बाल गोविंद की मृत्यु का क्या कारण था? - baal govind kee mrtyu ka kya kaaran tha?

बालगोबिन भगत की मृत्यु किस प्रकार हुई?

बालगोबिन भगत हर वर्ष की तरह गंगा स्नान करने गए थे। अब वे बूढ़े हो गए थे परंतु अपने नियम पर अड़िग रहते थे। वहीं पूरे रास्ते गाते-बजाते गए और कुछ नहीं खाया। जब वे गंगा स्नान से लौटे तो उनकी तबीयत खराब थी। धीरे-धीरे उनकी तबीयत बिगड़ने लगी थी परंतु अपने नियम-व्रतों में ढ़ील नहीं आने दी। वहीं दोनों समय गाना, स्नान ध्यान करना और खेती-बाड़ी की देखभाल करना। वे अपने सभी कार्य स्वयं करते थे। लोगों की आराम करने के सलाह को हँसी में टाल देते थे। एक शाम गीत गाकर सोए थे, उसी रात उनके जीवन की माला टूट गई थी। लोगों को सुबह पता चला कि बालगोबिन भगत नहीं रहे। उनकी उनके स्वभाव के अनुरूप हुई थी।

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भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएं किस तरह व्यक्त कीं?

भगत का एक बेटा था। वह बीमार रहता था। एक दिन वह मर गया। भगत ने अपने बेटे के मरने पर शोक नहीं मनाया। उसके अनुसार उसके बेटे की आत्मा परमात्मा के पास चली गई है। आज एक विरहिनी अपने प्रेमी से मिलने गई है और उसके मिलन की खुशी में आनंद मनाना चाहिए न कि अफसोस। उन्होंने अपने बेटे के मृत शरीर को फूलों से सजाया था। पास में एक दीपक जला रखा था। वे अपने बेटे के मृत शरीर के पास आसन पर बैठे मिलन के गीत गा रहे थे। उन्होंने अपने बेटे की बहू को भी रोने के लिए मना कर दिया था। उसे भी आत्मा के परमात्मा में मिलने की खुशी में आनंद मनाने को कहा।

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खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?

खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत वेशभूषा से साधु नहीं लगते थे परंतु उनका व्यवहार साधु जैसा था। वे कबीर के भगत थे। कबीर के ही गीत गाते थे। उनके बताए मार्ग पर चलते थे। वे कभी भी झूठ नहीं बोलते थे। वे कभी भी किसी से निरर्थक बातों के लिए नहीं लड़ते थे परंतु गलत बातों का विरोध करने में संकोच नहीं करते थे। वे कभी भी किसी की चीज को नहीं छूते थे और न ही व्यवहार में लाते थे। उनकी सब चीज साहब (कबीर) की थी। उनके खेत में जो पैदावार होती थी उसे लेकर कबीर के मठ पर जाते थे। वहाँ से उन्हें जो प्रसाद के रूप में मिलता था उसी में अपने परिवार का निर्वाह करते थे। बालगोबिन भगत की इन्हीं चारित्रिक विशेषताओं के कारण लेखक उन्हें साधु मानता था।

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भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?

भगत के परिवार में पुत्र और पुत्रवधू के अतिरिक्त कोई नहीं था। पुत्र की मृत्यु के बाद उन्होंने पुत्रवधू को उसके पर भेजने का निर्णय लिया परंतु पुत्रवधू उन्हें अकेला छोड़कर जाना नहीं चाहती थी। वह उन्हें बढ़ती उम्र में अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी। वह उनकी सेवा करना अपना फर्ज समझती थी। उसके अनुसार बीमार पड़ने पर उन्हें पानी देने वाला और उनके लिए भोजन बनाने वाला घर में कोई नहीं था। इसलिए भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेला छोडना नहीं चाहती थी।

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खेती-बारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?

