तुर्की में मुस्लिम आबादी कितनी है - turkee mein muslim aabaadee kitanee hai

हिंदू, इस्लामी राष्ट्रवाद में कितना अंतर?

  • ज़ुबैर अहमद
  • बीबीसी संवाददाता, इस्तांबूल से

29 अप्रैल 2016

इस्तांबुल में ऐतिहासिक ब्लू मॉसक के क़रीब तंग जगह पर बुर्क़ा और हिजाब पहनकर घूमती महिलाएँ बड़ी संख्या में दिखती हैं.

ऐतिहासिक सुल्तान अहमद नाम के पूरे इलाके में, जहाँ दौरे उस्मानिया (ऑटोमन एम्पायर) के शक्तिशाली सुल्तानों की बेगमें अपने चेहरे ढके घूमती होंगी, तुर्की की नई पीढ़ी ने अपने चेहरे एक बार फिर बुर्क़े से ढंकना शुरू कर दिया है.

सेक्युलर तुर्की में बुर्क़े और हिजाब पर 1980 में प्रतिबंध लगाया गया था, कुछ साल पहले मौजूदा सरकार ने ये पाबंदी उठा ली. हालांकि अदालत ने इस फ़ैसले को रद्द कर दिया लेकिन बुर्क़े और हिजाब के सैलाब को रोकना मुश्किल हो गया.

कुछ दिनों पहले मैं चार साल के बाद एक बार फिर तुर्की गया. पिछली यात्रा की तुलना में इस बार इस्तांबुल की ऐतिहासिक सड़कों पर दो बदलाव साफ़ दिखाई दिए -- बुर्क़ा और हिजाब पहने महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी और पर्यटकों की संख्या में भारी कमी. चार सालों में तुर्की बदला-बदला सा नज़र आया और इन दोनों परिवर्तनों के पीछे हाथ था सियासत का.

हिजाब की वापसी इस्लामीकरण से जुड़ी है जबकि पर्यटकों की संख्या में कमी का कारण रूस से बिगड़ते सम्बन्ध हैं. यहां आने वाले पर्यटकों में सब से अधिक रूस से आते हैं. आये दिन होने वाले बम धमाके भी विदेशियों को यहां आने से रोकते होंगे.

तुर्की बदलाव के दौर से गुज़र रहा है. वहां के लोगों ने मुझे बताया कि समाज में इस्लाम की वापसी तेज़ी से हो रही है. दूसरी ओर आधुनिक तुर्की के संस्थापक कमाल अतातुर्क की हस्तक्षेप न करने की विदेश नीति कमज़ोर पड़ती जा रही है. अब तुर्की सीरिया, ईरान और मिस्र के मुद्दों से घिरा नज़र आता है.

कमाल अतातुर्क ने तुर्की को आधुनिक, सेक्युलर और प्रगतिशील बनाने की जो कोशिश की थी आज का तुर्की उससे बहुत अलग है.

तुर्की में मैं जहाँ भी गया और जिससे भी बातें कीं, मुझे लगा भारत और तुर्की में कितनी समानता है. तुर्की कई मायनों में भारत जैसा है. भारत इसका संविधान सेक्युलर है, भारत में हिन्दू बहुमत है तो तुर्की में मुस्लिम बहुमत लेकिन इसके बावजूद दोनों देशों का समाज बहुलतावादी है, सेक्युलर होने के बावजूद दोनों देशों के समाज में धार्मिक लोग ज़्यादा हैं और धर्म आम जीवन में एक अहम भूमिका अदा करता है.

कुसादासी बीच रिसॉर्ट में एक युवती आयशा से मुलाक़ात हुई. वो हमें अपने दोस्तों से मिलाने ले गई जिनमें एक प्रोफेसर भी शामिल थे. वो इस बात पर गर्व महसूस कर रहे थे कि उनका ख़ून पूरी तरह से तुर्क नहीं है. वो तुर्क राष्ट्रवाद का मज़ाक़ उड़ा रहे थे. उनके अनुसार तुर्की में कई समुदाय के लोग सदियों से आबाद हैं जिनमें यूनानी भी हैं, रूसी भी, जिन में यूरोपीय भी हैं और आर्मीनियाई भी.

इस्तांबुल में रहने वाले महमूद और उनके कुछ साथियों से मिला जो तुर्की के गाँवों से आए थे, उनकी नज़रों में आयशा और उनके साथी देश के गद्दार हैं. मतलब अगर आप तुर्क मुस्लिम से अलग पहचान रखते हों और राष्ट्रपति एर्दोगान के ख़िलाफ़ हों तो आप देशद्रोही हैं.

भारत में छिड़ी राष्ट्रवाद पर बहस तुर्की के राष्ट्रवाद से अलग नहीं है. दोनों देशों के बीच तुलना यहीं समाप्त नहीं होती.

