कर्म के आधार पर क्रिया क्या है? - karm ke aadhaar par kriya kya hai?

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    • November 27, 2021 at 8:13 pm

    कर्म के आधार पर क्रिया के दो  भेद होते है  (क) अकर्मक क्रिया (ख) सकर्मक क्रिया

    (क) अकर्मक क्रिया :-अकर्मक’ शब्द का अर्थ है ‘बिना कर्म के’ अर्थात जिस क्रिया के साथ कर्म न हो।

    जिस क्रिया के कार्य का फल कर्ता पर पड़ता है, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।

    जैसे : रमा बैठी है।

    युवतियाँ जा रही हैं।

    बालक हँसने लगा।

    इन वाक्यों में बैठी है, जा रही हैं, हँसने लगा अकर्मक क्रियाएँ हैं। इन क्रियाओं का फल कर्ता पर पड़ता है और । इन्हें कर्म की अपेक्षा भी नहीं है।

    (ख) सकर्मक क्रिया:-  जिस क्रिया में कर्म होता है या जिसे कर्म की अपेक्षा होती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं।

    जैसे – कंचन चाय बना रही है।

    कमल पतंग उड़ा रहा था।

    पिता जी समाचार पत्र पढ़ रहे हैं।

    इन वाक्यों की क्रियाएँ हैं-बना रही है, उड़ा रहा था, पढ़ रहे हैं। इन वाक्यों में कर्म हैं-चाय, पतंग, समाचार-पत्र।

    इन क्रियाओं का फल इन कर्मों पर पड़ता है, इसलिए ये सकर्मक क्रियाएँ हैं।

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    कर्म के आधार पर क्रिया का कौन सा भेद है?

    उत्तर 2- कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं । 1 सकर्मक क्रिया 2- अकर्मक क्रिया प्रश्न 3 - अकर्मक और सकर्मक क्रिया में अंतर बताइए । उत्तर 3 - अकर्मक क्रिया में कर्म नहीं पाया जाता है जबकि सकर्मक क्रिया में कर्म पाया जाता है।

    कर्म के आधार पर क्रिया कितनी होती है?

    (क) अकर्मक क्रिया :- अकर्मक' शब्द का अर्थ है 'बिना कर्म के' अर्थात जिस क्रिया के साथ कर्म न हो। जिस क्रिया के कार्य का फल कर्ता पर पड़ता है, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे : रमा बैठी है।

    क्रिया कर्म क्या है?

    साधारण बोलचाल की भाषा में कर्म (पालि : 'कम्म') का अर्थ होता है 'क्रिया'। व्याकरण में क्रिया से निष्पाद्यमान फल के आश्रय को कर्म कहते हैं। "राम घर जाता है' इस उदाहरण में "घर" गमन क्रिया के फल का आश्रय होने के नाते "जाना क्रिया' का कर्म है।

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