सुलह-ए-कुल की नीति क्या थी क्या यह मुगल काल की जरूरत थी इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए - sulah-e-kul kee neeti kya thee kya yah mugal kaal kee jaroorat thee is par apane vichaar vyakt keejie

विषयसूची

  • 1 सुलह ए कुल से क्या तात्पर्य है?
  • 2 अकबर की सुलह ए कुल की नीति पर विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिये?
  • 3 अकबर ने सुलह ए कुल की नीति कब अपनाई?
  • 4 सुलह ए कुल की नीति क्या थी क्या यह मुगल काल की जरूरत थी इस पर अपने?
  • 5 अकबर की धार्मिक नीति Drishti IAS?
  • 6 अकबर की दूसरी राजधानी?

सुलह ए कुल से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंअकबर ने यह महसूस किया कि सभी धर्मों का एक ही उद्देश्य है। अतः उसने सर्वधर्म समन्वय अर्थात सब धर्मों की अच्छी बातें लेने का मार्ग पकड़ा। इसी को उसने ‘सुलह कुल’ कहा।

अकबर की सुलह ए कुल की नीति पर विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिये?

इसे सुनेंरोकेंसुलह-ए-कुल. की नीति धार्मिक सहिष्णुता की नीति थी। यह नीति विभिन्न धर्मों के अनुयाययिों में अन्तर नहीं करती। थी अपितु इसका केन्द्र बिन्दु था—नीतिशास्त्र की एक व्यवस्था, जो सर्वत्र लागू की जा सकती थी और जिसमें केवल सच्चाई, न्याय और शांति पर बल था।

अकबर ने सुलह ए कुल की नीति कब अपनाई?

इसे सुनेंरोकेंदीन-ए-इलाही 1582 ईस्वी में मुगल सम्राट अकबर द्वारा एक सोच थी जिसमें सभी धर्मों के मूल तत्वों को डाला, इसमे प्रमुखता हिंदू एवं इस्लाम धर्म थे।

सुलह ए कुल की नीति किसकी थी?

इसे सुनेंरोकेंसही उत्तर अकबर है। अकबर ने “सुलह-ए-कुल” का विचार पेश किया, जिसका अर्थ सार्वभौमिक शांति है। इसका उद्देश्य अकबर के राज्य में विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच भेदभाव करना नहीं था।

सुलह ए कुल की नीति क्या थी इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए?

इसे सुनेंरोकें1570 के दशक में अकबर के शासन काल में विभिन्न धर्मों के गुरुओं के साथ चर्चा करके अकबर ने सुलह-ए-कुल की सार्वभौमिक धार्मिक शांति नीति अपनाई। इस नीति के तहत सभी धर्मों में भेदभाव ना करते हुए सहिष्णुता का विचार बनाया गया। यह विचार नैतिकता की प्रणाली पर केंद्रित था। इसमें ईमानदारी, न्याय और शांति जैसे व्यवस्था लागू थी।

सुलह ए कुल की नीति क्या थी क्या यह मुगल काल की जरूरत थी इस पर अपने?

इसे सुनेंरोकें➲ सुलह ए कुल की नीति के अंतर्गत अकबर बादशाह ने राज्य के अलग-अलग धर्मों के बीच सार्वभौमिक शांति स्थापित करने के लिए भेदभाव रहित नीति अपनाई थी। 1570 के दशक में अकबर के शासन काल में विभिन्न धर्मों के गुरुओं के साथ चर्चा करके अकबर ने सुलह-ए-कुल की सार्वभौमिक धार्मिक शांति नीति अपनाई।

अकबर की धार्मिक नीति Drishti IAS?

इसे सुनेंरोकेंविभिन्न धर्मों के बीच मतभेद की खाई को भरने के लिये अकबर ने 1582 में नया धर्म दीन-ए-इलाही चलाया। यह एक ईश्वर में विश्वास करता था। इसमें सभी धर्मों के अच्छे तत्त्व समाहित थे। इसका आधार तर्कसंगत था।

अकबर की दूसरी राजधानी?

इसे सुनेंरोकेंचित्तौड़ और रणथंभौर पर अपनी सैन्य जीत के बाद, अकबर ने सूफी संत सलीम चिश्ती को सम्मानित करने के लिए अपनी राजधानी को आगरा (प्रथम) से एक नए स्थान पर स्थानांतरित करने का फैसला किया। उन्होंने शहर का नाम फतेहाबाद रखा, जिसे बाद में फतेहपुर सीकरी (दूसरा) कहा गया।

अकबरनामा एवम् बादशाहनामा के लेखन पर टिप्पणी लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंअकबरनामा फारसी में लिखा गया था, जो मुगलों की साहित्यिक भाषा है। इसमें अकबर के जीवन और समय का विस्तृत और विस्तृत विवरण शामिल है। बादशाह नामा (सम्राट शाहजहाँ का क्रॉनिकल) मुगल सम्राट, शाहजहाँ के शासनकाल के आधिकारिक इतिहास के रूप में लिखी गई कृतियों की एक शैली है।

सुलह ए कुल की नीति क्या थी क्या यह मुगल काल की जरूरत थी इस पर अपने?

सुलह ए कुल की नीति के अंतर्गत अकबर बादशाह ने राज्य के अलग-अलग धर्मों के बीच सार्वभौमिक शांति स्थापित करने के लिए भेदभाव रहित नीति अपनाई थी। 1570 के दशक में अकबर के शासन काल में विभिन्न धर्मों के गुरुओं के साथ चर्चा करके अकबर ने सुलह--कुल की सार्वभौमिक धार्मिक शांति नीति अपनाई।

सुलहकुल की नीति क्या थी?

उसने सर्वधर्म समन्वय का मार्ग पकड़ा। इसी को उसने 'सुलह कुल' कहा। इसी को आगे बढ़ाकर उसने अकबर ने 40 वर्ष की उम्र में वर्ष 1582 में दीन-ए-इलाही बनाया। आगरा को आज भी उपनाम से सुलहकुल की नगरी कहा जाता है।

अकबर ने सुलह ए कुल की नीति कब अपनाई?

सुलह--कुल की नीति मुगल सम्राट अकबर द्वारा तैयार की गई थी। 1570 के दशक के दौरान उन्होंने उलामा, ब्राह्मणों, रोमन पुजारियों के साथ धर्म पर चर्चा शुरू की जो रोमन कैथोलिक और ज़ोरोस्ट्रियन थे। इसने अकबर को सुलह--कुल या "सार्वभौमिक शांति" के विचार के लिए प्रेरित किया।

अकबर की पसंदीदा शैली कौन सी है?

नस्तलिक अकबर की पसंदीदा शैली थी । यह एक ऐसी तरल शैली थी जिसे लंबे सपाट प्रवाही ढंग से लिखा जाता था। इसे 5 से 10 मिलीमीटर की नोक वाले छँटे हुए सरकंडे, जिसे कलम कहा जाता है, के टुकड़े से स्याही में डुबोकर लिखा जाता है।

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