अष्टमी कितने बजे से कितने बजे तक है? - ashtamee kitane baje se kitane baje tak hai?

अष्टमी कितने बजे से कितने बजे तक है? - ashtamee kitane baje se kitane baje tak hai?

आज का पंचांग, 17 अक्टूबर 2022

आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang): आज 17 अक्टूबर दिन सोमवार है. आज अहोई अष्टमी व्रत और तुला संक्रांति है. आज सुहागन महिलाएं सौग्भाग्य और संतान के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. आज सूर्य का राशि परिवर्तन है.

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  • Last Updated : October 17, 2022, 06:00 IST

हाइलाइट्स

आज कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है.
सुबह 09:32 बजे से अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी.
आज अहोई अष्टमी व्रत और तुला संक्रांति है.

आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang): आज 17 अक्टूबर दिन सोमवार है. आज कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है. सुबह 09:32 बजे से अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी. आज अहोई अष्टमी व्रत और तुला संक्रांति है. आज सुहागन महिलाएं सौग्भाग्य और संतान के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और अहोई माता की पूजा करती हैं. माताएं इस दिन अपनी संतान की सुरक्षा और उसके सुखी भविष्य के लिए व्रत रखती हैं. पूजा के समय अहोई अष्टमी व्रतकथा सुनते हैं. इस व्रत में तारों को देखने और चंद्रमा को अर्घ्य देने की की परंपरा है. तभी व्रत पूरा होता है.

आज सूर्य ग्रह का राशि परिवर्तन है. आज शाम 07 बजकर 23 मिनट पर सूर्य का तुला राशि में गोचर होगा. उस समय सूर्य की तुला संक्रांति होगी. सूर्य जिस क्षण जिस राशि में प्रवेश करता है, उस समय उस राशि की संक्रांति होती है. आज से सौर कैलेंडर का नया माह तुला भी प्रारंभ हो जाएगा. सूर्य का यह राशि परिवर्तन आपके जीवन में कई तरह के बदलाव लेकर आएगा. सभी राशियों पर सूर्य के राशि परिवर्तन का असर देखने को मिल सकता है.

आज सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा का है. शिव पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और ग्रह दोष भी दूर होता है. शिव कृपा से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आइए पंचांग से जानें आज का शुभ और अशुभ मुहूर्त और जानें कैसी होगी आज ग्रहों की स्थिति.

17 अक्टूबर 2022 का पंचांग
आज की तिथि – कार्तिक कृष्णपक्ष सप्तमी
आज का करण – बव
आज का नक्षत्र – पुनर्वसु
आज का योग – शिव
आज का पक्ष – कृष्ण
आज का वार – सोमवार

सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय – 06:36:00 AM
सूर्यास्त – 06:12:00 PM
चन्द्रोदय – 23:25:00
चन्द्रास्त – 13:09:00
चन्द्र राशि– मिथुन

हिन्दू मास एवं वर्ष
शक सम्वत – 1944 शुभकृत
विक्रम सम्वत – 2079
काली सम्वत – 5123
दिन काल – 11:27:12
मास अमांत – आश्विन
मास पूर्णिमांत – कार्तिक
शुभ समय – 11:43:28 से 12:29:16 तक

अशुभ समय (अशुभ मुहूर्त)
दुष्टमुहूर्त– 12:29:16 से 13:15:05 तक, 14:46:43 से 15:32:32 तक
कुलिक– 14:46:43 से 15:32:32 तक
कंटक– 08:40:12 से 09:26:01 तक
राहु काल– 08:03 से 09:30 तक
कालवेला/अर्द्धयाम– 10:11:50 से 10:57:39 तक
यमघण्ट– 11:43:28 से 12:29:16 तक
यमगण्ड– 10:40:28 से 12:06:22 तक
गुलिक काल– 13:51 से 15:18 तक

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Tags: Astrology, Dharma Aastha

