नई दिल्ली। ऋषि विश्रवा के पुत्र और कुबेर के भाई लंकाधिपति रावण के बारे में अधिकांश लोगों को यही जानकारी है कि वह केवल अयोध्यापति श्रीराम से हारा था, लेकिन सच तो यह है कि राम के अलावा रावण चार बार पराजित हो चुका था। Show
आइये जानते हैं रावण का इन चार से युद्ध क्यों और कैसे हुआ और कैसे रावण को हार का सामना करना पड़ा... जब शिवजी ने तोड़ा रावण का घमंडमहाबलशाली, समस्त तंत्र-मंत्र के ज्ञाता और ज्योतिष शास्त्र के प्रकांड विद्वान रावण को एक समय अपनी शक्तियों पर घमंड हो गया। अपनी शक्तियों के बल पर वह प्रत्येक प्राणी को तुच्छ समझने लगा। यहां तक कि अपनी शक्तियों के मद में चूर होकर वह स्वयं भगवान शिव को युद्ध के लिए ललकारने कैलाश पर्वत जा पहुंचा। शिवजी ध्यान में लीन थे तो रावण ने कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया। रावण की भक्ति से शिव प्रसन्न हुएध्यानस्थ शिव जान गए कि रावण को अपनी शक्तियों पर दंभ हो गया है तब उन्होंने अपने पैर के अंगूठे से कैलाश पर्वत का भार बढ़ा दिया। यह भार रावण उठा नहीं सका और उसका हाथ कैलाश के नीचे दब गया। लाख प्रयत्न करने के बाद भी जब रावण अपना हाथ नहीं निकाल सका तो उसने अपनी पराजय स्वीकार करते हुए उसी क्षण तांडव स्तोत्र की रचना कर शिवजी को प्रसन्न किया। रावण की भक्ति से शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने रावण को मुक्त कर दिया। इसके बाद रावण ने शिवजी को अपना गुरु बना लिया। बाली ने रावण को बगल में दबाकर की समुद्रों की परिक्रमारावण ने जब भूमंडल के अधिकांश राज्यों पर विजय प्राप्त कर ली तब वह युद्ध के लिए किष्किंधा जा पहुंचा। वहां का राजा बाली था। जिस समय रावण किष्किंधा पहुंचा तब बाली पूजा में व्यस्त था। रावण के बार-बार ललकारने से बाली की पूजा में विघ्न उत्पन्न हो रहा था। बाली के पहरेदारों ने रावण को रोकने का बहुत प्रयास किया लेकिन वह बाली के पूजा कक्ष तक पहुंच गया। इससे क्रोधित होकर बाली ने रावण को अपनी बगल में दबा लिया। बाली को यह वरदान प्राप्त था कि जो भी उसके सामने युद्ध के लिए आता उसका आधा बल बाली को मिल जाता था। बाली अत्यंत शक्तिशाली और पवन के वेग से चलने में भी सक्षम था। प्रतिदिन पूजन के बाद बाली चारों महासमंदरों की परिक्रमा करके सूर्य को अर्घ्य अर्पित करता था। उसने रावण को बगल में दबाकर ही समुंदरों की परिक्रमा पूरी की। बगल में दबे रहने से रावण का दम घुटने लगा तो उसने बाली से क्षमायाचना कर अपनी पराजय स्वीकार की। तब बाली ने रावण को मुक्त किया। एक हजार हाथ वाले सहस्त्रबाहु से हारा रावणवाल्मीकि रामायण में महिष्मती के राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन और रावण के बीच युद्ध का वर्णन मिलता है। उसके अनुसार एक समय रावण को महिष्मती के अपराजेय राजा सहस्त्रबाहु से युद्ध करने की उत्कंठा हुई। वह अपनी सेना समेत महिष्मती जा पहुंचा, लेकिन उसे पता चला कि सहस्त्रबाहु