USDT$ 1 Sat, Oct 22, 2022 01.06 PM UTC BNB$ 269.92 Sat, Oct 22, 2022 01.06 PM UTC
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विष्णु भगवान की पूजा क्यों नहीं होती है?ब्रह्मा (Brahma), विष्णु (Vishnu) और महेश (Mahesh) यानी भगवान शिव (Lord Shiv). ब्रह्मदेव को संसार का रचनाकार माना जाता है, विष्णु को पालनहार और महेश यानी शिव को संहारक. लेकिन हैरानी की बात है कि जिन्होंने सृष्टि की रचना की, उसका निर्माण किया उनकी संसार में पूजा नहीं की जाती.
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