अगर बच्चा नींद में रोता है तो क्या होता है? - agar bachcha neend mein rota hai to kya hota hai?

नई दिल्ली: अक्सर रात में अचानक से आपका बच्चा भी रोने लगा जाता है? बच्चे का रात में रोना आपके लिए सिरदर्द बना गया है. तो ये खबर आपके काम की साबित हो सकती है. अक्सर रात में जब बच्चा रोता है तो माता-पिता को लगता है कि वह किसी पीड़ा से गुजर रहा है. ज्यादातर मामलों में सोते समय बच्चे का रोना एक साधारण प्रक्रिया होती है और ये किसी गंभीर स्थिति का संकेत नहीं होता है. तो चलिए जानते हैं कि आखिर बच्चे रात में क्यों होता है और उन्हें कैसे चुप कराएं.

इन कारणों के चलते रात में रोता है बच्चा

बता दें कि बच्चे का रात में रोना सामान्य स्वभाव बोता है, लेकिन हो सकता है कि शिशु को नींद या ज्यादा जगने के चलते रोना आ रहा हो. इतना ही नहीं भूख लगने के चलते भी बच्चे को रात में रोना आता है. इसके अलावा बच्चे को गर्मी लग रही हो तो भी बच्चे रात में परेशान होकर रोने लगते हैं.

ऐसे बच्चे  को कराएं चुप

शिशु को केवल तभी दूध पिलाएं जब वह पूरी तरह से भूखा हो. याद रहे कि दूध पिलाने के बाद बीच-बीच में बच्चा डकार आने के लिए गैप लेता रहा. इससे बच्चा रात में नहीं रोएगा. क्योंकि बच्चा अक्सर भूख लगने पर ही रोता है.  इसके अलावा सबसे पहले बच्चे को चुप कराने के लिए उसे गोद में उठा लें, उसकी पीठ थपथपाएं, उसे प्यार करें.  इससे शिशु को गतिशीलता और आपके शरीर का स्पर्श प्राप्त होगा जिसके बाद शिशु चुप हो जाएगा. आप चाहें तो कमरे में चल रहे पंखे को बंद कर के भी देख सकते हैं कि शिशु के रोने का कारण कहीं वही तो नहीं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Night Terror In Children: कुछ बच्चे रात में अचानक से सोते हुए रोने लगते हैं या बहुत तेज डर जाते हैं. बच्चे के ऐसा करने से मां-बाप (Parents) परेशान होने लगते हैं. उन्हें लगता है कि शायद बच्चे ने कोई बुरा सपना या डरावनी चीज देखी होगी, जिससे बच्चा (Kids) रात को नींद से एकाएक जाग गया है. कई बच्चे तो इस कदर डर जाते हैं कि चिल्लाने लगते और डर से कांपने लग जाते हैं. इससे बच्चों के अंदर डर बैठ जाता है और वो रात में सोने से ही घबराने लग जाते हैं. लंबे समय तक इस तरह बच्चे का परेशान रहना उनकी सेहत पर भी असर डालता है.

दरअसल इस कंडीशन को नाइट टेरर (Night Terror) या स्लीप टेरर (Sleep Terror) कहते हैं. इसमें बच्चे को डरावने और भयावह सपने आते हैं, जिससे वो बुरी तरह प्रभावित होता है. अगर आपके बच्चे के साथ भी यही समस्या है तो उसे डॉक्टर को जरूर दिखाएं. 

क्या होता है नाइट टेरर
ज्यादातर 4 से 12 साल के बच्चों को ये समस्या होती है. इसमें बच्चा सोते हुए बहुत तेज डर जाता है. ये समस्या ऐसे बच्चों में ज्यादा होती है, जिनकी फैमिली में किसी को स्लीप वॉकिंग की समस्या रही हो. नाइट टेरर सोने के 2-3 घंटे बाद यानि गहरी नींद में जाने के बाद होता है. इसमें किसी डरावने सपने की तरह आपको महसूस होता है. इसमें बच्चे को काफी परेशानी होती है. वो डरा हुआ महसूस करता है. ऐसा सेंट्रल नर्वस सिस्टम में कुछ डिसटर्वेंस होने की वजह से होता है.

