कविता और चिड़िया में क्या समानता है? - kavita aur chidiya mein kya samaanata hai?

चिड़िया और कविता में क्या समानता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : कविता और चिड़िया में उड़ान की समानता है। जिस तरह चिड़िया अपने पंखों के द्वारा गगन में विचरण करती है। उसी तरह कवि अपनी कल्पना के पंखों द्वारा पूरे संसार को में विचरण करता है। इस तरह कविता और चिड़िया में उड़ने की समानता है।

कवि ता के बहान े कवि ता और बच्चें में क्या समानता बताई गई है और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंव्याख्या-कवि कविता को बच्चों के खेल के समान मानता है। जिस प्रकार बच्चे कहीं भी किसी भी तरीके से खेलने लगते हैं, उसी प्रकार कवि के लिए कविता शब्दों की क्रीड़ा है। वह बच्चों के खेल की तरह कहीं भी, कभी भी तथा किसी भी स्थान पर प्रकट हो सकती है। वह किसी भी समय अपने भावों को व्यक्त कर सकती है।

चिड़िया की उड़ान एवं कविता की उड़ान में क्या समानता है?

इसे सुनेंरोकेंचिड़िया उड़ती है और फूल खिलता है। इसी प्रकार कविता कल्पना की उड़ान भरती है और फूल की तरह खिलती अर्थात् विकसित होती है। इस प्रकार दोनों में गहरा संबंध है। इसके बावजूद चिड़िया के उड़ने की सीमा है और फूल का खिलना उसे परिणति की और ले जाता है जबकि कविता के साथ ऐसा कोई बंधन नहीं है।

नदी और कविता में लेखक क्या समानता पाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंहर दिन सागर में समाहित होने के बावजूद उसमें जल का टोटा नहीं पड़ता । कविता में भी विभिन्न विडम्बनाएँ, शब्द भंगिमा, जीवन छवियाँ और प्रतीतियाँ आकर मिलती और तदाकार होती रहती हैं। जैसे नदी जल-रिक्त नहीं होती, वैसे ही कविता शब्द-रिक्त नहीं होती । इस प्रकार नदी और कविता में लेखक अनेक समानता पाता है।

कविता और बच्चे में क्या समानता है?

इसे सुनेंरोकें- बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और इसमें कोई बधन नहीं होता। शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य सभी उपकरण मात्र हैं। कविता और बच्चे में निस्वार्थ भाव की भी समानता है।

कविता और बच्चे के खेल में क्या समानता है?

कविता की उडान चिडिया की उडान के समान क्यों नहीं है?

इसे सुनेंरोकेंकविता की उड़ान चिड़िया की उड़ान की तरह नहीं है। चिड़िया सीमित दूरी तक ही उड़ सकती है किन्तु कविता पर स्थान तथा समय का कोई प्रभाव नहीं होता। प्रत्येक देश-काल में उसका रसास्वादन किया जा सकता है। चिड़िया की सीमित उड़ान से उसकी समानता नहीं हो सकती।

नदी तट पर लेखक को किसकी याद आती है और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर- नदी तट पर लेखक को विनोद कुमार शुक्ल की एक कविता याद आती | है । क्योंकि लेखक नदी तट पर बैठकर अनुभव करते हैं कि वे स्वयं नदी हो गये | हैं । इसी बात की पुष्टि करते हुए शुक्ल जी ने ” नदी – चेहरा लोगों ” से मिलने जाने की बात कहते हैं ।

आविन्यों क्या है और वह कहाँ स्थित है?

इसे सुनेंरोकेंAns :- आविन्यों, दक्षिण फ्रांस में रोन नदी के किनारे बसा एक पुराना शहरं । है। यहाँ कभी कुछ समय के लिए पोप की राजधानी थी और अब गर्मियों में फ्रांस और यूरोप का एक अत्यंत प्रसिद्ध लोकप्रिय रंग समारोह हर बरस होता है।

कवि की उड़ान और चिड़िया की उड़ान में क्या अंतर है?

कवि की उड़ान में व्यापकता होती है जबकि चिड़िया की उड़ान में सीमा का बंधन है। चिड़िया यह जान ही नहीं पाती कि कविता की उड़ान की कोई सीमा नहीं है।

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‘भाषा को ससहूलियत’ से बरतने से क्या अभिप्राय है?

