11 समास के कितने भेद हैं? - 11 samaas ke kitane bhed hain?

आज इस आर्टिकल में हम समास के कितने भेद होते हैं? (Samas ke kitne bhed hote Hain), समास कितने प्रकार के होते हैं? (Samas kitne prakar ke hote hain?) समास किसे कहते हैं? इसके बारे में विस्तार से पढेंगें। .

दोस्तों हिंदी व्याकरण हिंदी भाषा का आधार है। हिंदी के सही अध्ययन के लिए हिंदी व्याकरण के हर  पाठ की जानकारी होना जरूरी हो जाता है। सही और शुद्ध हिंदी लिखने या फिर बोलने के लिए भी जो जरूरी नियम होते हैं उनका अध्ययन हिंदी व्याकरण में ही किया जाता है। समास भी हिंदी व्याकरण के अंतर्गत आने वाला एक महत्वपूर्ण पाठ है।

आज इस लेख में हम मुख्य तौर पर समास के बारे में ही जानेंगे। समास क्या होता है? और मुख्यत: समास के कितने भेद होते हैं? इन सभी को जानेंगे। समास तथा समास के सभी भेदों को एक-एक करके उदाहरण सहित समझने का प्रयास करेंगे।

समास क्या होता है?

शाब्दिक अर्थ में समास का मतलब होता है संछिप्त या संछेप, यानी कि इसका मतलब हो गया संक्षिप्तीकरण। यानी कि दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर, संक्षिप्त रूप में उसके लिए जब एक नया और सार्थक शब्द बनता है, तब उसी शब्द को समास कहते हैं। समास का उद्देश्य कम से कम 2 शब्दों में ज्यादा से ज्यादा अर्थ प्रकट करना होता है।

समाज के 6 प्रकार होते हैं :

व्ययीभाव समास, तत्पुरुष समास, बहुव्रीहि समास, द्विगु समास, द्वंद समास, कर्मधारय समास

उदाहरण के लिए राजहंस एक सामासिक शब्द है। राजहंस दो शब्दों से मिलकर बना है, राजा और हंस। राजा और हंस दो शब्द है जिनके मिलने से राजहंस बना जो खुद भी एक सार्थक अर्थ दे रहा है, अतः यह समास है। राजहंस में 2 पद हैं राजा और हंस, पहला पद पूर्वपद और दूसरा पद उत्तरपद कहलाता है।

राजहंस = राजा का हंस । यहां सामासिक शब्दों के बीच के संबंध को स्पष्ट किया गया है और यही समास विग्रह कहलाता है।

समास के कितने भेद या प्रकार होते हैं? (Samaas ke kitne prakar hote hain?)  

मुख्य तौर पर समास को 6 भागों में वर्गीकृत किया गया है, यानी समास के 6 भेद होते हैं जो निम्नलिखित हैं

  1. अव्ययीभाव समास
  2. तत्पुरुष समास
  3. बहुव्रीहि समास
  4. द्विगु समास
  5. द्वंद समास
  6. कर्मधारय समास

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1.अव्ययीभाव समास

उस समास को अव्ययीभाव समास कहा जाता है जिसका पहला पद यानी पहला शब्द मुख्य होता है। इस सामासिक पद का पहला पद यानी कि पूर्वपद प्रधान होता है। इस का सामासिक पद अव्यय होता है। अव्ययीभाव समास का प्रथम पद उपसर्ग होता है। जब 2 शब्दों को मिलाकर सामासिक शब्द बनाया जाता है तब उसमें पहला शब्द मुख्य होता है।

अव्ययीभाव समास के उदाहरण

  • प्रति + दिन  = प्रतिदिन
  • यथा + संभव   = यथासंभव
  • अनु + रूप   = अनुरूप।
  • पेट + भर   = भरपेट
  • आजन्म   – जन्म से लेकर

दिए गए उदाहरणों में पहला पद यानी कि पूर्व पद ही प्रमुख है समास विग्रह करके इसे देखा जा सकता है।

