सूखा किसे कहते है? कारण, प्रभाव, बचाव के उपायसूखा किसे कहते है (sukha kya hai) किसी भी क्षेत्र मे होने वाली सामान्य वर्षा मे 25% या उससे ज्यादा कमी होने पर उसे आमतौर पर सुखे की स्थिति कहा जाता है। गंभीर सूखे की स्थिति ज्यादा देर से आती है। गंभीर सूखे की स्थिति को हम तब कहते है जब या तो वर्षा
मे 50% से अधिक की कमी हो या दो वर्षों तक निरंतर सूखे की परिस्थिति बनी रहें। Show
सूखा आपदा के कारण (sukha ke karan) सूखे का आगमन धीरे-धीरे होता है और इसके आगमन तथा समाप्त होने का समय तय करना कठिन होता है। वर्षा का गिरता स्तर, गिरता हुआ भू-जल स्तर सूखे कुएं, सूखी नदियां और जलाशय तथा
अपर्याप्त कृषि उपज सूखे के आगमन की चेतावनी देते है। यद्यपि सूखा एक प्राकृतिक आपदा है, सूखे की स्थिति हेतु मुख्य उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं--- सूखा अपदा के प्रभाव (sukha ke prabhav) प्रारंभ मे सुखे का प्रभाव आधारित फसलों पर तथा बाद मे सिंचित फसलों पर पड़ता है। जिन क्षेत्रों मे वर्षा को छोड़कर वैकल्पिक जल स्त्रोत कम हो, जहाँ कृषि को छोड़कर अन्य आजिविकाएं कम से कम विकसित हो, सूखे की दृष्टि से सर्वाधिक असुरक्षित होते है। सूखा आपदा
का सबसे बड़ा असर देश के करोड़ों भूमिहीन किसानों ग्रामीण कारीगरों, सीमान्त कृषकों, महिलाओं, बच्चों और खेती से जुड़े मवेशियों पर पड़ता है। सूखे के अन्य प्रभाव 1. वनों का ह्रास। 2. स्वास्थ्य एवं कुपोषण जैसी समस्याओं की वृद्धि। 3. नियोजन आर्थिक विकास मे बाधा। 4. जमाखोरी के कारण महँगाई मे वृद्धि। 5. जनता की क्रय-शक्ति मे कमी होना। 6. मानव की कार्यक्षमता मे कमी। सूखे से बचाव के उपायसूखे से बचने के उपाय अथवा सुझाव इस प्रकार हैं-- 1. जल का बहुत बड़ा हिस्सा सिंचाई के काम आता है। सिंचाई तंत्र मे जल का उचित प्रबंधन करके जल मे की गयी बचत सूखे मे राहत दे सकती है। 2. नहरो द्वारा हमे अति सिंचाई से बचना चाहिए ताकि जल-स्तर के नीचे होने और मिट्टी मे लवण व क्षार बढ़ने की समस्या पैदा न हो। 3. देश की प्रमुख नदियों के बेसिन आपस मे जोड़कर नदियों का एक ग्रिड बना दिया जाये ताकि शुष्क तथा अनावृष्टि वाले क्षेत्रों मे जल की आपूर्ति होती रहे। 4. शुष्क व अर्ध-शुष्क प्रदेशों मे शुष्क कृषि-प्रणाली (Dry Land Farming System) तथा बौछारी सिंचाई (Sprinkler Lrrigation), टपकन सिंचाई (Dripor Trickle Lrrigation) की व्यवस्था सूखे का कारगर मुकाबला कर सकते है। 5. नदियों के ऊपरी अपवाह-क्षेत्र (Catchment Area) पर छोटे-छोटे बाँध बनाये जायें ताकि पानी व्यर्थ न बह जाये। लघु जल संभर (Micro Water Shed) के आधार पर जल और मृदा दोनों का संरक्षण सूखे के प्रबंधन के लिये जरूरी है। जल संभर ही एक ऐसा उपाय है जिसके द्वारा सूखा तथा उससे जुड़ी समस्याओं जैसे निम्न कृषि-उत्पादन तथा पर्यावरण ह्रास आदि को सुलझाया जा सकता है। 