भाषा को सहूलियत से बरतने से यह अभिप्राय है कि भाषा का उचित प्रयोग करना चाहिए। भाषा शब्दों का खेल है। शब्दों के अर्थ संदर्भगत होते हैं। शब्द का सही संदर्भ में प्रयोग करना चाहिए। कई बार हम उस शब्द का पर्यायवाची शब्द प्रयोग कर द्विविधा में फँस जाते हैं। शब्दों को सहूलियत के साथ प्रयोग करने पर ही बात का यह कथ्य का अपेक्षाकृत प्रभाव पड़ जाता है। अत: भाषा के प्रयोग में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

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‘उड़ने’ और ‘खिलने’ का कविता से क्या संबंध बनता है?

चिड़िया उड़ती है और फूल खिलता है। इसी प्रकार कविता कल्पना की उड़ान भरती है और फूल की तरह खिलती अर्थात् विकसित होती है। इस प्रकार दोनों में गहरा संबंध है। इसके बावजूद चिड़िया के उड़ने की सीमा है और फूल का खिलना उसे परिणति की और ले जाता है जबकि कविता के साथ ऐसा कोई बंधन नहीं है। कवि फूल की तरह खिलकर और चिड़िया की तरह उड़ान भरकर कविता को व्यापकता प्रदान करता है।

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इस ‘कविता के बहाने’ बताएँ कि ‘सब घर एक कर देने के माने’ क्या है?

‘कविता के बहाने’ में सब घर एक कर देने का माने यह है कि सीमा का बंधन समाप्त हो जाना। जिस प्रकार बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता, उसी प्रकार कविता में कोई बंधन नहीं होता। कविता शब्दों का खेल है। जहाँ रचनात्मक ऊर्जा होती है वहाँ सभी प्रकार की सीमाओं के बंधन स्वयं टूट जाते हैं। बच्चे खेल-खेल में अपने-पराए घर की सीमाएँ नहीं जानते। वे खेलते हुए सारे घरों में घुस सकते हैं और उन्हें एक कर देते हैं। कविता भी यही करती है, वह समाज को बाँधती है, एक करती है।

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कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?

कविता और बच्चे को समानांतर रखने के ये कारण हो सकते हैं-

- बच्चे के सपने असीम होते हैं और कवि की कल्पना भी असीम होती है।

- बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और इसमें कोई बधन नहीं होता। शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य सभी उपकरण मात्र हैं। कविता और बच्चे में निस्वार्थ भाव की भी समानता है।

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कविता के संदर्भ में ‘बिना मुरझाए महकने के माने’ क्या होते हैं?

फूल तो खिलकर मुरझा जाते हैं और उनकी महक समाप्त हो जाती है। इसके विपरीत कविता भी मुरझाती नहीं। वह सदा ताजा बनी रहती है और उसकी महक बरकरार रहती है। एक अच्छी कविता सदा तरोताजा प्रतीत होती है। कविता का प्रभाव चिरस्थायी होता है।

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कविता और चिड़िया में क्या संबंध है?

चिड़िया उड़ती है और फूल खिलता है। इसी प्रकार कविता कल्पना की उड़ान भरती है और फूल की तरह खिलती अर्थात् विकसित होती है। इस प्रकार दोनों में गहरा संबंध है। इसके बावजूद चिड़िया के उड़ने की सीमा है और फूल का खिलना उसे परिणति की और ले जाता है जबकि कविता के साथ ऐसा कोई बंधन नहीं है।

कविता और चिड़िया की उड़ान में क्या समानता है?

उत्तर : कविता और चिड़िया में उड़ान की समानता है। जिस तरह चिड़िया अपने पंखों के द्वारा गगन में विचरण करती है। उसी तरह कवि अपनी कल्पना के पंखों द्वारा पूरे संसार को में विचरण करता है। इस तरह कविता और चिड़िया में उड़ने की समानता है।

कविता तथा बच्चों के खेल में क्या समानता है?

- बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और इसमें कोई बधन नहीं होता। शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य सभी उपकरण मात्र हैं। कविता और बच्चे में निस्वार्थ भाव की भी समानता है।

कविता की उड़ान चिड़िया की उड़ान के समान क्यों नहीं है?

वैसे कविता की उड़ान को चिड़िया नहीं जानती। इसका कारण यह है कि चिड़िया की उड़ान की सीमा है जबकि कविता की उड़ान की कोई सीमा नहीं होती। चिड़िया बाहर-भीतर, इस घर से उस घर तक उड़कर जाती रहती है जबकि कविता की उड़ान व्यापक होती है। कविता कल्पना के पंख लगाकर न जाने कहाँ से कहाँ तक जा पहुँचती है।

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