2. तत्पुरुष समास

अव्ययीभाव समास के विपरीत तत्पुरुष समास का अंतिम पद यानी कि अंतिम शब्द मुख्य होता है। तत्पुरुष समास में उत्तर पद प्रमुख होता है। तत्पुरुष  समास में सामान्य तौर पर पहला पद विशेषण तथा दूसरा पदक विशेष्य होता है।

इस समाज में कर्ता तथा संबोधन कारक की विभक्तिओं को छोड़कर अन्य कारक विभक्तियो का प्रयोग किया जाता है।

तत्पुरुष समास के 6 उप भेद होते हैं, जो कर्म तत्पुरुष, करण तत्पुरुष, संप्रदान तत्पुरुष, अपादान तत्पुरुष, संबंध तत्पुरुष तथा अधिकरण तत्पुरुष है।

तत्पुरुष समास के भेद

  • गिरिधर  – गिरी को धारण करने वाला
  • कठफोड़वा – कांठ को फ़ोड़ने वाला
  • जलाभिषेक – जल से अभिषेक
  • भिक्षाटन  – भिक्षा के लिए ब्राह्मण
  • राहखर्च – राह के लिए खर्च
  • करुणा पूर्ण  – करुणा से पूर्ण

ऊपर दिए गए उदाहरण तत्पुरुष समास के उदाहरण है।

3. बहुव्रीहि समास

बहुव्रीहि समास उसे कहते हैं जीसमें कोई भी पद प्रधान नहीं होता है दोनों ही पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं। सामासिक शब्द में उपस्थित पूर्व पद तथा उत्तर  पद दोनों ही गौण होते हैं।

यानी कि समास में आए शब्दों को छोड़कर जब किसी दूसरे शब्द की प्रधानता हो तब उसे  बहुव्रीहि समास कहा जाता है। उदाहरण के लिए नीलकंठ -नीला है कंठ जिसका।

इसमें ना तो नीला प्रधान है और ना ही कंठ नीलकंठ शिव के लिए इस्तेमाल किया जाता है, यानी कि दोनों पद मिलकर तीसरे की तरफ इशारा कर रहे हैं, इसीलिए यह बहुव्रीहि समास है।

बहुव्रीहि समास के उदाहरण

  • गजानन = गज का है आनन जिसका मतलब है (गणेश)
  • घनश्याम = घन जैसा श्याम है जिसका मतलब है  (कृष्ण)
  • चतुर्भुज – चार है भुजाएं जिसकी अर्थात विष्णु
  • पंकज  – पंक में जो पैदा हुआ हो अर्थात कमल
  • वीणापाणि  – वीणा है कर में जिसके अर्थात सरस्वती

4. द्विगु समास

द्विगु समास में सामासिक शब्द का पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है। यानी कि जिस सामासिक शब्द के पहले पद से संख्या का पता चलता है वह द्विगु समास कहलाता है। इसका शाब्दिक अर्थ ही होता है तो शब्दों का समूह।  द्विगु समास में 1 से लेकर हजारों तक संख्याएं आ सकती है, इसमें संख्याओं का समूह होता है। उदाहरण के लिए त्रिलोक = तीनों लोकों का समाहार, इसमें पहला पद संख्या को दिखा रहा है इसीलिए यह द्विगु समास है।

द्विगु समास के अन्य उदाहरण

  • शताब्दी =     सौ अब्दो (वर्षों) का समूह
  • अठन्नी =   आठ आनों का समूह
  • सतसई = सात सौ दोहों का समूह
  • चवन्नी = चार आनों का समूह
  • पंचमढ़ी   – पांच मणियों का समूह
  • त्रिनेत्र – तीन नेत्रों का समाहार
  • अष्टधातु  – आठ धातुओं का समाहार

