आज 23 मार्च को क्या हुआ था? - aaj 23 maarch ko kya hua tha?

|Updated: Mar 23, 2022, 12:30 PM IST

आज 23 मार्च है आज के दिन सबसे बड़ी शहादत को याद करने का दिन है, शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने आज के दिन ही देश के लिए अपनी जान को कुर्बान किया था, आज पूरा देश शहीद भगत सिंह को याद करके उन्हें सलाम कर रहा है.

Martyrs Day 2022: आज 23 मार्च है, भारत में इसे शहीद या शहीदी दिवस के रूप में मनाते हैं. यह दिन देश के लिए बहुत खास है. आज ही के दिन स्वतंत्रता की लड़ाई में भारत के तीन सपूतों ने हंसकर फांसी की सजा को गले लगाया था. जी हां, हम बात कर रहे हैं शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत की. आइए जानते हैं आज के दिन को क्यों शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं और क्या था भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का देश की आजादी में योगदान.

इसलिए आज मनाते हैं शहीद दिवस

दरअसल, भारत की आजादी की लड़ाई में अहम योगदान निभाने वाले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को आज ही के दिन यानी 23 मार्च 1931 को अंग्रेजों ने फांसी की सजा दी थी. इन तीनों को खासकर शहीद भगत सिंह को भारत में बड़ी संख्या में यूथ फॉलो करता है. उनसे प्रेरणा लेता है. इन तीनों ने महात्मा गांधी से अलग रास्ते पर चलते हुए अंग्रेजों से लड़ाई शुरू की थी. इन तीनों ने बहुत कम उम्र में देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था. इन तीनों की याद में और इन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए ही आज के दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है.

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1 दिन पहले दे दी गई थी फांसी

भारत के लिए अपने प्राणों को हंसकर कुर्बान करने वाले इन तीनों बहादुरों को लाहौर सेंट्रल जेल में रखा गया था. इतिहासकार बताते हैं किर इन तीनों को फांसी देने के लिए 24 मार्च 1931 का दिन तय किया गया था, लेकिन अंग्रेजों ने इसमें अचानक बदलाव किया और तय तारीख से 1 दिन पहले इन्हें फांसी दे दी. इसके पीछे वजह थी कि अंग्रेजों को डर था कि फांसी वाले दिन लोग उग्र न हो जाएं. क्योंकि इन तीनों की उस समय देश के युवाओं और अन्य लोगों में काफी पॉपुलैरिटी थी. इन तीनों को 1 दिन पहले भी फांसी की सजा चुपके-चुपके दी गई थी. इसकी भनक किसी को भी नहीं लगने दी गई.

भगत सिंह से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां

  • भगत सिंह को मौत की सजा 7 अक्टूबर 1930 को सुनाई गई थी.
  • जेल में भी कैदियों के साथ होने वाले भेदभाव के विरोध में 116 दिन की भूख हड़ताल की थी.
  • भगत सिंह को फांसी की सजा देने वाले जज का नाम जी.सी. हिल्टन था.
  • बताते हैं कि भगत सिंह की फांसी के वक्त कोई भी मजिस्ट्रेट मौके पर रहने को तैयार नहीं था.
  • भगत सिंह की मौत के असली वारंट की अवधि खत्म होने के बाद एक जज ने वारंट पर साइन किए और फांसी के समय तक उपस्थित रहा.
  • कुछ लोग बताते हैं कि भगत सिंह की आखिरी इच्छा थी कि उन्हें मौत की सजा फांसी पर लटकाने की जगह गोली मार कर दी जाए.
  • भगत सिंह ने शादी नहीं की थी. शादी की बात चलने पर उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था. उन्होंने कहा था कि, "अगर गुलाम भारत में मेरी शादी हुई, तो मेरी वधु केवल मृत्यु होगी".

सुखदेव से जुड़ी अहम जानकारी

  • सुखदेव का पूरा नाम सुखदेव थापर था. इनका जन्म 15 मई 1907 को पंजाब राज्य के लुधियाना शहर में हुआ था.
  • सुखदेव के नाम पर दिल्ली विश्वविद्यालय में शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज नाम से कॉलेज है.
  • इसके अलावा अमर इनकी जन्मस्थली लुधियाना में शहीद सुखदेव थापर इंटर-स्टेट बस टर्मिनल का नाम इन्हीं के सम्मान में रखा गया है.

राजगुरु से जुड़ी अहम जानकारी

  • राजगुरु का पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरु था. इनका जन्म 24 अगस्त 1908 को पुणे जिला के खेडा गांव में हुआ था.
  • राजगुरु महज 16 साल की उम्र में हिंदुस्तान रिपब्ल‍िकन आर्मी में शामिल हो गए थे.
  • 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह के साथ सेंट्रल असेम्बली में हमला करने के दौरान राजगुरु भी मौजूद थे.
  • इनके सम्मान में इनके जन्मस्थान खेड का नाम बदलकर राजगुरुनगर कर दिया गया था.

