पुरुष को जोश कब आता है - purush ko josh kab aata hai

पहला चरण -कामोत्तेजना या शारीरिक उत्तेजना

पुरुष को शारीरिक या मनोवैज्ञानिक उत्तेजना या दोनों के कारण इरेक्शन या स्तंभन हो जाता है। इससे पुरुष के लिंग के तीन स्पंजी हिस्सों जिन्हे कोरपोरा कहते हैं में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है। ये हिस्से लिंग की पूरी लम्बाई में उपस्थित होते हैं।

त्वचा बहुत शिथिल और चलायमान होती है जो लिंग को बढ़ने में मदद करती है। पुरुषों का  स्कॉर्टम या अंडकोश- त्वचा का वो थैला जिसमें वीर्यकोष या टेस्टिकल्स होता है, सख्त हो जाता है, जिससे  वीर्यकोष या टेस्टिकल्स ऊपर शरीर की ओर खिंचता चला जाता है। 

दूसरा चरण --कामुक तीव्रता

लिंग के सिरे (ग्लेन्स) का विस्तार होना शुरु हो जाता है औऱ इसके अंदर और इर्द-गिर्द की रक्त कोशिकाओं में रक्त भरने लगता है। जिससे इसका रंग गहरा होना शुरु हो जाता है और वीर्यकोष या टेस्टिकल्स 50 फीसदी तक बढ़ जाते हैं।

वीर्यकोष या टेस्टिकल्स लगातार बढ़ता जाता है और वीर्यकोष या टेस्टिकल्स और गुदा द्वार के बीच ऊष्मा बढ़नी शुरु हो जाती है। 

उसकी धड़कनें तेज हो जाती हैं, खून का दबाव तेज हो जाता है। सांसों की रफ्तार बढ़ जाती है और उसकी जंघाएं और गुदा द्वार में कसाव होने लगता है। वो रतिक्षण की ओर बढ़ने लगता है।

तीसरा चरण :  रतिक्षण और  स्खलन

लगातार संकुचन वीर्य को मूत्र मार्ग से बाहर निकालने के लिए दबाव बनाती है। इसी मार्ग से मूत्र और वीर्य बाहर निकलता है।

ये पेल्विक फ़्लोर की मांस पेशियों से शुक्र वाहिका नली में होते हैं जो वीर्य को वीर्यकोष या टेस्टिकल्स से लिंग में ले जाती है।  


ये पुरुष ग्रन्थि में और वीर्य पुटिका/ सेमिनल वेसीकल में भी होते हैं इन दोनों से शुक्राणु में तरल पदार्थ मिश्रित हो जाता है। शुक्राणु (5%) और द्रव (95%) के इस मिश्रण को वीर्य कहा जाता है।

ये संकुचन भी रतिक्षण का ही हिस्सा होते हैं। इससे पुरुष ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है कि वो स्खलन को रोक नहीं सकता। 

पहले पौरुष ग्रन्थि फिर पेल्विक फ़्लोर की मांसपेशी में संकुचन से ही स्खलन हो जाता है। जिससे वीर्य एक वेग के साथ लिंग से बाहर आ जाता है। 

चौथा चरण- काम क्रिया के बाद स्थिरता

अब पुरुष सामान्य होने की स्थिति में आने लगता है जब लिंग और वीर्य कोष दोबारा अपने सामान्य आकार में सिकुड़ने लगते  हैं। पुरुष की सांसे अभी भी तेज होता हैं, उसका ह्रदय अभी भी तेजी से धड़क रहा होता है और हो सकता है कि उसे पसीना भी आये।

ये स्खलन के बाद का वो चरण है जिसमें दोबारा ऑर्गैज़म मुमकिन नहीं है। ये एक से दूसरे पुरुष के बीच कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों या कुछ दिनों तक भिन्न हो सकता है। अमूमन पुरुष की उम्र के बढ़ने के साथ ये वक्त भी बढ़ता जाता है।

अगर एक पुरुष को उत्तेजित किया जाता है मगर वो स्खलित नहीं होता है तो पुरुष के सिकुड़नने की क्रिया और लंबी भी हो सकती है। इससे उसके वीर्यकोष या टेस्टिकल्स और पेल्विस में दर्द हो सकता है।

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अगर आपको लिंग के तनाव में आने में या तनाव (या स्तंभन) को बनाए रखने में कोई समस्या हो तो किसी सेक्स स्पेशलिस्ट से सम्पर्क करें।  

