अगर किसी भी कारणवश बच्चे के वजन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है तो यह एक गंभीर मसला है। वजन न बढने के बहुत से कारण हो सकते हैं। सही कारण का पता चल चलने पे सही दिशा में कदम उठाया जा सकता है। Show
अगर आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है तो यह चिंता का विषय है। बच्चे के जन्म से लेकर तीन साल तक का समय बच्चे के शारीरिक और दिमागी विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बच्चे को अगर उसके आहार से सभी मिनरल्स और विटामिन्स मिल रहे हैं तो उसका विकास सुचारु रूप से होगा। परन्तु, अगर किसी भी कारणवश बच्चे के वजन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है तो यह एक गंभीर मसला है। इससे बच्चे का विकास बुरी तरह प्रभावित होता है और इसका खामियाजा बच्चे को जिंदगी भर के लिए चुकाना पड़ सकता है। जिन बच्चों का वजन कम होता है उन्हें इन्फेक्शन भी बड़े आसानी से लग जाता है। यानी कम वजन वाले बच्चे बीमार भी जल्दी जल्दी पढते हैं। आप के बच्चे का असल वजन कितना होना चाहिएसबसे पहले तो आप यह सुनिश्चित करिए की यह आप का वहम नहीं है और आप के बच्चे का सही में वजन नहीं बढ़ रहा है। आप के बच्चे का कितना वजन होना चाहिए - यह जानने के लिए आपको Baby Growth Chart (height - weight calculator) देखना पड़ेगा। Baby Growth Chart (height - weight calculator) से आप को पता चलेगा की आप के बच्चे के लिए उसके उम्र के अनुसार सही लंबाई और वजन क्या होनी चाहिए। बच्चे का वजन कितना होना चाहिए - यह जानने के लिए यहाँ click करें - लंबाई और वजन का चार्ट। बच्चे का लंबाई और वजन का चार्ट देखने के बाद अगर यह सुनिश्चित हो जाये की आप के बच्चे का सही में वजन नहीं बढ़ रहा है तो निचे बताये गये तरीकों पे आपको ध्यान देना पड़ेगा। अगर आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है तो पहले आप यह जाने की आप के बच्चे का वजन क्यों नहीं बढ़ रहा है। अगर आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है तो उसके बहुत से कारण हो सकते हैं। एक बार आपको सही कारण का पता चल जाये जिसकी वजह से आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है तो आप बच्चे का वजन बढाने के लिए सही दिशा में कदम उठा सकती हैं। शिशु का वजन नहीं बढने के ये कारण हो सकते हैं:
बच्चे को पौष्टिक आहार नहीं मिल पा रहा हैयूँ तो बच्चे के वजन नहीं बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन सबसे मुख्या कारण है बच्चे को पौष्टिक आहार का न मिलना। अगर बच्चे का वजन पौष्टिक आहार के न मिलने से बढ़ना रुक गया है तो सावधान हो जाइये क्योँकि इसका मतलब बच्चे को कुपोषण हो रहा है। कुपोषण के कारण शारीरिक और दिमागी विकास में आई रूकावट का असर बच्चे पे जिंदगी भर पड़ सकता है। आप अपने शिशु को वो आहार देना प्रारम्भ करें जो बढ़ाएंगे आपके शिशु का वजन। अगर शिशु छह महीने या उससे कम का है तो उसे हर दो घंटे पे स्तनपान कराएं। अगर बच्चा बड़ा है तो उसे दाल, खिचड़ी, चावल, फल और बिस्कुट हर थोड़ी थोड़ी देर में खाने को देते रहें। बच्चों के लिए विभिन प्रकार के आहार बनाने की रेसिपी आप यहां देख सकते हैं। बच्चे को वो आहार न दें जिसे बाल रोग विशेषज्ञ और स्वास्थ्य विशेषज्ञ बच्चों के देने से मना करते हैं। शिशु के साफ सफाई पे