बेर का बांदा किसे कहते हैं - ber ka baanda kise kahate hain

बेर का बांदा किसे कहते है?...


बेर का बांदा किसे कहते हैं - ber ka baanda kise kahate hain

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आपस में बेर का बांदा किसे कहते हैं कि बंदा जो होता है कहानियों के बीच में एक के गोलाकार का जोड़ा जोड़ा बन जाता है ज्वाइंट होता है वहां पर उसी को बंद आता जाता है आम के पेड़ में आम का बांदा होता है बेर के पेड़ में बेर का बांदा होता है वैसे आयुर्वेदिक में बहुत ज्यादा महत्व है आम का या बेर का या बेल का अलग-अलग पेड़ों में जोगन ना होते हैं उसका नाम उसी तरह से पड़ जाता है बेर के पेड़ में बेल का बंदा होता है आम के पेड़ में आपका बंदा

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बेर का बांदा किसे कहते हैं - ber ka baanda kise kahate hain

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क्या है बांदा? जानें इसके 10 चमत्कारिक असरकारक टोटके 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांदा, वांदा अथवा बंदाल नाम की परोपजीवी वनस्पति प्रात: सभी बड़े वृक्षों पर उग जाती है, जैसे आम, पीपल, महुआ, जामुन आदि। इसके पतले, लाल गुच्छेदार फूल और मोटे कड़े पत्ते पीपल के पत्ते के बराबर होते हैं। देखा जाए तो यूं तो अलग-अलग प्रकार के बांदा होते हैं, जैसे पीपल का पेड़ किसी भी दूसरे पेड़ पर उग आता है तो उसे पीपल का बांदा कहते हैं। इसी तरह नीम, जामुन आदि के बांदा भी होते हैं। तंत्रशास्त्र के अनुसार प्रत्येक पेड़ पर उगा बांधा एक विशेष फल देता है। बांदा का धार्मिक और कई मामलों में तांत्रिक महत्व भी रहता है। 

चमत्कारिक बांदा :- 
यह विशेष रूप से चुम्बकीय शक्ति प्रदाता जड़ी है। हो सकता है कि आप इस बारे में जानते हों। आपने किसी एक वृक्ष पर दूसरा वृक्ष निकते हुए देखा होगा। बांदा एक प्रकार का पौधा होता है जो जमीन पर न उगकर किसी वृक्ष पर उगता है। इस प्रकार यह एक परोपजीवी पौधा है।

तंत्र शास्त्र के अनुसार प्रत्येक पेड़ पर उगा बांधा एक विशेष फल या परिणाम देता है। अशोक, पीपल, अनार, बरगद, गूलर, आम, हरसिंगार, आंवले आदि वृक्षों के बांदे मिल जाएं तो शुभ मुहुर्त में घर ले आएं। लेकिन इसे कब और कैसे लाएं, इसके लिए किसी जानकार 
की मदद लेना जरुरी है, अन्यथा आप कठिनाई में भी पड़ सकते हैं। हम आपको दे रहे हैं इस विषय से जुड़ी कई अहम जानकारी...

1- इमली का बांदा :-
पुष्प नक्षत्र में लाकर भैरव को अर्पित कर फिर इसे दाहिने हाथ में बांधने से कंपन के रोग में आराम मिलता है। 

2- महुआ का बांदा :- 
महुआ के बांदे को विशाखा नक्षत्र में लाकर विधिवत पूजा करने के बाद गले में धारण करने से भय समाप्त हो जाता है। डरावने सपने नहीं आते हैं। शक्ति (पुरुषत्व) में वृद्धि होती है।

3- कुश का बांदा :-
कुश के बांदे के बारे में कहा जाता है कि भरणी नक्षत्र में इसे लाकर पूजा के स्थान पर रखने मात्र से आर्थिक कष्ट दूर होते हैं। 

4- बेर का बांदा :-
बेर के बांदे को मूल नक्षत्र में विधिवत तोड़कर लाने के बाद देव प्रतिमा की तरह इसको स्नान कर पूजा करें। इसके बाद इसे लाल कपड़े में बांधकर सीधे हाथ के बाजू में धारण कर लें। इस प्रकार आप जो भी मनोकामना रखेंगे वह पूरी होगी।

5- हरसिंगार का बांदा:- 
हरसिंगार के बांदे को पुष्य नक्षत्र में पूजा करने के बाद लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखें तो आपको कभी धन की कमी नहीं होगी। मघा नक्षत्र में हरसिंगार का बांदा लाकर घर में कहीं भी रखने से समृद्धि एवं संपन्नता में वृद्धि होती है। 

