Chunav Kyon Jaroori Hai
GkExams on 28-05-2022
चुनाव (Election Defination In Hindi) की परिभाषा : इसे सरल भाषा में समझे तो यह लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। चुनाव के द्वारा ही आधुनिक लोकतंत्रों के लोग विधायिका के विभिन्न पदों पर आसीन होने के लिये व्यक्तियों को चुनते हैं। चुनाव के द्वारा ही क्षेत्रीय एवं स्थानीय निकायों के लिये भी व्यक्तिओं का चुनाव होता है।
चुनाव कितने प्रकार के होते हैं?
हमारे देश में चुनाव 4 प्रकार (Types of Election) के होते हैं, जो निम्नलिखित है....
1. लोकसभा
2. विधानसभा
3. राज्य सभा
4. पंचायत या नगर निगम चुनाव
चुनाव की जरूरत क्यों है?
किसी भी लोकतान्त्रिक देश में जिसमें लोग अपना शासक प्रतिनिधि चुनते है वह बिना चुनाव के कैसे संभव है। चुनाव का सीधा सा अर्थ है चयन करना। अब बिना चुनाव के कोई अपने प्रतिनिधि का चयन कैसे करेगा। चुनाव की प्रक्रिया या विधि कुछ भी हो सकती है। पर जहा शासक का चुनाव होता है वहीं लोकतांत्रिक सरकार है।
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सम्बन्धित प्रश्न
Comments Kehkasha Khan on 27-10-2022
संसद किसे कहते हैं
neha on 23-07-2022
upchunav kya hai
Hjdgvbn on 16-05-2022
Chunav kyon jaroori hai
Sanjana ptatel on 08-04-2022
Chunaw kyun jaruri hai
Question on 25-03-2022
चुनाव की जरूरत क्यों है
Chunav on 01-03-2022
Chunav jaruri kyo h
Chunaw Kya hai on 21-02-2022
चुनाव क्यों जरूरी है?
Sneha on 25-01-2022
Why do we need election
Priya on 24-01-2022
Chunav kyo jruri hai
Chandni on 20-01-2022
चुनाव क्यों जरूरी है
Jiya on 14-01-2022
Chunav kyu jauri hai
Vivek on 17-12-2021
Chunaav kyu jaroori hai
Vivek on 17-12-2021
Chunaav kyu jaroori hai ?
cunav keyo jaruri hai on 16-12-2021
madar
Satyam on 30-10-2021
Chunav kyo jaroori hai
Rohit Kumar on 27-08-2021
Chunav kyu jaruri hai
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चुनाव या निर्वाचन, लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा जनता (लोग) अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। चुनाव के द्वारा ही आधुनिक लोकतंत्रों के लोग विधायिका (और कभी-कभी न्यायपालिका एवं कार्यपालिका) के विभिन्न पदों पर आसीन होने के लिये व्यक्तियों को चुनते हैं। चुनाव के द्वारा ही क्षेत्रीय एवं स्थानीय निकायों के लिये भी व्यक्तियों का चुनाव होता है। वस्तुतः चुनाव का प्रयोग व्यापक स्तर पर होने लगा है और यह निजी संस्थानों, क्लबों, विश्वविद्यालयों, धार्मिक संस्थानों आदि में भी प्रयुक्त होता है।
भारतीय लोकतंत्र की चुनाव प्रक्रिया[संपादित करें]
भारतीय लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया के अलग-अलग स्तर हैं लेकिन मुख्य तौर पर संविधान में पूरे देश के लिए एक लोकसभा तथा पृथक-पृथक राज्यों के लिए अलग विधानसभा का प्रावधान है।
भारतीय संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से अनुच्छेद 329 तक निर्वाचन की व्याख्या की गई है। अनुच्छेद 324 निर्वाचनों का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना बताता है। संविधान ने अनुच्छेद 324 में ही निर्वाचन आयोग को चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेदारी दी है। 1989 तक निर्वाचन आयोग केवल एक सदस्यीय संगठन था लेकिन 16 अक्टूबर 1989 को एक राष्ट्रपती अधिसूचना के द्वारा दो और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की
