3 महीने वाली शुगर कितनी होनी चाहिए? - 3 maheene vaalee shugar kitanee honee chaahie?

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आखिर एक सामान्य शरीर में 3 महीने पर ब्लड शुगर का स्तर क्या होना चाहिए। आइए हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

आज के दौर में डायबिटीज एक आम समस्या बन चुकी है और लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। शरीर में उच्च या निम्न दोनों रक्त शर्करा का स्तर खतरनाक माना जाता है। ऐसे में जरूरी है कि हम अपना ब्लड शुगर लेवल बनाए रखें। अब सवाल यह है कि 3 महीने पर सामान्य शरीर में ब्लड शुगर का स्तर क्या होना चाहिए। आइए हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

हीमोग्लोबिन रेड ब्लड सेल्स में मौजूद एक अणु ( molecule) है। इसका कार्य शरीर के ऊतकों ( body’s tissue) तक ऑक्सीजन ले जाने का है। वहीं एचबीए1सी (Hba1c) का पूर्ण रूप हीमोग्लोबिन A1c या HbA1c या ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन ( glycosylated haemoglobin) है। यह हीमोग्लोबिन का एक रूप है जिसमें शुगर होती है।

डायबिटीज के मरीजों में ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन ( glycosylated haemoglobin) का स्तर अधिक होता है। जबकि जिन लोगों को मधुमेह की बीमारी नहीं हैं ये उन लोगो में इसके उलट होता है। इसलिए ब्लड शुगर (blood glucose) के नियंत्रित स्तर बनाये रखने के लिए , HbA1c टेस्ट करना बेहतर होता है। आज इस लेख में हम HbA1c टेस्ट , HbA1c चार्ट की सामान्य सीमा के बारे में विस्तार से जानेंगे-

HbA1c की सामान्य सीमा लोगों में भिन्न होती है। आइए जानते हैं कि व्यक्तियों के लिए ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर क्या होना चाहिए:

गैर-मधुमेह: लोगों में कई रिपोर्टों से पता चला है कि यदि आपकी एचबीए1सी सीमा 7% से कम है, तो मधुमेह की जटिलताओं को कम किया जा सकता है। एक स्वस्थ व्यक्ति का HbA1c माप कुल हीमोग्लोबिन के 6% से कम हो सकता है। जिन लोगों को मधुमेह नहीं है, यानि आम तौर पर स्वस्थ लोगों में, सामान्य HbA1c का मान 6.0% से कम या 42 mmol/mol से कम होता है।

प्री-डायबिटिक: व्यक्ति में यदि आपका ब्लड शुगर लेवल सामान्य सीमा से थोड़ा ऊपर है तो आप प्री-डायबिटिक व्यक्ति हैं। आपके मधुमेह का स्तर इतना अधिक नहीं है कि उसे टाइप-2 मधुमेह माना जा सके। एक उचित जीवन शैली और आहार प्रबंधन के साथ, आप इस स्तर पर मधुमेह को उलटने की विधि द्वारा अपने मधुमेह को नियंत्रित कर सकते हैं और सामान्य HbA1c मान 6.0% से 6.4%, या 42 से 47 mmol/mol प्राप्त कर सकते हैं।

मधुमेह वाले लोगों में: टाइप -2 मधुमेह वाले किसी भी व्यक्ति का सामान्य मूल्य 6.5% या उससे अधिक, या 48 mmol/mol या अधिक होता है। यह सीमा सामान्य हो सकती है लेकिन इस सीमा को बनाए रखने के लिए स्वस्थ जीवनशैली में बदलाव के साथ-साथ डॉक्टरों और दवाओं की भी आवश्यकता होती है। यदि आपका स्तर इससे अधिक है तो यह दिल का दौरा, परिधीय धमनी रोग, ग्लूकोमा, मधुमेह पैर, मधुमेह गुर्दे की बीमारी (Heart stroke, Peripheral Artery Disease, Glaucoma, Diabetic Foot, Diabetic Kidney Disease) का खतरा बढ़ सकता है।