ध्यानठीक तरह से साफ सफाई का ध्यान ना रखने के कारण भी बच्चे का विकास प्रभावित हो सकता है। जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है, वो इधर उधर जमीन पे चलना और खेलने शुरू करता है। अगर फर्श गन्दा है तो बच्चे के बीमार पड़ने की सम्भावना बनी रहती है। अगर इस समय बच्चे पे ध्यान ना दिया जाये तो वो जमीन पर से कुछ भी उठा के मुँह में डाल सकता है - जैसे की गंदे खिलौने। इस उम्र में बच्चे पे बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है। बच्चे का बार-बार बीमार पड़ना भी कुपोषण का एक कारण है। बच्चे के लिए नींद है महत्वपूर्णनवजात बच्चे से ले कर तीन साल तक की उम्र के बच्चों को बड़ों की तुलना में ज्यादा सोने की आवश्यकता है। नवजात बच्चे को दिन मैं कम से कम २० घंटे सोने की आवश्यकता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होगा उसे कम सोने की आवश्यकता पड़ेगी। जब बच्चा सोते वक्त आराम करता है तो उसके उत्तक्कों और मांसपेशियोँ का विकास होता है। अगर विकास सही दिशा में हो रही हो तो बच्चे का वजन भी बढ़ता है। आप का बच्चा जितना सोना चाहे उसे सोने दें। सोना उसके लिए बहुत अच्छा है। अगर आप का बच्चा आसानी से नहीं सोता है तो आप ये कारगर तरीके आपना सकती हैं। बच्चों के पेट में कीड़ों की वजह से भी उनका वजन नहीं बढतागन्दी जगहों पे खलेने से, मिटटी खाने से और नंगे पैर मिटटी पे चलने से बच्चे के पेट में कीड़े पड़ सकते हैं। अगर आप का बच्चा समुचित आहार ले रहा है लेकिन फिर भी उसका वजन नहीं बढ़ रहा है तो हो सकता है की उसके पेट में कीड़े हों। बच्चों के पेट में कीड़े होने से वे बच्चे के आहार का पूरा पोषक तत्त्व खा लेंगे और बच्चे को कुछ भी नहीं मिलेगा। बच्चे के पेट के कीड़ों का इलाज समय पे नहीं किया गया तो बाद में चलकर बच्चे को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है। बच्चे को ज्यादा रोने न देंबच्चे के स्वस्थ शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बच्चे का रोना बहुत जरुरी है। मगर बहुत ज्यादा रोना भी सही नहीं है। अगर बच्चा बहुत ज्यादा रोता है और चिड़चिड़ा है तो उसका वजन नहीं बढ़ेगा। हो सकत है बच्चे को कोई तकलीफ हो। अपने बच्चे को तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। बहुत जयादा रोने से बच्चे की नींद पूरी नहीं होगी, उसका शारीरिक विकास रुक जायेगा और मानसिक विकास भी बाधित होगी। बच्चे का वजन कम होने पर खिलाएं उन्हे ये आहारअगर आप के बच्चे का वजन बाकि बच्चों की तुलना में नहीं बढ़ रहा है तो आप अपने बच्चे को निम्न आहार दे सकते हैं। बच्चों का वजन बढाने में आहार महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। आज कल के बच्चे आहार को लेके बहुत नखरा करते हैं। ऐसे मैं चिंता इस बात की रहती है की बच्चे को क्या दें खाने को की वो बिना नखरे के आहार खा ले और आहार भी ऐसा की जिससे बच्चे का वजन बढे। हम ने कमजोर बच्चों को दिए जाने वाले वजन बढाने वाले आहार की तालिका बनायीं है। ये ऐसे आहार हैं जिन्हे आप का लाडला बहुत चाव से खायेगा और इससे उसका वजन भी बढ़ेगा।