FIRST PUBLISHED : October 17, 2022, 06:00 IST

धर्म डेस्क, अमरउजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Mon, 17 Oct 2022 08:07 AM IST

Ahoi Ashtami Vrat: अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं संतान की लंबी आयु और सुख- समृद्धि के लिए रखती हैं। यह व्रत भी करवाचौथ की तरह निर्जला रखा जाता है और व्रत को आकाश में तारों को देखने के बाद ही खोला जाता है। वैसे तो यह व्रत देवी अहोई को समर्पित है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार अहोई अष्टमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है और परिवार में सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।  करवा चौथ के चार दिन बाद और दीपावली से आठ दिन पूर्व अहोई अष्टमी व्रत रखा जाता है। इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर यानी आज रखा जाएगा। ए व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। इस शुभ योग के कारण अहोई अष्टमी का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं अहोई अष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि के बारे में। 

अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त:  17 अक्तूबर, सोमवार, सायं 05:50 बजे से सायं 07:05 बजे तक, 
कुल अवधि: 01 घंटा 15 मिनट 
तारों को देखने का समय: सायं 06:13 बजे

अहोई अष्टमी व्रत का महत्व
अहोई अष्टमी को अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत को निर्जला रखा जाता है।  पूजा के बाद तारों को देखकर और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत को खोला जाता है। व्रत करने वाली माताएं अहोई माता से अपनी संतान की लंबी आयु और खुशहाली की कामना करती हैं। अहोई अष्टमी व्रत करने से मन की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। इस दिन अहोई देवी की तस्वीर के साथ सेई और सई के बच्चों के चित्र की पूजा करने का विधान है। 

अष्टमी कितने बजे से कितने बजे तक है? - ashtamee kitane baje se kitane baje tak hai?

Durga Ashtami 2022: अष्टमी के दिन कन्याओं के पूजन का विधान है। अष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। - फोटो : ISTOCK

विस्तार

 

दुर्गा महा अष्टमी पूजा शुभ मुहूर्त 2022
अक्टूबर 2, 2022 को 18:49 से अष्टमी आरम्भ
अक्टूबर 3, 2022 को 16:39 पर अष्टमी समाप्त
 

Navratri 2022 Durga Ashtami Shubh Muhurat Puja Vidhi: नवरात्रि पर देवी दुर्गा के नौ रूपों की विशेष आराधना की जाती है। इन नौ दिनों में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है, इसे दु्र्गाष्टमी भी कहा जाता है। अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के अवसर पर आने वाली दुर्गा अष्टमी को महा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन मां के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा होती है। अष्टमी तिथि पर 2 से 10 साल की उम्र की नौ कन्याओं की पूजा,भोजन और उपहार देते हुए दुर्गा मां की पूजा की जाती है। मान्यता है 2 से 10 साल की उम्र तक की कन्याओं में मां दुर्गा का वास होता है। आइए जानते हैं कब है अष्टमी तिथि और क्या है इसका महत्व...

शारदीय नवरात्रि 2022- कब है अष्टमी तिथि और शुभ योग
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की महादुर्गा अष्टमी 03 अक्तूबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार महाष्टमी तिथि 02 अक्तूबर की शाम को 06 बजकर 49 मिनट शुरू हो जाएगी। वहीं अष्टमी तिथि 03 अक्तूबर को शाम 04 बजकर 39 मिनट पर खत्म हो जाएगी। उदय तिथि के आधार पर अष्टमी की पूजा 03 अक्तूबर को होगी। इसके अलावा दु्र्गा अष्टमी पर रवि और शोभन योग बन रहे हैं। ज्योतिष में इन दोनों योगों का बहुत ही शुभ और कल्याणकारी माना गया है। इस योग में पूजा और शुभ मांगलिक कार्य करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है।

