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Question 'नमक का दारोगा' कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं?Solution 'नमक का दारोगा' कहानी में पंडित आलोपीदीन के व्यक्तित्व के पक्ष के दो पहलू उभरकर आते हैं। पंडित आलोपीदीन एक व्यापारी हैं। अपने व्यापार को चलाने के लिए वे हर अच्छे-बुरे तरीका का प्रयोग करते हैं। वंशीधर को अपने मार्ग से हटाने के लिए वे सारे हथकंडे प्रयोग में लाते हैं। ईमानदार वंशीधर उनके आगे ठहर नहीं पाता और उसे अपने पद से हटा दिया जाता है। इसमें वे एक भ्रष्ट, धूर्त, स्वार्थी व्यक्ति दिखाई देते हैं। दूसरा पक्ष एक ऐसे व्यक्ति का है, जो ईमानदारी, आदर्श और दृढ़ चरित्र वाले लोगों का सम्मान करता है। उनके महत्व को जानता है और उनके गुणों के आधार पर उन्हें उचित स्थान भी देता है।नमक का दारोगा कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन से दो?'नमक का दारोगा' कहानी में पंडित आलोपीदीन के व्यक्तित्व के पक्ष के दो पहलू उभरकर आते हैं। पंडित आलोपीदीन एक व्यापारी हैं। अपने व्यापार को चलाने के लिए वे हर अच्छे-बुरे तरीका का प्रयोग करते हैं। वंशीधर को अपने मार्ग से हटाने के लिए वे सारे हथकंडे प्रयोग में लाते हैं।
`' नमक का दारोगा कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन से दो पहलू पक्ष उभरकर आते हैं ?`?Solution : पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के निम्नलिखित दो पहलू उभरकर आते हैं - <br> एक - पैसे कमाने के लिए नियमविरुद्ध कार्य करनेवाला भ्रष्ट व्यक्ति। लोगों पर जुल्म <br> करता था परंतु समाज में वह सफ़े दपोश व्यक्ति था। यह उसके दोगले चरित्र को उमर <br> करता है। दो - कहानी के अंत में उसका उज्ज्व ल चरित्र सामने आता है।
वंशीधर ने पंडित अलोपीदीन को हिरासत में लेने का हुक्म क्यों दिया है?इसे सुनेंरोकेंउनसे बचने के लिए पंडित अलोपीदीन ने उन्हें धन का लालच देना चाहा तब भी वे धन लेकर उन्हें आजाद करने के लिए राजी नहीं हुए और अपने धर्म का पालन करते हुए हिरासत में ले लिया। अतः इससे वे जान गए कि वंशीधर एक धर्मनिष्ठ और कर्तव्यपरायण व्यक्ति हैं जिन्हें धन का कोई लोभ नहीं था।
पंडित अलोपीदीन कौन थे?पंडित अलोपीदीन इस इलाके के सबसे प्रतिष्ठित ज़मींदार थे. लाखों रुपए का लेन-देन करते थे, इधर छोटे से बड़े कौन ऐसे थे जो उनके ऋणी न हों. व्यापार भी बड़ा लम्बा-चौड़ा था. बड़े चलते-पुरजे आदमी थे.
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