सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करने को संक्रांति कहते हैं। संक्रांति एक सौर घटना है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पूरे वर्ष में प्रायः कुल 12 संक्रान्तियाँ होती हैं और प्रत्येक संक्रांति का अपना अलग महत्व होता है। शास्त्रों में संक्रांति की तिथि एवं समय को बहुत महत्व दिया गया है Show संक्रांति क्या है?सूर्य हर महीने अपना स्थान बदल कर एक राशि से दूसरे राशि में चला जाता है। सूर्य के हर महीने राशि परिवर्तन करने की प्रक्रिया को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में संक्रांति का समय बहुत पुण्यकारी माना गया है। संक्रांति के दिन पितृ तर्पण, दान, धर्म और स्नान आदि का काफ़ी महत्व है। इस वैदिक उत्सव को भारत के कई इलाकों में बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। भारत के कुछ राज्यों जैसे आन्ध्र प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, केरल, गुजरात, तेलांगना, तमिलनाडु, पंजाब और महाराष्ट्र में संक्रांति के दिन को साल के आरम्भ के तौर पर माना जाता है। जबकि बंगाल और असम जैसे कुछ जगहों पर संक्रांति के दिन को साल की समाप्ति की तरह माना जाता है। महत्वपूर्ण संक्रातियाँज्योतिष शास्त्र के अनुसार 12 राशियाँ होती हैं, जिन्हें मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन के नाम से जाना जाता है। जैसा कि हमने आपको बताया विभिन्न राशियों में सूर्य के प्रवेश को ही संक्रांति की संज्ञा दी गई है। सूर्य बारी-बारी से इन 12 राशियों से हो कर गुजरता है। वैसे तो सूर्य का इन सभी राशियों से होकर गुजरना शुभ माना जाता है लेकिन हिन्दू धर्म में कुछ राशियों में सूर्य के इस संक्रमण को बेहद खास मानते हैं। आइये जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण संक्रांतियों के बारे में– ● मकर
संक्रांति–संक्रांति करते समय जब सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दिन को मकर सक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख और लोकप्रिय पर्व है। इस त्यौहार को हर साल जनवरी के महीने में मनाया जाता है। कहीं-कहीं पर मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहते हैं, उत्तरायण मतलब जिस दिन सूर्य उत्तर की ओर से यात्रा शुरू करता है। मकर संक्रांति 14 जनवरी या कभी-कभी, 15
जनवरी को मनाते हैं। संक्रांति का महत्वअगर देखा जाये तो संक्रांति का सम्बन्ध कृषि, प्रकृति और ऋतु परिवर्तन से भी है। सूर्य देव को प्रकृति के कारक के तौर पर जाना जाता है, इसीलिए संक्रांति के दिन इनकी पूजा की जाती है। शास्त्रों में सूर्य देवता को समस्त भौतिक और अभौतिक तत्वों की आत्मा माना गया है। ऋतु परिवर्तन और जलवायु में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव इनकी स्थिति के अनुसार होता है। न केवल ऋतु में बदलाव बल्कि धरती जो अन्न पैदा करती है और जिससे जीव समुदाय का भरण-पोषण होता है, यह सब सूर्य के कारण ही संपन्न हो पाता है। संक्रांति के दिन पूजा-अर्चना करने के बाद गुड़ और तिल का प्रसाद बांटा जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, संक्राति एक शुभ दिन होता है। पूर्णिमा, एकादशी आदि जैसे शुभ दिनों की तरह ही संक्रांति के दिन की भी बहुत मान्यता है। इसीलिए इस दिन कुछ लोग पूजा-पाठ आदि भी करते हैं। मत्स्यपुराण में संक्रांति के व्रत का वर्णन किया गया है। जो भी व्यक्ति (नारी या पुरुष) संक्रांति पर व्रत रखना चाहता हो उसे एक दिन पहले केवल एक बार भोजन करना चाहिए। जिस दिन संक्रांति हो उस दिन प्रातः काल उठकर अपने दाँतो कोअच्छे से साफ़ करने के बाद स्नान करें। उपासक अपने स्न्नान के पानी में तिल अवश्य मिला लें। इस दिन दान-धर्म की बहुत मान्यता है इसीलिए स्नान के बाद ब्राह्मण को अनाज, फल आदि दान करना चाहिए। इसके बाद उसे बिना तेल का भोजन करना चाहिए और अपनी यथाशक्ति दूसरों को भी भोजन देना चाहिए। संक्रांति, ग्रहण, पूर्णिमा और अमावस्या जैसे दिनों पर गंगा स्नान को महापुण्यदायक माना गया है। माना जाता है कि ऐसा करने पर व्यक्ति को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। देवीपुराण में यह कहा गया है- जो व्यक्ति संक्रांति के पावन दिन पर भी स्नान नहीं करता वह सात जन्मों तक बीमार और निर्धन रहता है। एस्ट्रोसेज पर क्या है खास?एस्ट्रोसेज की मदद से आप यह जान सकते हैं कि किस वर्ष में कौन-कौन से दिन संक्रांति है? बस आपको वर्ष और अपने स्थान की जानकारी भरनी होगी जिसके बाद आप आने वाली सभी संक्रांतियों के दिनांक का पता आसानी से लगा सकते हैं। हमारी इस सुविधा से न केवल आप इस साल के बल्कि आने वाली किसी भी वर्ष की संक्रांति से जुड़ी तिथि का पता लगा सकते हैं। इस महीने की संक्रांति कब है 2022 August?Surya Sankranti 2022: 17 अगस्त को सिंह संक्रांति, इस एक चीज कासेवन करने से बढ़ेगा मान-सम्मान और यश
भादों माह की संक्रांति कब है?Bhadrapada Month 2022 Vrat And Tyohar: हिन्दू धर्म में भादो का महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस महीने में ही भगवान श्री कृष्ण और भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था। साल 2022 में इस बार भादो का महीना 13 अगस्त से शुरू होकर 10 सितंबर को खत्म हो जाएगा।
अगस्त माह की संक्रांति कब है?हिंदू धर्म में एक मात्र सूर्य देव का साक्षात ईश्वर माना गया है. संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा से आरोग्य का वरदान मिलता है. भाद्रपद सिंह संक्रांति का पुण्यकाल 17 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर शुरु हो जाएगा. इस दिन सूर्य कर्क राशि से निकलकर अपनी स्वराशि सिंह में आ जाएंगे.
सितंबर 2022 की संक्रांति कब है?इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 17 सितंबर, शनिवार को सूर्य देवता सिंह राशि को छोड़कर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे और यहां एक महीने तक वे विराजमान रहेंगे. कन्या संक्रांति पुण्य काल का समय सुबह 7 बजकर 36 मिनट से दोपहर 2 बजकर 8 मिनट तक रहेगा.
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