5. द्वंद समास

द्विगु समय के विपरीत द्वंद समास उसे कहा जाता है जिसमें दोनों ही पद प्रधान होते हैं।  द्वंद समास में पूर्व पद तथा उत्तर  पद दोनों ही मुख्य होते हैं। इस सामासिक शब्द में पहला पद भी प्रधान होता है और दूसरा पद भी प्रधान होता है। द्वंद समास के अपने भी तीन उपभेद होते हैं  इत्येत्तर द्वंद  ,समाहार द्वंद ,  तथा वैकल्पिक द्वंद। द्वंद समास के उदाहरण में माता- पिता है, इसमें माता तथा पिता दोनों ही पद प्रधान हैं।

द्वंद समास के उदाहरण

  • आग – पानी  = आग और पानी
  • गुण – दोष    = गुण और दोष
  • पाप –  पुण्य   = पाप या पुण्य
  • ऊंच – नीच   = ऊंच या नीचे
  • शीतोष्ण = शीत या उष्ण
  • छब्बीस = छः और बीस
  • कृष्णार्जुन = कृष्ण और अर्जुन

6. कर्मधारय समास

कर्मधारय समास का पहला यानी कि पूर्व पद विशेषण तथा दूसरा यानी कि उत्तरपद विशेष्य होता है। दूसरी भाषा में, जिस समस्त पद का उत्तर पद प्रधान हो तथा पूर्वपद व उत्तरपद में उपमान – उपमेय तथा विशेषण -विशेष्य संबंध हो वह कर्मधारय समास होता है। कर्मधारय समास चार प्रकार के होते हैं विशेषण पूर्वपद, विशेष्य पूर्वपद, विशेषणोभय पद तथा, विशेष्योभय  पद।

कर्मधारय समास के उदाहरण

  • प्राणप्रिय  – प्राणों से प्रिय
  • मृगनयनी  – मृग के समान नयन
  • विद्यारत्न  – विद्या ही रत्न है
  • नीलकमल   – नीला कमल
  • महात्मा    – महान है जो आत्मा
  • चन्द्रमुख =    चन्द्रमा के समान है 
  • क्रोधाग्नि =   क्रोध रूपी अग्नि

Conclusion

आज इस आर्टिकल में हमने व्याकरण के बहुत ही महत्वपूर्ण विषय समास के बारे में जाना इस आर्टिकल में हमने समास के कितने भेद होते हैं? समास कितने प्रकार के होते हैं? समास क्या है? इस आर्टिकल में हम समास के कितने भेद होते हैं? और समास कितने प्रकार के होते हैं? इसके बारे में इस आर्टिकल में आपको उदाहरण के साथ विस्तार से बताएं। अगर इस आर्टिकल को पढ़कर आपको समास कितने प्रकार के होते हैं? और समास के कितने भेद होते हैं? इसके बारे में सारी जानकारी मिली है तो हमारा आर्टिकल को शेयर जरुर करें और हमारे आर्टिकल के संबंधित कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

समास में कितने भेद होते हैं?

समास के 6 प्रकार होते हैं। जो इस प्रकार हैं -अव्ययी भाव समास, तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास, द्विगु समास, द्वन्द्व समास और बहुव्रीहि समास

समास के कितने भेद होते हैं Class 10?

पदों की प्रधानता के आधार पर समास के मुख्यत: चार भेद होते हैं— (1) अव्ययीभाव (2) तत्पुरुष (3) द्वन्द्व तथा (4) बहुव्रीहि। तत्पुरुष के दो उपभेद भी हैं— कर्मधारय एवं द्विगु ।

7 समास के कितने भेद होते हैं?

समास के छः भेद हैं:.
अव्ययीभाव.
तत्पुरुष.
द्विगु.
द्वन्द्व.
बहुव्रीहि.
कर्मधारय.

समास कितने प्रकार के होते हैं class 9?

अव्ययीभाव समास.
तत्पुरुष समास.
द्वंद्व समास.
कर्मधारय समास.
द्विगु समास.
बहुव्रीहि समास.