श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा का उल्लेख हमें श्रीमद्भागवत पुराण और महाभारत में मिलता है। सुभद्रा श्रीकृष्ण और बलराम की बहन थी। पुरी, उड़ीसा में 'जगन्नाथ की यात्रा' में बलराम तथा सुभद्रा दोनों की मूर्तियां भगवान श्रीकृष्ण के साथ-साथ ही रहती हैं। आओ जानते हैं उनके संबंध में 5 खास बातें।
1. सुभद्रा वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी की पुत्री थीं, जबकि वसुदेकी की दूसरी पत्नी देवकी के पुत्र श्रीकृष्ण थे। इस तरह श्रीकृष्ण और सुभद्रा के पिता एक ही थे परंतु माताएं अलग अलग थी। बलराम की माता भी रोहिणी थी।
2. सुभद्रा का विवाह कृष्ण ने अपनी बुआ कुंती के पुत्र अर्जुन से किया था। , जबकि बलराम चाहते थे कि सुभद्रा का विवाह कौरव कुल में हो। बलराम के हठ के चलते ही तो कृष्ण ने सुभद्रा का अर्जुन के हाथों हरण करवा दिया था। बाद में द्वारका में सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह विधिपूर्वक संपन्न हुआ।
3. सुभद्रा से विवाह के बाद अजुन एक वर्ष तक द्वारका में रहे और शेष समय पुष्कर क्षेत्र में व्यतीत किया। 12 वर्ष पूरे होने पर वे सुभद्रा के साथ इंदप्रस्थ लौट आए।
4. सुभद्रा की तीन बहनें थी। पहली एकानंगा (यह यशोदा की पुत्री थीं), दूसरी योगमाया (देवकी के गर्भ से सती ने महामाया के रूप में इनके घर जन्म लिया, जो कंस के पटकने पर हाथ से छूट गई थी। कहते हैं, विन्ध्याचल में इसी देवी का निवास है। यह भी कृष्ण की बहन थीं। इसके अलावा चूंकि श्रीकृष्ण द्रौपदी को भी अपनी बहन मानते थे तो वह भी उनकी बहन हुई।
5. सुभद्रा का पुत्र अभिमन्यु था जिसकी महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह फंसने के कारण दुर्योधन, कर्ण सहित कुल सात आठ लोगों ने मिलकर निर्मम हत्या कर दी थी। अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा थी जिसके गर्भ से परीक्षित का जन्म हुआ और परीक्षित का पुत्र जनमेजय था।
Mahabharat In Hindi: श्रीकृष्ण की प्रिय बहन थीं सुभद्रा. भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर ही अर्जुन ने सुभद्रा से विवाह किया था. सुभद्रा बलराम की भी बहन थीं. अर्जुन ने सुभद्रा का अपहरण कर लिया था. जिसके पीछे एक रोचक कथा है.
एक कथा के अनुसार रैवतक नामक पर्वत पर एक आयोजन किया गया. इस आयोजन का एक उत्सव की तरह आयोजित किया गया. कई शूरवीर भी इस आयोजन में आए. श्रीकृष्ण और अर्जुन भी इस आयोजन का आनंद उठाने पहुंचे. वहां पर सुभद्रा भी मौजूद थे. अर्जुन सुभद्रा को देखकर मोहित हो गए. भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के भाव को समझ गए. तब उन्होंने कहा कि सुभद्रा विवाह के लिए इंकार भी कर सकती है. ऐसी स्थिति में उन्होंने अर्जुन को सुभद्रा का हरण करने के विकल्प के बारे में भी बताया. अर्जुन ने ऐसा ही किया. अर्जुन ने सुभद्रा का बलपूर्वक हरण कर लिया. इस घटना से हड़कंप मच गया. श्रीकृष्ण शांत रहे. इस पर बलराम को शक हुआ और भगवान श्रीकृष्ण से इस शांति का अर्थ पूछा.
तब श्रीकृष्ण ने उन्हें विनम्रता से समझाया. श्रीकृष्ण ने बताया कि अर्जुन को कोई पराजित नहीं कर सकता है. अर्जुन का कुल भी उत्तम है. इस दृष्टि से सुभद्रा और अर्जुन के विवाह में कोई दोष नहीं है. इस लिए युद्ध का विचार त्याग देना चाहिए और अर्जुन के पास जाकर स्वयं ही सुभद्रा को दे देना चाहिए. क्योंकि अर्जुन सुभद्रा को लेकर यदि हस्तिनापुर ले गए तो संदेश अच्छा नहीं जाएगा. श्रीकृष्ण की यह बात सभी की समझ में आ गई और स्वीकृति प्रदान कर दी. इसके बाद द्वारका में सुभद्रा का विवाह संपन्न कराया गया. बाद में सुभद्रा ने अभिमन्यु को जन्म दिया.
कौन थीं सुभद्रा? सुभद्रा वासुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी की पुत्री थीं. वासुदेव ने दो विवाह किए थे. श्रीकृष्ण देवकी के पुत्र थे जबकि सुभद्रा रोहिणी की पुत्री थीं. बलराम रोहिणी के ही पुत्र थे. इसीलिए सुभद्रा के हरण पर बलराम ने क्रोण व्यक्त किया था. कुंती श्रीकृष्ण की बुआ थीं. बलराम पहले सुभद्रा का विवाह कौरव वंश में करना चाहते थे.