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Aaj ka itihaas 23 march – bharat mein aaj ka itihaas – bharat ka itihaas – आज 23 मार्च है। इस दिन कई महान हस्तियों ने जन्म लिया था। वहीं कई महान हस्तियों की आज पुण्यतिथि भी है। आज आपको उन घटनाओं के बारे में भी जानकारी मिलेगी जो भारत में आज के विशेष दिन की सूची में हैं। तो चलिए जानते हैं क्या ख़ास घटित हुआ था 23 मार्च के दिन।

 

आज 23 मार्च को क्या हुआ था? - aaj 23 maarch ko kya hua tha?

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1855 – कोट्टाराथिल संकुनी, मलयालम साहित्य के जाने माने लेखक। 

1889 – भट्ट मथुरानाथ शास्त्री एक प्रख्यात भारतीय संस्कृत विद्वान, कवि, दार्शनिक और व्याकरणी थे।

1893 – गोपालस्वामी दोराईस्वामी नायडू एक भारतीय आविष्कारक और इंजीनियर थे, जिन्हें “एडिसन ऑफ इंडिया” कहा जाता है।

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1910 – राम मनोहर लोहिया, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में कार्यकर्ता और समाजवादी नेता थे। 

1953 – किरण मजूमदार-शॉ, भारतीय अरबपति उद्यमी। वह बायोकॉन लिमिटेड की चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं।

1972 – अरमान कोहली, बॉलीवुड एक्टर। वे फिल्म निर्देशक राजकुमार कोहली और अभिनेत्री निशि के बेटे हैं।

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1976 – स्मृति ईरानी, राजनेता, पूर्व मॉडल और टेलीविज़न अभिनेत्री। 

1987 – कंगना रनौत बॉलीवुड अभिनेत्री और फिल्म निर्माता हैं। फिल्म ‘क़्वीन’ में किये गए दमदार रोल के कारण इन्हें बॉलीवुड की क़्वीन भी कहा जाता है। कंगना बेहद निडर अभिनेत्री हैं जो हर मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय रखती हैं।

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1887 – कल्ब अली खान बहादुर, रामपुर की रियासत के नवाब थे।

1931 – आज ही के दिन भारत के महान क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गयी थी। 

1938 – महाराजा भूपिंदर सिंह ब्रिटिश काल में पटियाला रियासत के महाराजा थे।

1995 – शक्ति चट्टोपाध्याय, मशहूर बंगाली कवि और लेखक।

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1889 – ब्रिटिश भारत के कादियन में मिर्ज़ा गुलाम अहमद द्वारा अहमदिया मुस्लिम समुदाय की स्थापना की गई थी।

1940 – आज के दिन ऑल इंडिया मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए अलग देश बनाने की मांग की थी। 

1956 – आज के दिन पाकिस्तान विश्व का पहला इस्लामी गणराज्य बना था। इस तारीख को अब पाकिस्तान में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

2008 – हैदराबाद में राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का आधिकारिक उद्घाटन।

2012 – मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने आज ही के दिन अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर में 100 शतकों का कीर्तिमान बनाया था।

अंग्रेजी हुकूमत द्वारा महान क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिए जाने के कारण आज के दिन को भारत में ‘शहीदी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

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23 मार्च को क्या मनाया जाता है?

Shaheed Diwas 2022 23 मार्च को शहीद दिवस भारत के तीन महान क्रांतिकारियों भगत सिंह शिवराम राजगुरु और सुखदेव की याद में मनाया जाता है। आज ही के दिन इन तीनों क्रांतिकारियों को लाहौर में फांसी दी गई थी।

23 मार्च को भारत में क्या हुआ था?

आजादी के नायकों को याद करने के लिए मनाया जाता है शहीद दिवस। 23 मार्च को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दे दी गई थी।

23 मार्च को कौन कौन शहीद हुए थे?

अमर रहेगा भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का बलिदान Shaheed Diwas 2022 आज 23 मार्च 2022 को पूरे भारत में शहीद दिवस मनाया जा रहा है। 91 साल पहले यानी 23 मार्च 1931 को आज ही के दिन भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु सुखदेव को फांसी दी गई थी।

शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है?

जैसा कि, हम जानते हैं कि 30 जनवरी को महात्मा गांधी की याद में शहीद दिवस या शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है और 23 मार्च को भारत के तीन असाधारण युद्ध सेनानियों के बलिदान को याद करने के लिए शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है.