6- नीम का बांदा:- 
नीम के बांदे को श्रवण नक्षत्र में लाकर पूजा करने के बाद अपने शत्रु से मात्र स्पर्श करा दें तो उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं।

7- बरगद का बांदा:- 
बरगद का बांदा शुक्रवार के दिन लाकर लक्ष्मी जी के बाजू में बांधने से हर कार्य में सफलता मिलती है और कोई आपको हानि नहीं पहुंचा सकता। 

8- अनार का बांदा:- 
अनार के बांदे को रविपुष्य के दिन तोड़ कर अपने पास रखने से किसी की बुरी नजर नहीं लगती और न ही भूत-प्रेत आदि नकारात्मक शक्तियों का घर में प्रवेश होता है।

9- आम का बांदा:- 
आम के पेड़ के बांदे को किसी भी एकादशी के दिन लाकर स्नान कराकर पूजा करने के बाद भुजा पर धारण करने से कभी भी आपकी हार नहीं होती और विजय प्राप्त होती है।

10- आंवले का बांदा:- 
आंवले का बांदा बुधवार को लाकर पूजा करके दाहिनी भुजा पर बांधने से चोर, डाकू, हिंसक पशु का भय नहीं रहता।

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रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

डिजिटल डेस्क, भोपाल। भारत विश्व गुरु अपने दर्शन, सनातन संस्कृति और संस्कारों में विश्वास के कारण था। दुर्भाग्य से हमने अपने ज्ञान-परंपरा पर अविश्वास करना शुरू किया और शंकाओं पर आधारित पाश्चात्य ज्ञान-दर्शन हम पर आच्छादित हो गए। इसके साथ ही बाजारवाद ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को भारी नुकसान पहुंचाया। उक्त विचार आजादी के अमृत महोत्सव एवं धर्मपाल जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष में रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल में धर्मपाल: स्वदेशी और स्वराज की अवधारणा विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम में मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष एवं इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि गिरीश गौतम ने व्यक्त किए।

इसी क्रम में कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रामेश्वर मिश्र 'पंकज ' पूर्व निदेशक, धर्मपाल शोध पीठ स्वराज संस्थान, भोपाल ने अपने बीज वक्तव्य में कहा कि यूरोपीय न्यूटोनियन मॉडल प्रोपेगेंडा आधारित है जिसने भारतीय इतिहास को गलत तरीके से पेश किया है। उन्होंने आगे यह भी बताया कि लोगों में गलत धारणा है कि अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाया जबकि देखा जाए तो यूरोप ने उपनिवेशीकरण की नीति अपनाई। हमने पिछले 75 वर्षों में यूरोप का अनुसरण किया है। आज जरूरत है अपने इतिहास को बिना पूर्वाग्रह के अपने लोगों को केंद्र में रखकर देखे जाने की।

सच को बिना पूर्वाग्रह से स्वीकार करते हुए हम फिर से राजनीतिशास्त्र , समाजशास्त्र और धर्मशास्त्र की पुनर्स्थापना कर सकते हैं। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए दूर शिक्षा निदेशालय, वर्धा के समाज वैज्ञानिक और चिंतक डॉ अमित राय ने धर्मपाल के वैज्ञानिक सच को उद्घाटित करते हुए कहा की अंग्रेजी शासन में भारत के अभीजन मानस भी इंटेलेक्चुअल शिजोफ्रेनिया से ग्रसित रहे। उन्होंने कहा कि भारत के अभिजन भी इतिहास के पूर्वाग्रहों से मुक्त नहीं थे जबकि धर्मपाल जैसे इतिहासकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत को भारतीय दृष्टिकोण से देखा और शोधन किया। 

कार्यक्रम के सह वक्ता डॉ मुकेश कुमार मिश्रा, निदेशक दत्तोपंत पीठ स्वराज संस्थान , भोपाल ने अपने  उद्बोधन में कहा कि धर्मपाल ने यूरोप के मकड़जाल को सत्य के शोधन पर तोड़कर एक भागीरथ प्रयास किया। उन्होंने कहा कि धर्मपाल ने भारत क्या था और क्या है को एक स्केनर की तरह हम तक पहुंचाया है। इसके अलावा उन्होंने स्वदेशी और स्वराज्य पर बात रखते हुए कहा कि स्वजन से संवाद स्थापित द्वारा ही सच्चे अर्थों में हम स्वराज और स्वदेशी को स्थापित कर सकते हैं ।उन्होंने सोशल क्रिएटर्स को समझने की बात अपने उद्बोधन में की। 

