सफिया और उसके भाई के विचारों में नमक पाठ में क्या अंतर पाया गया है स्पष्ट कीजिए? - saphiya aur usake bhaee ke vichaaron mein namak paath mein kya antar paaya gaya hai spasht keejie?

साफिया और उसके भाई के विचारों में क्या अंतर था? ‘नमक’ पाठ के आधार पर बताइए।

साफिया हृदय प्रधान थी, उसका भाई विचार प्रधान।

साफिया के लिए इंसान से बढ्कर कुछ नहीं था जबकि भाई जिम्मेदारी को निभाने से बढ्कर कुछ नहीं मानता था।

 

साफिया को इंसानियत पर विश्वास था जबकि उसका भाई कस्टम अधिकारियों की जिम्मेदारी पर।

साफिया का भाई कोई भी गैर कानूनी काम करने में विश्वास नहीं रखता था। यही कारण है कि वह अपनी बहन साफिया को लाहौरी नमक भारत ले जाने से रोक रहा था। साफिया अपना वायदा निभाने को अधिक महत्त्व देती थी।

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‘लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा या मेरा वतन ढाका है’ जैसे उद्गार किस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं?

इस प्रकार के उद्गार इस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं कि विस्थापन का दर्द व्यक्ति को जीवन भर सालता है। राजनैतिक कारणो से बँटवारे की खींची गई रेखाओं का अभी तक लोगों का अंतर्मन स्वीकार नहीं कर पाया है।

यह यथार्थ प्राकृतिक न होकर परिस्थितिवश आरोपित किया गया है। प्राकृतिक बात को व्यक्ति का मन स्वीकार कर लेता है पर आरोपित बात उसे स्वीकार्य नहीं हो पाती है। लोगों का मन अपनी पुरानी जगहों में ही भटकता रहता है।

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नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में साफिया के मन में क्या द्वंद्व था?

नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में साफिया के मन में यह द्वंद्व था कि वह इस नमक की पुड़िया को चोरी से छिपाकर ले जाए या कहकर दिखाकर ले जाए। पहले वह नमक की पुड़िया को कीनुओं के नीचे छिपाकर टोकरी में रख देती है। तब उसने सोचा इस पर भला किसकी निगाह जाएगी। इसे तो सिर्फ वही जानती है। पर जब कस्टम की जाँच के लिए उसका सामान बाहर निकाला जाने लगा तब उसने अचानक फैसला किया कि वह मुहब्बत का यह तोहफा चोरी से नहीं ले जाएगी। वह नमक की पुड़िया को कस्टमवालों को दिखाएगी। उसने किया भी ऐसा ही।

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जब साफिया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे?

साफिया जब अमृतसर पुल पर चढ़कर दूसरी तरफ जा रही थी तब कस्टम आफिसर पुल की सबसे निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे। उन्हें उस समय अपना वतन ढाका याद आ रहा था। वे यह अनुभव करने की कोशिश कर रहे थे कि अपने वतन में आकर कैसा लगता है। अपने वतन की चीजों का मजा ही कुछ और होता है।

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नमक ले जाने के बारे में साफिया के मन में उठे द्वंद्वों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।

सिख बीबी के लिए लाहौर से नमक ले जाने के बारे में साफिया के मन में द्वंद्व उठता है। इस द्वंद्व से उसकी कई चारित्रिक विशेषताएँ उभरती हैं:

- साफिया अपने वायदे की पक्की है। वह सैयद है और सैयद कभी वायदा करके झुठलाते नहीं। वह जान देकर भी वायदा पूरा करने के प्रति संकलित है।

- अब प्रश्न उठता है कि वह नमक की पुड़िया को लाहौर से भारत कैसे ले जाए? वह पहले नमक को छिपाकर ले जाने का विचार करती है पर यह विचार उसे जँचता नहीं और वह कस्टम वालों को नमक की पुड़िया दिखा देती है। इससे पता चलता है कि वह लुका-छिपाकर काम करने में विश्वास नहीं करती।

- वह मानवीय रिश्तों में विश्वास करने वाली है। यही तर्क देकर वह अपने भाई को चुप कर देती है। इन्हीं रिश्तों की दुहाई देकर वह अटारी तथा अमृतसर में कस्टम अफसरों को अपने तर्कों से अपने पक्ष में करने में सफल हो जाती है।

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साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?

साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया भारत ले जाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि यह गैरकानूनी था। पाकिस्तान से लाहौरी नमक भारत ले जाना प्रतिबंधित था। उसके अनुसार नमक की पुड़िया निकल आने पर बाकी सामान की भी चिंदी-चिंदी बिखेर दी जाएगी। नमक की पुड़िया तो जा नहीं पाएगी, ऊपर से उनकी बदनामी मुफ्त में हो जाएगी।

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सफिया और उसके भाई के विचारों में क्या अंतर था?

साफिया हृदय प्रधान थी, उसका भाई विचार प्रधान। साफिया के लिए इंसान से बढ्कर कुछ नहीं था जबकि भाई जिम्मेदारी को निभाने से बढ्कर कुछ नहीं मानता थासाफिया को इंसानियत पर विश्वास था जबकि उसका भाई कस्टम अधिकारियों की जिम्मेदारी पर। साफिया का भाई कोई भी गैर कानूनी काम करने में विश्वास नहीं रखता था

नमक पाठ के आधार पर बताइए कि सिख बीबी के प्रति सफिया के आकर्षण का क्या कारण था?

उत्तर: जब सफिया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी, तब कस्टम ऑफिसर निचले सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे क्योंकि वे सफिया की भावनाओं से प्रभावित थे। सिख बीबी की बात सुनकर उन्हें अपने वतन की याद आने लगी। कस्टम ऑफ़िसर अपने वतन से दूर होने के बाद भी भावनात्मक रूप से अभी भी अपने वतन से जुड़े हुए थे।

सफिया के भाई ने एक किलो नमक भारत ले जाने के लिए क्यों मना किया?

सफ़िया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से मना कर दिया क्योंकि पाकिस्तान से भारत को नमक का निर्यात प्रतिबंधित था। यह गैर-कानूनी था।

सफिया के दोस्त ने कीनुओं की टोकरी देते समय उसे कौन सा तोहफा बताया था?

उठते वक्त उन्होंने पुड़िया सफ़िया के बैग में रख दी और खुद उस बैग को उठाकर आगे-आगे चलने लगे; सफ़िया ने उनके पीछे चलना शुरू किया। जब सफ़िया अमृतसर के पुल पर चढ़ रही थी तब पुल की सबसे निचली सीढ़ी के पास वे सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे | सफ़िया सोचती जा रही थी किसका वतन कहाँ है - वह जो कस्टम के इस तरफ़ है या उस तरफ़ !

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