देश की करीब 70 फीसदी आबादी गाँवों में रहती है और पूरे देश में दो लाख 39 हजार ग्राम पंचायतें हैं। त्रीस्तरीय पंचायत व्यस्था लागू होने के बाद पंचायतों को लाखों रुपए का फंड सालाना दिया जा रहा है। Show
ग्राम पंचायतों में विकास कार्य की जिम्मेदारी प्रधान और पंचों की होती है। इसके लिए हर पांच साल में ग्राम प्रधान का
चुनाव होता है, लेकिन ग्रामीण जनता को अपने अधिकारों और ग्राम पंचायत के नियमों के बारे में पता नहीं होता। बता रहा है गाँव कनेक्शन नेटवर्क... क्या होती है ग्राम पंचायत ?किसी भी ग्रामसभा में 200 या उससे अधिक की जनसंख्या का होना आवश्यक है। हर गाँव में एक ग्राम प्रधान होता है। जिसको सरपंच या मुखिया भी कहते हैं। 1000 तक की आबादी वाले गाँवों में 10 ग्राम पंचायत सदस्य, 2000 तक 11 तथा 3000 की आबादी तक 15 सदस्य हाेने चाहिए। ग्राम सभा की बैठक साल में दो बार होनी जरूरी है। जिसकी सूचना 15 दिन पहले नोटिस से देनी होती है। ग्रामसभा की बैठक बुलाने का अधिकार ग्राम प्रधान को होता है। बैठक के लिए कुल सदस्यों की संख्या के 5वें भाग की उपस्थिति जरूरी होती है। ये भी पढ़ें- ऐसे निकालें इंटरनेट से खसरा खतौनीग्राम पंचायत के 1/3 सदस्य किसी भी समय हस्ताक्षर करके लिखित रूप से यदि बैठक बुलाने की मांग करते हैं, तो 15 दिनों के अंदर ग्राम प्रधान को बैठक आयोजित करनी होगी। ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा अपने में से एक उप प्रधान का निर्वाचन किया जाता है। यदि उप प्रधान का निर्वाचन नहीं किया जा सका हो तो नियत अधिकारी किसी सदस्य को उप प्रधान नामित कर सकता है। ग्राम पंचायत लगातार हो रही हैं सशक्त। फोटो- अभिषेक वर्मा प्रधान और उपप्रधान को अगर पद से हटाना होसूचना प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर जिला पंचायत राज अधिकारी गाँव में एक बैठक बुलाएगा जिसकी सूचना कम से कम 15 दिन पहले दी जाएगी। बैठक में उपस्थित तथा वोट देने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रधान एवं उप प्रधान को पदमुक्त किया जा सकता है। अगर ग्राम प्रधान या उप प्रधान गाँव की प्रगति के लिए ठीक से काम नहीं कर रहा है तो उसे पद से हटाया भी जा सकता है। समय से पहले पदमुक्त करने के लिए एक लिखित सूचना जिला पंचायत राज अधिकारी को दी जानी चाहिए, जिसमे ग्राम पंचायत के आधे सदस्यों के हस्ताक्षर होने ज़रूरी होते हैं। सूचना में पदमुक्त करने के सभी कारणों का उल्लेख होना चाहिए। हस्ताक्षर करने वाले ग्राम पंचायत सदस्यों में से तीन सदस्यों का जिला पंचायतीराज अधिकारी के सामने उपस्थित होना अनिवार्य होगा। सूचना प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर जिला पंचायत राज अधिकारी गाँव में एक बैठक बुलाएगा जिसकी सूचना कम से कम 15 दिन पहले दी जाएगी। बैठक में उपस्थित तथा वोट देने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रधान एवं उप प्रधान को पदमुक्त किया जा सकता है। ये भी पढ़ें- संसद तक पहुंच गई है ये बात कि महिला प्रधान के पति व बेटे करते हैं कामकाज में हस्तक्षेपकोटेदार अगर नहीं दे रहा है राशन तो भी प्रधान से करें शिकायत। ग्राम पंचायत की समितियां और उनके कार्य1. नियोजन एवं विकास समितिसदस्य : सभापति, प्रधान, छह अन्य सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला एवं पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य अनिवार्य होता है। समिति के कार्य: ग्राम पंचायत की योजना का निर्माण करना, कृषि, पशुपालन और ग़रीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का संचालन करना। 2. निर्माण कार्य समितिसदस्य: सभापति ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य, छह अन्य सदस्य (आरक्षण ऊपर की ही तरह) समिति के कार्य: समस्त निर्माण कार्य करना तथा गुणवत्ता निश्चित करना। 