भारत माता की जय से लेखक का क्या तात्पर्य है? - bhaarat maata kee jay se lekhak ka kya taatpary hai?

भारत माता की जय भारतीय स्वाधीनता संग्राम के समय सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला नारा था। 'भारत माता' का उल्लेख किरन चन्द्र बन्दोपाध्याय के नाटक में सर्वप्रथम आया था जो की सन् १८७३ में खेला गया था[1] भारत भूमि को जीवन का पालन करने वाली माता के रूप में रूपायित कर उसकी मुक्ति के लिए की गई कोशिशों में उसकी संतानों ने इस नारे का बार बार प्रयोग किया। भारत माता की विजय का उद्घोष करने वाली यह उक्ति स्वाधीनता संग्राम के सिपाहियों में नए उत्साह का संचार करती थी। आज भी इस नारे का प्रयोग राष्ट्रप्रेम या राष्ट्र निर्माण से जुड़े अवसरों, कार्यक्रमों एवं आंदोलनों में किया जाता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • भारत माता
  • भारत माता मन्दिर
  • वन्दे मातरम्
  • जय हिन्द

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "आखिर कहां से आया भारत माता की जय का नारा...कौन है इसका जनक". Breaking Hindi news, India News, Latest News Headlines, World news in Hindi, Hindi news paper. 10 अप्रैल 2016. मूल से 6 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जनवरी 2018.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

भारत माता से लेखक का क्या तात्पर्य है?

'भारत माता' का उल्लेख किरन चन्द्र बन्दोपाध्याय के नाटक में सर्वप्रथम आया था जो की सन् १८७३ में खेला गया था भारत भूमि को जीवन का पालन करने वाली माता के रूप में रूपायित कर उसकी मुक्ति के लिए की गई कोशिशों में उसकी संतानों ने इस नारे का बार बार प्रयोग किया।

नेहरू जी ने भारतमाता की जय नारे का क्या अर्थ बताया?

नेहरू उन्हें बताते हैं कि भारत वह है जो उन्होंने समझ रखा है। इसमें नदी, पहाड़, जंगल, खेत व करोड़ों भारतीय शामिल हैं। भारत माता की जय का अर्थ है–इन सबकी जय। जब वे स्वयं को भारत माता का अंश समझते थे तो उनकी आँखों में चमक आ जाती थी।

भारत माता की जय का क्या अर्थ होता है?

भारत माता की जय का शाब्दिक अर्थ तो ये है कि, हे मातृस्वरूपिणी माता आपकी सदा जयजयकार हो। पर भारतीयों के लिए यह नारा भावनात्मक रूप से अपने देश को मां के स्वरूप में आदर,समर्पण और निवेदन प्रार्थना है।

भारत माता पाठ का मूल भाव क्या है?

Answer. Answer: पाठ का सारांश 'भारत माता' अध्याय हिंदुस्तान की कहानी का पाँचवाँ अध्याय है। इसमें नेहरू ने बताया है कि किस तरह देश के कोने-कोने में आयोजित जलसों में जाकर वे आम लोगों को बताते थे कि अनेक हिस्सों में बँटा होने के बाद भी हिंदुस्तान एक है।

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