HbA1c परीक्षण पिछले 2-3 महीनों के औसत रक्त शर्करा के स्तर को मापने में सहायक होता है। आइए जानते हैं-

डायबिटीज के मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। डायबिटीज के कारण और भी कई प्रकार की बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक डायबिटीज के खतरे को कम करने के लिए मरीजों को समय-समय पर ब्लड शुगर की जांच कराते रहना चाहिए।

हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को हर 3 महीने के अंतराल में ब्लड शुगर टेस्ट कराना चाहिए। साथ ही मरीजों के लिए यह जानना भी जरूरी है कि हर 3 महीने पर ब्लड शुगर का स्तर कितना होना चाहिए।

डायबिटीज के मरीजों को अपना ब्लड शुगर का स्तर जानने के लिए हीमोग्लोबिन A1C व HbA1c टेस्ट की मदद से अपना ब्लड शुगर का पता लगा सकते हैं। इस टेस्ट की मदद से पिछले 2 से 3 महीने में ब्लड शुगर में हुए उतार चढ़ाव का भी पता लगाया जा सकता है। साथ ही इस टेस्ट की मदद से मरीज अपनी सेहत और ब्लड शुगर के स्तर का भी ख्याल रख सकते हैं।

कैसे कराएं मरीज HbA1c टेस्ट

ब्लड शुगर लेवल पता लगाने के लिए मरीज कि उंगली या बाजू से ब्लड की कुछ बूंदे ली जाती हैं। बता दें की इस टेस्ट को कराने से पहले मरीज को कोई खास तैयारी करने की जरूरत नहीं होती है। इसके अलावा इस टेस्ट को मरीज किसी भी समय करा सकते हैं। इसके लिए खानपान से जुड़ी कोई पाबंदी भी नहीं होती हैं। बता दें की इस टेस्ट की मदद से ही पता लगाया जा सकता है कि मरीज डायबिटीज से पीड़ित है या नहीं या फिर उसके शरीर में ब्लड शुगर का स्तर क्या है।

3 महीने में कितना होना चाहिए ब्लड शुगर का स्तर

डायबिटीज मरीजों के लिए जितना जरूरी यह टेस्ट करवाना होता है ठीक उसी प्रकार इस टेस्ट के नतीजों को समझना भी होता है। यदि किसी मरीज में HbA1c 5.7 % से कम है तो उसे नॉर्मल समझा जाता है। वहीं 5.7 % से 6.4 % के बीच हो तो इसे प्री-डायबिटीज माना जाता है। जबकि 6.5% से ज्यादा होने पर डायबिटीज से पीड़ित बताया जाता है।

क्यों जरूरी है HbA1c टेस्ट

इस टेस्ट की मदद से डायबिटीज मरीजों में पिछले 3 महीने के ब्लड शुगर लेवल का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा इस टेस्ट के माध्यम से डायबिटीज को कंट्रोल करने की स्थिति का भी पता लगाया जा सकता है। वहीं इस टेस्ट के जरिए यह भी पता लगाया जा सकता है कि मरीज की हालत में कितना सुधार हुआ है। इसके ही इंसुलिन के जरूरतों का भी अंदाजा लगाया जा सकता है।

3 महीने वाली शुगर कितनी होनी चाहिए? - 3 maheene vaalee shugar kitanee honee chaahie?

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कंटेंट की समीक्षा अश्विनी एस कनाडे ने की है, वे रजिस्टर्ड डाइटीशियन हैं और 17 सालों से मधुमेह से जुड़ी जानकारियों के प्रति लोगों को जागरूक कर रहीं हैं.

HbA1c यानी हीमोग्लोबिन A1c. यह लैब में होने वाला एक ब्लड टेस्ट होता है, जो डॉक्टर की सलाह पर कम से कम तीन महीनों के अंतराल में कराया जाता है. यह टेस्ट ब्लड शुगर लेवल की जांच करने के लिए बिना खाना खाए और खाना खाने के बाद किए जाने वाले टेस्ट से अलग है. यह उन टेस्ट के मुकाबले ज़्यादा भरोसेमंद माना जाता है जिनसे सिर्फ़ खाने से ठीक पहले या बाद में ब्लड शुगर लेवल की जानकारी मिलती है. HbA1c से लंबे समय के दौरान ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव की जानकारी मिलती है.

