सांस लेने में दिक्क्त होना क्या है?
सांस लेने में दिक्कत एक कष्टदायक अनुभव होता है। कुछ लोगों का कहना है कि इस समस्या में उनको सांस फूलने या सांसे चढ़ने जैसा अनुभव महसूस होता है। इसमें छाती में अकड़न होती है और सांस लेने के दौरान दर्द भी महसूस हो सकता है। कभी-कभी वायुमार्ग रुकने के कारण भी सांस लेने में दिक्कत की समस्या हो सकती है, इसे सामान्य स्थिति समझा जाता है। हालांकि अगर सांस लेने में दिक्क्त की वजह वायु मार्ग का अवरोध न होकर कुछ और है तो इस पर तुरंत ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है क्योंकि यह कोई गंभीर एवं हानिकारक स्थिति हो सकती है। ऐसी स्थिति को तुरंत मेडिकल देखभाल की आवश्यकता पड़ती है।
वायुमार्ग ट्यूबों से मिलकर बनी एक जटिल प्रणाली होती है। वायुमार्ग के द्वारा मुंह व नाक से वायु खींचकर फेफड़ों तक पहुंचाई जाती है। इसलिए सांस लेने में परेशानी की समस्या वायुमार्ग में कहीं भी रुकावट होने के कारण हो सकती है।
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कुछ मामलों में व्यक्ति को केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही सांस लेने से जुड़ी दिक्क्त होती है। ऐसा अक्सर कड़ी मेहनत जैसी गतिविधियों, उंचाई वाले स्थान और अधिक गर्म या अधिक ठंडे वातारण के कारण हो सकता है। इन सभी स्थितियों के अलावा सांस लेने में दिक्कत महसूस होना किसी अन्य मेडिकल समस्या का संकेत भी हो सकता है।
सांस लेने में परेशानी की समस्या का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। यह समस्या एक तीव्र श्वसन अवरोध (Acute respiratory obstruction) के कारण भी हो सकती है, इसे तुरंत देखभाल और प्रबंधन की आवश्यकता होती है। इस समस्या के अन्य कारणों को दवाओं, ऑक्सीजन थेरेपी या अन्य सर्जिकल प्रक्रियाओं द्वारा मैनेज किया जाता है।
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नई दिल्ली: सांस लेने में दिक्कत एक आम समस्या है. ज्यादा खाना खाने के बाद भी सांस लेने में परेशानी (breathing problem) अनुभव हो सकती है. लेकिन यदि ऐसा बार-बार होता है और लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहती है तो ध्यान देने की जरूरत है. सांस नली के जाम होने या फेफड़ों में छोटी-मोटी परेशानी होने पर सांसें छोटी आने लगती हैं. यदि आपको यह समस्या लंबे समय से है तो यह किसी दूसरी बीमारी का लक्षण हो सकता है, जैसे अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी (सीओपीडी) और निमोनिया. आइये जानते किस कारण हो सकती ये समस्या (reason of breathing problem).
तनाव के कारण
जो लोग बहुत अधिक तनाव (tension) में रहते हैं, उन्हें अक्सर सांस लेने में समस्या होती है. वे या तो बहुत जल्दी-जल्दी सांस लेते हैं या सीने में भारीपन का अहसास होने के कारण उनकी सांस लेने की गति बहुत धीमी होती है. इन दोनों ही स्थितियों में उनकी सांस बहुत छोटी होती है. इस कारण उनके फेफड़ों में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन (oxygen) नहीं पहुंच पाती है और इससे सांस लेने
में दिक्कत होती है.
सूजन और इंफेक्शन के कारण छोटी सांसे
सांस की नली में सूजन, किसी इंफेक्शन या किसी अन्य कारण से जब ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में शरीर के अंदर प्रवेश नहीं कर पाती है तो आपकी सांसे छोटी होने लगती हैं. यह बीमारी अगर लंबे समय से चली आ रही है तो अस्थमा, निमोनिया या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) का लक्षण हो सकती है.
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वजन ज्यादा होना
जिसका वजन जितना ज्यादा होगा (heavy weight), उसे सांस लेने में उतनी ही तकलीफ होगी. आपको बता दें कि मोटे लोगों को सांस फूलने की बहुत ही ज्यादा समस्या रहती है. ऐसे में थोड़ा सा चलने, दौड़ने या सीढि़यां चढ़ने पर परेशानी होने लगती है.
यूं पाएं सांस में
तकलीफ से राहत
-अपने घर को साफ रखने के अलावा अपने बिस्तर को भी साफ रखें. घर में वेंटिलेशन का पूरा ध्यान दें.
-सिगरेट पीते हैं तो इसे जल्दी से छोड़ दें. धूम्रपान (smoking) की वजह से न केवल आपको सांस लेने में दिक्कत होगी बल्कि कैंसर (cancer) जैसी कई गंभीर समस्याओं का भी आपको सामना करना पड़ सकता है.