इमेज स्रोत, GOKTAY KORALTAN

अगर भारत में हिंदुत्व विचारधारा सर उठा रही है तो तुर्की में इस्लामी विचारधारा. और आम समझ ये है कि दोनों देशों में इसे आधिकारिक संरक्षण हासिल है. अगर भारत में समाज धर्म के नाम पर विभाजित नज़र आ रहा है तो तुर्की में भी ऐसा ही हो रहा है.

भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने का इलज़ाम लगाया जा रहा है तो तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान पर एक सेक्युलर देश का इस्लामीकरण करने का इलज़ाम है.

दोनों नेताओं की पार्टियों का लक्ष्य मिलता-जुलता है. भाजपा आर्थिक रूप से एक मज़बूत हिन्दू राष्ट्र का निर्माण करना चाहती है. एर्दोगान की जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी भी तुर्की को आर्थिक रूप से एक मज़बूत इस्लामिक देश बानाने की कोशिश कर रही है.

दोनों देशों में इस परिवर्तन के लिए शिक्षा की व्यवस्था को बदलने की कोशिश की जा रही है. एर्दोगन जब 2002 में सत्ता में आए तो मदरसों में छात्रों की संख्या 65,000 थी. पिछले साल उनकी संख्या बढ़ कर 10 लाख हो गई है. एक देश में संस्कृत को दोबारा ज़िंदा करने पर विचार हो रहा है. दूसरे देश में अरबी को पुनर्जीवित करने की कोशिश की जा रही है.

मीडिया की आज़ादी पर भी प्रहार किया जा रहा है. एर्दोगान प्रशासन ने दर्जनों पत्रकारों को जेल भेज दिया है. भारत में कुछ ब्लॉगर्स जेल जा चुके हैं और मीडिया मुट्ठी भर बड़े लोगों के चंगुल में है, ठीक उसी तरह जिस तरह तुर्की में हुआ है.

दोनों देशों में न्यायतंत्र अब भी ख़ासा स्वतंत्र है लेकिन अब दोनों देशों में अदालतों पर दबाव साफ़ बढ़ता दिखाई देता है. दोनों देशों में सेक्युलर संविधान की अहमियत कम होती नज़र आती है.

केवल गति का फ़र्क़ है. एर्दोगान 2002 से सत्ता में है और उनके परिवर्तन की रफ़्तार धीमी है. मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने. उनके परिवर्तन की गति कम से कम एर्दोगान से बेहतर है.

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तुर्की ने चीन से कहा- मुसलमानों की जेल बंद करो

10 फ़रवरी 2019

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चीन के वीगर मुसलमान

चीन में अल्पसंख्यक वीगर समुदाय के एक प्रमुख संगीतकार की मौत की रिपोर्टों के बात तुर्की ने चीन से वीगर मुसलमानों के लिए बनाए गए हिरासत कैंप बंद करने की मांग की है.

रिपोर्टों के मुताबिक अब्दुर्रहीम हेयीत चीन के शिनजियांग इलाक़े में आठ साल की सज़ा काट रहे थे. अनुमान के मुताबिक यहां क़रीब दस लाख वीगर मुसलमानों को हिरासत में रखा गया है.

तुर्की के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इन लोगों का कंसंट्रेशन कैंपों में रखकर उत्पीड़न किया जा रहा है.

चीन का कहना है कि ये पुनर्शिक्षा केंद्र हैं जहां लोगों को फिर से शिक्षित किया जा रहा है.

वीगर चीन के शिनजिंयाग प्रांत के पश्चिमी इलाक़े में रहने वाले अल्पसंख्यक मुसलमान हैं जो तुर्की भाषा बोलते हैं.

चीन सरकार इस समुदाय पर बेहद कड़ी निगरानी रखता है और यहां धार्मिक आज़ादी पर कई तरह के प्रतिबंध हैं.

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वीगर मुसलमानों के प्रति बुरे बर्ताव से चीन का इनकार

तुर्की ने क्या कहा है?

शनिवार को जारी किए गए एक बयान में तुर्की ने कहा है, "अब ये कोई राज़ नहीं है कि हिरासत में रखे गए दस लाख से अधिक वीगर मुसलमानों को प्रताड़ित किया जा रहा है और उन्हें राजनीतिक तौर पर ब्रेनवाश किया जा रहा है."

बयान में कहा गया है कि जिन लोगों को हिरासत में नहीं रखा गया है उन पर भी भारी दबाव है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हामी अकसॉय ने कहा, "21वीं सदी में फिर से कंसंट्रेशन कैंप बनाए जाना और वीगर तुर्क मुसलमानों के ख़िलाफ़ चीनी प्रशासन की नीतियां मानवता के लिए शर्म की बात हैं."

