1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे - 1929 mein kaangres ke laahaur adhiveshan ke adhyaksh kaun the

1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे - 1929 mein kaangres ke laahaur adhiveshan ke adhyaksh kaun the

१९३१ में यह ध्वज, 'भारत के ध्वज' के रूप में स्वीकार किया गया। बाद में आजाद हिन्द फौज ने इसी ध्वज का उपयोग किया।

१९ दिसम्बर १९२९ को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी और लोगों ने ब्रितानी साम्राज्य से पूरी तरह से स्वतंत्र होकर 'अपना राज' बनाने के लिए संघर्ष करने की प्रतिज्ञा की थी।

31 दिसम्बर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन तत्कालीन पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में हुआ। इस ऐतिहासिक अधिवेशन में कांग्रेस के ‘पूर्ण स्वराज’ का घोषणा-पत्र तैयार किया तथा 'पूर्ण स्वराज' को कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य घोषित किया। जवाहरलाल नेहरू, इस अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गये।

अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू ने अपने प्रेरक अध्यक्षीय भाषण में कहा “विदेशी शासन से अपने देश को मुक्त कराने के लिये अब हमें खुला विद्रोह करना है, और कामरेड आप लोग और राष्ट्र के सभी नागरिक इसमें हाथ बढ़ाने के लिए सादर आमंत्रित है”। नेहरू ने यह बात भी स्पष्ट कर दी कि मुक्ति का तात्पर्य सिर्फ विदेशी शासन को उखाड़ फेंकना भर नहीं है। उन्होंने कहा “मुझे स्पष्ट स्वीकार कर लेना चाहिए कि मैं एक समाजवादी और रिपब्लिकन हूं। मेरा राजाओं और महाराजाओं में विश्वास नहीं है, न ही मैं उस उद्योग में विश्वास रखता हूं जो राजे-महाराजे पैदा करते हैं, और जो पुराने राजों-महाराजों से अधिक जनता की जिन्दगी और भाग्य को नियंत्रित करते हैं और जो पुराने राजों-महाराजों और सामंतों के लूटपाट और शोषण का तरीका अख्तियार करते हैं”।

लाहौर अधिवेशन में पास किये गये प्रस्ताव की प्रमुख मांगें इस प्रकार थीं-

  • गोलमेज सम्मेलन का बहिष्कार किया जायेगा।
  • पूर्ण स्वराज्य को कांग्रेस ने अपना मुख्य लक्ष्य घोषित किया।
  • कांग्रेस कार्यसमिति को सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने का पूर्ण उत्तरदायित्व सौंपा गया, जिनमे करों का भुगतान नहीं करने जैसे कार्यक्रम सम्मिलित थे।
  • सभी कांग्रेस सदस्यों को भविष्य में कौंसिल के चुनावों में भाग न लेने तथा कौंसिल के मौजूदा सदस्यों को अपने पदों से त्यागपत्र देने का आदेश दिया गया।
  • 26 जनवरी 1930 का दिन पूरे राष्ट्र में प्रथम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया गया।

31 दिसम्बर 1929 की अर्द्धरात्रि को 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारों के बीच रावी नदी के तट पर भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक तिरंगा झंडा फहराया गया। इसके बाद 26 जनवरी 1930 को पूरे राष्ट्र में जगह-जगह सभाओं का आयोजन किया गया, जिनमें सभी लोगों ने सामूहिक रूप से स्वतंत्रता प्राप्त करने की शपथ ली। इस कार्यक्रम को अभूतपूर्व सफलता मिली। गांवों तथा कस्बों में सभायें आयोजित की गयीं, जहां स्वतंत्रता की शपथ को स्थानीय भाषा में पढ़ा गया तथा तिरंगा झंडा फहराया गया।

Table of Contents

1. लाहौर अधिवेशन 1929 की पृष्ठभूमि

  • ·  कांग्रेस का कलकत्ता अधिवेशन, 1928
  • · 1929 की राजनीतिक घटनायें
  • ·  लार्ड इरविन की घोषणा 31 अक्टूबर 1929

2. कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन 1929 - पूर्ण स्वराज्य

  • · जवाहरलाल नेहरू के अध्यक्ष चुने जाने का कारण

3. लाहौर अधिवेशन में पास किया गया प्रस्ताव

4. पहला स्वतंत्रता दिवस, 26 जनवरी, 1930

5. प्रश्न और उत्तर (QnA)

1. लाहौर अधिवेशन 1929 की पृष्ठभूमि

(a)कांग्रेस का कलकत्ता अधिवेशन, 1928

1928 में कांग्रेस का अधिवेशन कलकत्ता में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ। कलकत्ता अधिवेशन में नेहरु रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया, लेकिन कांग्रेस के युवा नेतृत्व (जवाहरलाल नेहरु, सुभाष चन्द्र बोस एवं सत्यमूर्ति) ने डोमिनियनस्टेट्स (औपनिवेशिक स्वराज्य) को कांग्रेस द्वारा अपना मुख्य लक्ष्य घोषित किये जाने पर असंतोष व्यक्त किया। डोमिनियन स्टेट्स (औपनिवेशिक स्वराज्य) के स्थान पर उन्होंने मांग की कि पूर्ण स्वराज्यया पूर्ण स्वतंत्रताको कांग्रेस अपना लक्ष्य घोषित करें।

इस अवसर पर महात्मा गांधी तथा मोतीलाल नेहरू जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का मत था कि डोमीनियन स्टेट्स की मांग को इतनी जल्दबाजी में अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इस पर आम सहमति बड़ी मुश्किल से बन सकी है। उन्होंने सुझाव दिया कि डोमिनियन स्टेट्स (औपनिवेशिक स्वराज्य)  की मांग को मानने के लिये सरकार को 2 वर्ष  का समय दिया जाना चाहिए। बाद में युवा नेताओं के दबाव के कारण मोहलत की अवधि 2 वर्ष से घटाकर 1 वर्ष कर दी गयी।

कांग्रेस ने कलकत्ता अधिवेशन,1928 में यह प्रतिबद्धता जाहिर की कि डोमिनियन स्टेट्स पर आधारित संविधान को सरकार ने अगर 1 वर्ष के अंदर पेश नहीं किया तो कांग्रेसपूर्ण स्वराज्य’ को अपना लक्ष्य घोषित करेगी और  साथ ही इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु वह सविनय अवज्ञा आंदोलन भी प्रारंभ करेगी।

दिसंबर 1928 के कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में महात्मा गांधी शामिल हुएथे।

(b)1929 की राजनीतिक घटनायें

जनता को प्रत्यक्ष राजनीतिक संघर्ष के लिये तैयार करने हेतु वर्ष 1929 में गांधीजी ने पूरे देश का दौरा किया। गांधीजी ने विभिन्न स्थानों पर सभाओं को संबोधित किया तथा युवाओं से नये राजनीतिक संघर्ष हेतु प्रत्यक्ष रूप से तैयार रहने का अनुरोध किया। 1929 से पहले गांधीजी का मुख्य जोर रचनात्मक कार्यों पर होता था, उसकी जगह पर अब उन्होंने जनता को प्रत्यक्ष राजनीतिक कार्रवाई के लिये तैयार करना प्रारंभ कर दिया।

कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति ने आम जनता द्वारा बहिष्कार का आक्रामक कार्यक्रम अपनाने तथा विदेशी वस्त्रों की सार्वजानिक होली जलाने के लिए विदेशी कपड़ा बहिष्कार समिति’ का गठन किया। इस अभियान को गांधीजी ने पूर्ण समर्थन प्रदान कर लोगों को सक्रियता से भाग लेने के लिये प्रोत्साहित किया। लेकिन मार्च 1929 में गांधीजी को कलकत्ता में गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी गिरफ्तारी से पूरे देश में उत्तेजना फैल गयी तथा लोगों ने खुलेआम विदेशी कपड़ो की होली जलाई।

