अंतर वैयक्तिक संचार से क्या सही है? - antar vaiyaktik sanchaar se kya sahee hai?

अंतर वैयक्तिक संचार क्या है | मूल तत्त्व, लाभ व बाधाएं

अंतर वैयक्तिक संचार एक प्रकार का संचार है जिसमें संचारक और प्राप्तकर्ता आमने-सामने होते हैं। अंतर वैयक्तिक संचार लिखित या मौखिक रूप में हो सकता है, पारस्परिक संचार में लिखित रूप जैसे पत्र, डायरी शामिल हो सकते हैं जबकि मौखिक संचार में टेलीफोन, आमने-सामने बातचीत शामिल हो सकती है। इस लेख में हम अंतर वैयक्तिक संचार क्या है और अंतर वैयक्तिक संचार के मूल तत्त्व, लाभ और बाधाएं क्या है जानेंगे।

अंतर वैयक्तिक संचार क्या है

अंतर वैयक्तिक संचार वह है, जिसमें दो व्यक्तियों के बीच या एक व्यक्ति और एक समूह के बीच संचार होता है। जब दो व्यक्तियों के बीच संचार होता है तो इसे दोतरफा संचार कहा जाता है। अंतर वैयक्तिक संचार प्रत्यक्ष है और इसके बीच में किसी संचार तकनीक की आवश्यकता नहीं होती है। इसे व्यक्तिगत संबंधों और सामाजिक व्यवस्थाओं को बनाए रखने और विकसित करने के लिए आवश्यक माना जाता है।

अंतर वैयक्तिक संचार के बिना एक समूह के रूप में कार्य करने वाले सामाजिक समूह की इकाइयों के बारे में सोचना मुश्किल है। एक समुदाय या समूह केवल व्यक्तियों का समूह नहीं है बल्कि एक एकजुट इकाई है। संचार के माध्यम से एकता और पहचान की अभिव्यक्ति होती है। अंतर वैयक्तिक संचार द्वारा संबंध बनाए और पोषित किए जाते हैं।

अंतर वैयक्तिक संचार के मूल तत्त्व

अंतर वैयक्तिक संचार मौखिक या गैर-मौखिक हो सकता है। इस प्रक्रिया में केवल प्रेषक और प्राप्तकर्ता ही एक दूसरे को संदेश की संचार प्रक्रिया के बारे में जानते हैं। अंतर वैयक्तिक संचार दो प्रकार का हो सकता है: पारस्परिक आदान-प्रदान और अंतःक्रिया।

आपसी आदान-प्रदान से हमारा तात्पर्य परिवार के सदस्यों और प्रेमियों आदि के बीच की निजी बातचीत से है। यह संचार अधिक अनौपचारिक है और इसे सार्वजनिक या सामाजिक मानदंडों के अनुरूप नहीं होना चाहिए।

अंतर वैयक्तिक संचार में, संचरण और स्वागत प्रक्रिया अक्सर एक साथ होती है जिसमें यह बताना मुश्किल होता है कि एक व्यक्ति कब संदेश भेज रहा है और प्राप्त कर रहा है। उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति या समूह से बात कर रहा होता है, तो वह संप्रेषित किए जा रहे संदेश के अलावा उनकी जनता की प्रतिक्रिया भी देखता है।

अपने श्रोताओं से प्राप्त जानकारी के अनुसार अपना संदेश तैयार करता है। अगर उसे लगता है कि दर्शकों में कोई दिलचस्पी नहीं है, तो वह अपने बयान के कुछ हिस्सों को छोड़ सकता है, विषय बदल सकता है या बातचीत बंद कर सकता है।

अंतर वैयक्तिक संचार के लाभ

  1. इस संचार के माध्यम से, संचारक और रिसीवर के बीच आमने-सामने संबंध होता है। जिससे मौखिक संदेश की गोपनीयता बनी रहती है।
  2. इस संचार में, संचारक और रिसीवर होते हैं, जिसके कारण जानकारी अन्य लोगों के पास नहीं जाती है।