ज्यादातर पुरुष इस बात से परेशान रहते हैं कि कहीं सेक्स के दौरान वह जल्दी ही ठंडे न पड़ जाएं। इसी के साथ ही पुरुष इस बात को लेकर भी सोचते हैं कि महिलाएं आखिर कितनी देर में संतुष्ट हो जाती हैं? आखिर कितनी देर में महिलाओं के ऑर्गेज्म प्राप्त होता है। लेकिन क्या आप भी यही सोचते हैं ? अगर हां, तो आज हम आपको बताएंगे कि आखिर महिलाएं कितनी देर में संतुष्ट हो सकती हैं या ऑर्गेज्म प्राप्त कर सकती हैं।

वैसे तो ये किसी को पता नहीं होता कि कोई महिला कब तक संतुष्ट हो पाती है। लेकिन अगर एक औसत समय की बात की जाए तो ये बताया जा सकता है। बहुत सी महिलाएं इस बात से बहुत ज्यादा परेशान रहती हैं कि उनका पार्टनर उन्हें संतुष्ट क्यों नहीं कर पाता। एक महिला हमेशा चाहती है कि उसे सेक्स के दौरान पूरी संतुष्टि प्राप्त हो। अगर ऐसा नहीं होता है तो महिलाएं दूसरे रास्ते भी ढूंढने लग जाती हैं क्योंकि हर कोई यौन संतुष्टि प्राप्त करना चाहता ही है। महिलाओं के लिए भी ये बहुत जरूरी होता है।

क्या कहती है स्टडी
एक स्टडी के अनुसार, ये बात सामने आई है कि एक औसत महिला लगभग 25 मिनट तक संतुष्टि प्राप्त कर सकती है। उन्हें पुरुषों के मुकाबले संतुष्ट होने में ज्यादा समय लगता है। महिलाएं 25 मिनट तक सेक्स कर सकती हैं। हालांकि, इस पूरे 25 मिनट में वह सिर्फ इंटरकोर्स ही नहीं चाहती, बल्कि वह फोरप्ले भी चाहती हैं। महिलाओं को संतुष्टि दिलाने के लिए पुरुषों को फोरप्ले जरूर करना चाहिए। जिससे वह जल्दी संतुष्ट हो जाएंगी। अगर सेक्स के दौरान सिर्फ एक ही पार्टनर संतुष्टि प्राप्त करता है तो वह पूर्ण सेक्स नहीं कहलाया जाता। बल्कि उसे अधूरा सेक्स कहा जाता है।
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एक औसत महिला 25 मिनट में संतुष्टि प्राप्त कर पाती है। इसका एक सर्वे अमेरिका और यूके में हुआ था। जहां 18 से 35 साल तक की महिलाओं को चुना गया था। उन महिलाओं का कहना था कि वह लगभग 25 मिनट तक सेक्स चाहती हैं, क्योंकि वह लगभग 25 मिनट में संतुष्ट हो पाती हैं। उन महिलाओं का यह भी कहना था कि सेक्स के दौरान में वो अच्छे से फोरप्ले भी चाहती हैं।
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पुरुष कितनी देर टिक पाते हैं
अमेरिका में हुए सर्वे के मुताबिक, ज्यादातर पुरुष बेड पर सिर्फ 11 से 14 मिनट तक ही टिक पाते हैं। जिसकी वजह से महिलाओं को पूरी तरह से संतुष्टि नहीं मिल पाती है। हालांकि, इस स्टडी में पुरुषों का कहना था कि समय के साथ-साथ उनकी सेक्स टाइमिंग भी बढ़ रही है। यानी जो लोग शुरुआत में बेड पर कम टिक पाते हैं वह समय के साथ-साथ देर तक सेक्स करने के योग्य हो जाते हैं।
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महिलाओं को कब पसंद है सेक्स करना
इस सर्वे के मुताबिक, ज्यादातर महिलाओं का कहना था कि उनका पार्टनर ज्यादातर रात के समय में ही सेक्स करता है। लेकिन महिलाओं का मानना था कि सुबह के समय उन्हें सेक्स करने में ज्यादा आनंद आता है। जब वह सुबह के समय यौन संबंध बनाती हैं तो उन्हें जल्दी ही संतुष्टि प्राप्त हो पाती है। यही कारण है कि ज्यादातर महिलाएं सुबह के समय सेक्स करना ज्यादा पसंद करती हैं। महिलाओं का मानना है कि रात के समय वह ज्यादा थकान महसूस कर रही होती हैं और उस समय वह सोना पसंद करती हैं।

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