लोकसभा की कुल 543 सीटों में से विभिन्न राज्यों से अलग-अलग संख्या में प्रतिनिधि चुने जाते हैं। इसी प्रकार अलग-अलग राज्यों की विधानसभाओं के लिए अलग-अलग संख्या में विधायक चुने जाते हैं। नगरीय निकाय चुनावों का प्रबंध राज्य निर्वाचन आयोग करता है, जबकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव भारत निर्वाचन आयोग के नियंत्रण में होते हैं, जिनमें वयस्क मताधिकार प्राप्त मतदाता प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से सांसद एवं विधायक चुनते हैं। लोकसभा तथा विधानसभा दोनों का ही कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। इनके चुनाव के लिए सबसे पहले निर्वाचन आयोग अधिसूचना जारी करता है। अधिसूचना जारी होने के बाद संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया के तीन भाग होते हैं- नामांकन, निर्वाचन तथा मतगणना। निर्वाचन की अधिसूचना जारी होने के बाद नामांकन पत्रों को दाखिल करने के लिए सात दिनों का समय मिलता है। उसके बाद एक दिन उनकी जांच पड़ताल के लिए रखा जाता है। इसमें अन्यान्य कारणों से नामांकन पत्र रद्द भी हो सकते हैं। तत्पश्चात दो दिन नाम वापसी के लिए दिए जाते है ताकि जिन्हे चुनाव नहीं लड़ना है वे आवश्यक विचार विनिमय के बाद अपने नामांकन पत्र वापस ले सकें। 1993 के विधानसभा चुनावों तथा 1996 के लोकसभा चुनावों के लिए विशिष्ट कारणों से चार-चार दिनों का समय दिया गया था। परंतु सामान्यत: यह कार्य दो दिनों में संपन्न करने का प्रयास किया जाता है। कभी कभार किसी क्षेत्र में पुन: मतदान की स्थिति पैदा होने पर उसके लिए अलग से दिन तय किया जाता है। मतदान के लिए तय किये गए मतदान केंद्रों में मतदान का समय सामान्यत: सुबह 7 बजे से सायं 5 बजे तक रखा जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन आने के बाद मतगणना के लिए सामान्यत: एक दिन का समय रखा जाता है। मतगणना लगातार चलती है तथा इसके लिए विशिष्ट मतगणना केंद्र तय किए जाते हैं जिसमें मतदान केंद्रों के समान ही अनाधिकृत व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित रहता है। सभी प्रत्याशियों, उनके प्रतिनिधियों तथा पत्रकारों आदि के लिए निर्वाचन अधिकारियों द्वारा प्रवेश पत्र जारी किए जाते हैं। वर्तमान में निर्वाचन क्षेत्रानुसार मतगणना की जाती है तथा उसके लिए उसके सभी मतदान केंद्रो के मत की गणना कर परिणाम घोषित किया जाता है। परिणाम के अनुसार जिस दल को बहुमत प्राप्त होता है, वह केंद्र या राज्य में अपनी सरकार का गठन करता है। भारत में वोट डालने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है और यह नागरिकों का अधिकार है, कर्तव्य नहीं।
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा सदस्यों के चुनाव प्रत्यक्ष न होकर अप्रत्यक्ष रूप से होते हैं। इन्हें जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि चुनते हैं। चुनाव के वक्त पूरी प्रशासनिक मशीनरी चुनाव आयोग के नियंत्रण में कार्य करती है। चुनाव की घोषणा होने के पश्चात आचार संहिता लागू हो जाती है और हर राजनैतिक दल, उसके कार्यकर्ता और उम्मीदवार को इसका पालन करना होता है।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- मतदान
- मताधिकार
- अनिवार्य मतदान
- निर्वाचन प्रणालियाँ
- बहुमत
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- भारत के पहले आम चुनाव की कहानी... (वेबदुनिया)
- PARLINE database on national parliaments. Results for all parliamentary elections since 1966
- ElectionGuide.org — Worldwide Coverage of National-level Elections
- parties-and-elections.de: Database for all European elections since 1945
- ACE Electoral Knowledge Network — electoral encyclopedia and related resources from a consortium of electoral agencies and organizations.
- Angus Reid Consultants: Election Tracker
- IDEA's Table of Electoral Systems Worldwide
- European Election Law Association (Eurela)
- //web.archive.org/web/20161104205554///www.uttarakhandelection.in/ = उत्तराखंड ओपिनियन पोल्स 2017 =