खेती-बारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत वेशभूषा से साधु नहीं लगते थे परंतु उनका व्यवहार साधु जैसा था। वे कबीर के भगत थे। कबीर के ही गीत गाते थे। उनके बताए मार्ग पर चलते थे। वे कभी भी झूठ नहीं बोलते थे। वे कभी भी किसी से निरर्थक बातों के लिए नहीं लड़ते थे परंतु गलत बातों का विरोध करने में संकोच नहीं करते थे। वे कभी भी किसी की चीज को नहीं छूते थे और न ही व्यवहार में लाते थे। उनकी सब चीज साहब (कबीर) की थी। उनके खेत में जो पैदावार होती थी उसे लेकर कबीर के मठ पर जाते थे। वहाँ से उन्हें जो प्रसाद के रूप में मिलता था उसी में अपने परिवार का निर्वाह करते थे। बालगोबिन भगत की इन्हीं चारित्रिक विशेषताओं के कारण लेखक उन्हें साधु मानता था।

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बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?

बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के आश्चर्य का कारण इसलिए थी कि वे अपने नियमों का दृढ़ता से पालन करते थे। वे सुबह मुँह अँधेरे उठते, गाँव से दो मील दूर नदी पर स्नान के लिए जाते थे। वापसी में पोखर के ऊँचे स्थान पर खंजड़ी बजाते हुए गीत गाते थे। यह नियम न सर्दी देखता और न ही गर्मी। वे बिना पूछे न ही किसी की वस्तु छूते और न ही व्यवहार में लाते थे। कई बार तो वे अपने नियमों पर इतने दृढ़ हो जाते कि शौच के लिए भी दूसरों के खेतों का प्रयोग नहीं करते थे। उनकी नियमों पर दृढ़ता ही लोगों के आश्चर्य का कारण बनती थी।

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कक्षा 10 में कई महत्वपूर्ण कहानियां और पाठ हैं। इन्हीं महत्वपूर्ण कहानियों में से एग्जाम में प्रश्न आते हैं। उनमें से ही एक महत्वपूर्ण पाठ है, बालगोबिन भगत। बालगोबिन भगत के इस पाठ में लेखक परिचय, पाठ का सार, कठिन शब्दार्थ आदि पाठन सामग्री मौजूद है। आइए Balgobin Bhagat Class 10 को और विस्तार से जानते हैं।

क्लास 10
विषय हिंदी क्षितिज
किताब क्षितिज भाग 2
पाठ संख्या 11
पाठ का नाम बालगोबिन भगत

लेखक परिचय

रामवृक्ष बेनीपुरी

Source – Eduhelpdesk Guru

रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर गाँव में सन् 1889 में हुआ था। बचपन में ही माता-पिता का निधन हो जाने के कारण, आरम्भिक वर्ष अभावों-कठिनाइयों और संघर्षों में बीते। दसवीं तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे सन 1920 में राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन में सक्रीय रूप से जुड़ गए। कई बार जेल भी गए।इनकी मृत्यु सन 1968 में हुई।

प्रमुख कार्य

  • उपन्यास – पतितों के देश में
  • कहानी – चिता के फूल
  • नाटक – अंबपाली
  • रेखाचित्र – माटी की मूरतें
  • यात्रा-वृत्तांत – पैरों में पंख बांधकर
  • संस्मरण– जंजीरें और दीवारें ।
Source – Edu Chain – Padhai With RK