अंतर वैयक्तिक संचार में बाधाएं

  1. सामाजिक बाधाओं में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव, सामाजिक रूप से उत्पीड़ित वर्ग और सामाजिक रूप से वंचित वर्ग शामिल हैं।
  2. अंतर वैयक्तिक स्तर पर प्रभावी संचार की विफलता कई सामाजिक और पारिवारिक विकृतियों का कारण बन जाती है।
  3. संचार बाधाओं में उम्र, मानसिकता और दृष्टिकोण में अंतर, विवाहित भागीदारों और परिवार के सदस्यों के बीच संचार की कमी शामिल है।
  4. यह उदासीनता, अकेलापन, उदासीनता और अन्य व्यक्तित्व निराशाओं को जन्म दे सकता है। अंतर्मुखी स्तर पर प्रभावी अंतःक्रिया के विफल होने के कारण व्यक्ति अंतर्मुखी, समाज से कटुता महसूस करने लगता है। इस तरह के अनुचित तीव्र व्यवहार से व्यक्ति का हिंसक और यहां तक ​​कि आत्मघाती व्यवहार भी हो सकता है।
  5. अंतर वैयक्तिक संचार में सफलता का अर्थ है इन सभी बाधाओं और अन्य बाधाओं को दूर करना। इस प्रक्रिया में दोनों पक्ष शामिल हैं।

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अंतरवैयक्तिक कौशलः-

ज्यादातर दिनों में हमे कई लोगों से संवाद करना पड़ता है, जिसमे हम पाते है कि ऐसे लोगों से जैसे - हमारे नजदीकी मित्रों से हमें संवाद स्थापित करने में सहजता होती है; हालाँकि ऐसे मित्रों से भी कभी-कभी हमें आशा अनुरुप बातचीत में संतुष्टि नहीं मिलती। हममे से ज्यादातर लोगों को अन्य लोगों से संवाद स्थापित करना चुनौतीपूर्ण लगता होगा लेकिन हम इसे अंतरवैयक्तिक कौशलों से सहज बना सकते हैं। अंतरवैयक्तिक कौशल हमें व्यावसायिक एवं व्यक्तिगत जीवन में अत्यन्त आवश्यक हैं। ऐसे व्यक्ति जिनका अंतरवैयक्तिक कौशल अच्छी होती है उन्हें यह दूसरों के विचारों को समझने व संवाद स्थापित करने में सहजता प्रदान करती है तथा इसकी बदौलत वे आत्मविश्वास के साथ संवाद स्थापित कर पाते हैं।

आप अपनी अंतरवैयक्तिक कौशल बढ़ा सकते हैः- अंतरवैयक्तिक कौशल के विकास के लिए आपको ज्यादा परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होगी। बस आपको इसका आभास होना चाहिए कि आप कैसे संवाद स्थापित करते है तथा इसके लिए थोड़ा अभ्यास करना जरुरी है। इसके आधार पर आप दूसरों से सहजता और आत्मविश्वास से संवाद स्थापित करना सीख सकते हैं।

अपनी संवाद कौशल में सुधार लाएः- अंतरवैयक्तिक कौशल के विकास के लिए अच्छी संवाद कौशल का होना आवश्यक है। अतः यदि आप यह महसूस करते हैं कि आपको अपने विचारों को व्यक्त करने में असहजता होती हो तो आपको संवाद क्षमता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।

समस्याओं को सही तरीके से समाधान करेः- प्रायः अंतरवैयक्तिक कौशल का मतलब छोटी या बड़ी समस्या का आप पर होने वाला प्रभाव एवं उस समस्या के समाधान से ज्यादा आपका उस पर समस्या के प्रति आपका अपना व्यवहार प्रदर्शन होता है कि आप कैसे उसका समाधान ढूँढ़ते है, अतः ऐसी परिस्थिति मे शांतचित्त होकर समस्या के समाधान में प्रभावी कदम उठाने की क्षमता ही आपकी अंतरवैयक्तिक कौशल का विकास करेगा। यह आपकी समस्या का समाधान करेगा तथा संवाद को टूटने से बचाएगा, जिससे समस्याएँ बढ़ती हैं। शांतचित्त होना भी आपको मदद करता है, क्योंकि जब आप तनाव में होते हैं तो सही संवाद स्थापित नहीं हो पाती है।