नाइट टेरर की वजह

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  • कोई डरावना या बुरा सपना देखना 
  • थकान या तनाव ज्यादा होना
  • किसी दवाई का सेवन करना 
  • बुखार या शरीर का टेंपरेचर का बढ़ना
  • मस्तिष्क के कार्यों में हस्तक्षेप 
  • रात को टॉयलेट आना

नाइट टेरर के लक्षण

  • सोते हुए बहुत ज्यादा डर जाना
  • चीखना, चिल्लाना और रोना
  • बहुत तेज सांस लेना
  • भय से पसीना आ जाना
  • आक्रामक तरीके से पैर हाथ हिलाना
  • आंखें खुली होने पर भी डरते रहना
  • नींद में चलना या भागना

बच्चे को नाइट टेरर से कैसे बचाएं

1- कभी भी बच्चे को एकदम झटके से न उठाएं- अगर बच्चा डर रहा है तो उसे एकदाम झटके से न डराएं. इससे बच्चे के दिमाग पर असर पड़ सकता है. नाइट टैरर की स्थिति में दिमाग अस्थिर स्थिति में होता है, ऐसे में झटके के उठाना परेशान कर सकता है.

 2- बच्चे को प्यार से दिलासा दें- जब आप बच्चे को नाइट टेरर से जगाएं तो उसे प्यार से दिलासा दें. गले लगाकर उसको सहलाएं इससे बच्चे का डर दूर होगा और वो  सुरक्षित महसूस करेगा. बच्चे को फिर से सुलाने की कोशिश करें.

3- हल्की लाइट जलाकर रखें- जिस कमरे में बच्चा सोता है उसमें थोड़ी रोशनी रखें. आप नाइट लैंप या स्लीपिंग लैंप का इस्तेमाल करें. 

4- शांत वातावरण और अच्छी कहानी सुनाएं- जिस कमरे में बच्चा सोतो हो उस जगह को शांत रखें. ज्यादा शोर होने पर भी बच्चे की नींद खराब होती है. बच्चे को सुलावे वक्त अच्छे विचार और अच्छी कहानी सुनाएं. इससे डरावने सपने कम आते हैं.

 5- बच्चे को सोने से पहले टॉयलेट कराएं- अक्सर नींद में टॉयटेल आने पर बच्चे की नींद टूट जाती है. सोने से पहले हमेशा बच्चे को पेशाब करके सुलाएं. कई बार टॉयलेट भरा होने की वजह से भी नाइट टेरर का शिकार बनते हैं.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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बच्चे अचानक नींद में क्यों रोने लगते हैं?

दरअसल, शिशु का पेट काफी छोटा होता है। इसलिए वे एक बार में कम खाते हैं, लेकिन उन्हें हर घंटे कुछ खाना चाहिए होता है। ऐसे में अगर बच्चा रात में जल्दी सो जाता है, तो बीच रात में उन्हे भूख लग सकती है, जिसकी वजह से वे रात में रोने लगते हैं

बच्चा रात में रोता है तो क्या करना चाहिए?

Kids Sleeping Tips: बच्चों की देखभाल करना पहली बार पेरेंट्स (Parents) बने कपल के लिए काफी मुश्किल होता है. दिक्कतें तब और बढ़ जाती हैं जब बच्चा रात में भी ठीक से ना सो पाए और बार-बार उसकी नींद टूटे और वह रोए. ... .
कारण पता लगाएं ... .
नियमित रुटीन फॉलो करें ... .
फीड कराते हुए सुलाएं ... .
कहानी या लोरी सुनाएं ... .
शांत हो बेडरूम का माहौल.

शिशु नींद में क्यों हंसता है?

बच्चे नींद में क्यों हंसते हैं? नींद में शिशुओं की आंखें लगातार मूवमेंट करती हैं। इसे रेपिड आई मूवमेंट (आरईएम) कहा जाता है। इस दौरान शिशु को मनोवैज्ञानिक रूप से कई अनुभव होते हैं और जिनमें से एक नींद में हंसना भी है

बच्चे कौन से महीने में बैठना शुरू करते हैं?

कब शुरु करते हैं बच्चे बैठना यह देखा गया है कि बच्चे 4 से 7 माह के बीच बैठने लगते हैं। इस उम्र में बच्चे एक नई दुनिया देखते हैं, कुछ बिल्कुल नया सीखते हैं। जब बच्चा 8 माह का हो जाता है, तब वो बिना किसी सपोर्ट के बैठ सकता है।

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