जरूर पढ़ें : CBSE Class 10 Hindi Syllabus

  • कहानी की शुरुआत में लेखक ने बालगोबिन भगत की शारीरिक बनावट को बताया है जो कद काठी से मझोला है चेहरा गोरा चिट्टा तथा साठ से ऊपर की उम्र लगती है। उसके बाल पके हुए हैं, चेहरा सफेद बालों से जगमग है वह कमर पर लंगोटी बांधे तथा कबीरपंथीयों की टोपी सिर पर पहने रहते है। सर्दियों में एक कंबल ले लेता है, बाकी समय उसे कंबल की आवश्यकता या किसी अन्य अतिरिक्त वस्त्र की आवश्यकता नहीं होती।
  • मस्तक पर चंदन का लेप, गले में तुलसी की माला पहने उसके वेशभूषा का वर्णन किया है। वह कोई साधु या महात्मा नहीं किंतु सत्संग के माध्यम से जो उसे ज्ञान प्राप्त होता है उसे अपने जीवन में अपनाता है तथा उसको निर्वाह करता है। घर, मकान अन्य सामाजिक लोगों से भी अधिक साफ सुथरा रखता है। बालगोबिन तथा उसके घर को देखने से यह लगता है जैसे वह बहुत बड़ा साधु महात्मा हो, जबकि वह जाति का तेली है। उसके पास थोड़ी बहुत जमीनें हैं, किंतु वह कबीरपंथी आचरण के कारण कभी झूठ नहीं बोलता किसी का दिल नहीं दुखाता, व्यवहार का मृदु है, सामाजिक व्यक्ति है।
  • घर में जितनी पैदावार आती है उसको पहले कबीरपंथी मठ ले जाकर दान करता है। वहां से मिले हुए अनाज को ही अपने घर में प्रसाद के स्वरूप लाता है और अपना जीवन चलाता है। चाहे कैसा भी मौसम हो वह सवेरे स्नान कर अपनी खंजड़ी लेकर गीत गाता है। भादों की अंधेरी रात में वह अपने गीत के माध्यम से अपने ईश्वर को मनाता है। उसके इस गीत में सामाजिक लोग भी शामिल होते हैं। एक उत्सव का माहौल बन जाता है। बाल गोविंद भक्ति भाव से सराबोर होकर आंगन में नाचने लगता है। चाहे सर्दी हो या गर्मी सुबह शाम उसकी खंजड़ी बजती है। साथ ही ईश्वर की भक्ति से जुड़े गीत की आवाज भी गूंजने लगती है।बालगोबिन अपने ईश्वर से इतना जुड़ गया था कि वह ईश्वर को सर्वत्र निराकार मानता था।
  • इसका एक मर्म तब देखने को मिला जब उसका इकलौता बेटा असमय मृत्यु को प्राप्त हुआ। वह काफी समय से कमजोर था, शायद किसी बीमारी का शिकार रहा होगा। बालगोविंद उसकी पूरी देखभाल किया करते थे। बड़े उत्साह से बेटे की शादी कराई थी बहू भी सुंदर और सुशील मिली थी। जिस दिन उसका बेटा मरा उस दिन लेखक ने घर जाकर जो दृश्य देखा वह अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलता। बालगोबिन के बेटे का पार्थिव शरीर आंगन में चटाई पर था। उसके ऊपर सफेद कपड़ा डाला गया था।  उस पार्थिव शरीर के पास बालगोविंद आसन जमाए गीत गा रहे थे और अपने बहू को समझा रहे थे – यह रोने का नहीं बल्कि उत्सव मनाने का समय है क्योंकि मेरे बेटे की आत्मा परमात्मा के पास चली गई है इससे और उत्तम की बात क्या हो सकती है। यह बालगोबिन का चरम विश्वास बोल रहा था, जिसने उसे भक्ति से प्राप्त किया था।
  • बेटे का पूरा दाह संस्कार अपनी बहू से ही करवाया। सभी संस्कार की विधि समाप्त होने पर बाल गोविंद ने बहू के बड़े भाई को बुलाकर उसका पुनर्विवाह कराने का आदेश दिया। किंतु बहू कहां मानने वाली थी, उसने ससुर की सेवा करते हुए पूरा जीवन निर्वाह करने की ठान ली थी किंतु बालगोबिन भगत स्वभाव और व्यवहार के सरल व्यक्ति थे। उन्होंने बहुत से कहा अगर वह अपने भाई के साथ मायके नहीं गई और पुनर्विवाह नहीं किया तो वह स्वयं घर छोड़ कर चला जाएगा।
  • वह अपने पुत्र या अपने घर से बंधन बांधकर नहीं रखना चाहते थे। वह अपनी बहू को किसी प्रकार का कष्ट नहीं देना चाहते थे, बल्कि उसके मांग में हमेशा सिंदूर और हंसी खुशी भी देखना चाहते थे। बालगोबिन भगत की मृत्यु भी महात्मा की भांति हुई हुए। प्रत्येक वर्ष की भांति गंगा स्नान करने जाते थे सर्द मौसम था हल्की बुखार शरीर पर चढ़ी हुई थी वह गंगा स्नान के लिए चार-पांच दिन की यात्रा करके जाते थे। वह रुक कर बीच में कहीं खाना नहीं खाते थे और ना ही भीख मांगते थे। वह घर से खाना खाकर जाते और घर आकर ही खाना खाते थे, यही उनके आचरण में था।
  • जब वह गंगा स्नान के लिए निकले उन्हें बुखार था सर्दी का मौसम भी आ गया था, लोगों ने काफी चेतावनी दी कि वह गंगा स्नान ना करें किंतु वह धार्मिक व्यक्ति कहां मानने वाले थे। उन्हें तो भक्ति का परम सुख प्राप्त करना था।
  • वह गंगा स्नान कर घर लौटे उस दिन भी उन्होंने संध्या का गीत गाया पर लगता था जैसे तागा टूट गया हो माला का एक-एक दाना बिखर गया हो।  अगले दिन जब लोगों ने बालगोबिन के घर से खंजड़ी तथा गीत की आवाज नहीं सुनी तो उन्हें आश्चर्य हुआ। घर जाकर देखा तो बाल गोविंद नहीं रहे।  अर्थात बाल गोविंद की आत्मा परमात्मा से मिलने अनंत सफर पर जा चुकी थी।
Source : Hindi favourite tales

