धनराम को मोहन के किस व्यवहार पर आश्चर्य होता है और क्यों ?`? - dhanaraam ko mohan ke kis vyavahaar par aashchary hota hai aur kyon ?`?

Question

धनराम को मोहन के किस व्यवहार पर आश्चर्य होता है और क्यों?

Solution

धनराम को तब मोहन के व्यवहार पर आश्चर्य होता है, जब वह धनराम के साथ लोहे को रूप देने में सहयोग देता है। मोहन का संबंध उच्चवंश से है। वह जाति से ब्राह्मण है। उसकी जाति के लोग धनराम के साथ उठना-बैठना नहीं करते हैं। बहुत आवश्यकता होने पर वह उनकी दुकान पर खड़े हो जाते हैं मगर मेलजोल नहीं रखते हैं। मोहन इसके विपरीत धनराम के टोले पर चला जाता है। वहाँ वह धनराम के साथ उसकी दुकान पर बैठता है और जब वह लोहे को सही आकार नहीं दे पाता है, तो उसकी मदद भी करता है। एक ब्राह्मण लड़के को अपने समान काम करते देखकर उसे आश्चर्य होता है। मोहन पढ़ने के लिए गाँव से बाहर गया था मगर मोहन को लोहे को आकार देता देख, उसे समझ नहीं आता।


धनराम को मोहन के किस व्यवहार पर आश्चर्य होता है और क्यों 4?

प्रश्न 3: धनराम को मोहन के किस व्यवहार पर आश्चर्य होता है और क्यों? उत्तर : धनराम को तब मोहन के व्यवहार पर आश्चर्य होता है, जब वह धनराम के साथ लोहे को रूप देने में सहयोग देता है। मोहन का संबंध उच्चवंश से है। वह जाति से ब्राह्मण है।

धनराम को मोहन की किस बात पर आश्चर्य होता है और क्यों?

3. धनराम को मोहन के किस व्यवहार पर आश्चर्य होता है और क्यों? उत्तर:- धनराम को मोहन के हथौड़ा चलाने और लोहे की छड़ को सटीक गोलाई देने की बात पर आश्चर्य तो हुआ।

धनराम के पिता का क्या नाम?

धनराम ने सहज भाव से उनकी विरासत सँभाल ली। इधर मोहन ने छात्रवृत्ति पाई। इससे उसके पिता वंशीधर तिवारी उसे बड़ा आदमी बनाने का स्वप्न देखने लगे।

मास्टरजी धनराम के बारे में क्या सोचते थे?

तब मास्टर जी उसे अपनी पाँच दरातियाँ धार लगवाने के लिए देते हैं। मास्टर जी मानते हैं कि किताबों की विद्या का ताप लगाने का सामर्थ्य धनराम के पिता में नहीं है। धनराम ने जैसे ही हाथ-पैर चलाना सिखा उसके पिता ने उसे धौंकनी फूँकने के काम में लगा दिया। इस तरह वह समय गुजरने के साथ ही हथौड़े से लेकर घन चलाने की विद्या सीखने लगा।

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