देश में कितने ही स्वतंत्रता सेनानी हुए, जिन्होंने इस देश की आजादी के लिए अपने प्राण हंसते हुए त्याग दिए थे। इस देश में ऐसी ही एक कवि स्वतंत्रता सेनानी हुईं जिन्होंने देश की आजादी के लिए काफी कुछ किया। इनका नाम है सुभद्रा कुमारी चौहान। इन्होंने कविता, अपनी कहानियों और अपने साहस से लोगों में आजादी के लिए एक जज्बा पैदा किया था। आप अब इनके बारे में जानने को उत्सुक हो गए होंगे। तो आइए, जानिए Subhadra Kumari Chauhan के बारे में विस्तार से जानकारी। Show ज़रूर पढ़ें: जानिए महाकवि जयशंकर प्रसाद की रचनाएं जीवन शुरुआतSource : Amazonसुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद के निहालपुर गाँव में हुआ था। उनके पिताजी का नाम ‘ठाकुर रामनाथ सिंह’ था। सुभद्रा की चार बहनें और दो भाई थे। विद्यार्थी जीवन प्रयाग में ही बीता। ‘क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज’ में आपने शिक्षा प्राप्त की। सुभद्रा कुमारी की काव्य प्रतिभा बचपन से ही सामने आ गई थी। 1913 में नौ वर्ष की आयु में सुभद्रा की पहली कविता प्रयाग से निकलने वाली पत्रिका ‘मर्यादा’ में प्रकाशित हुई थी। यह कविता ‘सुभद्राकुँवरि’ के नाम से छपी। यह कविता ‘नीम’ के पेड़ पर लिखी गई थी। पढ़ाई में प्रथम आती थीं। सुभद्रा कविता लिखने में बचपन से ही माहिर थीं। कविता रचना के कारण से स्कूल में उनकी बड़ी प्रसिद्धि थी। Subhadra Kumari Chauhan और महादेवी वर्मा दोनों बचपन की सहेलियाँ थीं। सुभद्रा की पढ़ाई नवीं कक्षा के बाद छूट गई थी। बचपन से ही साहित्य में रुचि थी। प्रथम कविता रचना 15 वर्ष की आयु में ही लिखी थी। सुभद्रा कुमारी का स्वभाव बचपन से ही दबंग, बहादुर व विद्रोही था। वह बचपन से ही अशिक्षा, अंधविश्वास, आदि कुप्रथाओं के विरुद्ध लड़ीं। ज़रूर पढ़ें: महान साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी जी का जीवन परिचय समाज की ओर कदमSource : Twitterशिक्षा समाप्त करने के बाद 1919 में नवलपुर के सुप्रसिद्ध ‘ठाकुर लक्ष्मण सिंह’ के साथ इनका विवाह 15 वर्ष की उम्र में हो गया था। इनकी 5 संतानें हुई थीं। सुभद्राकुमारी चौहान अपने नाटककार पति लक्ष्मणसिंह के साथ शादी के डेढ़ वर्ष के होते ही सत्याग्रह में शामिल हो गईं और उन्होंने जेलों में ही जीवन के अनेक महत्त्वपूर्ण वर्ष गुज़ारे। गृहस्थी और नन्हें-नन्हें बच्चों का जीवन सँवारते हुए उन्होंने समाज और राजनीति, दोनों की सेवा की। देश के लिए कर्तव्य और समाज की ज़िम्मेदारी लेते हुए उन्होंने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को भुला दिया। Subhadra Kumari Chauhan जी समाज की पीड़ा को अच्छे से समझती थीं। ज़रूर पढ़ें: तुलसीदास की बेहतरीन कविताएं और चर्चित रचनाएं स्वतंत्रता संग्राम के लिए आवाज़1920-21 में Subhadra Kumari Chauhan और लक्ष्मण सिंह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य बने थे। दोनों ने नागपुर कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया और घर-घर में कांग्रेस का संदेश पहुँचाया। त्याग और सादगी में सुभद्रा जी सफ़ेद खादी कपड़े पहनती थीं। उन को सादा वेशभूषा में देख कर बापू ने सुभद्रा जी से पूछ ही लिया, ‘बेन! तुम्हारा ब्याह हो गया है?’ सुभद्रा जी ने कहा, ‘हाँ!’ और फिर उत्साह से बताया कि मेरे पति भी मेरे साथ आए हैं। बापू ने सुभद्रा को डाँटा, ‘तुम्हारे माथे पर सिन्दूर क्यों नहीं है और तुमने चूड़ियाँ क्यों नहीं पहनीं? जाओ, कल किनारे वाली साड़ी पहनकर आना।’ सुभद्रा जी के सहज स्नेही मन और निश्छल स्वभाव का जादू सभी पर चलता था। उनका जीवन प्रेम से युक्त था और निरंतर निर्मल प्यार बाँटकर भी ख़ाली नहीं होता था। 1922 में जबलपुर का ‘झंडा सत्याग्रह’ देश का पहला सत्याग्रह था और सुभद्रा जी की पहली महिला सत्याग्रही थीं। सभाओं में सुभद्रा जी अंग्रेजों पर बरसती थीं। सुभद्रा जी में बड़े सहज ढंग से गंभीरता और चंचलता का अद्भुत संयोग था। वे जिस सहजता से देश की पहली स्त्री सत्याग्रही बनकर जेल जा सकती थीं, उसी तरह अपने घर में, बाल-बच्चों में और गृहस्थी के छोटे-मोटे कामों में भी रमी रह सकती थीं। Source : Wikipediaलक्ष्मणसिंह चौहान जैसे जीवनसाथी और माखनलाल चतुर्वेदी जैसा पथ-प्रदर्शक पाकर वह स्वतंत्रता के राष्ट्रीय आंदोलन में बराबर सक्रिय भाग लेती रहीं और जेल भी कई बार गईं। काफ़ी दिनों तक मध्य प्रांत असेम्बली की कांग्रेस सदस्या रहीं और साहित्य एवं राजनीतिक जीवन में समान रूप से भाग लेकर अन्त तक देश की एक जागरूक नारी के रूप में अपना कर्तव्य निभाती रहीं। गांधी जी की असहयोग की पुकार को पूरा देश सुन रहा था। सुभद्रा ने भी स्कूल से बाहर आकर पूरे मन-प्राण से असहयोग आंदोलन में अपने को दो रूपों में झोंक दिया –
