भूमि के कणों का अपने मूल स्थान से हटने एवं दूसरे स्थान पर एकत्र होने की क्रिया को भू-क्षरण या मृदा अपरदन कहते हैं ! Show
Ff3h4ggy3 {{ क्षे7णीहीन|date=नवम्बर 2019 भू क्षरण से आप क्या समझते हैं?भूमि के कणों का अपने मूल स्थान से हटने एवं दूसरे स्थान पर एकत्र होने की क्रिया को भू-क्षरण या मृदा अपरदन कहते हैं!
मृदा क्षरण क्या है इसे कैसे रोका जा सकता है?संसार के विभिन्न क्षेत्रों में मृदा अपरदन को रोकने के लिए भिन्न-भिन्न विधियाँ अपनाई गई हैं। मृदा संरक्षण की विधियाँ हैं - वनों की रक्षा, वृक्षारोपण, बांध बनाना, भूमि उद्धार, बाढ़ नियंत्रण, अत्यधिक चराई पर रोक, पट्टीदार व सीढ़ीदार कृषि, समोच्चरेखीय जुताई तथा शस्यार्वतन। मृदा एक बहुत ही महत्वपूर्ण संसाधन है।
क्षरण कितने प्रकार का होता है?मृदा अपरदन की क्रियाविधि में मिट्टी के कणों का ढीला होना और उनका विलगाव तथा अलग की गई मिट्टी का परिवहन शामिल होता है। 1. जल अपरदन: जल के द्वारा मृदा का ह्रास जल अपरदन कहलाता है। वर्षा जल अपरदन: वर्षा जल की बूँदों के सीधे सतह से टकराने के कारण मृदा कण पृथक होकर स्थानांतरित हो जाते हैं जिसे वर्षा जल अपरदन कहते हैं।
अपरदन को रोकने और कम करने के लिए कौन कौन से तरीके हैं?घास लगाकर - घास के पत्ते तथा जड़ें पानी की गति को कम कर देते हैं, जिससे जल मिट्टी के कणों को बहाकर नहीं ले जा पाता। <br> 2. खेत समतल करके - ढलवों जगह को छोटे-छोटे समतल टुकड़ों में बाँटकर खेती करने से भी पानी की गति कम हो जाती है, जिससे भूमि का कटाव नहीं होता है। <br> 3.
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