हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती में कौन सा गुण है? - himaadri tung shrrng se prabuddh shuddh bhaaratee mein kaun sa gun hai?

हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती में कौन सा रस है?

'हिमाद्रि तुंग श्रृंग से, प्रबुद्ध शुद्ध भारती। स्वयं प्रभा समुज्जवला स्वतंत्रता पुकारती। ' उपर्युक्त पंक्तियों में वीर रस है, वीर रस का स्थायी भाव 'उत्साह' है।

हिमाद्रि तुंग श्रृंग से इस कविता के कवि कौन है?

आज का शब्द - तुंग और जयशंकर प्रसाद की कविता - हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती

स्वतंत्रता पुकारती कविता का उद्देश्य क्या है?

की तरह बढ़ते चलो सच्चे वीर हो विजयी बनों और की ओर बढ़े चलो । कवि माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित कविता पुष्प की अभिलाषा में कवि पुष्प से उसकी चाह को व्यक्त किया है। अपने आप को भाग्यशाली मानू वह वनमाली से कहता है कि हे वनमाली मुझे तोड़कर उस राह में फेंक देना जहाँ शूरवीर के पैरों तले आकर खुद पर गर्व महसूस कर लूँगा ।

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