Show सर्वाधिक खोजे गएJudges of Supreme CourtJudges of Supreme Courtदेश के उच्चतम न्यायालय में मुख्य न्यायधीश को मिलाकर कुल 31 न्यायाधीश होते हैं। ये न्यायाधीस 65 वर्ष की उम्र तक अपने पद पर रहते हैं। उच्चतम न्यायालय का मूल कार्यक्षेत्र उन मामलों में हैं जिनका विवाद केंद्र सरकार और किसी एक या कई राज्यों के बीच हो या एक ओर केंद्र सरकार और कोई एक या कई राज्य तथा दूसरी ओर एक या कई राज्यों के बीच हो अथवा दो या कई राज्यों के बीच हो।
सुप्रीम कोर्ट देश का सर्वोच्च न्यायिक निकाय और संविधान के तहत भारत गणराज्य का सर्वोच्च न्यायालय है। यह देश का सबसे वरिष्ठ संवैधानिक न्यायालय है, जो न्यायिक समीक्षा की शक्ति रखता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख न्यायाधीश होते हैं। सर्वोच्च न्यायालय में अधिकतम 34 न्यायाधीश होते हैं, जिनके पास मूल, अपीलीय और सलाहकार क्षेत्राधिकार के रूप में व्यापक शक्तियां होती हैं। भारत का सर्वोच्च न्यायालयअनुच्छेद 124 (1) के तहत भारतीय संविधान निर्दिष्ट करता है कि भारत में सर्वोच्च न्यायालय में भारत का मुख्य न्यायधीश तथा भारत के मुख्य न्यायाधीश को मिलाकर 31 न्यायाधीश होने चाहिए| उच्चतम न्यायलय की स्थापना, गठन, अधिकारिता, शक्तियों के विनिमय से सम्बंधित विधि निर्माण की शक्ति भारतीय संसद को प्राप्त है| इसके न्यायधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा होती है| उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित नहीं की गयी है परन्तु अवकाश ग्रहण की आयु सीमा 65 वर्ष है|
अनुच्छेद 124 (1) के तहत भारतीय संविधान निर्दिष्ट करता है कि
भारत में सर्वोच्च न्यायालय में भारत का मुख्य न्यायधीश तथा भारत के मुख्य न्यायाधीश को मिलाकर 31 न्यायाधीश होने चाहिए| उच्चतम न्यायलय की स्थापना, गठन, अधिकारिता, शक्तियों के विनिमय से सम्बंधित विधि निर्माण की शक्ति भारतीय संसद को प्राप्त है| इसके न्यायधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा होती है| उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित नहीं की गयी है परन्तु अवकाश ग्रहण की आयु सीमा 65 वर्ष है। भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारतीय न्यायपालिका के शीर्ष पर सर्वोच्च न्यायालय को भारत के संविधान को बनाए रखने का सबसे ज्यादा अधिकार है, नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा करने का अधिकार है और विधि नियम के मूल्यों को बनाए रखने का अधिकार है| इसलिए, इसे हमारे संविधान के संरक्षक के रूप में जाना जाता है। भारतीय संविधान संघ न्यायपालिका के शीर्षक के अंतर्गत भाग 5 (संघ) और अध्याय 6 के तहत सर्वोच्च न्यायालय को एक प्रावधान प्रदान करता है। भारतीय संविधान को उच्च न्यायालयों और अधीनस्थ न्यायालयों के तहत एक श्रेणीबद्ध
व्यवस्था से युक्त स्वतंत्र न्यायपालिका प्रदान की गई है। सुप्रीम कोर्ट की संरचना अनुच्छेद 124 (1) के तहत भारतीय संविधान निर्दिष्ट करता है कि भारत में सर्वोच्च न्यायालय में भारत का मुख्य न्यायधीश तथा भारत के मुख्य न्यायाधीश को मिलाकर 31 न्यायाधीश होने चाहिए| अनुच्छेद 124 (2) निर्दिष्ट करता है कि सर्वोच्च न्यायालय का हर न्यायाधीश राष्ट्रपति से परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा लिखित व मुहर लगी अधिपत्र के साथ राज्य के सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को नियुक्त किया जाता है| यहाँ कॉलेजियम प्रणाली (अदालतों में न्यायाधीशों को नियुक्ति करने की पद्धति) का अनुसरण किया गया था जिसे तीन न्यायाधीशों के मामले के रूप में भी जाना जाता है जिसमें भारत का मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के 4 वरिष्ठत्म न्यायाधीश, उच्च न्यायालय का एक मुख्य न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के 2 वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं| यह प्रणाली मुख्य न्यायधीश की सहमति के साथ सभी वरिष्ठतम न्यायाधीशों के एक आम सहमति से निर्णय की मांग करता है| हालांकि पारदर्शिता की कमी और नियुक्ति में देरी के कारण, एक नया अनुच्छेद 124 A संविधान में सम्मिलित किया गया, जिसके तहत राष्ट्रीय न्यायपालिका