वर्ष 1929 की ही कुछ अन्य घटनाओं से स्थिति और विस्फोटक हो गयी तथा पूरे राष्ट्र के लोगों में अंग्रेज विरोधी भावनायें जागृत हो उठीं। इन घटनाओं में मेरठ षड़यंत्र केस (मार्च 1929), भगत सिंह एवं बटुकेश्वर दत्त द्वारा केंद्रीय विधान सभा में बम विस्फोट (8 अप्रैल, 1929) तथा मई 1929 में इंग्लैण्ड में रैमजे मैक्डोनाल्ड की लेबर पार्टी का सत्ता में आना प्रमुख थीं।

(c)लार्ड इरविन की घोषणा (31 अक्टूबर 1929)

महारानी की ओर से मुझे स्पष्ट रूप से यह कहने का आदेश हुआ है कि सरकार के निर्णय में 1917 की घोषणा में यह बात निहित है कि भारत के विकास के स्वाभाविक मुद्दे उसमें दिये गये हैं, उनमें डोमीनियन स्टेट्स (अधिशासित स्वराज्य) की प्राप्ति जुड़ी हुई है

लार्ड इरविन ने यह वादा भी किया कि जैसे ही साइमन कमीशन (Simon Commission) अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर देगा, एक गोलमेज सम्मेलन (Golmej Sammelan) बुलाया जायेगा।

Also read – साइमन कमीशन

Also read - गोलमेज सम्मेलन

(d)दिल्ली घोषणा-पत्र (2 नवंबर 1929)

देश के प्रमुख नेताओं का एक सम्मलेन 2 नवंबर 1929 को दिल्ली में बुलाया गया और एक घोषणा पत्र जारी किया गया, जिसे दिल्ली घोषणा-पत्र के नाम से जाना जाता है। इसमें मांग रखी गयी कि-

1. यह बात स्पष्ट हो जानी चाहिए गोलमेज सम्मेलन का उद्देश्य इस बात पर विचार-विमर्श करना नहीं होगा कि किस समय डोमिनयन स्टेट्स (औपनिवेशिक स्वराज्य) दिया जाये बल्कि इस बैठक में इसे लागू करने की योजना बनायी जानी चाहिए।

2. इस बैठक (गोलमेज सम्मेलन) में कांग्रेस का बहुमत में प्रतिनिधित्व होना चाहिए।

3. राजनीतिक अपराधियों को क्षमादान दिया जाये तथा सहमति की एक सामान्य नीति तय की जाये।

वायसराय इरविन  ने 23 दिसम्बर  1929 को इन मांगों को अस्वीकार कर दिया।

2. कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन 1929 - पूर्ण स्वराज्य (Lahore Session of Congress 1929 - Purna Swaraj)

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन 31 दिसम्बर 1929 को तत्कालीन पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में रावी नदी के तट पर हुआ था । इस ऐतिहासिक अधिवेशन में कांग्रेस केपूर्ण स्वराजका घोषणा-पत्र तैयार किया गया तथा 'पूर्ण स्वराज' को कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य घोषित किया गया ।

जवाहरलाल नेहरू ने पूर्ण स्वराज्य के विचार को लोकप्रिय बनाने में सर्वाधिक योगदान दिया था। अतः इस अधिवेशन का अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को चुना गया। जवाहर लाल नेहरु ने 31 दिसम्बर, 1929 की मध्यरात्रि को इंकलाब जिंदाबाद के नारों के बीच रावी नदी के तट पर स्वाधीनता के तिरंगे झण्डे को फहराया और 26 जनवरी, 1930 को पहला स्वाधीनता दिवसघोषित किया गया

जवाहरलाल नेहरू के अध्यक्ष चुने जाने के कारण –

1. जवाहरलाल नेहरू के पूर्ण स्वराज्य के प्रस्ताव को कांग्रेस ने अपना मुख्य लक्ष्य बनाने का निश्चय कर लिया था।

2. गांधी जी का जवाहरलाल नेहरू को पूर्ण समर्थन प्राप्त था। महात्मा गांधी ने स्वयं नेहरु के नाम की सिफारिश की थी।