आपने यह तो सुना होगा कि हीमोग्लोबिन का संबंध आपके आयरन लेवल और अनीमिया से है, लेकिन यह डायबिटीज़ से किस तरह जुड़ा है?

जब आपके ख़ून में शुगर लेवल बढ़ता है, तो ग्लूकोज़, हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन तैयार करता है. HbA1c टेस्ट जिसे ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट भी कहते हैं, इस ग्लूकोज़ से जुड़े हीमोग्लोबिन की मात्रा नापता है. इस टेस्ट के लिए उंगली की बजाए, नसों से निकाले गए ख़ून के सैंपल का इस्तेमाल किया जाता है.

यह सामान्य ब्लड शुगर टेस्ट से अलग कैसे है?

HbA1c टेस्ट में, ख़ून में मौजूद ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन की मात्रा की जांच करके पिछले 3 महीनों का औसत ब्लड ग्लूकोज़ लेवल का पता लगाया जाता है. जब आप ख़ुद  ब्लड शुगर लेवल की जांच करते हैं, तो इससे सिर्फ़ टेस्ट के वक्त का ब्लड ग्लूकोज़ लेवल पता चलता है.

इसके अलावा, HbA1c टेस्ट दिन के किसी भी वक्त करवाया जा सकता है, इसके लिए खानपान से जुड़ी कोई पाबंदी नहीं होती. जबकि सामान्य टेस्ट जैसे कि फ़ास्टिंग ब्लड शुगर (एफबीएस) और ओरल ग्लूकोज़ टॉलेरेंस टेस्ट (ओजीटीटी) के लिए खानपान से जुड़ी पाबंदियां होती हैं.

वीडियो देखें: हाई ब्लड शुगर लेवल पर कैसे क़ाबू करें.

इसकी क्या ज़रूरत है?

HbA1c टेस्ट के नतीजे से किसी व्यक्ति के पिछले 3 महीने के ब्लड शुगर का पता लगाया जा सकता है. इससे डॉक्टर को आपकी स्थिति की जानकारी मिलती है और वह तय कर पाते हैं कि अच्छे ग्लूकोज़ कंट्रोल के लिए आपके इलाज में बदलाव किए जाने चाहिए या नहीं.

इसे भी पढ़ें: वो 5 तरीक़े जिनके ज़रिए डायबिटीज़ रिवर्स करने में मदद मिल सकती है!

HbA1c टेस्ट का इस्तेमाल टाइप 2 डायबिटीज़ की स्क्रीनिंग और पहचान के लिए किया जाता है. इसका इस्तेमाल कई दिनों के ग्लूकोज़ लेवल पर नज़र रखने के लिए भी किया जाता है. इसकी मदद से डॉक्टर आपके लिए सही डायबिटीज़ का इलाज तय कर पाते हैं.

टेस्ट से यह भी जानकारी मिलती है कि क्या स्थिति में सुधार आया है, जैसे कि डायबिटीज़ के कुछ लक्षण ठीक हो गए हैं या सभी लक्षण ख़त्म हो चुके हैं. या दवाइयों/इंसुलिन की ज़रूरत बदल गई है.

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कितने समय में यह टेस्ट करवाना चाहिए?

जब आपको HbA1c टेस्ट की सलाह दी जाएगी, तब आपके डॉक्टर आपको इस बात की जानकारी देंगे. HbA1c टेस्ट के लिए आमतौर पर आपको नीचे दी गई सलाह दी जाती है:[1]

  • अगर आपका ब्लड शुगर सामान्य है – साल में कम से कम 2 बार
  • अगर आपका ब्लड शुगर सामान्य से ज़्यादा है– एक साल में चार बार
  • अगर आपका ब्लड शुगर लेवल लगातार कम ज़्यादा होता रहता है या आप इंटेंसिव थेरेपी लेते हैं – साल में चार से ज़्यादा बार

टेस्ट नतीजों का मतलब [2]

टेस्ट के नतीजे आमतौर पर प्रतिशत में होते हैं. बिना डायबिटीज़ वाले व्यक्ति का HbA1c लेवल 4.0% से 5.6% तक होता है.