जब दूसरे व्यक्ति भी किसी कार्य में सहयोगी हों तब निर्णय लेने में सजग रहेः- ऐसे स्थिति मे निर्णय लेना, आपके अंतरवैयक्तिक कौशल की परीक्षा होती है क्योंकि ऐसे समय मे विपरीत विचारों के व्यक्त होने की संभावनाएं भी होती हैं तथा हमारे बातचीत की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करती है कि हमारे पास किस-किस प्रकार के विकल्प हैं और उनका मूल्यांकन किस प्रकार से किया जा रहा है और अंततः किस प्रकार से निर्णय लिए जा रहे हैं। आप अपना विकल्प तार्किक ढंग से रखें और दूसरों के विचारों को ध्यानपूर्वक सुने यही अच्छा होता है। जिससे आपको सर्वश्रेष्ठ विकल्प चुनने में मदद मिलती है। चाहे वह विकल्प आपके द्वारा या किसी और के द्वारा व्यक्त की गई हो।

आप हमेशा सकारात्मक बने रहे:- अच्छी अंतरवैयक्तिक कौशल का यह अर्थ नहीं होता कि आप अपने आपको परिवर्तित कर माहौल के अनुरुप हो लें आप जो करना चाहे वैसा ही हो ऐसा भी संभग नही होता फिर भी यदि आप अपने विचारों से लोगों को संतुष्ट कर सके तो लोग आपकी बातों को स्वीकार करेंगे और चाहे वे आपसे सहमत न भी हों इसके लिए आपको अपने कारणों को स्पष्ट रुप से रखना अत्यंत आवश्यक है।

कठिन हालात पर सावधानी से काबू पाएः- संवाद के दौरान कठिन परिस्थितयों में आपको अपनी भावनाओं पर काबू पाने की क्षमता होनी चाहिए तथा हमें दूसरों के भावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए । हमें लोगों की भावनाओँ के बारे पूर्वानुमान लगा लेना चाहिए, जब आप मुश्किल हालात पर बात कर रहे हों। यदि आवश्यक हो तो हमे लोगों को समझने के लिए समय देना चाहिए ताकि वे अपनी भावनाओं पर काबू पा सके। प्रायः किसी भी प्रकार के परिवर्तन की स्थिति में संवाद स्थापित करना मुश्किल होता है। अतः उन परिवर्तनकारी परिस्थितियों को समझना आवश्यक है न कि तुरन्त नकारात्मक तरीके से प्रतिक्रिया जता देना। क्योंकि इससे सामान्य ढंग से काम करना मुश्किल होता है। परिवर्तन अपने साथ नए अवसरों को भी साथ लाती है तथा परिवर्तन को टाला भी नही जा सकता । अतः सकारात्मक नजरिया का होना तथा ऐसे कठिन हालातों पर संवाद स्थापित कर पाना ही मुश्किल परिस्थतियों को पार पाने का सबसे महत्पूर्ण तरीका है।

विवाद एवं विवादो का समाधान:- विवाद एवं विवादों का समाधान करने का प्रयास हमारे अंतरवैयक्तिक कौशल का अच्छा परीक्षा लेता है। विवाद शायद ही कभी किसी मुद्दे पर सही विमर्श का कारण बन पाता है इससे सिर्फ और सिर्फ लोगों के अहं को ही ठेश लगती है अतः यदि आप विवादास्पद मुद्दो पर उलझने जैसी स्थिति मे पहुँच रहे हों तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। आपको अपनी भावनाओं को काबू मे रखना चाहिए तथा अपनी संवाद को यथासंभव विनम्र ही रखना चाहिए तथा अपनी दृष्टिकोण एवं तर्कपूर्ण विचार को शांत ढंग से व्यक्त करना चाहिए। यह बातचीत को उत्तेजक होने से रोकती है, एसी स्थिति मे कभी आप किसी के निजी जीवन पर जाने से बचे तथा अपनी आवाज को संतुलित रखे जिससे आप जो कहना चाह रहे हों उसका अर्थ परिवर्तित ना हो। विवाद के समाधान मे का अर्थ ये नहीं होता कि आप अपनी बात से पीछे हटे जिससे आप पीछे नहीं हटना चाहते। कभी- कभी विवादों का कारण लोगों का किसी विषय मे जानकारियों का अभाव अथवा सही जानकारी का नहीं होना भी होता है जिससे वे गलत धारणाओं का विकास करते हैं और विवाद का जन्म होता है, यदि प्रत्येक व्यक्ति संबन्धित वैश्य की गहराई मे सावधानीपूर्वक जाये तो विवादों को सहज ढंग से सुलझाया जा सकता है। यदि विवाद अवश्यंभावी प्रतीत हो तो आप उस विषय से दूरी भी बना सकते है। एसी स्थिति मे आप बातचीत से खुद को अलग भी कर सकते है या सहमति या असहमति व्यक्त कर सकते हैं अथवा किसी को इस मामले मे हस्तक्षेप के लिए भी आमंत्रित कर सकते हैं।यहाँ तक कि आप आगे बढ़ते हुये स्पष्ट ढंग से अपनी बातों को रख सकते है लेकिन ऐसे स्थिति मे आपको कठोरता से बचना चाहिए, जिससे किसी का अपमान ना हो। यदि आप बातचीत से अनावश्यक तैश से बचते हैं तो संभव है कि आप एक समाधान तक पहुँच जाएँ। मानवीय इतिहास ऐसे कई विवादास्पद मुद्दों से भरी पड़ी है जहाँ विपरीत विचारधाराएँ साथ-साथ चलती आई हों या एक निश्चित समाधान तक पहुँची हों। हुमारे पास कई विवादरहित तरीके मौजूद है जहाँ विपरीत विचारधारा होने के बावजूद विमर्श किए जा सकते हैं। आप ऐसे किसी भी मामले मे बिना विवाद के तर्क-वितर्क कर सकते हैं।