1929 के ऐतिहासिक लाहौर अधिवेशन के लिए महात्मा गांधी को अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, लेकिन गांधीजी ने जवाहर लाल नेहरु को अपनी जगह अध्यक्ष नियुक्त किया। जवाहरलाल नेहरू को अध्यक्ष बनाने में गांधी जी ने निर्णायक भूमिका निभाई। यद्यपि 18 प्रांतीय कांग्रेस समितियों में से सिर्फ 3 का समर्थन ही नेहरू को प्राप्त था किंतु महात्मा गांधी ने बहिष्कार की लहर में युवाओं के सराहनीय प्रयास को देखते हुये इन चुनौतीपूर्ण क्षणों में कांग्रेस का सभापतित्व जवाहरलाल नेहरू को सौंपा।

3. लाहौर अधिवेशन में पास किया गया प्रस्ताव 

1. कांग्रेस द्वारा गोलमेज सम्मेलन का बहिष्कार किया जायेगा।

2. कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य को अपना मुख्य लक्ष्य घोषित किया। यहाँ स्वराज्य का अर्थ पूर्ण स्वतंत्रता रखा गया। नेहरु रिपोर्ट को कांग्रेस ने निरस्त कर दिया।

3. कांग्रेस ने कांग्रेस कार्यसमिति को सविनय अवज्ञाआंदोलन (नागरिक अवज्ञा आंदोलन) प्रारंभ करने का पूर्ण उत्तरदायित्व सौंपा गया, जिनमे करों का भुगतान करने जैसे कार्यक्रम सम्मिलित थे।

4. कांग्रेस ने सभी कांग्रेस सदस्यों को भविष्य में कौंसिल के चुनावों में भाग लेने तथा कौंसिल के वर्तमान सदस्यों को अपने पदों से त्यागपत्र देने का आदेश दिया गया।

5. कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 का दिन पूरे राष्ट्र में प्रथम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया गया।

Also read - गोलमेज सम्मेलन

कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने का नेतृत्व गांधीजी को सौंपा गया।

4. पहला स्वतंत्रता दिवस - 26 जनवरी, 1930

कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 के अनुसार आगामी 26 जनवरी, 1930 को पहला स्वतंत्रता दिवस मनाने का निश्चय किया गया। इसके तहत 26 जनवरी, 1930 को पूरे राष्ट्र में जगह-जगह सभाओं का आयोजन किया गया, जिनमें सभी लोगो को सामूहिक तौर पर स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए शपथ दिलाई गई। गांवों तथा कस्बों में सभायें आयोजित की गयीं, जहां स्वतंत्रता की शपथ को स्थानीय भाषा में पढ़ा गया तथा तिरंगा झंडा फहराया गया।

26 जनवरी, 1930 के बाद यह दिवस हर साल मनाया जाने लगा। इसी कारण जब भारत स्वतंत्र हो गया और भारत का नया संविधान तैयार हो गया तो उसे 26 जनवरी को ही लागू किया गया था। इसी कारण से 26 जनवरी को प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है।

इस प्रकार कांग्रेस  का लाहौर अधिवेशन, 1929 (lahore session 1929) वास्तव में एक ऐतिहासिक अधिवेशन था जिसने भारतीय स्वतंत्रता व भारतीय राजनीति के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

5. प्रश्न और उत्तर (QnA)

Q. दिसंबर 1929 में किसकी अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की मांग की थी? (lahore session 1929 presided by)

A. दिसंबर 1929 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की मांग की थी।

Q. पूर्ण स्वराज दिवस कब घोषित किया गया?

A. 26 जनवरी की तारीख कांग्रेस ने को पूर्ण स्वराज दिवस घोषित किया था।

Q. पूर्ण स्वराज का उद्घोष कब और किस अधिवेशन में किया गया था?/ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कब पूर्ण स्वराज की घोषणा की?/भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कब पूर्ण स्वराज्य की घोषणा की?

A. पूर्ण स्वराज का उद्घोष कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में 31 दिसम्बर, 1929 को किया गया था।

Q. 1906 में स्वराज शब्द का प्रयोग करने वाला प्रथम भारतीय कौन था?

A. 1906 में स्वराज शब्द का प्रयोग करने वाला प्रथम भारतीय दादा भाई नौरोजी थे। लेकिन स्वराज शब्द का पहला प्रयोग स्वामी दयानंद सरस्वती के द्वारा किया गया था।

Q. पहली बार गुलाम भारत में कब स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था?/प्रथम बार स्वाधीनता दिवस कब मनाया गया?

