आईपीएस को कौन सस्पेंड कर सकता है - aaeepeees ko kaun saspend kar sakata hai

जब से त्रिपुरा के जिलाधिकारी शैलेश कुमार यादव सस्पेंड हुए हैं, तब बार-बार ये सवाल पूछा जा रहा है. इसलिए हम बता रहे है जिलाधिकारी के सस्पेंड होने से उनके कार्यकाल पर क्या फर्क पड़ता है?

आईपीएस को कौन सस्पेंड कर सकता है - aaeepeees ko kaun saspend kar sakata hai

UPSC में कुल मिलाकर 24 सर्विसेज होती हैं, जिनके लिए उम्मीदवारों का सिलेक्शन किया जाता है.

लगभग एक हफ्ते पहले की बात है. त्रिपुरा के एक DM यानि जिलाधिकारी बड़े चर्चा में रहे. वजह ये थी कि जिस खराब तरीके से उन्होंने कोरोना के कारण एक शादी रुकवाई वो बिल्कुल सही रवैया नहीं था. उस जिलाधिकारी का नाम था शैलेश कुमार यादव जिन्होंने न सिर्फ पंडित को थप्पड़ मारा, शादी में आए हुए लोगों को धमकाया, कुछ को जेल भेजा बल्कि पुलिस अधिकारियों से भी बदसलूकी की. फिर क्या था, इधर उनका सोशल मीडिया पर वीडियो जारी हुआ, उधर सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया. बस तभी से ये सवाल दिमाग में घूम रहा है कि किसी भी अधिकारी को सस्पेंड कर देने से क्या वाकई कुछ होता है, या सिर्फ ये खानापूर्ति है. इसलिए हम आपको इस खबर में बता रहे हैं जिलाधिकारी के बारे में, अगर वह सस्पेंड कर दिया जाए तो….

क्या फर्क पड़ता है?

वैसे तो देश के सभी राज्यों में आए दिन कोई न कोई DM सस्पेंड होता ही रहता है. इस पर भारत सरकार के पूर्व रिटायर्ड अधिकारी ओम प्रकाश गुप्ता कहते हैं कि सस्पेंड कोई सजा नहीं है. अगर किसी अधिकारी ने कोई गलत काम किया है, तो उसे ड्यूटी से हटाने के लिए दो ही तरीके होते हैं. या तो ट्रांसफर या फिर सस्पेंड. अगर किसी जिलाधिकारी ने कोई गलत काम किया है तो या तो उसे कारण बताओ नोटिस दिया जाएगा या गलती बड़ी है तो फिर चार्जशीट. अगर चार्जशीट दे दी, तो फिर जांच चलती रहती है. हां, अगर जांच के बाद अधिकारी की गलती साबित हो गई तो उसकी गलती के अनुसार तीन चार चीजें हो सकती हैं. पहला, चेतावनी देकर छोड़ दिया जाए. दूसरा, उसे सीनियर अधिकारियों की डांट पड़े. तीसरा, उसका इन्क्रीमेंट रोक दिया जाए आदि. अगर गलती बहुत ज्यादा बड़ी है, तो पदमुक्त करने की कार्रवाई भी की जा सकती है.

सस्पेंड होने पर मिलता है वेतन

ओम प्रकाश गुप्ता कहते हैं कि जितने दिन अधिकारी सस्पेंड रहता है वह आराम करता है, जब तक कि उसे नई पोस्टिंग न दी जाए. इस दौरान घर बैठे वेतन देना पड़ता है इसलिये महीने-दो महीने में सस्पेंशन खत्म कर के जिलाधिकारी को पद पर बहाल कर दिया जाता है.

प्रमोशन में देरी

सस्पेंड होने के बाद एक और मुश्किल जो हो सकती है, वो है प्रमोशन में देरी. मान लो कोई जिलाधिकारी बार-बार सस्पेंड हो रहा है, तो उसकी वार्षिक रिपोर्ट में प्रतिकूल प्रविष्टि कर दी जाती है. ऐसा होने पर मूल्यांकन में ग्रेडिंग कम हो सकती है. इस स्थिति में प्रमोशन में देरी जरूर हो सकती है.

सबसे ज्यादा ट्रांसफर होने वाले IAS अधिकारी

वैसे इस मामले में अभी तक हरियाणा कैडर के IAS अधिकारी अशोक खेमका का रिकॉर्ड है. अपने 28 साल के करियर में उन्हें 53 बार ट्रांसफर किया गया.

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क्या आप जानते हैं कि एक आईएएस अधिकारी को कौन बर्खास्त कर सकता है. क्यों मुख्यमंत्री भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. आईएएस अधिकारी को कौन बर्खास्त कर सकता है. अब आपको बता दें कि जितना मुश्किल इस सर्विस के जाना होता है. उतना ही मुश्किल एक आईएएस अधिकारी को हटाना होता है.

आईपीएस को कौन सस्पेंड कर सकता है - aaeepeees ko kaun saspend kar sakata hai
Who can dismissed IAS officer

राज्य सरकार किसी आईएएस अधिकारी को सस्पेंड या उसका ट्रांसफर कर सकती है. बर्खास्तगी का अधिकारी राज्य सरकार के पास नहीं है. एक आईएएस अधिकारी की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है. सरकार उसको भारतीय गजट में अधिसूचित करती है इसलिए ये अधिकारी गजेटेड अधिकारी भी कहलाते हैं. इसका मतलब है कि राष्ट्रपति के सिवाय इन अधिकारियों को कोई भी बर्खास्त नहीं कर सकता. राज्य सरकार भी इनको सिर्फ निलंबित ही कर सकती है.