बालगोबिन भगत कक्षा 10 PDF

कठिन शब्दों के अर्थ

  • मँझोला – ना बहुत बड़ा ना बहुत छोटा
  • कमली जटाजूट- कम्बल
  • खामखाह – अनावश्यक
  • रोपनी – धान की रोपाई
  • कलेवा – सवेरे का जलपान
  • पुरवाई- पूर्व की ओर से बहने वाली हवा
  • मेड़ – खेत के किनारे मिटटी के ढेर से बनी उँची –
  • लम्बी, खेत को घेरती आड़
  • अधरतिया – आधी रात
  • झिल्ली- झींगुर
  • दादुर- मेढक
  • खँझरी – ढपली के ढंग का किन्तु आकार में उससे
  • छोटा वाद्यंत्र
  • निस्तब्धता – सन्नाटा
  • पोखर- तालाब
  • टेरना- सुटीला अलापना
  • आवृत – ढका हुआ
  • श्रमबिंदु – परिश्रम के कारण आई पसीने की बून्द
  • संझा- संध्या के समय किया जाने वाला भजन
  • करताल – एक प्रकार का वाद्य
  • सुभग – सुन्दर
  • कुश – एक प्रकार की नुकीली घास
  • बोदा – काम बुद्धि वाला
  • सम्बल – सहारा

वर्कशीट

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Source – Brainly

MCQs

1. बालगोबिन भगत आत्मा और परमात्मा के बीच कौन-सा संबंध मानते थे?
A. पिता-पुत्री
B. प्रेमी-प्रेमिका
C. बहन-भाई
D. माँ-बेटा

उत्तर:  B. प्रेमी-प्रेमिका

2. बेटे की मृत्यु के पश्चात् बालगोबिन भगत की आखिरी दलील क्या थी?
 A. पतोहू का पुनर्विवाह करवाना
 B. पतोहू को शिक्षा दिलवाना
 C. पतोहू को घर से निकालना
 D. पतोहू से घृणा करना

उत्तर:  A. पतोहू का पुनर्विवाह करवाना

3. बालगोबिन भगत की मृत्यु का क्या कारण था?
 A. दुर्घटना
 B. बीमारी
 C. भूख
 D. बेटे की मृत्यु की चिंता

उत्तर:  B. बीमारी

4. बालगोबिन भगत के गाँव के लोगों का मुख्य धंधा क्या था?
 A. व्यापार
 B. पठन-पाठन
 C. खेतीबाड़ी
 D. दस्तकारी

उत्तर:  C. खेतीबाड़ी

5. ‘बालगोबिन भगत’ शीर्षक पाठ के लेखक का क्या नाम है?
 A. यशपाल
 B. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
 C. रामवृक्ष बेनीपुरी
 D. स्वयं प्रकाश

उत्तर:  C. रामवृक्ष बेनीपुरी

6. बालगोबिन भगत की आयु कितनी थी?
 A. 50 वर्ष
 B. 60 वर्ष से अधिक
 C. 70 वर्ष
 D. 80 वर्ष

उत्तर:  B. 60 वर्ष से अधिक

7. बालगोबिन की टोपी कैसी थी?
 A. सूरदास जैसी
 B. जैन मुनियों जैसी
 C. कबीरपंथियों जैसी
 D. गांधी की टोपी जैसी