6. सूखे की समस्या का निदान कटक से घाटी (Ridge to Valley) तक अर्थात् संपूर्ण नदी बेसिन के उपचार मे निहित है ताकि जल, मिट्टी और जीव का सहजीवी विकास हो सके। सूखे का इलाज टुकड़ो मे (Patch work) करने से नही होगा। 7. वृक्षों की अविचारित कटाई को रोककर सूखा-सम्भावित क्षेत्रों मे सामाजिक वानिकी तथा फार्म वानिकी जैसे कार्यक्रमों जिनसे चारे व ईंधन की उपलब्धता बढ़ी है, को प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। विस्तृत क्षेत्र पर फैला स्थायी हरित है, को प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। विस्तृत क्षेत्र पर फैला स्थायी हरित आवरण ही बार-बार पड़ रहे सूखे का इलाज है। 8. टिकाऊ जल-भण्डारण के प्राकृतिक साधनों जैसे मृदा-परिच्छेदिका वृक्ष और जलभृत को हम भूलतूमे जा रहे है। 9. 'जल जहां गिरे उसे कब्जा लो' की एक प्राचीन अवधारणा को देश के वृष्टि छाया प्रदेशों मे एक नये सिरे से इस्तेमाल मे लाया जा रहा है। इसमे घरों की छतों से वर्षा का जल मकानों के नीचे भूमिगत टंकियों मे इकट्ठा किया जाता है। इसमे कुयें भी भर जाते है। 10. सूखे का पूर्वानुमान प्रसारित करके भी सुखे के प्रभाव को कम किया जा सकता है। ऐसे मे किसान कम जल माँगने वाली फसलों का चयन कर सकते है। आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; सूखा किसे कहते है, सुखा के कारण और प्रभाव भारत में सूखा प्रभावित क्षेत्र कितने प्रतिशत है?देश के कुल क्षेत्र में से 16 % सूखा संभावित क्षेत्र है। वार्षिक रूप से देश में करीब 5 करोड़ लोग सूखे के संकट से प्रभावित होते हैं। 35% क्षेत्र में 750 मिली मीटर से 1125 मिली मीटर तक वर्षा होती है और ये सूखा संभावित क्षेत्र हैं।
Sukha क्या है इन हिंदी?सूखा पानी की आपूर्ति में लंबे समय तक की कमी की एक घटना, चाहे वायुमंडलीय (औसत से नीचे है वर्षा) पानी हो, सतह का पानी हो या भूजल। सूखा महीनों या वर्षों तक रह सकता है, और इसे 15 दिनों के बाद घोषित किया जा सकता है।
सूखा पड़ने पर क्या प्रभाव पड़ता है?फसले, दुग्ध उत्पादन, लकड़ी उत्पादन, बिजिली की अधिक मांग, बिजली का कम उत्पादन, बढ़ी हुई बेरोजगारी, जैव विविधता मे कमी, पानी, वायु तथा प्रकृतिक सौंदर्य के स्तर मे गिरावट, भूजल की कमी, स्वास्थ्य विकार तथा मृत्यु दर मे वृद्धि, गरीबी मे वृद्धि, जीवन स्तर मे गिरावट, सामाजिक अशांति तथा स्थान बदलने की प्रक्रिया (पलायन) सूखे के ...
सूखे का कारण क्या है?सूखा उस स्थिति को कहते हैं जब वर्षा आवश्यकता से कम होती है। इस स्थिति में भूमिगत जल का स्तर भी कम हो जाता है और जीवन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भारत में सूखा दक्षिण-पश्चिम मानसून के कमज़ोर होने से पड़ता है। कम वर्षा या मानसून के अपने निश्चित समय से देरी से आने के कारण सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
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