बर्खास्तगी का अधिकार राज्य सरकार के पास भी नहीं है. आईएएस अधिकारी के सेवा नियम और बर्खास्तगी के नियम संविधान के अनुच्छेद 311 में मौजूद हैं. इसके मुताबिक कोई भी शख्स जो संघ की सिविल सेवा या अखिल भारतीय सेवा का या राज्य की सिविल सेवा का सदस्य होता है उसकी नियुक्ति करने वाली अथॉरिटी के अलावा कोई अथॉरिटी उसे पद से हटा नहीं सकती. इन अधिकारियों को जांच के बाद आरोप साबित होने पर और उन आरोपों के संबंध में सुनवाई का उचित मौका देने के बाद ही निलंबित या बर्खास्त किया जाता है.

कैडर अधिकारियों को एक कैडर से दूसरे कैडरों में भेजने का काम केंद्र सरकार राज्य सरकार के परामर्श से करती है. केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकारों की सहमति से, एक कैडर के अधिकारी का ट्रांसफर दूसरे कैडर में कर सकती है. किसी राज्य के मुख्यमंत्री को आईएस को सस्पेंड करने का तो अधिकार है लेकिन उसे सस्पेंड करने का कारण उसकी कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी को भेजना होगा. वो ही उसका फैसला लेगा और चाहे तो सस्पेंशन को हटा भी सकता है.

बतादें कि आईएएस, आईपीएस, आईएफएस( भारतीय वन सेवा ) ये तीनों सेवाए अखिल भारतीय सेवाए है जिनके कैडर कंट्रोलिंग ऑथिरिटी भारत सरकार के विभाग है. जैसे आईएएस की DOPT, आईपीएस की गृह मंत्रालय और आईएफएस की इन्वाइरनमेंट एंड फारेस्ट मिनिस्ट्री है. कैडर कंट्रोलिंग ऑथिरिटी को ही इन्हें पद से हटाने और अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का अधिकार है.

2015 में केंद्र सरकार के एक नए नियम के मुताबिक अब किसी भी आईएएस या आईपीएस अधिकारी को एक हफ्ते से ज्यादा निलंबित नहीं रखा जा सकेगा. हालांकि जहां राज्य सरकारों की समीक्षा समिति ने इसकी पहले से अनुमति दी हो, उस स्थिति में ये नियम लागू नहीं होगा.

एक IAS अधिकारी पूरे जिले में सबसे ज्यादा प्रभावशाली व्यक्ति होता है. वो जिले के हर वभाग का मार्गदर्शन करता है चाहें वो पुलिस विभाग हो या स्वस्थ्य विभाग. केंद्र में भी सभी मंत्रालयों के सचिव IAS अधिकारी ही होते हैं चाहें मंत्रालय कोई भी हो. आईएएस अधिकारी का काम अपने क्षेत्र में तैनात होने के बाद सरकारी नीतियों को लागू करना है. जो कि एसडीएम, एडीएम, डीएम सब मिलकर करते हैं. इसके साथ ही सरकार के बीच मध्यस्थता के रूप में कार्य करते हुए दैनिक मामलों का संचालन करना है.

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क्या राज्य सरकार IAS अधिकारी को सस्पेंड कर सकती है?

जयपुर. केंद्र सरकार के नए नियम के मुताबिक अब किसी भी आईएएस या आईपीएस अधिकारी को एक हफ्ते से ज्यादा सस्पैंड नहीं किया जा सकेगा। हालांकि यह नियम उन मामलों को छोड़कर लागू होगा, जहां राज्य सरकारों की समीक्षा समिति ने इसकी पूर्व अनुमति दी हो। केंद्र ने राज्य सरकारों से मशविरे के बाद नए नियम को अंतिम रूप दिया है।

आईएएस ऑफिसर को सस्पेंड कौन कर सकता है?

राज्य सरकार किसी आईएएस अधिकारी को सस्पेंड या उसका ट्रांसफर कर सकती है. बर्खास्तगी का अधिकारी राज्य सरकार के पास नहीं है. एक आईएएस अधिकारी की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है. सरकार उसको भारतीय गजट में अधिसूचित करती है इसलिए ये अधिकारी गजेटेड अधिकारी भी कहलाते हैं.

आईपीएस का ट्रांसफर कौन करता है?

इन अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय सिविल सेवा बोर्ड का गठन होगा। यह पोस्टिंग की सिफारिश राज्य सरकार से करेगा। हालांकि सक्षम अधिकारी ठोस कारण देकर बोर्ड की अनुशंसा को ख़ारिज कर सकता है। बोर्ड हर तीन माह में केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट भी भेजेगा।

क्या आईपीएस आईएएस को सैल्यूट करता है?

किसी भी गैर-वर्दीधारी अधिकारी को किसी भी रैंक या सेवा के अधिकारी को 'सैल्यूट' करने की आवश्यकता नहीं है, चाहे वह कितना भी ऊंचा हो। वर्दीधारी अधिकारियों द्वारा सल्यूट केवल अभिवादन का एक औपचारिक तरीका है। IAS अधिकारी कोई भी वर्दी नहीं पहनते हैं और इसलिए वे किसी को औपचारिक रूप से सल्यूट नहीं दे सकते हैं।