उत्तर:  C. कबीरपंथियों जैसी

8. बालगोबिन कबीर को क्या मानते थे?
 A. साहब
 B. गुरु
 C. शिष्य
 D. मित्र

उत्तर:  A. साहब

9. बालगोबिन भगत किनके आदर्शों पर चलते थे?
 A. सूरदास के
 B. तुलसीदास के
 C. कबीरदास के
 D. मीराबाई के

उत्तर:  C. कबीरदास के

10. बालगोबिन भगत अपनी फसल को पहले कहाँ ले जाते थे?
 A. मंदिर में
 B. गुरुद्वारे में
 C. मस्जिद में
 D. कबीरपंथी मठ में

उत्तर:  D. कबीरपंथी मठ में

11. लेखक बालगोबिन भगत की किस विशेषता पर अत्यधिक मुग्ध था?
 A. पहनावे पर
 B. भोजन पर
 C. मधुर गान पर
 D. व्यवहार पर

उत्तर:  C. मधुर गान पर

12. लेखक ने ‘रोपनी’ किसे कहा है?
 A. रोपण को
 B. धान की रोपाई को
 C. धान की कटाई को
 D. धान की खेती को

उत्तर:  B. धान की रोपाई को

13. बालगोबिन भगत खेत में क्या करते हैं?
 A. केवल गीत गाता हैं
 B. खेत की मेंड़ पर बैठते हैं
 C. धान के पौधे लगाते हैं
 D. उपदेश देते हैं

उत्तर:  C. धान के पौधे लगाते हैं

14. बालगोबिन भगत के संगीत को लेखक ने क्या कहा है?
 A. बीन
 B. लहर
 C. उपदेश
 D. जादू

उत्तर:  D. जादू

15. बालगोबिन भगत के गीतों में कौन-सा भाव व्यक्त होता था?
 A. श्रृंगार का भाव
 B. विरह का भाव
 C. ईश्वर भक्ति का भाव
 D. वैराग्य का भाव

उत्तर:  C. ईश्वर भक्ति का भाव

बालगोबिन के गीतों को सुनकर वहाँ उपस्थित सभी लोग क्या करते थे?

(a) उठकर चले जाते थे
(b) झूम उठते थे
(c) साथ में गाने लगते थे
(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर: b

भगत जी की बहू उन्हें छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहती थी?

(a) सामाजिक मर्यादा के कारण
(b) संपत्ति के लोभ में
(c) पति से प्यार होने के कारण
(d) ससुर की चिंता के कारण

उत्तर: d

बालगोबिन का व्यवसाय क्या था?

(a) खेती
(b) दुकानदारी
(c) पुस्तक-विक्रेता
(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर: a

भगत जी भजन गाते समय क्या बजाया करते थे?

(a) ढोल
(b) ढपली
(c) गिटार
(d) खंजड़ी

उत्तर: d

भादो की रात कैसी होती है?

(a) चाँदनी
(b) अँधेरी
(c) सुस्त
(d) उजली

उत्तर:b

भगत जी अपने बेटे का खास ख्याल रखा करते थे, क्योंकि वह?

(a) चालाक था
(b) ईमानदार था
(c) प्रतिभावान था
(d) सुस्त और बोदा था

उत्तर: d

भगत जी का बेटा कैसा था?

(a) समझदार
(b) सुस्त और बोदा
(c) चालाक
(d) बुद्धिमान

उत्तर: b

बालगोबिन किसके पद गाया करते थे?

(a) रहीम के
(b) सूरदास के
(c) कबीर के
(d) तुलसीदास के

उत्तर: c

भगत जी बेटे के मरने के बाद अपनी बहू की दूसरी शादी क्यों करवाना चाहते थे?

(a) उसके सुखद भविष्य के लिए
(b) छुटकारा पाने के लिए
(c) सबकी नजर में अच्छा बनने के लिए
(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर: a

बालगोबिन भगत किसे “साहब” मानते थे ?

(a) कबीर 
(b) साई बाबा
(c) भोलेनाथ
(d) विष्णु

उत्तर: a

Balgobin Bhagat Class 10: प्रश्न-उत्तर

खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?

बालगोबिन भगत कबीर के पक्के भक्त थे। वे कभी झूठ नहीं बोलते थे और हमेशा खरा व्यवहार करते थे। वे किसी की चीज का उपयोग बिना अनुमति माँगे नहीं करते थे। उनकी इन्हीं विशेषताओं के कारण वे साधु कहलाते थे।

भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?