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अर्जुन और सुभद्रा राजा रवि वर्मा द्वारा बनाया गया चित्र |
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सुभद्रा |
महाभारत के पात्र, देवी |
अर्जुन |
|
बलराम , कृष्ण (भ्राता) |
अभिमन्यु |
महाभारत, भागवत पुराण |
कृष्ण तथा बलराम की बहन, महाभारत की एक पात्र है,कृष्ण के सुझाव पाकर सुभद्रा का विवाह अर्जुन से हुआ था, अभिमन्यु इनका ही पुत्र था।
सुभद्रा महाभारत के प्रमुख नायक भगवान श्रीकृष्ण और बलराम की बहन थीं, इनके पिता का नाम वसुदेव और माता का नाम रोहिणी था।
कई हिंदू सुभद्रा को देवी योगमाया का पुनर्जन्म मानते हैं जिन्होंने कृष्ण के जीवन को दुष्ट कंस से बचाने के लिए जन्म लिया था।[1]
शादी[संपादित करें]
अर्जुन ने कृष्ण की सहमति से सुभद्रा का हरण किया.
बोरी सीई के अनुसार, जब अर्जुन स्व-लगाए गए तीर्थयात्रा के बीच में थे, तो उन्होंने अपने भाइयों के साथ अपनी आम पत्नी द्रौपदी के साथ निजी समय के संबंध में समझौते की शर्तों को तोड़ने के लिए। द्वारका शहर पहुंचने और कृष्ण से मिलने के बाद, उन्होंने रैवत पर्वत पर आयोजित एक उत्सव में भाग लिया। वहाँ अर्जुन ने सुभद्रा को देखा और उसकी सुंदरता से मुग्ध हो गए और उससे शादी करने की कामना की। कृष्ण ने खुलासा किया कि वह वासुदेव की संतान और उनकी बहन थी। कृष्ण ने कहा कि वह सुभद्रा के स्वयंवर (स्वयं चयन समारोह) में उनके निर्णय की भविष्यवाणी नहीं कर सके और अर्जुन को सुभद्रा का अपहरण करने की सलाह दी। जब अर्जुन ने युधिष्ठिर को अनुमति के लिए एक पत्र भेजा, तो वह एक रथ को पहाड़ियों पर ले गया और मुस्कुराती हुई सुभद्रा को अपने साथ ले गया। सुभद्रा के रक्षकों द्वारा उन्हें रोकने के असफल प्रयास के बाद, यादव, वृष्णि और अंधका ने इस मामले पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की। कृष्ण द्वारा उन्हें दिलासा देने के बाद, वे सहमत हो गए और इस प्रकार, अर्जुन ने सुभद्रा से वैदिक रीति-रिवाजों से विवाह किया। [2][3]
सुभद्रा अपने प्रेमी अर्जुन के साथ द्वारका से भाग जाती है।
भागवत पुराण में बलराम द्वारा दुर्योधन को सुभद्रा के दूल्हे के रूप में उसकी सहमति के बिना चुनने और अर्जुन की भावनाओं के प्रति उसके पारस्परिक संबंध के बारे में बताया गया है। यह जानकर कि सुभद्रा के भाग जाने की खबर मिलने के बाद, बलराम अर्जुन के खिलाफ युद्ध छेड़ेंगे, कृष्ण ने फैसला किया कि वह अर्जुन का सारथी होगा। अर्जुन सुभद्रा को लेने के लिए आगे बढ़ता है और कृष्ण के साथ, वे चले जाते हैं। यह खबर मिलने के बाद कि सुभद्रा अर्जुन के साथ भाग गई है और उसे रथ पर सवार देखकर, बलराम और अन्य यादव इस बात से नाराज हैं और अर्जुन का पीछा करने का फैसला करते हैं जिन्होंने उन्हें सफलतापूर्वक रोक दिया था। कृष्ण के भागने के बाद वापस लौटे और उन्हें मना लिया। अंत में, बलराम सहमत होते हैं और द्वारका में अर्जुन के साथ सुभद्रा का विवाह करते हैं।[4]
मौत[संपादित करें]
परीक्षित के सिंहासन पर बैठने के बाद, स्वर्ग के लिए प्रस्थान करते समय, युधिष्ठिर ने दोनों राज्यों हस्तिनापुर को अपने पोते द्वारा शासित और इंद्रप्रस्थ को अपने भाई कृष्ण के परपोते वज्रनाभ द्वारा शासित रखने की जिम्मेदारी दी। महाकाव्य में उनकी मृत्यु कैसे और कब हुई, इसके बारे में कोई विशेष उल्लेख नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि पांडवों के साथ द्रौपदी के स्वर्ग में पहुंचने के बाद, सुभद्रा और उनकी बहू (उत्तरा) अपना शेष जीवन बिताने के लिए जंगल में चली गईं.[5]
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ Krishnan, S. A. (2017-05-20). Abhimanyu: The Warrior Prince (अंग्रेज़ी में). SA Krishnan.
- ↑ Ganguli 1883.
- ↑ Mani 1975.
- ↑ "Subhadra's marriage". The Hindu (अंग्रेज़ी में). 27 August 2019. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-751X. अभिगमन तिथि 23 November 2020.
- ↑ Mahaprasthanika Parva //www.sacred-texts.com/hin/m17/m17001.htm