‘जलियांवाला बाग,’ 1919 के नृशंस हत्याकांड से Subhadra Kumari Chauhan के मन पर गहरा प्रभाव पहुंचा। उन्होंने तीन ज्वलंत कविताएँ लिखीं। ‘जलियाँवाले बाग़ में वसंत’ में उन्होंने लिखा- परिमलहीन पराग दाग़-सा बना पड़ा है 1920 में जब चारों ओर गांधी जी के नेतृत्व की धूम थी, तो उनकी मांग पर दोनों पति-पत्नि स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के लिए प्रतिबद्ध हो गए। आजादी से उनकी कविताओं और भी देशभक्ति में रम गई थीं। रचनाएंSubhadra Kumari Chauhan ने अपने जीवन में 88 कविताओं और 46 कहानियों की रचना की। सुभद्रा जी वीर रस की कविताएं लिखने के लिए जानी जाती थीं। यदि केवल लोकप्रियता की दृष्टि से ही विस्तार करें तो उनकी कविता पुस्तक ‘मुकुल’ 1930 के छह संस्करण उनके जीवन काल में ही हो जाना कोई सामान्य बात नहीं है। इनका पहला काव्य-संग्रह ‘मुकुल’ 1930 में प्रकाशित हुआ। इनकी चुनी हुई कविताएँ ‘त्रिधारा’ में प्रकाशित हुई हैं। ‘झाँसी की रानी‘ इनकी बहुचर्चित रचना है। राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भागीदारी और जेल यात्रा के बाद भी उनके तीन कहानी संग्रह प्रकाशित हुए-
राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भागीदारी और जेल यात्रा के बाद भी उनके तीन कहानी संग्रह प्रकाशित हुए। यह हैं Subhadra Kumari Chauhan के कहानी संग्रह।
प्रमुख कविताओं की पंक्तियाँSubhadra Kumari Chauhan की लगभग हर कविता राष्ट्रवाद में डूबी थी। इनकी हर कविता सुनकर दर्शकों के अंदर मानो एक सैलाब सा आ जाता था। पेश हैं आपके सामने उनकी कुछ कविताओं की पंक्तियाँ। Source : Pinterestझांसी की रानी
पुरस्कार और सम्मानSubhadra Kumari Chauhan ने देश की आज़ादी के लिए इतना किया तो वह पुरस्कार की हक़दार तो थीं ही। जानते हैं उनको मिले पुरस्कार और सम्मान के बारे में-
देहांत15 फरवरी 1948 को 43 वर्ष की आयु में कार एक्सीडेंट की वजह से उनका निधन हो गया था। Source : ETV BharatGoogle ने सुभद्रा कुमारी चौहान को किया यादSource – Google DoodleGoogle ने Doodle बनाकर Subhadra Kumari Chauhan को उनके 117वें जन्मदिन पर याद किया है। Subhadra Kumari Chauhan भारत की महान कवित्री के साथ-साथ देश की निडर स्वतंत्रता सेनानी भी थीं। Google ने Doodle बनाकर इस महान कवित्री को उनके जन्मदिन पर याद किया है। सुभद्रा कुमारी जी देश की पहला महिला सत्याग्रही थीं। FAQsसुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली क्या थी? सुभद्राजी की भाषा सीधी, सरल तथा स्पष्ट एवं आडम्बरहीन खड़ीबोली है। दो रस इन्होंने चित्रित किए हैं–वीर तथा वात्सल्य। अपने काव्य में पारिवारिक जीवन के मोहक चित्र भी इन्होंने अंकित किए, जिनमें वात्सल्य की मधुर व्यंजना हुई है। सुभद्रा कुमारी चौहान को कौन सा पुरस्कार मिला? इन्हें ‘मुकुल’ तथा ‘बिखरे मोती’ पर अलग-अलग सेकसरिया पुरस्कार मिले। सुभद्रा की बालसखी कौन थी? Subhadra Kumari Chauhan की सबसे प्रिय बालसखी महादेवी वर्मा थी क्योंकि उनके मित्रता का कारण यह था कि वे दोनों ही कविताएं लिखती थीं। सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाओं की क्या विशेषताएं थी? सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन के तरह ही उनका साहित्य भी सरल और स्पष्ट है। इनकी रचनाओं में राष्ट्रीय आंदोलन, स्त्रियों की स्वाधीनता, जातियों का उत्थान आदि समाहित है। सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु कब हुई थी? सुभद्रा कुमारी चौहान 15 फरवरी 1948 को कार एक्सीडेंट में उनकी मृत्यु हो गयी थी। Subhadra Kumari Chauhan के इस ब्लॉग में आपने जाना सुभद्रा कुमारी चौहान के बारे में हर ज़रूरी जानकारी। यदि आप विदेश में पढ़ना चाहते हैं तो आज ही 1800 572 000 पर कॉल करके Leverage Edu एक्सपर्ट्स के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करें। |