दुर्गा अष्टमी का महत्व 
- इस तिथि पर नवरात्रि पर देवी दु्र्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। 
- महाष्टमी पर कन्या पूजन की जाती है जहां पर 02 से लेकल 10 साल की आयु की कन्यायों के पैर धोकर उनकी आरती करते हुए भोजन कराया जाता है।
- अष्टमी तिथि मां दु्र्गा की तिथि माना गई है। इस तिथि पर मां दुर्गा की पूजा और कन्या पूजन करने पर मां जल्दी प्रसन्न होती हैं।
- दुर्गा अष्टमी पर मां दु्र्गा के बड़े-बड़े पंडालों में दु्र्गा मां की विशेष आराधना की जाती है। 
- इस तिथि पर हवन भी किया जाता है। मान्यता है हवन करने से वातावरण और घर के आसपास मौजूद नकारात्मक ऊर्जाएं समाप्त हो जाती है।

मंत्र-
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

आयु के अनुसार कन्या का स्वरुप और मिलने वाला फल-

दो वर्ष की कन्या-
दो साल की कन्या को कुमारी कहा गया है। इस स्वरूप के पूजन से सभी तरह के दुखों और दरिद्रता का नाश होता है।
तीन वर्ष की कन्या-
तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहा गया है। भगवती त्रिमूर्ति के पूजन से धन लाभ होता है।
चार वर्ष की कन्या-
चार वर्ष की कन्या को कल्याणी कहा गया है। देवी कल्याणी के पूजन से जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पांच वर्ष की कन्या-
पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी माना गया है। मां के रोहणी स्वरूप की पूजा करने से जातक के घर परिवार से सभी रोग दूर होते है।
छह साल की कन्या-
इस उम्र की कन्या कालका देवी का रूप मानी जाती है। मां के कलिका स्वरूप की पूजा करने से ज्ञान,बुद्धि,यश और सभी क्षेत्रों में विजय की प्राप्ति होती है।
सात वर्ष की कन्या-
सात वर्ष की कन्या मां चण्डिका का रूप है। इस स्वरूप की पूजा करने से धन,सुख और सभी तरह के ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है।
आठ वर्ष की कन्या-
आठ साल की कन्या मां शाम्भवी का स्वरूप है। इनकी पूजा करने से युद्ध,न्यायलय में विजय और यश की प्राप्ति होती है।
नौ वर्ष की कन्या-
इस उम्र की कन्या को साक्षात दुर्गा का स्वरूप मानते है। मां के इस स्वरूप की अर्चना करने से समस्त विघ्न बाधाएं दूर होती है,शत्रुओं का नाश होता है और कठिन से कठिन कार्यों में भी सफलता प्राप्त होती है।
दस वर्ष की कन्या-
दस वर्ष की कन्या सुभद्रा के सामान मानी जाती हैं। देवी सुभद्रा स्वरूप की आराधना करने से सभी मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते है।

आज अष्टमी कब से कब तक है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 2 अक्टूबर शाम 6 बजकर 47 मिनट से शुरू हो जाएगी जो कि अगले दिन 3 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 37 मिनट तक रहेगी. आज दुर्गा अष्टमी के दिन माता दुर्गा की आंठवी शक्ति मां महागौरी की पूजा की जाती है. दुर्गा अष्टमी के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा.

अष्टमी तिथि कितने बजे से कितने बजे तक है?

नवरात्रि की अष्टमी 3 अक्टूबर 2022, सोमवार को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 02 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 47 मिनट से शुरू होगी, जो कि 03 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। अष्टमी तिथि पर अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 बजे से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।

असटमी कब है 2022?

कब है अहोई अष्टमी 2022. हिंदू पंचांग के अनुसार ​अहाई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है. इस साल यह तिथि 17 अक्टूबर को सुबी 9 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगी और 18 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार व्रत 17 अक्टूबर को रखा जाएगा.

अहोई अष्टमी व्रत 2022 कब है?

Ahoi Ashtami 2022 Date, Shubh Muhurat, Importance: अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं संतान की लंबी आयु और उसकी कुशलता के लिए रखती है. हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. साल 2022 में अहोई अष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर, सोमवार को यानी आज रखा जा रहा है.