मलाई के साथ दूधबच्चों का वजन बढ़ने के लिए इससे बढ़िया आहार कुछ भी नहीं हो सकता है। गाए का बछड़ा गाए का दूध पिके कुछ ही दिनों में कई किलो का हो जाता है। गाए के दूध में कैल्शियम, आयरन, विटामिन्स और वो सारे तत्त्व होते हैं जो आसानी से बच्चे के वजन को बढ़ने में मदद करे। बच्चे को मलाई वाला दूध पिलायें। गाए के दूध से निकाले गए मलाई से घी और मक्खन बनता है। तो आप समझ सकते हैं की मलाई वाला दूध शिशु का वजन बढ़ाने में कितना कारगर होगा। अगर आप का बच्चा गाए का दूध पीने में नखड़ा करे तो आप अपनी रचनातमक सोच का सहारा ले सकती हैं। जैसे की बच्चे को दूध का शेख (milk shake) बना के दे सकती हैं। थोड़े से experiment से आप को पता चल जाएगा की आप के बच्चे को क्या पसंद आ रहा है। घी और माखनजिस वजह से दूध आप के बच्चे का वजन बढ़ाने में सहायक है वही वजह ही की घी और माखन भी आप के बच्चे का वजन बढ़ाने में सहायक हैं। बच्चों को घी और माखन देना सबसे आसान काम है। जब आप उनके लिए कोई पसंदीदा आहार जैसे की हलवा या खिचड़ी बना रही हैं, तो उसपे उप्पर से घी या माखन डाल दीजिये। खाने का जायका भी बढ़ेगा और बच्चे के लिए ये पौष्टिक भी है। सूप, सैंडविच, खीर और हलवाबच्चों के लिए ये सारे आहार बहुत गरिष्ट (rich) हैं। इनकी रेसिपी आप यहां से download कर सकते हैं। सूप, सैंडविच, खीर और हलवा में बहुत सारे पौष्टिक ingredients होते हैं जो बच्चे के healthy growth को support करते हैं। आलू और अंडाआलू में भरपूर मात्रा में कार्बोहड्रेट होता है जो बच्चे को ऊर्जा प्रदान करता है। वहीँ अंडे में प्रोटीन होता है जो बच्चे के मांसपेशियोँ (muscles) को बनाने में मदद करता है। प्रोटीन में amino acids होता है जो muscles को बनाने में building blocks की तरह काम करता है। आलू से मिली ताकत से बच्चे में ऊर्जा का संचार होगा और अंडे से बच्चे का वजन बढ़ेगा। स्प्राउटबच्चों का वजन बढ़ाने में स्प्राउट भी काफी मददगार है। अगर आप का बच्चा बहुत छोटा है तो आप उसको स्प्राउट न दें। इसके बदले में आप बच्चे को दाल का पानी या दाल भी दे सकती हैं। 3 महीने के नवजात शिशु का वजन कितना होना चाहिए?तीसरे महीने में बेबी गर्ल का सामान्य वजन 4.7 किलो से 6.3 किलो और लंबाई 59.8 सेंटीमीटर तक हो सकती है। वहीं, बेबी बॉय का सामान्य वजन 5.1 किलो से 6.9 किलो तक और लंबाई 61.4 सेंटीमीटर हो सकती है (1)।
3 month के Baby को कितनी बार दूध पिलाना चाहिए?1 से 3 महीने के ज्यादातर बच्चों को दिन में 7 से 9 बार दूध पिलाना पड़ता है, 3 से 6 महीने के बेबी को दिन में 6 से 8 बार दूध पिलाना होता है और 6 महीने के होने के बाद बच्चे को दिन में 6 बार दूध पिलाना होता है।
3 महीने का बच्चा क्या क्या हरकतें करता है?आपका शिशु अब अपने दोनों हाथ एक साथ ला सकता है, मुट्ठियां खोल सकता है और अपनी उंगलियों के साथ खेल सकता है। वह अपनी बंद मुट्ठी से लटकते हुए खिलौनों पर हाथ भी मार सकता है। शिशु के सामने कोई खिलौना लेकर बैठें, और देखें कि क्या वह उसे पकड़ने का प्रयास करता है। इस तरह उसके हाथ और आंख के बीच तालमेल विकसित होने में मदद मिलेगी।
3 माह के बच्चे को क्या खिलाना चाहिए?जब शिशु को ठोस आहार खाने की आदत हो जाए तब आप उसे दही और सेब आदि मिलाकर खिला सकते हैं। बच्चों को सेब का मीठा और खट्टा स्वाद पसंद आएगा। आप ठोस आहार की शुरुआत सेब से कर सकते हैं। वहीं, सेब में फाइबर अधिक और फैट की मात्रा कम होती है इसलिए यह फल शिशु के लिए बहुत लाभदायक होता है।
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