भगत की पुत्रवधू उनकी सेवा करना चाहती थी। वह नहीं चाहती थी कि एक बूढ़े आदमी को अकेले रहना पड़े। इसलिए वह उन्हें अकेले छोड़ना नहीं चाहती थी।

भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?

अपने बेटे की मृत्यु पर भगत ने गाना गाकर अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं। वह अपनी बहू से भी बेटे की मौत का उत्सव मनाने को कहते थे। उनका मानना था कि मृत्यु से तो आत्मा का परमात्मा में मिलन हो जाता है इसलिए इस अवसर पर खुशी मनानी चाहिए।

भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।

भगत की उम्र साठ के ऊपर रही होगी। चेहरा सफेद बालों से जगमग करता था। वे केवल एक लंगोटी पहने थे। जाड़े में एक कम्बल जरूर लपेटते थे। उनका व्यक्तित्व बड़ा ही सीधा सादा था। वे हमेशा अपनी भक्ति और अपनी गृहस्थी में लीन रहते थे। वह तड़के ही उठ जाते थे और स्नान करने के बाद गाना गाते थे।

बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?

चाहे कोई भी मौसम हो, बालगोबिन भगत की दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं आता था। वे रोज सबेरे उठकर दो मील चलकर नदी में स्नान करने जाते थे। वहाँ से लौटने के बाद पोखर के भिंड पर गाना गाते थे। उनकी नियमित दिनचर्या के कारण लोग अचरज में पड़ जाते थे।

पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।

बालगोबिन भगत के मधुर गायन में एक जादू सा असर होता था। उसके जादू से खेतों में काम कर रही महिलाओं के होंठ अनायास ही थिरकने लगते थे। उनके गाने को सुनकर रोपनी करने वालों की अंगुलियाँ स्वत: चलने लगती थीं। रात में भी लोग उनके गानों पर मंत्रमुग्ध हो जाते थे।

कुछ प्रसंगों के आधार पर बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।

बालगोबिन भगत कभी भी किसी अन्य की चीज को बिना अनुमति के इस्तेमाल नहीं करते थे। वे किसी को भी खरा बोल देते थे। अपने बेटे की मृत्यु पर उन्होंने शोक नहीं मनाया, बल्कि गा गाकर खुशी मनाई थी। अपनी विधवा पुत्रवधू को उन्होंने दूसरी शादी करने की स्वतंत्रता दे दी। इन सब प्रसंगों से पता चलता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे।

धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह चमत्कृत कर देती थीं? उस माहौल का शब्द चित्र प्रस्तुत कीजिए।

जब वे धान की रोपनी के समय गाते थे इससे समूचा माहौल प्रभावित हो जाता था। मेड़ों पर खड़ी महिलाएँ स्वत: ही गाने लगती थीं। हलवाहों के पैर भी थिरक कर चलने लगते थे। रोपनी करने वालों की उँगलियाँ तालबद्ध तरीके से रोपनी में मशगूल हो जाती थीं।

Balgobin Bhagat Class 10 पाठ के आधार पर बताएँ कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है?

बालगोबिन भगत के खेतों में जो कुछ भी उपजता था उसे लेकर वे कबीर के दरबार में ले जाते थे। वहाँ से उन्हें प्रसाद के रूप में जो कुछ मिलता उसी से गुजारा कर लेते थे। वे किसी की मौत को शोक का कारण नहीं बल्कि उत्सव के रूप में लेते थे। इन सब प्रसंगों में उनकी कबीर पर श्रद्धा प्रकट हुई है।

आपकी दृष्टि में भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे?

वे कबीर के उपदेशों से अच्छी तरह से प्रभावित हुए होंगे। इसलिए उनकी कबीर पर अगाध श्रद्धा रही होगी।

गाँव का सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता है?

आषाढ़ के महीने में तेज बारिश होती है जो खेती के लिए अच्छी बात होती है। इसी महीने में किसान धान की रोपनी करते हैं। धान की रोपनी एक महत्वपूर्ण काम होता है। यह काम जितने लगन से किया जाए फसल उतनी ही अच्छी होती है। इसलिए इस काम को गीत संगीत से भरे हुए माहौल में किया जाता है।

“ऊपर की तसवीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु थे।“ क्या ‘साधु’ की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यह सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति ‘साधु’ है?