A. पहली बार गुलाम भारत में 26 जनवरी, 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था।

Q. प्रथम गणतंत्र दिवस के समय भारत के राष्ट्रपति कौन थे?

A. प्रथम गणतंत्र दिवस के समय भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद थे।

Q. पहली बार 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि कौन थे?/1950 में भारत की पहली गणतंत्र दिवस परेड के प्रथम मुख्य अतिथि कौन थे?

A. पहली बार 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णी थे ।

Q. भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को क्यों लागू हुआ?

A. कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 के अनुसार 26 जनवरी, 1930 को पहला स्वतंत्रता दिवस मनाने का निश्चय किया। 26 जनवरी, 1930 के बाद यह दिवस हर साल मनाया जाने लगा। जब स्वतंत्र भारत का नया संविधान तैयार हो गया तो उसे 26 जनवरी को ही लागू किया गया था। इसी कारण से 26 जनवरी को प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है।

Q. कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे?/ कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे?/ कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे?/कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता किसने की?

A. कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन, 1929 के अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू थे।

Q. 1929 में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन किन दो कारणों से महत्वपूर्ण माना जाता है?(the lahore congress session was famous for)

A. 1929 में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन दो कारणों से महत्वपूर्ण माना जाता है-

1. कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य को अपना मुख्य लक्ष्य घोषित किया।

2. 26 जनवरी 1930 का दिन पूरे राष्ट्र में प्रथम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया गया।

Q. वह स्थान जहां 1929 में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ?

A. 31 दिसम्बर 1929 में कांग्रेस का अधिवेशन  तत्कालीन पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में रावी नदी के तट पर हुआ था।

1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे - 1929 mein kaangres ke laahaur adhiveshan ke adhyaksh kaun the
कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन 1929- पूर्ण स्वराज्य | Lahore Session of Congress - Purna Swaraj | 1929 Lahore Session | Lahore Session of 1929

1929 लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे?

31 दिसम्बर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन तत्कालीन पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में हुआ। इस ऐतिहासिक अधिवेशन में कांग्रेस के 'पूर्ण स्वराज' का घोषणा-पत्र तैयार किया तथा 'पूर्ण स्वराज' को कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य घोषित किया। जवाहरलाल नेहरू, इस अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गये।

नेहरू जी ने लाहौर अधिवेशन में क्या फहराया था *?

अतः इस अधिवेशन का अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को चुना गया। जवाहर लाल नेहरु ने 31 दिसम्बर, 1929 की मध्यरात्रि को इंकलाब जिंदाबाद के नारों के बीच रावी नदी के तट पर स्वाधीनता के तिरंगे झण्डे को फहराया और 26 जनवरी, 1930 को पहला स्वाधीनता दिवस घोषित किया गया।

1930 में कांग्रेस का अध्यक्ष कौन था?

स्वतंत्रता के पूर्व जवाहरलाल नेहरू चार बार अध्यक्ष रह कर ये अधिकतम कार्यकाल रहा; १९२९, १९३०, १९३६ और १९३७ में। स्वतंत्रता के बाद और अब तक सोनिया गांधी ने १९ सालों तक पदभार सम्भाल है जो की सबसे अधिकतम है।

लाहौर अधिवेशन 1929 का क्या महत्व है?

पूर्ण स्वाधीनता का।” इस अधिवेशन में कांग्रेस ने 'पूर्ण स्वाधीनता के प्रस्ताव को स्वीकार किया। 31 दिसम्बर, 1929 को कांग्रेस अध्यक्ष ने अर्द्धरात्रि में रावी के तट पर विशाल जन समूह के समक्ष 'पूर्ण स्वाधीनता का ध्वज फहराया। कांग्रेस ने 26 जनवरी, 1930 को पूर्ण स्वाधीनता दिवस मनाये जाने का निर्णय लिया।