आ) कवि ने मज़दूरों के अधिकारों का वर्णन कैसे किया है ?

कविता का नाम : कण – कण का अधिकारी
कवि का नाम : डॉ. रामधारी सिंह दिनकर
उपाधि : राष्ट्र कवि
जीवन काल : 1908 – 1974
पुरस्कार : ज्ञानपीठ (उर्वशी पर)
रचनाएँ : कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, रेणुका, परशुराम की प्रतीक्ष, रसवंती आदि।
पद्मश्री दिनकर की रचनाएँ देश भक्ति और राष्ट्रीय भावना से भरी हुई हैं। “कण – कण का अधिकारी” नामक कविता कुरुक्षेत्र से ली गयी है। इसमें आपने श्रम का महत्व स्पष्ट करते हुए मज़दूरों के अधिकारों पर प्रकाश डाला है।

1) कवि कहते हैं कि मेहनत और भुज बल ही मानव समाज के एक मात्र अधार हैं। मेहनत ही सफलता की कुंजी है। मेहनत करनेवाले व्यक्ति कभी नहीं हारते। वे हमेशा सफल होते हैं। सारा संसार उनका आदर करता है। उनके सम्मुख पृथ्वी और आकाश भी झुक जाते हैं।
2) श्रम ही जीवन की असली संपत्ति समझनेवाले मज़दूरों को सुखों से कभी ‘वंचित नहीं करना चाहिए खून, पसीना एक करनेवाले श्रमिकों को ही पहले सुख पाने का अधिकार है। इसलिए उनको पहले सुख प्राप्त करने देना है। उनको कभी पीछे नहीं रहने देना है। प्रकृति में जो भी वस्तु रखी हुयी है, वह समस्त मानवों की संपत्ति है।

प्रकृति के कण – कण पर मानव का ही अधिकार है। खासकर श्रम करनेवाले व्यक्तियों द्वारा ही संपत्ति संचित होती है। श्रम से बढ़कर कोई मूल्यवान धन नहीं है।

अतः श्रम करनेवाले मज़दूरों को कोई अभाव नहीं रहनी है। उनको कभी पीछे छोड़ना नहीं चाहिए। सारी संपत्ति पर सबसे पहले उनको ही सुख पाने का अधिकार है। यह अक्षरशः सत्य है। तभी मानवजाति सुख समृद्धियों से अक्षुण्ण रह सकती है।

विशेषता : इस कविता शक्ति के बारे में बताया गया है।

कवि ने मजदूरों के अधिकारों का वर्णन कैसे किया है?

वे हमेशा सफल होते हैं। सारा संसार उनका आदर करता है। उनके सम्मुख पृथ्वी और आकाश भी झुक जाते हैं। 2) श्रम ही जीवन की असली संपत्ति समझनेवाले मज़दूरों को सुखों से कभी 'वंचित नहीं करना चाहिए खून, पसीना एक करनेवाले श्रमिकों को ही पहले सुख पाने का अधिकार है।

मेहनत करनेवालों को ही सुख पाने का अधिकार है कवि ने ऐसे क्यों कहा होगा?

जीवन यदु, डॉ.

डॉ रामधारीसिंह दिनकर ने कण कण का अधिकारी कविता के माध्यम से आज के समाज को क्या संदेश दिया है?

कवि ने इस कविता में मज़दूरों के अधिकारों का वर्णन किया है । कवि कहते हैं कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है । मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता वह हमेशा सफल होता है । सारा संसार उसे आदर भाव से देखता है ।

श्रमिक के सम्मुख क्या क्या चुके हैं?

प्रश्न 3. श्रमिक के सम्मुख क्या – क्या झुके हैं? उत्तर: पृथ्वी पर श्रमिक का ही महत्वपूर्ण स्थान है।.
नर – समाज का भाग्य श्रम है। अर्थात् भुज बल है।.
जो श्रम करता है वहीं कण – कण का अधिकारी है।.
श्रम के हासिल पर जो जीता है वहीं कण – कण का अधिकारी है।.