Solution : किसी चालक से प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न ऊष्मा संबंधी नियम का प्रतिपादन जूल ने किया था जिसे जूल का ऊष्मीय नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार चालक में उत्पन्न ऊष्मा (Q) <br> (i) उस चालक में प्रवाहित होनेवाली विद्युत धारा (I) के वर्ग के सीधा समानुपाती होती है, अर्थात `Q prop I^2` (जहाँ R एवं t अचर है।) <br> (ii) चालक के प्रतिरोध (R) का सीधा समानुपाती होती है अर्थात् Q `prop` R (जहाँ R एवं । अचर है) <br> (iii) चालक से प्रवाहित होनेवाली धारा में लगे समय (t) का सीधा समानुपाती होता है अर्थात Q`prop` t(जहाँ I और R अचर है।)
किसी चालक से प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न ऊष्मा संबंधी जूल के नियम क्या हैं?
Solution : किसी चालक से प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न ऊष्मा संबंधी नियम का प्रतिपादन जूल ने किया था जिसे जूल का ऊष्मीय नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार चालक में उत्पन्न ऊष्मा (Q) <br> (i) उस चालक में प्रवाहित होनेवाली विद्युत धारा (I) के वर्ग के सीधा समानुपाती होती है, अर्थात `Q prop I^2` (जहाँ R एवं t अचर है।)
जूल का नियम क्या है?
जूल के प्रथम नियम (जिसे जूल-लेंज नियम भी कहते हैं) के अनुसार, किसी विद्युत चालक के अन्दर ऊष्मीय ऊर्जा उत्पन्न होने की दर (अर्थात ऊष्मीय शक्ति) उस चालक के प्रतिरोध एवं उसमें प्रवाहित धारा के वर्ग के गुणनफल के समानुपाती होती है।
ऊष्मा और विद्युत धारा में क्या संबंध है?
सन् १८४१ में जूल (Joule) ने विद्युत के ऊष्मा प्रभाव का अध्ययन किया तथा बतलाया कि किसी सेल की रासायनिक ऊर्जा, जो परिपथ में धारा प्रवाहित करती है, उस परिपथ में उत्पादित ऊष्मा उर्जा के बराबर होती है।