नियुक्ति आयोग (NJAC) ने अनिवार्य रूप से मौजूदा पूर्व संशोधित संविधान में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम प्रणाली को नई प्रणाली के द्वारा प्रतिस्थापित किया| राष्ट्रिय न्यायपालिका नियुक्ति आयोग (NJAC ) निम्नलिखित व्यक्तियों से बना होता है : 1. भारत के मुख्य न्यायाधीश (सभापति) 2. दो वरिष्ठतम सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 3. केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री 4. प्रधान न्यायाधीश, भारत के प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता से मिलकर बनी समिति के द्वारा नामित दो प्रतिष्ठित व्यक्ति| आयोग के कार्य निम्नांकित हैं : • प्रधान न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए व्यक्तियों की सिफ़ारिश करना, • एक अदालत से दूसरी अदालत में मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों का स्थानांतरण करना • अनुमोदित व्यक्तियों की क्षमता का आकलन करना अधिकार क्षेत्र (अनुच्छेद 141, 137) भारत के संविधान के अनुच्छेद 137 से 141 भारत के उच्चतम न्यायालय की संरचना और अधिकार क्षेत्र को निर्धारित करते हैं। अनुच्छेद 141 के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट द्वारा घोषित कानून भारत की सभी अदालतों पर अनिवार्य रूप से लागू होते है तथा अनुच्छेद 137 सर्वोच्च न्यायालय को अपने ही फैसले पर समीक्षा करने का अधिकार देता है| भारत के उच्चतम न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है: मूल न्यायाधिकार – (अनुच्छेद 131) यह न्यायधिकार केवल सर्वोच्च न्यायालय में प्रारम्भ हुए मामलों में ही लागू होता है तथा स्पष्ट करता हैं कि सर्वोच्च न्यायालय के मूल व विशेष न्यायाधिकार के मामलों के बीच में : • एक तरफ सरकार तथा दूसरी तरफ एक या ज्यादा राज्य हों • सरकार और एक या अधिक राज्य एक तरफ तथा दूसरी तरफ अन्य राज्य हों • दो या अधिक राज्य हों अपीलीय न्यायाधिकार (अनुच्छेद 132,133,134) उच्च न्यायालय के विपरीत सर्वोच्च न्यायालय में अपीलें 4 निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित हैं: 1. संवैधानिक मामले – उच्च न्यायालय प्रमाणित करता है कि मुकदमा कानून के सारभूत मामलों से संबन्धित है जिसमें संविधान की व्याख्या की ज़रूरत है| 2. सिविल मामले – यदि मुकदमा सार्वजनिक महत्ता के सारभूत मामलों से संबन्धित हो 3. आपराधिक मामले - अगर उच्च न्यायालय में अपील करने पर एक आरोपी को बरी किए जाने के आदेश को उलट दिया जाये और उसे मौत की सजा सुना दी जाये या सुनवाई करने से पहले अधीनस्थ अदालत से किसी भी मामले को वापस ले लिया गया हो 4. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विशेष अनुमति प्रदान करना यदि यह संतोषजनक है कि मुकदमा सारभूत मामलों से संबन्धित नहीं है| हालांकि इसे एक अदालत या सशस्त्र बलों के न्यायाधिकरण द्वारा पारित निर्णय के मामले में पारित नहीं किया जा सकता है। हालांकि, इस न्यायाधिकार के तहत सर्वोच्च न्यायालय एक या एक से अधिक उच्च न्यायालयों से मुकदमे अपने पास स्थानांतरित कर सकता है यदि मुकदमे न्याय के हित में कानून के मसलों से संबन्धित हो| सलाहकार क्षेत्राधिकार (अनुच्छेद 143) अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय से दो श्रेणी के मामलों में राय लेने के लिए अधिकृत हैं - (क) सार्वजनिक महत्व के मामले (ख) पूर्व संविधान, संधि, करार, वचनबद्धता, लाइसैन्स या इसी तरह के अन्य सवाल इसके अलावा 144 अनुच्छेद निर्दिष्ट करता है कि भारत के राज्यक्षेत्र में सभी सिविल और न्यायिक अधिकार सर्वोच्च न्यायालय के कार्य में सहायता करेंगे| सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां 1. अदालत की अवमानना (दीवानी या आपराधिक) करने पर 6 महीने के लिए साधारण कारावास या 2000 रुपये तक का जुर्माना करने का अधिकार| दीवानी अवमानना का अर्थ किसी भी निर्णय का जानबूझकर की गई अवज्ञा है| आपराधिक अवमानना का अर्थ है कोई भी ऐसा कार्य जो अदालत के अधिकार को नीचा दिखाए या न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करे| 2. न्यायिक समीक्षा - विधायी क़ानून और कार्यकारी आदेशों की संवैधानिकता की जांच करना| समीक्षा के आधार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए गए संसदीय कानून या नियम 3. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में अधिकार का निर्णय लेना 4. संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों के व्यवहार व आचरण में पूछताछ का अधिकार 5. उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित मामलों को वापस लेना और उन्हें अपने आप निपटाना 6. तदर्थ न्यायधीशों की नियुक्ति – अनुच्छेद 127 निर्दिष्ट करता है कि यदि कभी किसी भी समय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की कोरम की कमी हो जाए, भारत का मुख्य न्यायधीश राष्ट्रपति कि पूर्व सहमति से तथा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा लिखित याचिका में उपस्थित उच्च न्यायालय के न्यायधीश को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायधीश नियुक्त किया जा सकता है| 7. उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति – अनुच्छेद 128 - भारत का मुख्य न्यायाधीश किसी भी समय राष्ट्रपति तथा नियुक्त किए जाने वाले व्यक्ति की पूर्व सहमति से किसी भी व्यक्ति को नियुक्त किया जा सकता है जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश के कार्यालय में काम कर चुका हो| 8. कार्यवाहक मुख्य न्यायधीशों की नियुक्ति – अनुच्छेद 126 – जब मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय रिक्त होता है या जब मुख्य न्यायाधीश अनुपस्थिति के कारण या किसी कारणवश अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हो, इस तरह के मामलों में राष्ट्रपति अदालत के न्यायाधीश को कार्यालय के कर्तव्यों का पालन करने के लिए नियुक्त कर सकता है| 9. संशोधित न्यायाधिकार: अनुच्छेद 137 के तहत सुप्रीम कोर्ट को किसी भी फैसले या आदेश की समीक्षा करने का अधिकार है इस दृष्टिकोण के साथ कि उन गलतियों या त्रुटियों को हटाया जाये जो फैसले या आदेश लेते हुए आ गए हों| 10. सर्वोच्च न्यायालय अभिलेखों के न्यायालय के रूप में सुप्रीम कोर्ट
अभिलेखों का न्यायालय है क्योंकि इसके निर्णय बारीक मूल्यों पर निर्धारित हैं और किसी भी न्यायालय में प्रश्नगत नहीं है| सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश का निष्कासन : सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को कार्यालय से राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों द्वारा पारित प्रस्ताव के आधार पर कुल सदस्यों की संख्या के बहुमत और वर्तमान सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत के साथ प्रत्येक सदन में मतदान के साथ, सिद्ध हुए न्यायाधीश के दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर निष्कासित किया जा सकता है| हालांकि, भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में एक न्यायपालिका की ज़रूरत है क्योंकि लोकतांत्रिक मूल्य उचित नियंत्रण और संतुलन के बिना अपनी महत्वता खो रहे हैं| सर्वोच्च न्यायालय में कुल कितने?एक्ट सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की अधिकतम संख्या 30 निर्धारित करता है (भारत के मुख्य न्यायाधीश को छोड़कर)। बिल इस संख्या को 30 से 33 करता है।
भारत में कितने सर्वोच्च और उच्च न्यायालय हैं?वर्तमान में देश में 25 उच्च न्यायालय हैं।. 1 सर्वोच्च न्यायालय. 2 उच्च न्यायालय. 3 इन्हें भी देखें. 4 सन्दर्भ. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य कौन है?भारत के 50वें और वर्तमान मुख्य न्यायाधीश धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़ हैं। उन्होंने 9 नवंबर 2022 को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश कौन है 2022?किरेन रिजिजू ने कहा कि, "भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति ने डॉ. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ को 9 नवंबर, 2022 से भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया है." किरेन रिजिजू ने 9 नवंबर को औपचारिक शपथ ग्रहण समारोह के लिए न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ को अपनी शुभकामनाएं दी.
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