इस अवसर पर रबीन्द्रनाथ  टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकृति और वैज्ञानिक सम्यक रही है। उन्होंने यूरोपीय ज्ञान- परंपरा और भारतीय ज्ञान -परंपरा को रिवर्स तरीके से देखने की बात कही ।उन्होंने भाषा के स्तर पर भी स्वदेशी, स्वराज और विऔपनिवेशीकरण को देखने की बात कहीं। इसी क्रम में उन्होंने आरएनटीयू द्वारा दार्शनिकता और चिंतन को केंद्र में रखकर किए जा रहे सतत कार्यकलापों को सभागार में उपस्थित लोगों से साझा किया। साथ ही कला, साहित्य और संस्कृति का वैश्विक मंच  विश्व रंग के बारे में विस्तृत जानकारी साझा किया। 

इस अवसर पर विश्व रंग के फोल्डर का भी लोकार्पण किया गया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देशभर से आए अन्य विशिष्ट वक्ता के रूप में कुमार मंगलम, सहायक प्राध्यापक, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय,जगन्नाथ दुबे, सहायक प्राध्यापक, खैर,अलीगढ़, डॉ आशुतोष, सहायक अध्यापक, हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर, डॉ राकेश कुमार मिश्रा, सह आचार्य, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, अवधेश मिश्र, सह आचार्य, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर और अरुणेश शुक्ल, सह आचार्य, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल ने अपनी बात मंच से रखी। कार्यक्रम का मंच संचालन वरिष्ठ कला समीक्षक, विनय उपाध्याय द्वारा किया गया। अतिथियों का आभार ज्ञापन मानविकी एवं कला उदार संकाय की अधिष्ठाता डॉ. संगीता जौहरी द्वारा किया गया। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का संयोजन मानविकी एवं उदार कला संकाय के इतिहास विभाग की डॉ. सावित्री सिंह परिहार द्वारा किया गया।

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Orane International देता है ब्यूटी & वेलनेस की नई परिभाषा, इंटरनेशनल लेवल पर मिल रही है सराहना

डिजिटल डेस्क, भोपाल। आज के टाइम में सुंदरता का मतलब सिर्फ शारीरिक सुंदरता नहीं होता है, बल्कि ये इससे कई बढ़कर है। लीडिंग इंस्टिट्यूट, ओरेन इंटरनेशनल (Orane Internetional), अपनी यूनीक क्लास के इमर्सिव लर्निंग मेथड्स के साथ प्रोफेशनल ब्यूटी और वेलनेस की दुनिया को और मॉडर्न बना रहा है। अपने अत्याधुनिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों और पाठ्यक्रम के साथ, वे अपने छात्रों को सर्वश्रेष्ठ पेशेवरों के रूप में विकसित होने के लिए तैयार करते हैं।

युवा प्रतिभाशाली पीढ़ी को प्रोफेशनल ब्यूटी एक्सपर्ट में बदलने के मकसद से ओरेन इंटरनेशनल की शुरुआत की गई थी। इस सपने को साकार करने के लिए, इसके सह-संस्थापकों ने इंटरनेशनल ट्रेंड्स, प्रोफाइलिंग और सौंदर्य और कल्याण की अन्य बारीकियों पर रिसर्च करने के लिए दुनिया भर की यात्रा की। इसके बाद उन्होंने 2009 में अपने तीन ब्यूटी स्कूलों के माध्यम से अनेक अवसरों के दरवाज़े खोले। इंस्टिट्यूट ने अपने छात्रों को ब्यूटी प्रैक्टिसेज के इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स को प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

उन्होंने बिज़नेस की ज़रूरतों के मुताबिक अपने सिलेबस को सावधानीपूर्वक तैयार किया है। उनके कुछ पाठ्यक्रम की लिस्ट में आयुर्वेद, ब्यूटी कोर्स, कॉस्मेटोलॉजी, बाल, मेकअप, मेहंदी, नेल आर्ट, पोषण, लेजर थेरेपी, स्पा, सैलून मैनेजमेंट आदि हैं। इन वर्षों में ये इंस्टिट्यूट भारत और उसके बाहर 100 से अधिक ब्यूटी स्कूलों के अपने नेटवर्क में शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कोर्सेज की पेशकश करके ब्यूटी & वेलनेस में क्वालिटी एजुकेशन प्रदान की है। यूके में सबसे महत्वपूर्ण सौंदर्य मान्यता प्राधिकरण (beauty accreditation authority), CIBTAC, और दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित सौंदर्य संबद्धता संगठन (beauty affiliation organization), CIDESCO, दोनों ने स्किल ट्रांसफर के तरीके की तारीफ की है।