3. शिक्षा समितिसदस्य: सभापति, उप-प्रधान, छह अन्य सदस्य, (आरक्षण उपर्युक्त की भांति) प्रधानाध्यापक सहयोजित, अभिवाहक-सहयोजित करना। समिति के कार्य: प्राथमिक शिक्षा, उच्च प्राथमिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा तथा साक्षरता आदि सम्बंधी कार्यों को देखना। 4. प्रशासनिक समितिसदस्य: सभापति-प्रधान, छह अन्य सदस्य आरक्षण (ऊपर की तरह) समिति के कार्य: कमियों-खामियों को देखना। 5. स्वास्थ्य एवं कल्याण समितिसदस्य : सभापति ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य, छह अन्य सदस्य (आरक्षण ऊपर की तरह) समिति के कार्य: चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण सम्बंधी कार्य और समाज कल्याण योजनाओं का संचालन, अनुसूचित जाति-जनजाति तथा पिछड़े वर्ग की उन्नति एवं संरक्षण। 6. जल प्रबंधन समितिसदस्य: सभापति ग्राम पंचायत द्वारा नामित, छह अन्य सदस्य (आरक्षण ऊपर की तरह) प्रत्येक राजकीय नलकूप के कमांड एरिया में से उपभोक्ता सहयोजित समिति के कार्य : राजकीय नलकूपों का संचालन पेयजल सम्बंधी कार्य देखना।ग्राम पंचायत के कार्य
मनरेगा भी प्रधान के अंतर्गत आता है। ग्राम न्यायालय12 अप्रैल 2007 को केंद्र सरकार के एक निर्णय के अनुसार ग्रामीण भारत के निवासियों को पंचायत स्तर पर ही न्याय दिलाने के लिए प्रत्येक पंचायत स्तर पर एक ग्राम न्यायालय की स्थापना की जाएगी। इस पर प्रत्येक वर्ष 325 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारें तीन वर्ष तक इन न्यायालयों पर आने वाला खर्च वहन करेंगी। ग्राम न्यायालयों की स्थापना से अन्य अदालतों में मुकदमों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी। ग्राम प्रधान चाहे तो बदल सकता है गांव का हुलिया। ये भी पढ़ें- प्रधानमंत्री जी कोर्ट में नहीं होते इतने केस पेंडिंग, अगर काम कर रही होती न्याय पंचायतअब इंटरनेट पर देखा जा सकेगा ग्राम पंचायत की संपत्तियों का विवरणमध्य प्रदेश के इस गाँव में कभी नहीं हुए चुनाव, पूरा गांव है चकाचकदेश के लाखों गांवों के लिए प्रेरणा है, गुजरात का ये गांव जानिए खूबियां ये भी पढ़िए- देश के लाखों गाँवों के लिए प्रेरणा है ये गाँव, लगे हैं सीसीटीवी कैमरे, गांव से मिलती है एक्सप्रेस बस ये भी पढ़िए- यूपी का पहला स्मार्ट विलेज बना हसुड़ी गाँव , ग्राम प्रधान हुए सम्मानित ये भी पढ़िए- जानिए क्या है ग्राम सभा और उसके काम ये भी पढ़ें- प्रधानमंत्री जी कोर्ट में नहीं होते इतने केस पेंडिंग, अगर काम कर रही होती न्याय पंचायतभारत में कुल कितने पंचायत है?वर्तमान 2022 में, भारत में कुल पंचायतों की संख्या 263,274 (दो लाख 63 हजार से ज्यादा) है.
भारत में सबसे बड़ा पंचायत कौन सा है?सुंदरा ग्राम पंचायत भारत की सबसे बड़ी पंचायत थी। आज भी देश की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत सुंदरा है। वर्ष 1959 के बाद 1992 में ग्राम पंचायतों का गठन हुआ था।
भारत में ग्राम पंचायत का गठन कब हुआ?आधुनिक भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगधरी गांव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई।
भारत में ग्राम पंचायत क्या है?भारत की पंचायती राज प्रणाली में गाँव या छोटे कस्बे के स्तर पर ग्राम पंचायत या ग्राम सभा होती है जो भारत के स्थानीय स्वशासन का प्रमुख अवयव है। सरपंच, ग्राम सभा का चुना हुआ सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है। प्राचीन काल से ही भारतवर्ष के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में पंचायत का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।
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