टेस्ट के नतीजे संकेत
5.7% से कम डायबिटीज़ नहीं है
5.7 से 6.4% डायबिटीज़ का जोखिम है (प्री-डायबिटीज़)
≥6.5% (दो अलग-अलग टेस्ट पर) डायबिटीज़

डायबिटीज़ से प्रभावित लोगों को HbA1c की किस रेंज का लक्ष्य बनाना चाहिए?

आपके डॉक्टर आपको बताएंगे कि आपका लक्षित HbA1c लेवल क्या होना चाहिए. आमतौर पर 7% से कम के लेवल तक पहुंचने का लक्ष्य होता है. हालांकि, ध्यान रखना चाहिए कि इस लक्ष्य को पाने के लिए आपका शुगर लेवल बहुत कम (हाइपोग्लाइसीमिया) न हो जाए.

सख़्ती से 6.5% से कम के लक्ष्य का सुझाव तब दिया जाता है, अगर:[3]

  • आपको हाल ही में डायबिटीज़ हुआ है
  • आपका इलाज जीवनशैली में बदलाव या ‘मेटफॉर्मिन’ के साथ किया जा रहा है
  • आपको दिल या ख़ून से जुड़ी कोई बड़ी समस्या नहीं है

8% से ज़्यादा न होने वाला लक्ष्य का सुझाव तब दिया जाता है, अगर:[3]

  • पहले कभी गंभीर हाइपोग्लाइसेमिया का इतिहास
  • डायबिटीज़ से जुड़ी समस्याएं
  • साथ में होने वाली दूसरी समस्याएं
  • लंबे वक्त से बनी हुई डायबिटीज़ की समस्या जिसमें ब्लड शुगर को सामान्य लेवल तक लाने में परेशानी हो

टेस्ट के नतीजे में बहुत ज़्यादा रीडिंग आने का क्या मतलब है?

अगर आपको डायबिटीज़ है, तो इस टेस्ट से डायबिटीज़ से जुड़ी समस्याओं के जोखिम का पता लगाने में मदद मिलती है. जितना ज्यादा HbA1c होगा, उतना ज़्यादा जोखिम होगा.

उदाहरण के लिए, 7% से कम HbA1C से पता चलता है कि आपको डायबिटीज़ से जुड़ी समस्याएं जैसे डायबिटिक रेटीनोपैथी (आंख की बीमारी) या डायबिटिक नेफ़रोपैथी (किडनी की बीमारी) आदि होने का ज़्यादा जोखिम है.

लेकिन अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि आपके HbA1c लेवल में 1% की कमी भी नीचे दी गई समस्याओं के जोखिम में कई प्रतिशत की कमी ला सकती है: [5]

· स्ट्रोक 12%

· इस्कीमिक हार्ट डिज़ीज़ 16%

· ऐम्प्यूटेशन और पेरिफेरल वैस्कुलर डिज़ीज़ 43%

· आंखों की बीमारी 21-24% प्रतिशत

· सभी तरह की माइक्रो वैस्कुलर बीमारियां 37%

· मृत्यु 21%

HbA1c लेवल ज़्यादा है, तो उसे कम करने के लिए क्या करें?

अपने डॉक्टर से सलाह लें, वह आपको आपके हिसाब से HbA1c लेवल कम करने के लिए अलग-अलग तरीके बताएंगे.

आमतौर पर, डॉक्टर आपको आपके शुगर लेवल पर नज़र रखने, सेहतमंद जीवनशैली अपनाने, खान-पान में बदलाव करने, रोज़ाना एक्सरसाइज़ करने और वज़न घटाने की सलाह देंगे. आपकी दवाइयां भी बदली जा सकती हैं.