दूसरों के प्रति सम्मान का भाव रखेः- अंतरवैयक्तिक कौशल का एक महत्पूर्ण भाग लोगों के प्रति सम्मान के भाव का होना भी है। आप अपने पसंद के व्यक्तियों का चुनाव कर सकते हैं, परन्तु आपको आदर देने में लोगों का चुनाव नहीं करना चाहिए, आपको प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए। जब आप लोगों से सम्मान से पेश आते हैं तो लोग आपको ध्यान से सुनते हैं तथा खुलकर अपने विचारों के व्यक्त करते हैं। यदि आप अपनी वरिष्ठता क्रम को ध्यान में न रखकर सभी से सम्मान से पेश आते हैं तो आपको भी बदले में सम्मान प्राप्त होता है। एक बार जब हम परस्पर सम्मान भाव से जुड़ जाते हैं तो संवाद आसान हो जाता है और आप वैसे लोगों के साथ भी गहराई से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाते हैं।

अंतर व्यक्ति संचार से क्या सही है?

अन्तर्वैयक्तिक संचार वह है, जिसमें दो व्यक्तियों के बीच या एक व्यक्ति तथा समूह के बीच संचार होता है। जब संचार दो व्यक्तियों के बीच होता है तो उसे द्विकीय संचार कहा जाता है। अन्तर्वैयक्तिक संचार प्रत्यक्ष होता है तथा इसके बीच में किसी संचार तकनीकी की आवश्यकता नहीं होती।

वैयक्तिक संचार और संचार में क्या?

निष्कर्ष: संचार अंत:वैयक्तिक संचार के साथ कहा जाता है और बड़े पैमाने पर जन संचार बना जाता है। इसलिए संचार उन लोगों की संख्या के आधार पर विभेदित किया जा सकता है, जिन तक वह पहुंच सकता है।

अंतर वैयक्तिक कौशल क्या है?

समस्याओं को सही तरीके से समाधान करेः- प्रायः अंतरवैयक्तिक कौशल का मतलब छोटी या बड़ी समस्या का आप पर होने वाला प्रभाव एवं उस समस्या के समाधान से ज्यादा आपका उस पर समस्या के प्रति आपका अपना व्यवहार प्रदर्शन होता है कि आप कैसे उसका समाधान ढूँढ़ते है, अतः ऐसी परिस्थिति मे शांतचित्त होकर समस्या के समाधान में प्रभावी कदम ...

अंतर वैयक्तिक संचार कितने लोगों के बीच होता है?

संचार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच सूचनाओं, विचारों और भावनाओं का आदान-प्रदान है। इस तरह संचार एक प्रक्रिया है जिसमें कई तत्त्व शामिल हैं। संचार के कई प्रकार हैं जिनमें मौखिक और अमौखिक संचार के अलावा अंत:वैयक्तिक, अंतरवैयक्तिक, समूह संचार और जनसंचार प्रमुख हैं ।

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