-व्यायाम नहीं करते हैं तो आप सुबह-शाम व्यायाम करना शुरू कर दें. ध्यान दें, अगर आप प्रदूषित शहर में रहते हैं, तो कोशिश करें कि आप घर पर ही व्यायाम करें.
-वजन कम करने की कोशिश करें.
मोटापा फेफड़े को सही ढंग से काम करने से रोकता है. इसके लिए आप अपने खाने-पीने पर ध्यान दें.
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(नोट: कोई भी उपाय अपनाने से पहले डॉक्टर्स की सलाह जरूर लें)
हिंदी न्यूज़सांस लेने में क्यों होती है दिक्कत और जानें इस तकलीफ से बचाव के तरीके
सांस लेने में क्यों होती है दिक्कत और जानें इस तकलीफ से बचाव के तरीके
सांस लेने में दिक्कत एक आम समस्या है। ज्यादा खाना खाने के बाद भी सांस लेने में परेशानी अनुभव हो सकती है, लेकिन यदि ऐसा बार-बार होता है और लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहती है तो ध्यान देने की जरूरत है।...
Pratima
सांस लेने में दिक्कत एक आम समस्या है। ज्यादा खाना खाने के बाद भी सांस लेने में परेशानी अनुभव हो सकती है, लेकिन यदि ऐसा बार-बार होता है और लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहती है तो ध्यान देने की जरूरत है।
www.myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉ. नबी वली के अनुसार, सांस लेने में दिक्कत कई तरह की हो सकती है, जैसे छाती में अकड़न महसूस हो सकती है, सांस फूल सकती है या सांस चढ़ने जैसा अनुभव हो सकता है। यदि भरपूर ऑक्सीजन मिलने के बाद भी सांस लेने में परेशानी हो रही है तो यह कोई गंभीर समस्या हो सकती है।
डॉ. नबी वली के अनुसार, सांस लेने में परेशानी के कुछ लक्षण हैं, जिन्हें जितनी जल्दी पहचान लिया जाए, उतना बेहतर है। जैसे बेचैनी होना, भ्रम की स्थिति बनना, चक्कर आना, छाती के साथ गर्दन में दर्द महसूस होना,
सांस लेते समय तेज आवाज आना, बेहोश होना, अचानक थकान महसूस होना। यदि ये लक्षण एक महीने से ज्यादा समय से हैं तो तत्काल डॉक्टर को दिखाना चाहिए। यदि लेटते समय सांस लेने में ज्यादा परेशानी हो रही है तो भी मरीज को इलाज की तत्काल जरूरत है। खांसी भी इसका एक अहम संकेत होती है। यदि तीन हफ्तों या इससे अधिक समय तक खांसी बनी हुई है तो समझिए सांस लेने में परेशानी हो रही है। सांस लेने में मुश्किल आने पर टखनों में सूजन आ जाती है।
क्यों होता है ऐसा
अधिकांश मामलों में ऑक्सीजन की कमी
से सांस लेने में परेशानी होती है, लेकिन अन्य मामलों में यह गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। हार्ट संबंधी समस्या की शुरुआत भी सांस की समस्या से होती है। बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन के कारण भी सांस लेने में समस्या हो सकती है। जिन लोगों को अस्थमा की समस्या है, इन्हें इसका सबसे ज्यादा खतरा रहता है। श्वास नली क्षतिग्रस्त होने से भी सांस लेने में दिक्कत होती है।
सांस लेने में दिक्कत का इलाज
www.myupchar.com से जुड़ी डॉ. रचिता नरसरिया के अनुसार, हार्ट या फेफड़ों की
समस्याओं के कारण सांस लेने में दिक्कत होती है। इसके अलावा एलर्जी, लो ब्लड प्रेशर, एनीमिया, दिल बढ़ना, कोरोनरी धमनी रोग भी इसके प्रमुख कारण होते हैं। इन बीमारियों का इलाज करके सांस की दिक्कत से बचा जा सकता है। होम्योपैथी में इसका कारगर इलाज बताया गया है।
इसके अलावा फेफड़ों को मजबूत बनाने वाले योगासन करके इस समस्या से बचा जा सकता है। जो लोग अत्यधिक शराब या धूम्रपान का सेवन करते हैं, उन्हें खतरा अधिक रहता है, इसलिए इन बुरी चीजों से दूर रहें। प्रदूषण से बचें। अपना वजन कंट्रोल रखें। मोटापे
के कारण शरीर को हर काम में ज्यादा मेहनत करना पड़ती है और सांस फूलती है। अपनी जीवनशैली बदलें। फैट्स वाले खाद्यपदार्थों के बजाए फल और सब्जियों का सेवन अधिक करें। इसके अलावा नट्स, बीज और मछली का सेवन फेफड़ों को मजबूती देता है। इनमें एंटीऑक्सिडेंट्स और ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है, जो फेफड़ों को हर तरह के संक्रमण से बचाता है। जिन चीजों से एलर्जी है, उनसे दूर रहें।
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