हो सकता है कि अपना ख़याल रखने की ज़िम्मेदारी बहुत बड़े काम की तरह लगे. इससे तनाव और अवसाद भी हो सकता है. ख़याल न रख पाने पर आपको ख़ुद पर बहुत ज़्यादा गुस्सा भी आ सकता है. लेकिन इससे आपको कोई फायदा नहीं होगा. इसलिए, अपने प्रति दयालु और नम्र बनें. रैंडम तरीके से किए गए एक परीक्षण में पाया गया कि जो लोग ख़ुद के साथ थोड़ी नरमी बरतते हैं, वे अपना HbA1C लेवल 1% तक कम कर सकते हैं.[6] बीमारी की हालत में ख़ुद के लिए अच्छा सोचने से आप न सिर्फ़ अवसाद और तनाव को, बल्कि अपने HbA1c लेवल को भी कम कर सकते हैं.

संदर्भ:

  1. American Diabetes Association (ADA) 2017 Guidelines http://care.diabetesjournals.org/content/diacare/suppl/2016/12/15/40.Supplement_1.DC1/DC_40_S1_final.pdf
  2. National Diabetes Education Initiative http://www.ndei.org/ADA-2013-Guidelines-Criteria-Diabetes-Diagnosis.aspx.html
  3. National Diabetes Education Initiative http://www.ndei.org/ADA-diabetes-management-guidelines-glycemic-targets-A1C-PG.aspx.html
  4. Nordwall M, Arnqvist HJ, Bojestig M, Ludvigsson J. Good glycemic control remains crucial in prevention of late diabetic complications–the Linköping Diabetes Complications Study. Pediatr Diabetes. 2009 May;10(3):168-76. doi: 10.1111/j.1399-5448.2008.00472.x. Epub 2008 Oct 22. PubMed PMID: 19175900.
  5. Stratton IM, Adler AI, Neil HA, Matthews DR, Manley SE, Cull CA, et. al, BMJ, 2000, 321(7258):405-12.
  6. Friis AM, Johnson MH, Cutfield RG, Consedine NS. Kindness Matters: A Randomized Controlled Trial of a Mindful Self-Compassion Intervention Improves Depression, Distress, and HbA1c Among Patients With Diabetes. Diabetes Care. 2016 Nov;39(11):1963-1971. Epub 2016 Jun 22. PubMed PMID: 27335319.

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3 महीने की शुगर कितनी होनी चाहिए?

नार्मल HbA1c लेवल क्या है? नार्मल HbA1c लेवल 4% से 5.6% के बीच होना चाहिए इसका मतलब 68 से 100 मिलीग्राम / डीएल के बीच होनी चाहिए। अगर किसी का लेवल इससे ज़्यादा है।

HbA1c टेस्ट हर 3 महीने में क्यों किया जाता है?

ललित कौशिक (MD) के मुताबिक HbA1c हीमोग्लोबिन का एक टेस्ट होता है, जिसमें पिछले 3 महीने का एवरेज ब्लड शुगर लेवल का पता चलता है. इस टेस्ट केेे जरिए शुगर लेवल में होने वाले फ्लकचुएशंस के बारे में जानकारी हासिल की जाती है. जिन लोगों का HbA1c लेवल 6.4 से ज्यादा आता है, वे डायबिटीज की समस्या से ग्रसित होते हैं.

उम्र के हिसाब से शुगर कितना होना चाहिए?

उम्र के हिसाब से शुगर लेवल जो लोग 40 से 50 की उम्र के बीच हैं और डायबिटीज के पेशेंट हैं तो उनकी फास्टिंग शुगर लेवल 90 से 130 mg/dL होनी चाहिए. जबकि खाने के बाद 140 mg/dl कम और डिनर के बाद 150 होना अच्छा माना जाता है. इससे ज्यादा चिंता का विषय हो जाता है. ऐसे में तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

सुबह खाली पेट शुगर कितनी होनी चाहिए?

बिना डायबिटीज व शुगर वाले लोगों के शरीर में शुगर का स्तर (मिलीग्राम प्रतिडेसीलीटर: mg/dl) यह होना चाहिए खाली पेट (सुबह के समय) - 70 से 100 के बीच। खाने से पहले (दिन या रात में) - 70 से 110 के बीच।