साधु की पहचान पहनावे के आधार पर करना गलत होगा। केवल गेरुआ वस्त्र पहनने से कोई साधु नहीं बन जाता है। साधु बनने के लिए आचार और विचारों में शुद्धता की आवश्यकता होती है।

मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे?

भगत के बेटे की मृत्यु इस बात को सिद्ध करती है कि मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत अपने बेटे से बहुत प्रेम करते थे। वह अपने मंदबुद्धि बेटे का विशेष ख्याल रखते थे। लेकिन उसकी मृत्यु पर वह शोक नहीं मनाते हैं। वह अपनी पुत्रवधू से भी खुशी मनाने को कहते हैं।

Balgobin Bhagat Class 10 पाठ में भगत का आँगन नृत्य-संगीत से किस तरह ओत-प्रोत हो उठता था?

गरमियों में भगत और उनकी प्रेमी मंडली आँगन में आसन जमाकर बैठ जाते। वहाँ पुँजड़ियों और करतालों की भरमार हो जाती। बालगोबिन एक पद गाते, प्रेमी-मंडली उसे दोहराती-तिहराती। धीरे स्वर एक निश्चित लय, ताल और गति से ऊँचा होने लगता और गाते-गाते भगत नाचने लगते। इस प्रकार सारा आँगन नृत्य और संगीत से ओतप्रोत हो जाती।

मूसलाधार का क्या अर्थ होता है?

(a) धीरे
(b) भीषण
(c) कोहरा
(d) इनमे से कोई नहीं

उत्तर b

FAQs

बालगोबिन भगत किसने लिखा है?

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी श्री रामवृक्ष बेनीपुरी जी ने बालगोबिन भगत को लिखा है।

Balgobin Bhagat Class 10 पाठ गद्य की कौनसी विधा में लिखा है?

बालगोबिन भगत एक रेखाचित्र अर्थात स्केच है। ये साहित्य की आधुनिक विधा है और इस रेखाचित्र के माध्यम से रामवृक्ष बेनीपुरी ने एक ऐसे विलक्षण चरित्र का उद्घाटन किया है जो मनुष्यता, लोक संस्कृति और सामूहिक चेतना का प्रतीक है।

Balgobin Bhagat Class 10 पाठ में बालगोबिन भगत कैसे कद के थे?

बालगोबिन भगत मंझले कद का व्यक्ति था। उनका रंग गोरा था। उनकी उम्र साठ वर्ष की थी। बाल पक गए थे।

Balgobin Bhagat Class 10 पाठ में बालगोबिन भगत के कितने बेटे थे?

बालगोबिन भगत के बस 1 पुत्र था।

आशा करते हैं कि आपको Balgobin bhagat class 10 का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। यदि आप क्लास 10 के और भी पाठ पढ़ना चाहते हैं तो Leverage Eduकी साइट से पढ़ सकते हैं।

बाल गोविंद की मौत कैसे हुई?

वे अपने सभी कार्य स्वयं करते थे। लोगों की आराम करने के सलाह को हँसी में टाल देते थे। एक शाम गीत गाकर सोए थे, उसी रात उनके जीवन की माला टूट गई थी। लोगों को सुबह पता चला कि बालगोबिन भगत नहीं रहे।

बाल गोविंद की उम्र कितनी थी?

उनकी उम्र साठ वर्ष की थी

बालगोबिन की मृत्यु को गौरवशाली मृत्यु कैसे कहेंगे?

बालगोबिन भगत की मृत्यु को गौरवशाली मृत्यु कैसे कहेंगे ? को अपना संगीत बाँटकर गए। इसलिए हम इसे गौरवशाली मृत्यु की संज्ञा देंगे।

भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर क्या किया?

बेटे की मृत्यु पर भगत ने पुत्र के शरीर को एक चटाई पर लिटा दिया, उसे सफे़द चादर से ढक दिया तथा गीत गाकर अपनी भावनाएँ व्यक्त की। उनके अनुसार आत्मा परमात्मा के पास चली गई, विरहनि अपने प्रेमी से जा मिली।

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