आज, ओरेन इंटरनेशनल टॉप इंस्टिट्यूट में से एक है जो सालाना 25,000 से अधिक व्यक्तियों को टॉप लेवल का गाइडेंस प्रदान करता है। इंस्टिट्यूट यूथ को खासतौर पर आर्थिक और सामाजिक रूप से कमज़ोर लोगों के जीवन को बेहतर बनाता है। इंस्टिट्यूट मैनेजमेंट का मोटो है कि सभी को जीवन में आगे बढ़ने और उनके सपनों को साकार करने का समान मौका दिया जाना चाहिए। इंस्टिट्यूट बेस्ट-इन-क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर, industry-experienced फैकल्टीज और इन्क्लूसिव टीचिंग के तरीकों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करता है।

इस प्रयासों में, ओरेन इंटरनेशनल सेंटर और राज्य सरकारों के साथ-साथ The National Skill Development Corporation (NSDC), Beauty & Wellness Sector Skill Council (B&W SSC), State Skill Livelihood Missions (SSDMs), आदि जैसे संगठनों के साथ सहयोग कर रहे है। इसके अलावा, वे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY), दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना (डीडीयू-जीकेवाई), कौशल विकास पहल (एसडीआई) योजना के तहत मॉड्यूलर रोजगार योग्य कौशल (एमईएस) और अन्य प्रमुख कौशल में सक्रिय रूप से योगदान करते हैं।

इंस्टिट्यूट अपने नए और मॉडर्न करिकुलम और ट्रेनिंग टेक्नीक के माध्यम से एडवांस्ड ब्यूटी ट्रेनिंग देता है। वे उभरती इंडस्ट्री की मांगों को पूरा करने के लिए नए जमाने की तकनीक का उपयोग करते हैं और अपने स्टूडेंट्स को ब्यूटी & वेलनेस की इस कॉम्पिटिव वर्ल्ड के लिए तैयार करते हैं।

इस बात में कोई आश्चर्य नहीं कि इंस्टिट्यूट ने अपनी 'बेस्ट -इन-क्लास' सीखने की स्ट्रेटेजी से एक अलग पहचान बनाई है। लगभग एक दशक में, उन्होंने unorganized ब्यूटी एजुकेशन को एक अच्छे डोमेन में सफलता दिलाई है। इस काम के लिए इस संस्था को कई सम्मान मिले हैं, जिनमें स्किल ट्रेनिंग के लिए दुनिया का सबसे अच्छा ब्रांड, एशिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्रांड और अन्य उपलब्धियाँ शामिल हैं। इसके अलावा, ब्यूटीपोलिस, पीडब्ल्यूसी, एशियावन और अन्य कई प्रसिद्द सम्मान ओरेन इंटरनेशनल स्कूल ऑफ हेयर, स्किन और मेकअप को मिले  हैं।
 

बेर का बांदा क्या काम आता है?

बेर का बांदा स्वाति नक्षत्र में प्राप्त कर उसे सिद्ध कर लाल रेशमी वस्त्र के साथ शरीर पर धारण करने से वशीकरण क्षमता आती है। नीम का बांदा ज्येष्ठा नक्षत्र में प्राप्त कर सिद्ध कर विधिपूर्वक प्रयोग करने से शत्रु दमन होता है।

नीम का बांदा क्या होता है?

इस पेड़ के बांदे को भुजा पर धारण करने से कभी भी आपकी हार नहीं होती और विजय प्राप्त होती है। नीम के बांदे को अपने दुश्मन से स्पर्श करा दें तो उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं। इस पेड़ के बांदे को भुजा पर धारण करने से कभी भी आपकी हार नहीं होती और विजय प्राप्त होती है।

बांदा मतलब क्या होता है?

बांदा एक प्रकार का पौधा होता है जो जमीन पर न उगकर किसी वृक्ष पर उगता है। इस प्रकार यह एक परोपजीवी पौधा है।

बांदा कैसे करें?

स्टेट हाईवे 92, बांदा को फतेहपुर से जोड़ता है।