महल में न होते हुए अपनी पत्नियों के साथ नर्मदा में जलक्रीडा कर रहा है। तब रावण नर्मदा के किनारे बैठकर शिवजी का पूजन करने लगा। उधर नर्मदा में कुछ ही दूरी पर जलक्रीडा कर रहे सहस्त्रबाहु ने खेल-खेल में अपनी एक हजार भुजाओं से नर्मदा का जल रोक दिया। इससे किनारों पर तेजी से जलस्तर बढ़ने लगा। रावण ने सैनिकों को इसका कारण जानने भेजा तो पता चला यह सहस्त्रबाहु ने किया है। रावण ने उसी समय सहस्त्रबाहु पर हमला कर दिया। लेकिन सहस्त्रबाहु के एक हजार हाथों के आगे रावण परास्त हो गया और सहस्त्रबाहु ने उसे बंदी बना लिया। बाद में रावण के पितामह पुलत्स्यमुनि के कहने पर सहस्त्रबाहु ने रावण को मुक्त किया और दोनों में मित्रता हो गई। बच्चों ने अस्तबल में बांधा रावण कोएक पुराण कथा के अनुसार रावण दैत्यराज बलि से युद्ध करने पाताल लोक जा पहुंचा। रावण बलि की शक्तियों से भलीभांति परिचित था इसलिए वह वहां भेष बदलकर पहुंचा, लेकिन जब रावण वहां पहुंचा तो उसकी विचित्र वेशभूषा देखकर वहां खेल रहे बच्चों ने उसे घोड़ों के अस्तबल में बांध दिया। तमाम कोशिशों के बाद भी रावण उन बंधनों से मुक्त नहीं हो पाया। इस बात की जानकारी मिलते ही राजा बलि वहां पहुंचे और रावण की क्षमायाचना करने पर उसे मुक्त किया। देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें हनुमान जी ने बाली का घमंड कैसे तोड़ा?यह सुनकर हनुमानजी मान गए और अपनी कुल शक्ति का 10वां हिस्सा लेकर बाली से दंगल करने के लिए चल पड़े। दंगल के मैदान में हनुमानजी ने जैसे ही बाली के सामने अपना कदम रखा, ब्रह्माजी के वरदान के अनुसार, हनुमानजी की शक्ति का आधा हिस्सा बाली के शरीर में समाने लगा। इससे बाली के शरीर में उसे अपार शक्ति का अहसास होने लगा।
बाली और रावण का युद्ध क्यों हुआ?राजा बालि को वरदान प्राप्त था कि उसके सामने जो भी युद्ध लड़ेगा, उसकी शक्तियां आधी हो जाएंगी। एकबार राजा बालि पूजा कर रहे थे तभी रावण युद्ध के लिए ललकारने लगा। राजा की पूजा में बार-बार विघ्न आ रहा था। इससे राजा बालि को गुस्सा आ गया और उसने अपनी बाजू में दबाकर चारों समुद्र की परिक्रमा करवा दी।
रावण का अहंकार कैसे टूटा?यहां ताऊ देवीलाल पार्क ग्राउंड में आयोजित दशहरा मेले में राम-रावण के युद्ध के बाद सांसद ने रावण, कुंभकर्ण, मेघनाथ के पुतलों का दहन किया। सांसद ने कहा कि रावण बहुत बुद्धिमान था। उस पर घमंड और अहंकार हावी हो गया। जिस कारण उसका विनाश हुआ।
बाली ने रावण को कैसे मारा था?दुंदुभि के बाद बाली ने उसके भाई मायावी का भी एक गुफा में वध कर दिया था। इस घटना के बाद ही बाली और सुग्रीव के बीच शत्रुता पैदा हो गई थी। *रावण ने बाली की शक्ति के चर्चे सुनकर उससे युद्ध करने की ठानी लेकिन बाली ने रावण को अपनी कांख में छह माह तक दबाए रखा था। अंत में रावण ने उससे हार मानकर उसे अपना मित्र बना लिया था।
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