उन्होंने कहा कि अब्दुरर्हीम हेयीत की मौत की ख़बरें शिनजियांग में हो रहे गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन के ख़िलाफ़ तुर्की लोगों की प्रतिक्रिया को और मज़बूत करती हैं.

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेश से 'चीन में मानवीय त्रास्दी' को ख़त्म करने की दिशा में प्रभावी क़दम उठाने की अपील भी की है.

चीन के गुप्त कैंप

चीन का तर्क है कि शिनजियांग प्रांत में बनाए गए हिरासत कैंप "व्यावसायिक शिक्षा केंद्र" हैं जो क्षेत्र को चरमपंथ से मुक्त करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं.

बीते साल अक्तूबर में दिए एक बयान में शिनजियांग में शीर्ष चीनी अधिकारी शोहरात ज़ाकिर ने कहा था, कैंपों में रखे गए लोग अपनी ग़लतियों को सुधारने के मौके के लिए शुक्रगुज़ार हैं.

मानवाधिकार समूहों का कहना है कि लोगों को बिना आरोप तय किए अनिश्चितकाल के लिए हिरासत में रखा जा रहा है. कई बार डीएनए सैंपल देने से इनकार करने, अल्पसंख्यक भाषा में बोलने या अधिकारियों से बहस करने पर भी लोगों को हिरासत में ले लिया जाता है.

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क्या चीन में हैं मुसलमानों के लिए बंदी शिविर?

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संगीतकार अब्दुर्रहीम हेयीत के बारे में क्या जानकारी है?

उनकी मौत की ख़बरों की अभी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है. मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि वो उन्हें लेकर चिंतित है.

हेयीत एक विशेष वाद्ययंत्र दुतार के चर्चित वादक थे. एक समय वो समूचे चीन में लोकप्रिय थे. उन्होंने बीजिंग में संगीत की शिक्षा ली थी और वो चीन के राष्ट्रीय संगीत समूह के सदस्य रहे थे.

उन्होंने अपने पूर्वजों को याद करते हुए एक गीत पर प्रस्तुति दी थी जिसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया था. इस गीत में वीगर समुदाय के युवाओं से अपने बुजु़र्गों के त्याग का सम्मान करने का आह्वान किया गया है.

लेकिन इस गीत के शब्दों 'युद्ध के शहीदों' को चीन प्रशासन ने चरमपंथी धमकी से जोड़ कर उन्हें हिरासत में ले लिया था.

कौन हैं वीगर मुसलमान?

वीगर मुसलमान अधिकतर चीन के शिनजियांग प्रांत में रहते हैं. यहां की क़रीब 45 फ़ीसदी आबादी वीगर है.

ये लोग अपने आप को सांस्कृतिक और नस्लीय तौर पर तुर्की और अन्य मध्य एशियाई देशों के क़रीब देखते हैं और उनकी भाषा भी तुर्की से मिलती जुलती है.

हाल के दशकों में चीन के हान समुदाय के लोग ने शिनजियांग की ओर पलयान किया है और वीगरों को लगता है कि उनकी संस्कृति और कारोबार ख़तरे में हैं.

शिनजियांग अधिकारिक तौर पर चीन का एक स्वायत्त क्षेत्र है, ये दक्षिणी चीन में तिब्बत जैसा ही है.

तुर्की में कितने मुसलमान रहते हैं?

सरकार के मुताबिक, 99.8% तुर्की आबादी मुस्लिम है, ज्यादातर सुन्नी, कुछ 10 से 15 मिलियन एलेविस हैं। शेष 0.2% अन्य - ज्यादातर ईसाई और यहूदी हैं।

क्या तुर्की एक मुस्लिम राष्ट्र है?

तुर्की (तुर्की भाषा: Türkiye उच्चारण: तुर्किया) यूरेशिया में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी अंकारा है। इसकी मुख्य- और राजभाषा तुर्की भाषा है। ये संसार का अकेला मुस्लिम बहुमत वाला देश है जो कि धर्मनिर्पेक्ष है

तुर्की में कौन कौन से धर्म के लोग रहते हैं?

तुर्की में आधिकारिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 99.8% जनसंख्या के साथ इस्लाम देश का सबसे बड़ा धर्म है। इस अनुमानित संख्या में वे सभी लोग मुसलमान घोषित किए गए हैं जिनके माता पिता किसी भी मान्यता-प्राप्त धर्म सम्बंधित नहीं हैं

तुर्की में शादी कैसे होती है?

तुर्की की खास बात ये है कि तुर्की में सिर्फ सिविल मैरिज को ही मान्यता दी जाती है. यानी भले ही धार्मिक रिवाजों से शादी की गई हो, लेकिन सिविल मैरिज को ऑफिशियल माना जाता है. सिविल मैरिज को मतलब है कानूनी शादी. इस तरह की शादी में धार्मिक मान्यता को नहीं माना जाता है और कानून के हिसाब से ही शादी की जाती है.

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