आदर्श नागरिकता व्यक्ति की उस स्थिति को कहा जा सकता है जिसमें व्यक्तियों के द्वारा आदर्श नागरिकों के रूप में जीवन व्यतीत किया जाता है। आदर्श नागरिकों के लिए यह आवश्यक माना जाता है कि उनके द्वारा अधिकारों का ठीक प्रकार से उपयोग किया जाए, कर्तव्यों का ठीक प्रकार से पालन किया जाए और वह सार्वजनिक क्षेत्र के प्रति रुचि रखता हो। आदर्श नागरिकता के तत्व हैं- 1.
जनकल्याण की भावना - आदर्श नागरिक के लिए यह आवश्यक है कि उसमें व्यक्तिगत स्वार्थ के स्थान पर जनकल्याण की भावना हो। नागरिक स्वयं अपने, परिवार या जाति के स्थान पर समाज और देश की निःस्वार्थ भाव से सेवा करने के लिए सदैव तैयार रहता है। 2. अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता - प्रत्येक नागरिक को अपने अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी होनी चाहिए और उनके प्रति उसे जागरूक रहना चाहिए। जब तक व्यक्ति अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक नहीं रहेगा तब तक वह न ता े अपने अधिकारां
े का उपयोग कर पाएगा और न ही सही प्रकार से अपने कर्तव्यों का पालन कर पाएगा। 3. गुटबंदी से दूर - एक आदर्श नागरिक राजनीतिक दलों की गुटबंदी तथा दल बदल से दूर रहता है तथा देश हित को सर्वोपरि समझकर उसके अनुसार आचरण करता है। 4. सभी धर्मों का सम्मान - एक आदर्श नागरिक केवल अपने धर्म का ही पालन नहीं करता बल्कि अन्य धर्मों का भी सम्मान करता है और उसके अनुसार आचरण करता है। 5. नैतिक आचरण से युक्त तथा साहसी - आदर्श नागरिक अच्छे चरित्र तथा
सद्गुणों े से युक्त होना चाहिए। उसमें शराब, जुआ, अफीम, भ्रष्टाचार, बेईमानी और रिश्वतखोरी जैसे दुर्गुणों का अभाव होना चाहिए। वह सत्य बोलने वाला, ईमानदार, नैतिक आचरण से युक्त तथा साहसी होना चाहिए। 6. विचार उच्च और आदर्श - आदर्श नागरिक बनाने के लिए व्यक्ति को उच्च शिक्षा मिलनी चाहिए और उसके विचार भी उच्च और आदर्श होने चाहिए। उच्च शिक्षा से व्यक्ति का बौद्धिक और मानसिक विकास होता है तथा वह अपने कर्तव्यों को पहचानता है। उच्च विचार और शिष्टाचार के द्वारा ही व्यक्ति राज्य का
आदर्श नागरिक बन सकता है। 7. पर्याप्त आर्थिक शक्ति - एक आदर्श नागरिक के पास इतनी पर्याप्त आर्थिक शक्ति होनी चाहिए जिससे वह भोजन, वस्त्र तथा आवास की आवश्यकताओं को पूरा कर सके। आदर्श नागरिकता के मार्ग में बाधाएंआदर्श नागरिकता के मार्ग में बाधाएं आती हैं- 1. अशिक्षा- अशिक्षित व्यक्ति न तो अपने व्यक्तित्व, न ही समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान दे पाता है, तो राज्य का आदर्श नागरिक कैसे बन सकता है। अशिक्षित व्यक्ति प्राचीन रीति-रिवाजों और अंधविश्वासों में विश्वास रखते हैं जिससे उन्हें उचित-अनुचित का ज्ञान नहीं हो पाता। 2. स्वार्थपरता - स्वार्थी मनुष्य केवल अपने हित के विषय में सोचता हैं। समाज और देश के हित को वह बिल्कुल भूल जाता है। ऐसे व्यक्तियों द्वारा व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए मताधिकार का प्रयोग किया जाता है। ऐसे व्यक्ति स्वार्थी व्यापारी बनकर कालाबाजारी करते हैं और सरकारी अधिकारी के रूप में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। 3. उदासीनता- उदासीनता के कारण कोई भी नागरिक आदर्श नागरिक नहीं बन सकता क्योंकि ऐसे नागरिक सार्वजनिक कार्यों में रुचि नहीं लेते। चुनाव के समय मत देने भी नहीं जाते। वे सभाओं और जुलूसों में भी भाग नहीं लेते। 4. भ्रष्ट शासन- यदि देश की शासन व्यवस्था ही भ्रष्ट हो, सरकार अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति में लगी रहे और अपने कार्य को ठीक ढंग से पूरा न करें तो देश के आदर्श नागरिक ठीक ढंग से अपना जीवनयापन नहीं कर सकते। 6. ऊंच -नीच, छुआ-छूत की प्रथाएं - प्रथाएं प्रत्येक समाज में पाई जाती हैं। लेकिन कई प्रथाएं वैज्ञानिक दृष्टि से समाज के लिए उपयोगी नहीं होतीं। भारत में जाति-प्रथा, दहेज प्रथा, ऊंच -नीच, छुआ-छूत की प्रथाएं नागरिकों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने से रोकती हैं। 7. जातीयता, प्रांतीयता, साम्प्रदायिकता - जातीयता, प्रांतीयता, साम्प्रदायिकता आदि की संकीर्ण भावनाएं भी आदर्श नागरिकता के मार्ग में बाधक हंै। प्रातं ीयता के आधार पर देश के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। सांप्रदायिकता के आधार पर देश में धार्मिक झगड़े होते हैं। नागरिक नागरिक का दुश्मन बन जाता है। आदर्श नागरिकता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के उपायआदर्श नागरिकता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के निम्न उपाय हैं-
संदर्भ -
आदर्श नागरिकता का प्रमुख तत्व कौन सा है?1. जनकल्याण की भावना - आदर्श नागरिक के लिए यह आवश्यक है कि उसमें व्यक्तिगत स्वार्थ के स्थान पर जनकल्याण की भावना हो। नागरिक स्वयं अपने, परिवार या जाति के स्थान पर समाज और देश की निःस्वार्थ भाव से सेवा करने के लिए सदैव तैयार रहता है।
नागरिकता क्या है आदर्श नागरिकता के तत्वों को स्पष्ट कीजिए?नागरिकता का अर्थ (nagrikta kya hai)
जिसमे व्यक्ति किसी राजनीतिक समुदाय का सदस्य होता है और सार्वजनिक जीवन मे भाग लेता है। नागरिक एक ऐसा व्यक्ति होता है जो राज्य के प्रति निष्ठा रखता है तथा राज्य द्वारा उसे संरक्षण प्राप्त होता है।
आदर्श नागरिकता के मार्ग में कौन कौन सी बाधाएं हैं?आदर्श नागरिकता के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा अशिक्षा तथा निरक्षरता है। संकीर्ण धार्मिक भावनाएँ तथा साम्प्रदायिकता की मनोदशा आदर्श नागरिकता के मार्ग को अवरुद्ध कर देती हैं।
आदर्श नागरिक क्या है?' एक आदर्श नागरिक के गुणों को व्यक्त करते हुए लॉर्ड ब्राइस ने लिखा है , " एक लोकतन्त्रीय नागरिक में बुद्धि , आत्म - संयम तथा उत्तरदायित्व की भावना होनी चाहिए । " इसी प्रकार डॉ ० ह्वाइट ने लिखा है , " आदर्श नागरिक में तीन गुण ; व्यावहारिक बुद्धि , ज्ञान और भक्ति ; आवश्यक हैं ।
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